असम सरकार ने बांग्लादेशी घुसपैठियों को वापस भेजने का दावा करते हुए, लेकिन विपक्ष ने इस पर आरोप लगाया है कि असम में बसे 676 परिवारों के लोग स्वयं भारतीय हैं और उन्हें बांग्लादेशी बताकर वापस भेजने की प्रक्रिया में नाकाम हुई।
सरकार का दावा है कि ये लोग अवैध प्रवासी थे, लेकिन स्थानीय नागरिक कहते हैं कि वे भारतीय हैं, उनके पास 1951 की एनआरसी और 1971 से पहले के दस्तावेज मौजूद हैं।
बांग्लादेश जेल भेजने और फिर भारत लौटाने का दौरा बाकी कांग्रेस सरकार के समय हुआ था, जबकि भाजपा सरकार ने सिर्फ 6 साल में 26 लोगों को वापस भेजा।
असम में मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने 'पुशबैक पॉलिसी' के नाम पर कानून को दरकिनार कर रहे हैं, जिसमें उन्होंने कहा है कि 2017 से 2023 तक में केवल 26 लोगों को वापस भेजा।
विपक्षी दल ने इस पॉलिसी पर सवाल उठाया और आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री 'बांग्लादेशियों को वापस भेजो' अभियान में एक्सपोज हो गए।
असम से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें, जिसमें बंगाल-असम के लोग अपनी पहचान और नागरिकता के बारे में बताते हैं।
सरकार का दावा है कि ये लोग अवैध प्रवासी थे, लेकिन स्थानीय नागरिक कहते हैं कि वे भारतीय हैं, उनके पास 1951 की एनआरसी और 1971 से पहले के दस्तावेज मौजूद हैं।
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असम में मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने 'पुशबैक पॉलिसी' के नाम पर कानून को दरकिनार कर रहे हैं, जिसमें उन्होंने कहा है कि 2017 से 2023 तक में केवल 26 लोगों को वापस भेजा।
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