Jharkhand: थैलेसीमिया पीड़ित सात बच्चों को चढ़ा दिया एचआईवी संक्रमित ब्लड, सीएम हेमंत सोरेन ने लिया एक्शन

झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के चाईबासा सरकारी अस्पताल में थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को एचआईवी संक्रमित रक्त देने का मामला सामने आया है। इस मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कड़ा रुख अपनाते हुए चाईबासा सदर अस्पताल के सिविल सर्जन और उनके साथ अन्य पदाधिकारियों को निलंबित करने का आदेश दिया है। इस मामले पर त्वरित कार्रवाई करते हुए, सरकार ने पीड़ित बच्चों के इलाज पर खर्च अपने खर्चे पर कराने का फैसला लिया है।

पीड़ित बच्चों के परिजनों को 2-2 लाख रूपये की सहायता राशि देने की बात कही गई है। इस मामले पर स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी ने कड़ा निर्देश दिया है कि बदतर स्वास्थ्य व्यवस्था बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

स्वास्थ्य मंत्री श्री इरफान अंसारी ने बताया कि इस मामले को गंभीरता से लेते हुए उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए गए हैं। एक थैलेसीमिया पीड़ित बच्चे में एचआईवी संक्रमण की प्राथमिक पुष्टि हुई है। इस गंभीर मामले पर त्वरित कार्रवाई करते हुए, चाईबासा के सिविल सर्जन, एचआईवी यूनिट के प्रभारी चिकित्सक तथा संबंधित टेक्नीशियन सभी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।

इस मामले पर त्वरित कार्रवाई करते हुए, सरकार ने कहा है कि राज्य में स्थित सभी ब्लड बैंक का ऑडिट कराकर पांच दिनों में रिपोर्ट सौंपने का काम करेगा। स्वास्थ्य प्रक्रिया में लचर व्यवस्था किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
 
ਮੈਨੂੰ ਇਹ ਸੁਣकर कੁਦਰਤ ਭੀ ਖਿੜੀ। ਥैलेसीमियਾ ਪੀਡ਼ਿਤ ਬੱਚੇ ਨੂੰ एਹਿਵੀ ਸੰਕਰਮਣ ਦੀ ਅਜਿਹੀ ਗੱਲ, ਭਾਰਤ ਦੇ ਸੁਪਰ ਬਲਡ ਬੈਂਕਾਂ ਵਿੱਚ ਨਹੀਂ ਆਉਂਦੀ। ਮੈਂ ਅੱਜ-ਕੱਲ੍ਹ ਵੀ ਇਸ ਤੋਂ ਗੁੰਝਲ ਨਾ ਬਣ ਰਿਹਾ, ਪਰ ਦੇਖ ਕੇ ਦਿਲ ਧੜਕਣ ਲੱਗਾ।
 
इस तरह की घटनाएं कभी-कभी हमारे देश को परेशान करती हैं 🤕। यह तो सही है कि सरकार इस तरह के मामलों पर त्वरित कार्रवाई कर रही है, लेकिन ऐसे मामलों को संबोधित करने के लिए हमें अपनी स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार करना होगा, ताकि ऐसी घटनाएं भविष्य में न हों। पीड़ित बच्चों को जल्दी इलाज और सहायता देने के लिए हमें अपने ब्लड बैंकों की जांच करनी चाहिए, ताकि इस तरह की घटनाएं कभी भी हो न सकें।
 
🙏 यह बहुत दुखद है कि झारखंड के चाईबासा सरकारी अस्पताल में थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को एचआईवी संक्रमित रक्त देने का मामला सामने आया। यह बहुत ही गंभीर आरोप है और इसके लिए कड़ी जांच की जरूरत है।

मुझे लगता है कि इस मामले में त्वरित कार्रवाई करना जरूरी है। पीड़ित बच्चों के इलाज के लिए सरकार ने खर्च अपने खर्चे पर कराने का फैसला लिया है, जो एक अच्छा कदम है।

लेकिन मुझे लगता है कि इस मामले में अधिक गहराई से जांच करनी चाहिए। सरकार ने कहा है कि राज्य में सभी ब्लड बैंक का ऑडिट कराकर पांच दिनों में रिपोर्ट सौंपने का काम करेगा, लेकिन मुझे लगता है कि यह पर्याप्त नहीं है।

इस तरह के आरोप होने पर त्वरित कार्रवाई करना जरूरी है, लेकिन हमें यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसे मामलों को भविष्य में रोकने के लिए उचित उपाय किए जाएं।
 
આ મામલે વિચારકર્તા છું. શહેર સાથેના ભીડબજોરમાં ખરચ આવતાં, પ્લેઝર અને સુધારકોની જેમ છું.
 
स्वास्थ्य व्यवस्था कितनी खराब है 🤕। इस तरह के मामलों पर तुरंत कार्रवाई करना जरूरी है, लेकिन सरकार को अपनी गैरजिम्मेदारियों के लिए भी जिम्मेदार होना चाहिए। थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को एचआईवी संक्रमित रक्त देने का मामला सामने आया, तो इसके लिए सरकार और अस्पताल में जिम्मेदार लोगों पर सवाल उठाने चाहिए। पीड़ित बच्चों को सहायता राशि देने की बात कही गई, लेकिन इससे यह साफ नहीं होता कि क्या अस्पताल में ऐसी गलती हुई थी। सरकार और अस्पताल को अपनी गैरजिम्मेदारियों के लिए जवाबदेह होना चाहिए।
 
अगर चाईबासा सरकारी अस्पताल में एचआईवी संक्रमित रक्त देने का मामला सच है तो यह बहुत बड़ा मुद्दा है। चाहे वह एक छोटा सा अस्पताल भी हो, यह तो सबसे बड़ी चिंता का विषय है कि बच्चों की जान जोखिम पर हो। इस तरह की गलती के लिए निलंबित होना अच्छा है, लेकिन एक सवाल उठता है कि यह मामला साफ़ नहीं है। पीड़ित बच्चों को 2-2 लाख रूपये की सहायता देने की बात कही गई, लेकिन हमें पता होना चाहिए कि प्रक्रिया कैसी थी, क्या सब ठीक से हुआ। अगर उन्होंने एचआईवी यूनिट में कोई त्रुटि कर दी है तो उनकी जिम्मेदारियां कौन लेगा।
 
🤔 यह बहुत ही गंभीर मामला है जिसमें बच्चों के स्वास्थ्य और जीवन पर सवाल उठाए गए हैं। सरकार ने तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए और ऐसी बीमारी को फैलने देने वाले लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।

लेकिन यह भी सच है कि स्वास्थ्य सेवा में त्रुटियाँ होना बहुत ही आसान है, और अगर सरकार इस मामले पर ध्यान नहीं देती, तो इससे बड़ी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसलिए, यह जरूरी है कि हम इस मामले को गंभीरता से लें और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार करने के लिए काम करें।

राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसी त्रुटियाँ भविष्य में न हों। इसलिए, यह जरूरी है कि हम एक अच्छी स्वास्थ्य सेवा व्यवस्था बनाएं जहां हर व्यक्ति को उचित उपचार और देखभाल मिले।
 
अगर मुसीबत में पड़े बच्चों को राहत दिलाने के लिए तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए, लेकिन क्या सचमुच ये हुआ? किसी भी अस्पताल में रक्त का स्वैप करने से पहले टेस्ट कर लेना चाहिए, तो ये बात जरूर थी। सरकार को तुरंत काम करना चाहिए और सभी निलंबित हुए व्यक्तियों को पुनर्मूल्यांकन करना चाहिए। मुझे यकीन नहीं है कि अगर यह सच हुआ तो इससे सरकार को बहुत मुश्किलें आ सकती हैं।
 
बड़ा हुआ है यह! 🤯 चाईबासा सरकारी अस्पताल में एचआईवी संक्रमित रक्त देने का मामला, भारत में ऐसा पहली बार नहीं हुआ होगा। तो शायद एक बड़ा फैसला है - पीड़ित बच्चों को इलाज पर खर्च अपने खर्चे पर कराने का और 2-2 लाख रूपये की सहायता राशि देने की। लेकिन इससे पहले चिकित्सकों को बड़ी जिम्मेदारी निभानी होगी, तो स्वास्थ्य मंत्री श्री इरफान अंसारी की बात सही रहेगी। 👍
 
बुराई ना करे देश 🤦‍♂️, इस मामले से हार नहीं मानी जा सकती 🙅‍♂️। चाईबासा अस्पताल में तो एचआईवी के साथ-साथ कोई अन्य समस्या भी निकलती तो फिर सरकार का रुख बदलना ही आसान नहीं है 🤔। लेकिन देखकर अच्छा लगा कि मुख्यमंत्री ने कड़ाके से कार्रवाई की है। पीड़ित बच्चों को सहायता राशि देना जरूरी है, लेकिन इसके अलावा यह भी जरूरी है कि सरकार अपनी नौकरियों में चालाकी नहीं करेगी। सभी ब्लड बैंकों का ऑडिट करना और स्वास्थ्य प्रक्रियाओं में लचरी नहीं बनने देना होगा। ऐसा तो सरकार के लिए आसान नहीं है, लेकिन जरूरी है 🙌
 
यह तो बहुत बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण घटना है . अगर एक बच्चे की जान जाती है तो यह सरकार का ख्याल भी नहीं कर पाया। यह तो सिर्फ लापरवाही और अनुभवहीनता का मामला है। यह चिकित्सक, सिविल सर्जन, एचआईवी यूनिट के प्रभारी चिकित्सक तथा टेक्नीशियन सभी इस तरह बेअखल कर दिए गए हैं।

मुझे लगता है कि अगर सरकार और चिकित्सा विशेषज्ञों ने अधिक सावधानी बरती तो यह जीवन-हत्या मामला नहीं होता। यह तो एक बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण घटना है जिस पर कोई भी जवाबदेह नहीं होना चाहिए।
 
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