बिहार चुनाव से पहले एक बड़े गैंगस्टर रंजन कौन है, यह प्रश्न आज हमारे सामने आया है. दिल्ली और बिहार पुलिस ने इस्तेमाल की जाने वाली जाइंट मिशन में उनका एनकाउंटर कर दिया है. रंजन की मौत मर्डर की धारा 302 से इंस्पायर्ड थी, लेकिन वह एक प्रतिभाशाली सरकारी कर्मचारी का बेट था.
उन्हें सिग्मा एंड कंपनी गैंग का मुखिया बनने के लिए चुना गया था, जिसका उद्देश्य बड़े क्राइम को करने वालों को रोकना और उनकी गतिविधियों को दबाना था. रंजन ने अपने पिता की मृत्यु के बाद से ही इस गैंग का हिस्सा बन गया था. उन्होंने अपने पिता की मृत्यु के बाद एक प्रेस नोट भेजकर अपनी गतिविधियों को बताया था, जिसका उद्देश्य बड़े क्राइम को करने वालों को रोकना और उनकी गतिविधियों को दबाना था.
रंजन की मौत के पीछे की सच्चाई क्या है, यह एक दिलचस्प कहानी है. उन्हें गैंगस्टर बनने के लिए चुना गया था, लेकिन वह एक अच्छा आदमी भी थे. उन्होंने अपनी गतिविधियों को रोकने और समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने का फैसला किया था.
रंजन की मौत ने बिहार चुनाव से पहले एक बड़ा झटका दिया है. उनकी गतिविधियों को दबाने के लिए पुलिस ने जाइंट मिशन चलाया है, लेकिन रंजन की मौत ने यह साबित करने के लिए कि कैसे एक अच्छा आदमी भी गैंगस्टर बन सकता है, एक बड़ा सवाल पैदा कर दिया है.
उन्हें सिग्मा एंड कंपनी गैंग का मुखिया बनने के लिए चुना गया था, जिसका उद्देश्य बड़े क्राइम को करने वालों को रोकना और उनकी गतिविधियों को दबाना था. रंजन ने अपने पिता की मृत्यु के बाद से ही इस गैंग का हिस्सा बन गया था. उन्होंने अपने पिता की मृत्यु के बाद एक प्रेस नोट भेजकर अपनी गतिविधियों को बताया था, जिसका उद्देश्य बड़े क्राइम को करने वालों को रोकना और उनकी गतिविधियों को दबाना था.
रंजन की मौत के पीछे की सच्चाई क्या है, यह एक दिलचस्प कहानी है. उन्हें गैंगस्टर बनने के लिए चुना गया था, लेकिन वह एक अच्छा आदमी भी थे. उन्होंने अपनी गतिविधियों को रोकने और समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने का फैसला किया था.
रंजन की मौत ने बिहार चुनाव से पहले एक बड़ा झटका दिया है. उनकी गतिविधियों को दबाने के लिए पुलिस ने जाइंट मिशन चलाया है, लेकिन रंजन की मौत ने यह साबित करने के लिए कि कैसे एक अच्छा आदमी भी गैंगस्टर बन सकता है, एक बड़ा सवाल पैदा कर दिया है.