मानसून विदा, फिर कहां से आ गई इतनी बारिश: अगले 4 दिन में 15 राज्य भीगेंगे; बेमौसम बरसात का फसलों और सर्दी पर क्या असर

उत्तर भारत में मानसून ने अपना अंत कर दिया था, लेकिन अब बादल इसने नहीं जाने की जिद पर अड़े हैं। भारत के अधिकांश हिस्सों में मानसून के बादल छाए हैं या हल्की-मध्यम तीव्रता वाली संभावित बारिश हो रही है। मौसम विभाग ने बताया है कि अगले 4 दिन में भारत के लगभग सभी राज्य इस बेमौसम और भी अधिक बारिश के खतरे में हैं।
 
मानसून की मुश्किलें बढ़ गई हैं तो लोगों को अपना खेती काम बंद कर देना चाहिए 🌪️। अगर संभव हो तो सरकार को हमें जल संचयन और बचाव के उपाय करने की ज़रूरत है। मानसून ने भारत को बरसात और फसलों के लिए जरूरी पानी दिया, लेकिन अगर इसे सही तरीके से नहीं चलाया जाए तो हमारे पास समस्या बन गई है 💧
 
मानसून को बुझाने वाली बात तो यह है कि वह हमेशा लौटता है, बिना थके। कभी-कभी तो वह बिना सोचे समझे हमारे ऊपर आ जाती है और फिर भी हमें आश्वासन देती है। मौसम विभाग की बातों को सुनकर लगता है कि अगले 4 दिन में बीतने वाले समय में बहुत कुछ हो सकता है, चाहे तेज़ या धीमी, हमारी जिंदगी में एक बड़ा बदलाव आ सकता है। मानसून की इस निडरता से हमें आश्वस्त करती है कि वह हमेशा अपनी उपज को प्रदान करेगी।
 
बेमौसम की स्थिति को लेकर बहुत चिंतित हूँ, मानसून की अनुपस्थिति से जल संसाधनों पर दबाव बढ़ जाता है। राज्य सरकारों से उन्हें जल संचयन और बचाव पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है, ताकि इससे नुकसान कम हो सके।
 
मानसून जैसी स्थितियों में तैयार रहना बहुत जरूरी है ...
बादल हमेशा ऐसा होते हैं कि आप क्या सोच रहे हो ... अचानक से बारिश की घंटी बजने लगती है।
अगर सुरक्षित जगह पर रहना संभव है, तो फिर कुछ भी न होने देना चाहिए ... बारिश के बादल में कोई जान जानकर नहीं चलती।
 
मानसून को जाने नहीं देना बिल्कुल सही नहीं है… हमारे पृथ्वी पर संतुलन बनाए रखना जरूरी है। कभी-कभी तूफान भी आना पड़ता है, लेकिन फिर से ठंड और शांति आ जाती है। मौसम को समझने की कोशिश करें तो अच्छा आएगा। संतुलन बनाए रखने के लिए हमें अपने आसपास की प्राकृतिक शक्तियों का सम्मान करना चाहिए।
 
मानसून की बात करने से पहले, मैंने इस साल कैसा मौसम देखने वाला है, यह तो बताना आसान है… जिस तरह मानसून आ जाता है, उसके बाद रुकना नहीं पड़ता, ठीक? लेकिन ये तो अलग बात है कि जब भी इसे रोकना होता है उसमें भी फिक्र नहीं होती। मेरा सवाल यह है कि, निश्चित रूप से आने वाले 4 दिनों में, हम अपने घरों को तैयार कर रहे हैं लेकिन याद रखना ज़रूरी है, हमारे पास बीमारी जैसी नहीं है… और सबकुछ सही से चले आ रहे हैं।
 
मानसून से खेलने वालों को अब अपना खेल छोड़ना होगा 🤣 बादलों का यह अड़ापन मुझे जरूर चिंतित कर रहा है। लेकिन फिर तो ऐसा लगता है जैसे हमें हर साल यही दृश्य देखना पड़ता है। शायद जलवायु परिवर्तन के बारे में हमें और अधिक सोचने की जरूरत है।
 
मानसून को तो चुपचाप बैठने का मौका मिल जाना अच्छा लगता है 😂, लेकिन नहीं जाने की जिद पर अड़ना नहीं, बस मौसम विभाग को एक प्रतियोगिता में भाग लेने की जरूरत है, "बारिश करो, बारिश न करो, और अगर करते हैं तो और बढ़िया!" 🤣
 
मानसून को फिर से शुरू करने में इतना समय लग जाता है, यह तो अच्छा नहीं है... 🤦‍♂️ अब हर जगह बादल घेर लेते हैं और मौसम विभाग कहता है कि अगले 4 दिन में भारी बारिश होने का खतरा है, लेकिन क्या इसका मतलब है? कोई चेतावनी नहीं देते? 🚨 मुझे लगता है कि सोशल मीडिया पर हमेशा ऐसी खबरें आती रहती हैं...
 
मानसून में फंस गए ये बादल 🌫️, अब कुछ दिनों के लिए वायु मंडल में जमा हो गए हैं... या फिर? मुझे लगता है कि पूरे देश में तूफान और बारिश की संभावनाएं बढ़ गई हैं। क्या हमारे आसपास के मौसम विभाग की भविष्यवाणियां सही हैं या नहीं? पहले मुझे लगा था कि मानसून के बादल तुरंत चले जाएंगे, लेकिन लगता है कि यह दिलचस्प चाल अकेले नहीं रहेगा।
 
मानसून ने एक बार फिर से अपने अंदाज़ में वापस आ गया है ... यानी बिना चेतावनी के तूफान लगने लगा है . अब तक तो हमारे पास खूबसूरत चित्रकलाओं जैसी बातचीत करने का समय था, लेकिन मानसून ने तुरंत सबकुछ धुंधला कर दिया है . मौसम विभाग से कहा जा रहा है कि अगले चार दिनों में भारत पूरा बीमार पड़ गया है ... अर्थात् बादल एक जगह पर हैं और वहीं पर तूफान लगने लगे हैं . ऐसा लगता है जैसे मानसून ने खुद को अपनी जिद्द पर अड़ा लिया है और कह दिया है - "मैं नहीं जाऊंगा, आओ मेरे साथ बारिश करो" .
 
मानसून की बात करते हुए, मैंने कभी नहीं सोचा था कि ये तो इतना धीमा चलेगा। पिछले वर्ष जब जैसे मनेजर ने बारिश शुरू की, उस समय सबको लगा था कि यह तो पहले ही एक अच्छा सीज़न बन गया है। लेकिन अब देख रहा हूँ, मानसून कितना स्वाभाविक रूप से चलता है, फिर भी हमें कभी न कभी बारिश आनी चाहिए या नहीं? मैंने पहले तो सोचा था कि पानी की कमी बढ़ रही है और इसलिए मानसून की लंबी समय तक नहीं रहना अच्छा है, लेकिन फिर इसीलिए ही मौसम विभाग ने बताया है कि अगले 4 दिनों में बारिश होने का खतरा, तो शायद ये सब कुछ एक साथ चलने की कोशिश कर रहा है?
 
मानसून तो मुझे लगता है कि यह सोच रहा है कि वह अपने रोल पर खरा उतर सकता है। पहले वह ख़त्म हो गया, फिर अब वापस आ गया। लेकिन लगता है कि यह एक बहुत ही अस्थिर मौसम वाला देश है, जहां चीजें कभी-कभी बिना सोचे-समझे ही बदल जाती हैं।
 
मानसून तो हमेशा से ऐसा ही बनता है 🌂, जैसे कभी वो बहुत ही ठंडे मौसम में आता है और फिर एक दिन अचानक बारिश शुरू कर देता है। लेकिन जब भी मानसून की गति धीमी होने लगती है, तो हम सबके मन में एक सवाल उठता है कि कब जल्दी मुझे बच्चों की स्कूल की छुट्टियां मिल जाएंगी 🤓। लेकिन इसके बादल नहीं जाने की जिद पर अड़ते हैं और हमें फिर से बारिश का इंतजार करना पड़ता है। क्या वास्तव में हम सब को मानसून की याद दिलाने की जरूरत है? 🤔
 
अरे, यह तो बहुत ज्यादा बारिश होने वाली है! 😊 तो मानसून के साथ हम फिर से मिट्टी के घोल में डूबेंगे... लेकिन मजा ये है, जिंदगी में कभी-कभी ऐसा ही होता है... हमें अपनी राहों पर चलने देना चाहिए, तो फिर क्या परेशानी, नहीं? 🌞 तो यही उम्मीद है, कि सब कुछ ठीक से चले, और बारिश अच्छी तरह से आये... और हमारे खेतें अच्छी तरह से भर जाएं! 💧
 
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