जस्टिस सूर्यकांत को अगला पीठाधीश अधिवेशन में चुनने का प्रस्ताव, एक ही समय में 65 लाख मतदाताओं का विवरण सार्वजनिक करने का निर्देश।
उन्होंने भारतीय संविधान पर एक महत्वपूर्ण प्रभाव डालने वाले अभिव्यक्ति स्वतंत्रता और अनुच्छेद 370 जैसे कई मामलों की सुनवाई करने में भी हिस्सा लिया है। उनकी अदालत ने औपनिवेशिक काल के राजद्रोह कानून को समाप्त करने का प्रयास किया, और सरकार द्वारा इस कानून की समीक्षा पूरी होने तक इसके तहत नई प्राथमिकताएं दर्ज न करने का आदेश दिया।
इसके अतिरिक्त, उन्होंने निर्वाचन आयोग से बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के दौरान हटाए गए 65 लाख मतदाताओं का विवरण सार्वजनिक करने का आदेश दिया। यह निर्णय कई ऐसे मामलों पर एक नए आयाम को जोड़ता है जिनमें भ्रष्टाचार, पर्यावरण और लैंगिक समानता जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे शामिल हैं।
इस तरह से, जस्टिस सूर्यकांत की अदालत ने एक नए युग की शुरुआत की है, जहां न्याय और निष्पक्षता को प्राथमिकता दिया गया है। उनकी विचारधारा भारतीय लोकतंत्र की स्थिरता और समृद्धि में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
उन्होंने भारतीय संविधान पर एक महत्वपूर्ण प्रभाव डालने वाले अभिव्यक्ति स्वतंत्रता और अनुच्छेद 370 जैसे कई मामलों की सुनवाई करने में भी हिस्सा लिया है। उनकी अदालत ने औपनिवेशिक काल के राजद्रोह कानून को समाप्त करने का प्रयास किया, और सरकार द्वारा इस कानून की समीक्षा पूरी होने तक इसके तहत नई प्राथमिकताएं दर्ज न करने का आदेश दिया।
इसके अतिरिक्त, उन्होंने निर्वाचन आयोग से बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के दौरान हटाए गए 65 लाख मतदाताओं का विवरण सार्वजनिक करने का आदेश दिया। यह निर्णय कई ऐसे मामलों पर एक नए आयाम को जोड़ता है जिनमें भ्रष्टाचार, पर्यावरण और लैंगिक समानता जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे शामिल हैं।
इस तरह से, जस्टिस सूर्यकांत की अदालत ने एक नए युग की शुरुआत की है, जहां न्याय और निष्पक्षता को प्राथमिकता दिया गया है। उनकी विचारधारा भारतीय लोकतंत्र की स्थिरता और समृद्धि में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।