देश में SIR अगले हफ्ते से शुरू हो सकता है:चुनावी राज्यों में सबसे पहले; पश्चिम बंगाल समेत 5 राज्यों में अगले साल होना हैं चुनाव

चुनाव आयोग देश में अगले हफ्ते से वोटर लिस्ट का स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR) शुरू कर सकता है। इसकी शुरुआत 10-15 राज्यों से होगी, जहां अगले एक साल में विधानसभा चुनाव होना हैं। इन राज्यों में SIR पहले होगी, जहां मतदाताओं को हटाने और यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि कोई भी दोहरा मतदान न हो।

असम, तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल और पश्चिम बंगाल में 2026 में विधानसभा चुनाव होना है। चुनाव आयोग के अधिकारियों ने बताया, "हम राज्यों में SIR शुरू करने से पहले उन राज्यों में नहीं करेंगे, जहां स्थानीय निकायों के चुनाव होने हैं। यह इसलिए है कि निचले स्तर पर कर्मचारी उन चुनाव में व्यस्त होंगे।"

चुनाव आयोग ने बताया है कि राज्यों में अंतिम SIR कट-ऑफ डेट के रूप में काम करेगी, जैसे कि बिहार की 2003 की वोटर लिस्ट का उपयोग चुनाव आयोग ने SIR के लिए किया था। अधिकांश राज्यों में वोटर लिस्ट का अंतिम बार सिर्फ 2002 और 2004 के बीच हुआ था।

चुनाव आयोग द्वारा SIR की शुरुआत इस प्रकार हो सकती है:

1. **देशभर में मतदाता सूचियों की गहन पुनरीक्षण (SIR)**: चुनाव आयोग देश में नवंबर से 10-15 राज्यों में वोटर लिस्ट का SIR शुरू कर सकता है।
2. **अंतिम SIR कट-ऑफ डेट**: राज्यों में अंतिम SIR कट-ऑफ डेट के रूप में काम करने की प्रक्रिया होगी, जैसे कि बिहार की 2003 की वोटर लिस्ट का उपयोग चुनाव आयोग ने SIR के लिए किया था।
3. **मतदाताओं को हटाना**: स्थानीय निकायों में मतदाताओं को हटाने से पहले, इन राज्यों में SIR होना आवश्यक है।
4. **बिहार और उत्तराखंड की वोटर लिस्ट**: बिहार और उत्तराखंड में 2002 से 2004 के बीच SIR हुआ था, जिसमें 70 करोड़ मतदाताओं को दर्ज किया गया था।
5. **मतदाता सूची को अपडेट करना**: चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची को अपडेट करने का मकसद है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी दोहरा मतदान न हो।
 
सबसे पहले 10-15 राज्यों में SIR शुरू करना अच्छा विचार है, जैसे कि असम, तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल और पश्चिम बंगाल। इससे मतदाताओं को हटाने और दोहरा मतदान से रोकने में मदद मिलेगी।

ऐसा मानते हैं कि SIR शुरू करने से पहले, चुनाव आयोग इन राज्यों में स्थानीय निकायों के चुनाव होने की जांच कर लेनी चाहिए। इससे कर्मचारियों को व्यस्त रहने का कोई मौका नहीं मिलेगा।

इसके अलावा, SIR शुरू करने से पहले, चुनाव आयोग को राज्यों में अंतिम SIR कट-ऑफ डेट तय करनी होगी, जैसे कि बिहार की 2003 की वोटर लिस्ट। इससे उन राज्यों में सीरियस होना आसान हो जाएगा।

और सबसे जरूरी बात, मतदाता सूची को अपडेट करने का मकसद है ताकि दोहरा मतदान न हो। इससे चुनाव प्रक्रिया में साफ-सफाई आ जाएगी।

चूंकि Bihar aur Uttrakhand me 2002 se 2004 tak SIR hai, toh 70 crore logon ko darj kiya gaya tha. Isliye, chunav aayog ke liye matdaata sanchi ko update karna zaroori hai taaki koi bhi dohare matadaan nahin ho sake.
 
मुझे लगता है कि चुनाव आयोग का इस तरह का फैसला देश में वोटर लिस्ट की सुरक्षा और स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए अच्छा है। लेकिन मुझे थोड़ा आश्चर्य हुआ कि 10-15 राज्यों में शुरू करने की बात है, मुझे लगता है कि इससे पहले भी कुछ बड़े स्टेट में वोटर लिस्ट की जांच की जानी चाहिए। इसके अलावा, चुनाव आयोग ने बताया है कि राज्यों में अंतिम SIR कट-ऑफ डेट के रूप में काम करने की प्रक्रिया होगी, लेकिन मुझे लगता है कि इससे पहले मतदाताओं को हटाने से पहले स्थानीय निकायों में चुनाव होना चाहिए।
 
मैंने सोचा कि क्या हमें कभी वोटर लिस्ट में दोहरा मतदान नहीं करने की जरूरत है? यह एक ऐसी बात है जिसके पीछे बहुत सारे सवाल उठते हैं। क्या हमारी सरकार वास्तव में अपने नागरिकों की रक्षा कर सकती है और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकती है? या फिर हमारी सरकार वास्तव में अपने नागरिकों की बुद्धिमत्ता को संदेह में डालती है?

क्या हमें कभी यह नहीं सोचा होगा कि हमारी वोटर लिस्ट में दोहरा मतदान करने की संभावना है? क्या हमें कभी यह नहीं सोचा होगा कि हमारी सरकार वास्तव में अपने नागरिकों की जरूरतों को समझ सकती है? लेकिन फिर भी, हम ऐसी बातचीत कर रहे हैं जिसमें हम दोहरा मतदान के बारे में सोचते हैं।

मुझे लगता है कि हमें अपनी सरकार की ताकतों और कमजोरियों पर विचार करना चाहिए। क्या हमारी सरकार वास्तव में अपने नागरिकों को सशक्त बनाने में सक्षम है? या फिर हमारी सरकार वास्तव में अपने नागरिकों को धोखाधड़ी में डालने में सक्षम है?
 
बिहार में 2003 की वोटर लिस्ट पर आधारित SIR की शुरुआत होगी, लेकिन यह तय नहीं है कि इसे अगले साल तक पूरा किया जाएगा 🤔। इससे पहले, बिहार में 2002 और 2004 के बीच SIR हुआ था, जिसमें 70 करोड़ मतदाताओं को दर्ज किया गया था। लेकिन इसके बाद से कोई बड़ा SIR नहीं आया है, तो यह देखकर दिल दुखा होता है कि चुनाव आयोग इसे कब तक पूरा करेगा 🙅‍♂️
 
यह तो बहुत अच्छा काम है, चुनाव आयोग की। लेकिन मुझे लगता है कि 10-15 राज्यों से शुरू करने से पहले चुनाव आयोग को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी राज्यों में मतदाताओं की सूचियों को पूरी तरह से अपडेट कर दिया गया है। अगर नहीं तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

और यह तो बहुत अच्छी बात है कि चुनाव आयोग ने बिहार और उत्तराखंड में 2002 से 2004 के बीच SIR होने का उल्लेख किया है। लेकिन मुझे लगता है कि इन राज्यों में मतदाताओं की सूचियों को पूरी तरह से अपडेट करने के लिए ज्यादा समय लगेगा।

चुनाव आयोग को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि इससे किसी को भी नुकसान नहीं होगा, और मतदाताओं को कोई परेशानी न हो।
 
[मeme: एक आदमी सामने खड़ा, बोल रहा है "हमें मतदाताओं को हटाने की जरूरत नहीं है, हमें उनकी सूची में सुधार करने की जरूरत है!"]
 
अगर वोटर लिस्ट का स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR) शुरू हो जाए तो यह अच्छा होगा, खासकर अगर वह 10-15 राज्यों में पहले से ही शुरू हो जाए। हमारे देश में मतदाताओं की सूची अक्सर अपडेट नहीं होती है, इसलिए यह जरूरी है कि चुनाव आयोग ऐसा करे।

लेकिन, अगर पहले से ही उन राज्यों में SIR नहीं शुरू हो जाता जो अगले एक साल में विधानसभा चुनाव होने हैं, तो यह कुछ भी बदल नहीं पाएगा। हमें उम्मीद है कि चुनाव आयोग ने अच्छा योजना बनाई होगी, इसलिए जल्द ही SIR शुरू होना चाहिए। 🙏
 
मुझे लगता है कि ये सब फोरेंसिक विज्ञान की तरह है जैसे पोलिसी इनस्पेक्शन से रिश्तेदारों और परिवार को हटाने की बात करते हैं। चुनाव आयोग तय कर लेता है कि कौन मतदाताओं को हटाने में शामिल है, क्या उन्हें अपने पूर्वजों की जानकारी साझा करनी चाहिए और कैसे पता लगाएगा कि कोई भी दोहरा मतदान कर रहा है।
 
अगर चुनाव आयोग वोटर लिस्ट की SIR शुरू करेगा, तो इससे मतदाताओं की सुरक्षा में मदद मिलेगी। यह एक अच्छी बात है, खासकर अगर मतदाताओं की सूचियों में कई गलतियां हैं। लेकिन इसके लिए हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी राज्यों में SIR शुरू किया जाए। ताकि हर एक मतदाता को अपना मतपत्र डालने का मौका मिले।

और अगर SIR शुरू होने से पहले वोटर लिस्ट में कई गलतियां दिखाई देती हैं, तो इससे हमारे चुनाव प्रणाली पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए, चुनाव आयोग को SIR शुरू करने से पहले वोटर लिस्ट की जांच करनी होगी। और अगर कोई गलती दिखाई देती है, तो उसे ठीक करना होगा।

यह एक अच्छा मौका है चुनाव आयोग के लिए। इससे हमारी चुनाव प्रणाली मजबूत बन सकती है। और मतदाताओं की सुरक्षा में मदद मिल सकती है। 🙏💬
 
यार बोलो क्या बात है, चुनाव आयोग वोटर लिस्ट का सिर फिर से शुरू कर रहा है! 🤝 यह तो बहुत अच्छी खबर है, हमें जाहिर हैं कि दोहरा मतदान न हो। मुझे लगता है कि चुनाव आयोग द्वारा SIR शुरू करने से देश में वोटर लिस्ट में बिल्कुल भी गलती नहीं होने देने का प्रयास होगा, जैसे कि बिहार में। हमें उम्मीद है कि यह सुनिश्चित करेगा कि सभी मतदाताओं को मतपत्र डालने का मौका मिले। और मुझे लगता है कि चुनाव आयोग द्वारा SIR शुरू करने से हमें वोटर लिस्ट में सुधार करने की ज़रूरत भी है, ताकि सभी मतदाताओं को शामिल करने में मदद की जा सके। तुम्हारी बात सुनकर बहुत खुश हूँ। 🙌
 
अरे वाह, ये तो बात है... चुनाव आयोग वोटर लिस्ट का सिर कैसे कर रहा है? 10-15 राज्यों में पहले से ही SIR शुरू करना शुरू हो गया है, और अगले एक साल में विधानसभा चुनाव होना है। यह तो अच्छा है कि मतदाताओं को हटाने और दोहरा मतदान न होने की जरूरत हो।

मुझे याद है जब मैं बच्चा था, तो हमारे ग्राम में सिर्फ एक बार चुनाव होता था, और फिर कभी नहीं। लेकिन अब यह तो हर दिन हो रहा है। कुछ लोगों का कहना है कि यह बहुत अच्छा है, जबकि अन्य का कहना है कि यह बहुत समय लेने वाला है। मुझे लगता है कि यह एक अच्छी बात है कि चुनाव आयोग ने सिर किया है, और अब मतदाताओं को हटाने की जरूरत नहीं है।

लेकिन मुझे थोड़ा खेद है कि बिहार और उत्तराखंड जैसे राज्यों में SIR पहले ही हुआ था। यह तो अच्छा है कि चुनाव आयोग ने उन राज्यों में सिर किया है, लेकिन फिर भी मुझे लगता है कि यह एक अच्छी बात है।

अब ये तो देखिए, और उम्मीद करें कि चुनाव आयोग ने सबकुछ सही तरीके से किया होगा।
 
मैंने ख्याल किया, याद आ रहा है 1999 का चुनाव, जब हमारे देश में पहली बार वोटर लिस्ट का स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR) शुरू हुआ था। तो उस समय से याद आया, मतदाताओं को हटाने और यह सुनिश्चित करने की जरूरत थी कि कोई भी दोहरा मतदान न हो। आज भी, चुनाव आयोग ने फिर से SIR शुरू करने का फैसला किया, लेकिन मुझे लगता है कि यह एक अच्छी बात नहीं है। हमें अपने मतदाताओं को महत्व देना चाहिए, न कि उन्हें हटाना।
 
मुझे याद है जब मैं बच्चा था, मेरे दादाजी ने मुझे बताया था कि वे कभी भी अपनी पत्नी को घर से बाहर नहीं जाते थे, क्योंकि वह हमेशा खाना पकाती और उनकी देखभाल करती। ahora तो यह सुनना मुश्किल है, लेकिन वास्तव में ऐसा था।
 
मैंने पढ़ा है कि चुनाव आयोग 10-15 राज्यों में वोटर लिस्ट का SIR शुरू कर सकता है, जहां अगले एक साल में विधानसभा चुनाव होना है। यह बहुत अच्छी बात है कि मतदाताओं को हटाने और यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि कोई भी दोहरा मतदान न हो। मुझे लगता है कि यह प्रक्रिया बहुत जरूरी है, खासकर जब हमारे देश में कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होते हैं।

मैं सोचता हूँ कि चुनाव आयोग ने इस SIR की शुरुआत करने से पहले उन राज्यों में नहीं करेगा, जहां स्थानीय निकायों के चुनाव होने हैं। यह इसलिए है कि निचले स्तर पर कर्मचारी उन चुनाव में व्यस्त होंगे। मुझे लगता है कि यह एक अच्छा फैसला है, ताकि हमारे देश में मतदान प्रक्रिया अधिक सुरक्षित और निष्पक्ष हो।

मैं चाहता हूँ कि इस SIR की शुरुआत बहुत जल्दी हो जाए, ताकि हम अपने देश में एक मजबूत और सecure मतदान प्रणाली बना सकें। 🤞
 
मुझे लगेगा कि ये चुनाव आयोग की ग्रीन पत्रक होनी चाहिए 🌿, अब लोगों को मतदाता सूचियों में गलती का एक ही मौका नहीं देना चाहिए। पूरे देश में SIR शुरू करने से भ्रष्टाचार कम होगा और सभी वोटरों को अपना मतपत्र डालाने का अधिकार मिलेगा। 😊
 
यह तो बहुत बड़ा मौका है 🤩, अब चुनाव आयोग वोटर लिस्ट को फिर से देखेगा। 10-15 राज्यों में शुरू करना अच्छा है, यह तो पहले से ही एक साल बाद विधानसभा चुनाव होने हैं। इससे मतदाताओं की सूची में गलतियाँ साफ कर लेंगे। लेकिन, यह सवाल उठता है कि क्या इससे वोटरों को परेशानी नहीं होगी, खासकर उन लोगों को जिनकी पहचान हस्तांतरित हुई है। इसके बारे में सोच-विचार करना चाहिए।
 
मुझे लगता है कि चुनाव आयोग द्वारा SIR शुरू करने से पहले हमें यह सोचना चाहिए कि यह प्रक्रिया हम सभी के लिए फायदेमंद होगी या नहीं। इससे हमें अपने मतदान अधिकार को मजबूत बनाने में मदद मिलेगी।

मुझे लगता है कि चुनाव आयोग द्वारा SIR शुरू करने से पहले उन राज्यों में SIR नहीं करना चाहिए जहां स्थानीय निकायों के चुनाव होने हैं। इससे हमें अपने चुनावी प्रक्रिया को और भी मजबूत बनाने में मदद मिलेगी।
 
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