अब तक भारत में कितने फिदायीन हमले हुए हैं, एक नजर में देख लीजिए पूरी लिस्ट

भारत में अब तक कितने फिदायीन हमले हुए हैं, इस प्रश्न का उत्तर देने से पहले, हमें यह जानना होगा कि क्या वास्तव में भारत में फिदायीन हमले होते रहते हैं या नहीं।

हालांकि, भारत में कई आतंकी हमले हुए हैं, जिनमें से कुछ फिदायीन हमलों के हिस्से के रूप में वर्गीकृत किए गए हैं। इनमें से कुछ प्रमुख उदाहरण हैं:

* 14 फरवरी 2019 को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए हमले में, जिसमें लगभग 40 जवान शहीद हो गए थे। यह हमला आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने किया था।
* 18 सितंबर 2016 को जम्मू कश्मीर के उरी सेक्टर में हुए हमले में, जिसमें लगभग 19 सैनिक शहीद हो गए थे।
* 2 जनवरी 2016 को पंजाब के पठानकोट एयरबेस पर हुए हमले में, जिसमें लगभग 7 जवान शहीद हो गए थे।
* 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमले में, जिसमें कई लोगों की मौत हो गई थी और 300 से अधिक लोग घायल हो गए थे।
* 13 दिसंबर 2001 को दिल्ली में हुए भारतीय संसद पर हमले में, जिसमें लगभग 9 लोग शहीद हो गए थे।

इन घटनाओं से यह निष्कर्ष निकलता है कि भारत में फिदायीन हमले होने की रोकथाम के लिए सरकार और सुरक्षा बलों को जुटाते रहना चाहिए।
 
जीवन में किसी भी कठिनाई का सामना करने के लिए हमेशा अपने पास सबसे बड़ा बल होता है – मजबाकी, और अगर हमारे पास खुद को नहीं समझने की ताकत है तो हमारे पास फिदायीनों से लड़ने की भी ताकत नहीं होगी।
 
क्या याद आ रहा है? दिल्ली के 13 दिसंबर का यह हमला तो मैंने पहले भी कहा था कि जब तक हम अपनी सुरक्षा व्यवस्था में सुधार नहीं करते, तब तक आतंकवादी हमलों की समस्या ही न रहेगी। और अब पुलवामा, उरी, पठानकोट, मुंबई... हर जगह जैसे आतंकवादी हमले होते रहते हैं! यह तो हमारे सरकार की सुरक्षा योजनाओं की कमी का ही अंदाजा है। 🤔
 
मेरी राय में इन आतंकवादी हमलों से भारत को बहुत बड़ा नुकसान हुआ है और उनके पीछे कई दोषियों को पकड़े लेना जरूरी है। लेकिन यह सोचकर अच्छा नहीं लगता कि सरकार इन हमलों के बाद हमेशा नई नीतियां बनाती रहती है जिससे समाज में आतंकवाद की समस्या और भी बढ़ जाती है।
 
मेरे दोस्त इस देश में आतंकवादी हमलों की बात करते रहते हैं... लेकिन सच्चाई तो यह है कि हमारे पास आतंकवाद के खिलाफ लड़ने वाले बहुत से जवान हैं जो अपना खून दिया है। उन्हें याद रखना चाहिए कि उनकी मृत्यु किसी भी हमले से नहीं रुकेगी।
 
मुझे लगता है कि हमारे देश में आतंकवादी हमलों की बात करने से पहले हमें यह समझना चाहिए कि इन हमलों में क्या शामिल होता है और वे किस तरह के लोगों को प्रभावित करते हैं।

मुझे लगता है कि ये हमले सिर्फ आतंकवादियों द्वारा नहीं बल्कि सरकार और सुरक्षा बलों द्वारा भी किए जाते हैं जो उन्हें रोकने की कोशिश करते हैं।

लेकिन अगर हम इन हमलों में फिदायीन (मujahideen) शब्द का उपयोग कर रहे हैं तो मुझे लगता है कि ये शब्द भारत में बहुत अधिक नहीं आते और मुझे लगता है कि हमारे देश में फिदायीन हमले सिर्फ एक छोटी सी बात नहीं हैं।

मुझे लगता है कि हमारे देश में शांति और सुरक्षा को बनाए रखने के लिए हमें एक साथ मिलकर काम करना चाहिए।
 
बस यार, आतंकवादी हमले तो देश में लगदार लग रहे हैं 🤕। पुलवामा में 40 जवान शहीद, उरी सेक्टर में 19 सैनिक, पठानकोट एयरबेस पर 7 जवान... इतने बड़े हमलों के बाद भी आतंकवादियों ने अभी तक अपनी गति नहीं कमाई है। इसका मतलब यह तो नहीं है कि हमें अपनी सुरक्षा के प्रति लापरवाह रहना चाहिए। सरकार और सुरक्षा बलों को बाकी देशों की तरह आतंकवादियों की धमकी में खुद को नहीं डालना चाहिए।
 
आज हमारे देश में इतने आतंकी हमले हो रहे हैं तो यह एक बड़ी चिंता है 🤕। लेकिन जब हम फिदायीन हमलों के बारे में बात करते हैं, तो यह वास्तव में भारत में होते रहते हैं या नहीं? मेरी राय में नहीं, हमारे देश में ऐसे हमले बहुत कम होते हैं।

मुझे लगता है कि जैसे-जैसे सुरक्षा बल और सरकार पुलिस को आतंकवादी गतिविधियों के खिलाफ तैयार करती गई, वैसे-वैसे आतंकी हमले कम होते चले गए। लेकिन हमें फिर से इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए सावधान रहना चाहिए।

हमें अपने देश में जागरूकता और शिक्षा पर भी ध्यान देने की जरूरत है, ताकि हम अपने युवाओं को आतंकवाद के खिलाफ खड़े कर सकें।
 
मैं समझ गया कि भारत में आतंकवादी हमलों के मामले बहुत ज्यादा हैं। लेकिन फिर भी, जब हम देखें तो फिदायीन हमले नहीं होते हैं, बस आतंकवादी हमले होते हैं और उनका अंतर समझना मुश्किल है। मुझे लगता है कि सरकार और सुरक्षा बलों ने अच्छी तरह से तैयारी की है, लेकिन फिर भी ऐसे हमले होते रहते हैं जो सवाल उठाते हैं।
 
मुझे इस बात पर थोड़ा खुलकर बोलना पसंद है 🤔, भारत में आतंकी हमलों के मामले मैं समझ नहीं पाऊँगा। अगर हम वास्तविकता को देखें तो यह साफ़ है कि जैसे ही सरकार और सुरक्षा बल तेज़ गति से इन हमलों के खिलाफ लड़ने लगते हैं, तब ही उन्हें एक नए और नई चुनौती मिलती है। 🚨

जैसे हमने पहले पुलवामा की घटना को देखा, वही इस बार भी हुआ। हमलों के सामने लड़ने की नीयत तो बहुत अच्छी लगी, लेकिन हमें यह सोचना चाहिए कि ये हमले किसी भी समय और कहीं भी हो सकते हैं। इसलिए, हमें अपने देशभर में जागरूकता फैलानी चाहिए ताकि हर कोई आतंकवाद के खिलाफ खड़ा हो सके।

लेकिन अगर हम यहाँ रोक नहीं पाएंगे, तो हमारा सिर्फ एक सवाल होगा कि हमने इतनी जल्दी और बहुत मुश्किल में पड़ गए। इस बात पर मैं खुद भी शक करता हूँ कि क्या हमारी सरकार और सुरक्षा बलों को आतंकवाद के खिलाफ लड़ने के लिए सही रणनीति बनाने में सफल रहे? 🤷‍♂️

अगर हम देखें तो भारत में आतंकवादी हमलों का एक रिकॉर्ड है और इसे हर बार लड़ने पर, लेकिन फिर से उन्हें खत्म करने में सफल नहीं रहें। इसलिए, हमें यह सवाल उठाना चाहिए कि हमने अपनी सुरक्षा प्रणाली को और मजबूत बनाया है या नहीं।

यह तो एक बहुत बड़ा सवाल है, लेकिन मुझे लगता है कि इसका उत्तर भारत के हर किसी के दिल में होना चाहिए।
 
भारत में आतंकवाद की समस्या बहुत बड़ी है, लेकिन मुझे लगता है कि इसका समाधान हमारे देश की सुरक्षा बलों और सरकार के पास होना चाहिए।
 
मुझे लगता है कि हमें यह समझना चाहिए कि भारत में आतंकवाद की समस्या बहुत जटिल है। अगर हम देखें तो भारत में कई आतंकी हमले हुए हैं लेकिन साबित नहीं होता कि ये सभी फिदायीन हमले थे।

अगर हम पुलवामा जैसे हमलों को देखें, तो हमें यह महसूस होगा कि यह हमला वास्तव में क्या संकेत देता है। अगर हम उरी और पठानकोट जैसे हमलों को भी देखें, तो हमें यह महसूस होगा कि ये हमले किसी विशिष्ट आतंकवादी समूह से नहीं जुड़े हुए थे।

मेरा मानना है कि भारत सरकार और सुरक्षा बलों को अपनी रणनीतियों को बदलते रहना चाहिए। हमें यह समझना चाहिए कि आतंकवाद की समस्या को हल करने के लिए, हमें इसके मूल कारणों पर ध्यान देने की जरूरत है। 🤔
 
मैंने देखा है कि पुलवामा जैसे घटनाक्रम का मुंबई 2008 में हुआ आतंकी हमला बिल्कुल भिन्न है। ये दोनों अलग-अलग समय और स्थान पर हुए, लेकिन भारत की एक ही निरंतर मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। हमें यह नहीं कह सकते कि पूरा पुलवामा हमला फिदायीन हमला था, लेकिन आतंकवादी गतिविधियों में से यह भी एक था। लेकिन बिल्कुल सभी पुलवामा जैसे हमले फिदायीन होते हैं, नहीं? 🤔

मेरी राय में, ये घटनाएं हमारी सुरक्षा प्रणाली को मजबूत करने का एक अच्छा अवसर है। सरकार और सुरक्षा बलों को अपनी नीतियों में बदलाव लाना चाहिए, ताकि आतंकवादियों को रोकने में सफल हो सकें।
 
मुझे लगता है कि ये सभी घटनाएं बहुत दुखद हैं 🤕, पर हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि इतनी भी घटनाओं ने हमारे सुरक्षित और शांतिपूर्ण समाज को मजबूत बनाया है।

आजकल आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में हम सभी की मदद लेने की जरूरत है, पर हमें इसके लिए अपने खुद के सामूहिक प्रयास करने चाहिए। 🤝

हमारे देश के हर व्यक्ति ने स्वयं अपने समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की जरूरत है। हमें एक-दूसरे सहयोग करके और खुद को मजबूत करके इस समस्या का समाधान ढूंढने का प्रयास करना चाहिए।

हम सब मिलकर अपने सुरक्षित और शांतिपूर्ण भारत की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं। 💪
 
क्या ये आतंकवाद के खिलाफ लड़ने वाली सरकार देख रही है कि भारत में आतंकवादी हमले इतने ही कम हो गए हैं ना? 🤔 पुलवामा जैसे हमलों से हमें ये नहीं पता चलता कि क्या वास्तव में भारत में फिदायीन हमले होते रहते हैं या ना?

मुंबई और दिल्ली जैसे हमलों से तो हम जानते हैं कि आतंकवादी अपने हाथों पर खून बहाने की क्षमता रखते हैं। लेकिन पठानकोट और उरी जैसे हमलों के बारे में तो याद किया भी नहीं जाता। क्या हमारी सरकार सुन रही है या फिर हम देख रहे हैं?

आखिरकार, यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या पुलवामा और अन्य आतंकी हमलों के बाद भारत में आतंकवादी गतिविधियाँ कम हो गई हैं या नहीं।
 
हमेशा से यह सवाल मेरे दिमाग़ में रहता है कि भारत में फिदायीन हमले इतने तेजी से बढ़ रहे हैं या नहीं। मुझे लगता है कि हमारी सरकार और सुरक्षा बलों को यह समझना चाहिए कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई एक लंबी दूरी पर चलेगी। हमें अपने सैनिकों और पुलिस अधिकारियों को सही उपकरण और समर्थन देना चाहिए, जिससे वे अपनी जान गंवाने के बजाय हमलावरों को पकड़ सकें। मेरे ख्याल में हमें आतंकवाद के खिलाफ लड़ने के लिए एक साथ आमने-सामने आना चाहिए, इसके अलावा हमें अपने समाज में शिक्षा, भाईचारे और सद्भावना की भावना को बढ़ावा देना चाहिए।
 
अरे, दोस्तों, यह तो आम बात है कि आतंकवाद खत्म हो गया, लेकिन फिर भी जैसे जैसे समय बढ़ता जा रहा है, नाकाम्यों में से कुछ फिदायीन हमले भी होते रहते हैं। दिल्ली, मुंबई, पुलवामा, उरी, और पठानकोट जैसे स्थानों पर हमले हुए हैं, लेकिन हमें पता होना चाहिए कि यहां तो शायद फिदायीन नहीं बल्कि अलग-अलग आतंकी संगठनों ने किये थे। अगर सरकार और पुलिस अच्छी तरह से मिलकर काम करें, तो बेहतर होगा। हमें बस उम्मीद करनी चाहिए की आगे भी ऐसे हमले कम होंगे।
 
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