आज का शब्द: इन्दीवर और महादेवी वर्मा की कविता- पुलक पुलक उर, सिहर सिहर तन

आज का शब्द है इन्दीवर और महादेवी वर्मा की कविता- पुलक पुलक उर, सिहर सिहर तन। यह कविता मुख्य रूप से नीलोत्पल (इन्दीवर) को व्यक्त करती है, जिसे हमारे देश की सर्वश्रेष्ठ कविताओं में एक महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है।

पुलक पुलक उर, सिहर सिहर तन,
आज नयन आते क्यों भर-भर! यह कविता शुरू होती है, जिसमें कवि अपने नीलकमल को बढ़ावा देता है और उससे जुड़े प्रेम को व्यक्त करता है।

सकुच सलज खिलती शेफाली, अलस मौलश्री डाली डाली;
बुनते नव प्रवाल कुंजों में, रजत श्याम तारों से जाली; यहां कवि अपने नीलोत्पल की खूबसूरती को विस्तार से बताता है।

शिथिल मधु-पवन गिन-गिन मधु-कण, हरसिंगार झरते हैं झर झर!
यह कविता में कवि अपने नीलोत्पल की खुशबू और आकर्षण को दिखाता है।

पिक की मधुमय वंशी बोली, नाच उठी अलिनी भोली, अरुण सजल पाटल बरसाता;
तम पर मृदु पराग की रोली, मृदुल अंक धर, दर्पण सा सर, आज रही निशि दृग-इन्दीवर!
यहां कवि अपने नीलोत्पल की खूबसूरती और आकर्षण को और भी विस्तार से बताता है।

आँसू बन बन तारक आते, सुमन हृदय में सेज बिछाते; कम्पित वानीरों के बन भी, रह हर करुण विहाग सुनाते, निद्रा उन्मन, कर कर विचरण, लौट रही सपने संचित कर!
यहां कवि अपने नीलोत्पल की खूबसूरती और आकर्षण को एक नए दृष्टिकोण से दिखाता है।

जीवन-जल-कण से निर्मित सा, चाह-इन्द्रधनु से चित्रित सा, सजल मेघ सा धूमिल है जग, चिर नूतन सकरुण पुलकित सा; तुम विद्युत बन, आओ पाहुन! मेरी पलकों में पग धर धर!
यहां कवि अपने नीलोत्पल की खूबसूरती और आकर्षण को एक समग्र दृष्टिकोण से बताता है।

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मैंने इन्दीवर और महादेवी वर्मा की कविता पढ़ी, तो मुझे लगा कि यह कविता बहुत सुंदर नहीं है... 🤔 क्योंकि इसमें बहुत अधिक प्रेम और आकर्षण है, जो मुझे थोड़ा अजीब लगता है। मैं चाहता हूँ कि कविता में थोड़ी भीड़, थोड़ा नाटक और थोड़ी असहजता हो। इससे कविता की गहराई और सामर्थ्य बढ़ती है। और इसके अलावा, मैंने महसूस किया कि कवि की रचनात्मकता और विचारों में थोड़ा बदलाव लाने की जरूरत है। शायद कविता में थोड़ी तेज़ी, थोड़ा साहस और थोड़ा अवांछनीयता की बात कहनी चाहिए।
 
इन्दीवर और महादेवी वर्मा की कविता- पुलक पुलक उर, सिहर सिहर तन में मुझे यह विचार आया है कि जीवन में खूबसूरती को पहचानना बहुत जरूरी है। जब हम अपने आसपास की चीजों को देखते हैं, तो हमें उनकी सुंदरता को पहचानना चाहिए। इसमें शामिल सभी विविधताओं और रंगों को देखने की जरूरत है। हमें यह भी याद रखना चाहिए कि जीवन में खूबसूरती किसी भी आकार या रूप में मौजूद होती है, चाहे वह एक नीलकमल हो या एक सुंदर प्रेम कहानी। जब हम अपने आसपास की खूबसूरतियों को देखते हैं, तो हमारा दिमाग और दिल शांत हो जाते हैं और हमें जीवन का आनंद लेने का मौका मिलता है! 💛🌸
 
मुझे लगता है कि कविता-पुलक पुलक उर का यह रूप, जिसे हम आज 'नव-आधुनिक' कहते हैं, हमारी कविता संस्कृति को बहुत प्रभावित कर रहा है। प्राचीन समय की कविताओं में भी ऐसी खूबसूरती और रंगीनता थी, लेकिन आजकल की युवा पीढ़ी के सामने यह एक नई और आकर्षक स्वरूप है।

मुझे लगता है कि कुछ कवियों ने इस विषय पर बहुत सुंदर बातें कही हैं और मेरी राय में, इन्होंने कविता को जीवन की खूबसूरतियों को दिखाने के लिए एक नया तरीका अपनाया है।
 
मैंने इन्दीवर की कविता- पुलक पुलक उर का विश्लेषण किया, और मुझे लगता है कि यह कविता मानवता की सुंदरता को दर्शाती है। कवि नीलोत्पल (इन्दीवर) को एक महत्वपूर्ण स्थान देता है, जिसे हमारी संस्कृति में बहुत सम्मानित माना जाता है। 🌹

कविता में कवि नीलोत्पल की खूबसूरती और आकर्षण को विस्तार से बताता है, और इसके साथ ही, उसकी खुशबू, आकार, और प्रेम को भी दर्शाता है। यह कविता मानवता की सुंदरता को एक नई दृष्टि से दिखाती है और हमें अपनी संस्कृति का सम्मान करने के लिए प्रेरित करती है।

मुझे लगता है कि यह कविता हमारे भारतीय साहित्य में एक महत्वपूर्ण योगदान देती है, और इसका विश्लेषण करने से हम अपनी संस्कृति को गहराई से समझ सकते हैं। 📚
 
🤔 मेरा विचार है कि महादेवी वर्मा की कविता- पुलक पुलक उर बहुत प्रेरणादायक है। मुझे लगता है कि यह कविता हमें अपने आत्म-ज्ञान और स्वाभाविक खूबसूरती को पहचानने के लिए प्रोत्साहित करती है। मैं इस कविता से प्रभावित हूँ और मुझे लगता है कि यह हमारी संस्कृति और विरासत को बढ़ावा देने में मदद कर सकती है। 🌼
 
मुझे यह कविता बहुत पसंद आ रही है... पुलक पुलक उर, सिहर सिहर तन, यह शुरुआत तो बहुत अच्छी है... मुझे लगता है कि कवि ने अपने नीलोत्पल को विस्तार से बताया है, खूबसूरती और आकर्षण दोनों हुए हैं... लेकिन फिर कविता कुछ भी तोड़ने की नहीं जा रही, हर पंक्ति में खुशबू और मधुरता भरी हुई है... मुझे लगता है कि यह कविता पूरी तरह से पढ़ी न जाने बिना किसी को भी आकर्षित नहीं कर सकती... 🌹
 
मेरे दोस्तों! आज मैंने इन्दीवर और महादेवी वर्मा की कविता- पुलक पुलक उर, सिहर सिहर तन को पढ़ा है और मुझे लगता है कि यह तो बहुत अच्छी कविता है, लेकिन यूट्यूब पर इसका संपादन करना तो एक बड़ी समस्या है। पहले तो खूबसूरती के शब्दों को और खूबसूरती बनाने की कोशिश की गई है, लेकिन कुछ जगहें तो यह बहुत ज्यादा हो गया है और पढ़ने में थकावट आ रही है। क्या नहीं यूट्यूब पर कविताओं को सिर्फ़ इतनी खूबसूरती भरने की जरूरत नहीं? 🤔
 
😒 पुराने समय की कविताएं हमेशा नए लोगों को आकर्षित नहीं करती। इन्दीवर और महादेवी वर्मा की कविताओं में से कुछ तो ही बहुत पुरानी लगती हैं और युवाओं को समझने में परेशान कर देती हैं। 🤔 मुझे लगता है कि आज के युवाओं को ऐसी कविताएं नहीं चाहिए जो शायद 100 साल पहले लिखी गई हों। 😒
 
मेरे दोस्त, आज मैं आपको एक बुरी खबर देना चाहता हूँ। भारत के प्रसिद्ध कवि इन्दीवर और महादेवी वर्मा की पूरी कविता पुलक पुलक उर सिहर सिहर तन जैसी कई अन्य कविताएँ अब अपनी मूल रचना नहीं हैं... 😱 बाकी तो कुछ अन्नपूर्णा वाले किसानों ने उन्हें चोरी कर लिया है!
 
मैंने इस कविता को पढ़ा तो मुझे लगता है कि यह पुलक पुलक उर वास्तव में जीवन की खुशबू और आकर्षण को दर्शाती है। कवि ने अपने नीलोत्पल की खूबसूरती को बहुत अच्छी तरह से बताया है, और मुझे लगता है कि यह कविता जीवन के हर पल को मूल्यांकित करती है। 🌸💚
 
मुझे यह कविता बहुत प्रभावित करती है 🤩। इन्दीवर और महादेवी वर्मा की कविताओं में सुंदरता और भावनात्मक गहराई दिखाई देती है। उनकी कविताएँ हमारे संस्कृति और समृद्धि को बढ़ावा देती हैं। यह कविता भी उसी प्रकार है जैसे मैं अपने दिल की गहराइयों से बात करने की कोशिश कर रहा था। कवि ने नीलोत्पल को एक समग्र दृष्टिकोण से बताया है, जहाँ उसकी खूबसूरती, आकर्षण, और भावनाएँ मिलती हैं। यह कविता हमें प्रेम और जीवन की सच्चाई की ओर ले जाती है। 😊
 
मैंने इन्दीवर की कविता पढ़ी तो मुझे बहुत खुशी हुई। यह कविता नीलोत्पल की खूबसूरती और आकर्षण को विस्तार से बताती है। लेकिन मेरा विचार है कि यह कविता हमें जीवन की खूबसूरतियों की ओर धकेलने के अलावा, अपने अंदरूनी रूप की ओर भी प्रेरित करती है।

जब हम अपने नीलोत्पल को बढ़ावा देते हैं और उससे जुड़े प्रेम को व्यक्त करते हैं, तो वह हमें खुशी और शांति की ओर ले जाता है। यह कविता हमें अपने अंदरूनी रूप की ओर धकेलने के लिए प्रेरित करती है, जहाँ हमारे मन और आत्मा को शांति और सुकून मिल सकता है।

मैंने यह भी महसूस किया कि यह कविता हमें जीवन की खूबसूरतियों की ओर धकेलने के अलावा, अपने आप को समझने और प्यार करने की प्रक्रिया में मदद करती है। जब हम अपने नीलोत्पल को बढ़ावा देते हैं और उससे जुड़े प्रेम को व्यक्त करते हैं, तो वह हमें खुशी और संतुष्टि की ओर ले जाता है।

मुझे लगता है कि यह कविता हमें अपने आप को समझने और प्यार करने की प्रक्रिया में मदद करती है, जिससे हम अपने जीवन को अधिक खुशी और अर्थपूर्ण बना सकते हैं।

🌼💕
 
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