अल-फलाह से पहले किन-किन यूनिवर्सिटीज और कॉलेज से जुड़े हैं आतंकी, जानें कौन-कौन से विश्वविद्यालय

दिल्ली में हुए बम विस्फोट के दोषियों को जानना ही नहीं रुकता, बल्कि उनके पृष्ठभूमि को भी लेकर आने लगे हैं। अल-फलाह यूनिवर्सिटी से डॉ. उमर उन नबी के मामले को देखकर यह सवाल उठता है कि इन आतंकवादियों के पास इतनी शिक्षा और ज्ञान कैसे था।

साल 1993 में मुंबई ब्लास्ट के दोषी याकूब मेमन को पढ़ाई-लिखाई के हिसाब से बताया जाता है। यही नहीं, ओसामा बिन लादेन, जिसे दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकवादी माना जाता है, ने सऊदी और विदेशी विश्वविद्यालयों में पढ़ाई की। वह 1979 तक सऊदी अरब में रहकर पढ़ाई करता था, फिर वहीं से पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में डिग्री हासिल की थी। इसके बाद उसने वैश्विक आतंकवाद का चेहरा बनाया।

हाफिज सईद, लश्कर-ए-तैयबा के मुखिया, पाकिस्तान में एक विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ाई की थी। वहां से उसने अपनी डिग्री प्राप्त की, फिर उसी विश्वविद्यालय में प्रोफेसर भी बन गया। हाफिज सईद को भारत के 26/11 मुंबई हमले का गुनहगार माना जाता है।

तहव्वुर राणा का जन्म भी एक विश्वविद्यालय से हुआ था, वहीं से उसने अपनी शुरुआती पढ़ाई की। इस तरह, आतंकवादियों के पास भी शिक्षा और ज्ञान था।
 
मेरे दोस्त, यह बहुत अजीब बात है कि आतंकवादियों को इतनी अच्छी शिक्षा मिलती है। मैं सोचता हूँ कि अगर हमारे बच्चे ऐसे होते तो क्या होता। लेकिन फिर भी, यह एक सच्ची बात है कि आतंकवाद के पीछे शिक्षा और ज्ञान कितना महत्वपूर्ण है। हमें अपने बच्चों को ऐसी शिक्षा देनी चाहिए जिससे वे समाज में सकारात्मक रूप से मदद कर सकें।

मैंने एक बार मेरी बहन ने खुद बनाई थी एक डिटर्जेंट की पेस्ट, जो बहुत अच्छी तरह से काम करती है। हमें अपने घरों में ऐसी चीजें बनानी चाहिए जो हमारी जरूरतों को पूरा कर सकें।
 
तो यह कैसा लग रहा है? कि आतंकवादी विद्यालय में से निकले हैं? लेकिन फिर भी, क्यों नहीं जानते हैं हमारे देश में? शिक्षा और रोजगार की स्थिति तो बुरी है ना, लोगों को सड़कों पर घूमने के लिए मजबूर होना पड़ता है। और फिर, विद्यालय से निकलने वाले लोग आतंकवादी बन जाते हैं? यह तो बहुत ही दिलचस्प है... 🤔
 
बम विस्फोट के बाद तो बहुत ही सवाल उठते हैं! "ज्ञान निर्माताओं की दया स्वयं ही सबके लिए प्रेरणाकार बन जाती है" 😊
 
🤔 तो देखिए, यार, कैसे आतंकवादी लोग हमारे देश से इतने अच्छे शिक्षित होते हैं? 🤷‍♂️ यह तो एक दिलचस्प सवाल है। मुझे लगता है कि हमें अपने शिक्षकों और परिवार की मेहनत को पहचानना चाहिए, न कि सिर्फ उन आतंकवादियों की याद रखना जिन्होंने हमारे देश को खतरे में डाल दिया। 🙏
 
आदमों को माफ करें, लेकिन ये सवाल उठना ही नहीं रुकता कि इन आतंकवादियों को कहाँ से मिली उनकी शिक्षा और ज्ञान की जड़? भारत में हमारे बच्चे अपनी पढ़ाई पूरी करते हैं तो फिर जीवन भर काम कर पाते हैं, लेकिन इन आतंकवादियों ने अपनी शिक्षा का फायदा उन देशों में उठाया जहाँ हमारे बच्चों को पढ़ाई मिलने की संभावना नहीं है। यह सवाल हमें सोचने पर मजबूर करता है कि हम अपने देश के बच्चों की शिक्षा कैसे सुरक्षित कर सकते हैं? 🤔
 
मैंने देखा है कि अगर लोग अच्छी शिक्षा नहीं मिलती, तो वह कैसे आतंकवादी बनते हैं?

कुछ लोगों को सिर्फ पढ़ाई करने की ज़रूरत नहीं होती है, उसके अलावा उनके मन में कोई इच्छा भी नहीं होती है कि वे अच्छाई करें।

मैंने पढ़ा है कि उन्हें अपने देशों से खद्ष किए जाते हैं और वह वहां शिक्षा प्राप्त करते हैं। यह तो बहुत अजीब है, हमारी सरकार हमेशा कहती है कि हमारे बच्चे अच्छी शिक्षा के माध्यम से दुनिया की सबसे बड़ी शक्तियों का नाम लिख सकते हैं।
 
तो ये तो साबित होता है कि अगर कोई अच्छी-खासी गिरोह में शामिल होना चाहता है, तो वह अपनी पढ़ाई भी कर सकता है। लेकिन फिर भी, हमें समझना चाहिए कि आतंकवाद के पीछे क्या-क्या कारण होते हैं। किसी को या किसी समूह की पढ़ाई कराने से उन्हें आतंकवादी बनने की ताकत नहीं मिलती। इसमें जिज्ञासा, नस्लीय तनाव, आर्थिक असमानताएं और अन्य कई कारक शामिल हो सकते हैं।
 
🤔 📚 ये देखकर मुझे बहुत बोझ है कि हमारे देश में शिक्षा कितनी महत्वपूर्ण है। आतंकवादियों के पास भी पढ़ाई हुई, लेकिन फिर वे ऐसा क्यों बने? 🤷‍♂️

🚫 स्वास्थ्य और शिक्षा दोनों को मिलाकर तालमेल बिठाना चाहिए। हमारे बच्चों को अच्छी पढ़ाई देनी चाहिए, लेकिन फिर भी उन्हें जिम्मेदार निशाने पर रखना होगा। 📊

💡 शिक्षा में सहायता बढ़ानी चाहिए। सरकार और समाज को एक साथ मिलकर आतंकवाद के खिलाफ लड़ने के लिए काम करना होगा। हमें अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देनी चाहिए ताकि वे सच्चे नागरिक बन सकें। 💪
 
जैसे ही, तो इन आतंकवादियों को इतनी अच्छी शिक्षा मिल रही है, लेकिन हमारे देश में कई छात्र संघों में भी बहुत अच्छी शिक्षा नहीं मिलती। ये सवाल उठता है कि क्या हमारे विश्वविद्यालयों में भी ऐसे छात्र हैं जो आतंकवादी बनने जा रहे हैं?
 
क्या ये सच है कि आतंकवादियों को बिल्कुल भी शिक्षा नहीं मिलती? मेरे दोस्त ने एक लेख पढ़ा था, जहां बताया गया है कि सऊदी अरब में रहने वाले कई आतंकवादी ने अपनी पढ़ाई भी विदेशी विश्वविद्यालयों से की थी। तो फिर, दिल्ली बम विस्फोट के दोषियों के पास शिक्षा और ज्ञान कैसे नहीं था? यह सवाल मुझे अभी भी हल नहीं करता। मैं चाहता हूँ कि कोई अच्छा स्रोत मेरी मदद कर सके।
 
अरे, बम विस्फोट के दोषियों को जानना है एक चीज, लेकिन उनके पृष्ठभूमि को समझना और उनके पास इतनी शिक्षा कैसे आई, ये तो दिल में घुनने वाला सवाल है। 🤔

मुझे लगता है कि हमें यह नहीं देखना चाहिए कि कुछ लोग जैसे हैं उनके पास इतनी शिक्षा कैसे आई। हमें अपने समाज में शिक्षा को फैलाने की जरूरत है, ताकि हर कोई अच्छा भविष्य बना सके। 📚

कुछ लोगों ने कहा है कि आतंकवादी जैसे लोगों को शिक्षा देने से उनके अहसास बढ़ जाते हैं। मुझे लगता है कि यह बिल्कुल सही नहीं है। हमें अपने समाज में शिक्षा को फैलाने की जरूरत है, ताकि हर कोई अच्छा भविष्य बना सके। 🌟

किसी भी तरह से, हमें यह नहीं देखना चाहिए कि कुछ लोग जैसे हैं उनके पास इतनी शिक्षा कैसे आई। हमें अपने समाज में शिक्षा को फैलाने की जरूरत है। 📝
 
आजकल यह बहुत ही दिलचस्प है कि आतंकवादियों को पढ़ाई-लिखाई से कैसे जोड़कर उनकी पृष्ठभूमि समझने का प्रयास किया जा रहा है। 🤔

मेरे अनुसार, यह तो एक अच्छा विचार है लेकिन हमें यह भी ध्यान रखना होगा कि शिक्षा और ज्ञान किसी को आतंकवादी बनाने में मदद नहीं करते।

मुंबई ब्लास्ट के मामले में, याकूब मेमन की पढ़ाई-लिखाई के बारे में बताया गया, लेकिन हमें यह नहीं भूलना है कि वह एक विशेष मामला था। उसकी जिंदगी और घटनाएं बहुत ही जटिल थीं।

ओसामा बिन लादेन के मामले में, यह सच है कि उसने विदेशी विश्वविद्यालयों में पढ़ाई की, लेकिन हमें यह नहीं भूलना है कि वह एक जटिल और नकारात्मक प्रभाव छोड़ता था। उसकी जिंदगी ने दुनिया भर में डर और अस्थिरता फैलाई।

हाफिज सईद, लश्कर-ए-तैयबा के मुखिया, एक विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ाई की, जो एक अच्छा विचार है लेकिन हमें यह भी ध्यान रखना होगा कि उसकी शिक्षा और ज्ञान ने उसे आतंकवाद में बदलने में मदद की।

तहव्वुर राणा का जन्म एक विश्वविद्यालय से हुआ था, लेकिन हमें यह नहीं भूलना है कि वह एक विशेष मामला था। उसकी जिंदगी और घटनाएं बहुत ही जटिल थीं।

आतंकवाद के मुद्दे पर चर्चा करते समय, हमें शिक्षा और ज्ञान के साथ-साथ अन्य कारकों को भी ध्यान में रखना चाहिए।
 
मैंने देखा है कि अल-फलाह यूनिवर्सिटी से डॉ. उमर उन नबी के मामले में यह सवाल उठता है कि इन आतंकवादियों के पास इतनी शिक्षा और ज्ञान कैसे था। यह सच नहीं हो सकता, यार? अल-फलाह यूनिवर्सिटी से डॉ. उमर उन नबी के मामले में शायद कुछ गलत हुआ होगा नहीं।
 
😕 ये तो बहुत ही दिलचस्प बात है कि आतंकवादियों के पास इतनी अच्छी शिक्षा और ज्ञान कैसे होता है। मुझे लगता है कि हमें यह समझना चाहिए कि ये लोग अपनी शिक्षा का उपयोग क्या करते थे। क्या वे अपनी पढ़ाई के दौरान ही आतंकवाद की ओर आकर्षित हो गए, या फिर बाद में उन्होंने इसका पालन करना शुरू किया। 🤔

मुझे लगता है कि हमें अपने शिक्षा प्रणाली पर देखने की जरूरत है। क्या हमारे विद्यालयों में आतंकवाद की शिक्षा देने से रोकने के लिए कुछ नहीं किया जा सकता था। या फिर क्या हमारे पास ऐसे लोग हैं जो अपने बच्चों को आतंकवाद की ओर आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं। 🤷‍♂️

लेकिन यह भी सच है कि आतंकवाद का मुद्दा बहुत जटिल है। हमें इसके पीछे के कारणों को समझने की जरूरत है, और फिर से उसे रोकने की कोशिश करनी चाहिए। 🤝
 
अरे दोस्त, यह तो बहुत ही गहराई में लेते हुए देखना चाहिए। एक ओर अल-फलाह यूनिवर्सिटी से डॉ. उमर उन नबी के पृष्ठभूमि को लेकर चिंता बढ़ रही है, और इसके उत्तर यह तो आतंकवादियों के शिक्षित होने की बात है। लेकिन अगर हम गहराई में जाएं, तो यह सिर्फ एक सवाल नहीं बल्कि एक समस्या बन जाता है।

क्या हमारे पास नौकरी-शिक्षा-आदि का संस्करण आतंकवादी बनने का कोई सही तरीका है? क्या शिक्षा हमें आतंकवादी बनने का रास्ता दिखाती है, या फिर यह हमें एक अच्छे नागरिक बनने का रास्ता दिखती है?

और अगर हमारे पास इतनी शिक्षा और ज्ञान होता, तो क्यों आतंकवादी बनते हैं? क्या इसका जवाब हमें अपने समाज में सामाजिक असमानताओं, आर्थिक निराशाओं, या राजनीतिक असंतुष्टि की समस्याओं को देखना चाहिए?

आइए, हमारे यह सवालों का जवाब ढूंढने की कोशिश करें, और अपने समाज में एक अच्छा नागरिक बनने की संस्कृति को बढ़ावा देने की कोशिश करें।
 
अगर ये बात सच तो हमारे देश में शिक्षा की गुणवत्ता क्या है, यह तो समझ में आता है। ये लोग कैसे इतनी अच्छी पढ़ाई कर सकते थे? और फिर कैसे आतंकवादी बनते हैं? हमारे देश में शिक्षा को सिर्फ एक व्यवसाय के रूप में नहीं देखना चाहिए, इसकी गुणवत्ता का ख्याल रखना जरूरी है।
 
तो यह तो बहुत बात है कि आतंकवादियों के पास पढ़ाई-लिखाई होती है। लेकिन फिर भी, हमें यह नहीं समझना चाहिए कि एक से दूसरे की तरह सभी आतंकवादी शिक्षित और ज्ञानी हैं। उनमें भी बहुत अलग-अलग हैं, जैसे कि याकूब मेमन, ओसामा बिन लादेन, हाफिज सईद... इनके पास पढ़ाई-लिखाई तो थी, लेकिन उनकी आगे क्या दिशा थी, यह हमें नहीं समझता। और फिर भी, हम इन्हें एक ही श्रेणी में रखकर आतंकवादियों के रूप में देखने लगे।
 
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