Alpassi Arattu: केरल में अल्पासी आराट्टू जुलूस के लिए रुकी उड़ानें, पांच घंटे बंद रहा तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट

तिरुवनंतपुरम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर गुरुवार को पांच घंटे तक उड़ान सेवाएं रुक दी गईं। वजह थी श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर का ‘अल्पासी आराट्टू’ धार्मिक जुलूस, जो सदियों पुरानी परंपरा का हिस्सा है।

श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर का यह जुलूस साल में दो बार निकलता है, एक बार अल्पासी उत्सव (अक्तूबर-नवंबर) में और दूसरी बार पैंकुनी उत्सव (मार्च-अप्रैल) में।

इस जुलूस का नेतृत्व पूर्व त्रावणकोर राजघराने के मुखिया श्री मूलम तिरुनाल राम वर्मा ने किया। उन्होंने पारंपरिक हरे रेशमी टोपी, पन्ने का हार और धार्मिक तलवार के साथ आगे चले।

इस जुलूस के मंदिर लौटने के बाद तिरुवनंतपुरम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर एयरपोर्ट प्रबंधन ने रनवे को साफ कर फिर से उड़ानें शुरू की गईं।

तिरुवनंतपुरम इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (TIAL) ने इस जुलूस की तस्वीरें साझा करते हुए लिखा कि भक्ति की लय और श्रद्धा की शांति के बीच, श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर का पवित्र आराट्टू जुलूस हमारे रनवे से गुजरा। यह वह क्षण है जब परंपरा और आधुनिकता एक साथ उड़ान भरते हैं।

इस धार्मिक परंपरा की शुरुआत सदियों पुरानी है। इतिहासकारों के अनुसार, यह धार्मिक परंपरा कई शताब्दियों पुरानी है और 1932 में एयरपोर्ट की स्थापना के बाद भी जारी है।

तिरुवनंतपुरम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर यह जुलूस एक प्रमुख आकर्षण है, जो लोगों को अपने धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का अनुभव करने का मौका देता है।
 
मंदिर की यात्रा पर विमान उड़ाने की बात तो बड़ी अजीब है, लेकिन जैसे ही मंदिर से गुजरता है फिर हवाई अड्डे में सभी चल देते हैं! 🤯

मुझे लगता है कि एक बार एयरपोर्ट पर चालू होने से पहले जुलूस को देखने का मौका दिया जाना चाहिए, नहीं तो सब कुछ अच्छी तरह से चलता। इसके लिए कोई विशेष अनुमति क्यों न मिले? 🤔
 
मुझे लगता है कि तिरुवनंतपुरम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर जुलूस की वजह से निकलने वाली उड़ानें रुक गईं तो यह अच्छी बात है, क्योंकि मंदिर के लिए श्रद्धालुओं ने अपना समय व्यतीत करने का मौका मिला। जुलूस की तस्वीरें साझा करने से परंपरा और आधुनिकता को एक साथ देखने का अच्छा मौका मिलता है, लेकिन हवाई अड्डे पर शांति बनाए रखने की जरूरत भी है।
 
उड़ान सेवाओं को रुकाने की वजह शायद पूरे व्यक्ति को नहीं पता। लेकिन याद रखना जरूरी है कि यह जुलूस सदियों पुरानी परंपरा का हिस्सा है। मैं तो सोचता हूँ कि क्या हमें और भी कुछ ऐसे देखने को मिलता है, जहाँ हम अपने आपसी समन्वय को लेकर बात कर सकें। यह जुलूस तो बहुत ही रोमांचक था, मुझे लगता है कि इसके अलावा भी वे कुछ और रोचक परंपराएँ लाने के लिए तैयार हैं। 🤔✈️
 
मैंने पढ़ा था इस बात की कि कैसे हवाई अड्डे पर जुलूस निकलते हैं, लेकिन मुझे ऐसा वाक्य नहीं मिला था। यह तो एक अच्छा तरीका है कि हवाई अड्डे पर पारंपरिक जुलूस की मेजबानी किया जाए। क्या कोई और ऐसा हुआ होगा जिसने इतनी भीड़ इकट्ठी कर दी? और यह धार्मिक जुलूस साल में दो बार निकलता है... लगता है कि तिरुवनंतपुरम में बहुत अच्छा माहौल है।
 
मुझे लगता है कि तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डे पर गुरुवार को पांच घंटे तक उड़ान सेवाएं रुकना थोड़ा अजीब लगा, लेकिन श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के जुलूस के बाद तो सब ठीक है! 😂

मैंने सुना है कि यह धार्मिक जुलूस सदियों पुरानी परंपरा का हिस्सा है, लेकिन मुझे लगता है कि यह भारतीय हवाई अड्डों पर सबसे अच्छा उदाहरण है कि परंपरा और आधुनिकता एक साथ उड़ान भर सकते हैं! 🚀

यह जुलूस तो सचमुच कुछ विशेष है, मुझे लगता है कि यह भारतीय संस्कृति की सबसे अच्छी प्रतिकृति है। और यह जानकर मुझे खुशी हुई कि यह जुलूस 1932 में हवाई अड्डे की स्थापना के बाद भी जारी रहा, तो यह हमेशा एक महत्वपूर्ण आकर्षण बना रहेगा! 💥

लेकिन अगर मुझे ईमानदारी से कहूँ, तो मैं नहीं समझ सकता कि पांच घंटे तक उड़ान सेवाएं रुकना क्यों हुई? क्या हवाई अड्डे के प्रबंधन ने कभी सोचा था कि श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के जुलूस इतने प्रसिद्ध हो सकते हैं? 🤔

कोई भी तर्क देता है, तो यह एक अच्छा मौका था अपने हवाई अड्डे पर एक प्रमुख आकर्षण की स्थापना करने का। और मुझे लगता है कि यह जुलूस न केवल तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डे को लेकर बल्कि भारतीय हवाई अड्डों को एक नया रूप देने वाला है। 🚁
 
तिरुवनंतपुरम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर गुरुवार को पांच घंटे तक उड़ान सेवाएं रुकी गईं। तो यह तो अच्छा है कि उन्होंने धार्मिक जुलूस के बाद रनवे को साफ कर फिर से उड़ानें शुरू की । मैंने भी कभी-कभी ऐसे मौकों का आनंद लिया है जब हवाई अड्डे पर धार्मिक जुलूस आया था।

मुझे लगता है कि यह जुलूस बहुत ही महत्वपूर्ण है। यह सदियों पुरानी परंपरा का हिस्सा है, और लोग इसे देखने के लिए भी आते हैं। मैं तो हमेशा सोचता हूं कि हवाई अड्डे पर इतने विविध जुलूस आयेंगे, और यह तो एक अच्छा अनुभव है।

जैसे कि इस जुलूस ने लोगों को अपने धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का अनुभव करने का मौका दिया। तिरुवनंतपुरम इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड ने बात कही भी बहुत अच्छी। मैं उनकी तस्वीरें देखकर खुश हुआ।

कोई हमेशा कहता है कि हवाई अड्डे पर जुलूस आये तो यह अच्छा है। लेकिन कभी-कभी ऐसे भी मौकों का आनंद लेने का मौका मिलता है, जब आप घर नहीं होते और हवाई अड्डे पर एक विशेष जुलूस देखते हैं।
 
अरे वाह, तिरुवनंतपुरम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर गुरुवार को पांच घंटे तक उड़ान सेवाएं रुक गईं। लोगों ने मंदिर के जुलूस देखने के लिए हवाई अड्डे तक आ गए थे, तो शायद ही कोई कुछ और करना चाहता था। इस जुलूस को लेकर इतनी संख्या में लोग इकट्ठा हुए, इसलिए एयरपोर्ट प्रबंधन ने रनवे को साफ कर दिया।

मैंने अपने बच्चों को बताया कि अगर हमारे शहर में ऐसी धार्मिक परंपराओं को मनाने का मौका मिलता है, तो लोग सिर्फ सोशल मीडिया पर देखकर न रहें, वहां भी उनकी श्रद्धा और भक्ति को लेकर लोगों की बातें होती हैं।
 
मुझे लगता है कि यह जुलूस तिरुवनंतपुरम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर लगी रुकावट को कुछ समय लेने के लिए मजबूर कर दिया, लेकिन मैं इसकी वजह से खुश हूँ। यह जुलूस परंपरा और आधुनिकता का एक सुंदर मिलन है, जो हमें अपने धर्मिक और सांस्कृतिक महत्व का अनुभव करने का मौका देता है। लेकिन फिर भी, मुझे लगता है कि हवाई अड्डे पर चलने वाली सुविधाओं को पहले से जानकर तैयार रहना चाहिए, ताकि ऐसे हालातों में नुकसान हो सके इसकी जगह नहीं।
 
यह तो वास्तव में बड़ा बाजार था! श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर का अल्पासी आराट्टू जुलूस, वह जानकर नहीं चलेगा कि हर साल 5 महीनों में यह जुलूस होता है और हवाई अड्डे पर भी 5 घंटे तक रुकता है। क्या यह एक परंपरा है या कोई बड़ा प्रचार? मुझे लगता है कि अगर यह इतनी महत्वपूर्ण है, तो क्यों नहीं आयोजित करते थे इसके लिए विशेष समिति जो हवाई अड्डे पर सुरक्षा और नियंत्रण बनाए रखे।
 
अरे, इस जुलूस की तस्वीरें देखकर तो मन खुश हो गया है 🙏। मंदिर का यह जुलूस तो एक बहुत बड़ा आकर्षण है, लेकिन हवाई अड्डे पर पांच घंटे तक उड़ान सेवाएं रोक देने की बात सोचता हूँ कि ये इतना मायने नहीं रखता। यह तो एक परंपरा है, जिसमें हर साल दो बार लोग भाग लेते हैं और इसका इतिहास बहुत पुराना है। तो फिर क्यों पांच घंटे तक रुकी गईं? क्या हवाई अड्डे पर अधिकारी परंपरा को नहीं समझते? 🤔
 
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