अमर उजाला बतरस: बदलती पढ़ाई, बदलते बच्चे, क्या आज के स्कूल और आपकी सोच इसके लिए है तैयार? देखें पॉडकास्ट

अगर हम आज के बच्चों को देखते हैं, तो यह एक ऐसा बच्चा नहीं है जिसकी पढ़ाई में रटाकर लीडर बनाना ही सबसे जरूरी बात है। उसे समझने, सोचने और सवाल पूछने की आजादी भी देनी चाहिए।

पढ़ाने के नए तरीकों ने बच्चों पर बड़ा असर पड़ रहा है, लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि शिक्षा का मकसद केवल ज्ञान प्रदान करना ही नहीं, बल्कि एक स्वस्थ और संतुलित व्यक्ति बनने का मार्गदर्शन करना भी है।

पढ़ाई के नए तरीकों को लेकर विशेषज्ञों ने बताया है कि बच्चों को व्यावहारिक और रुचिकर बनाने की कोशिश हो रही है, लेकिन यह बदलाव सफल होगा जब स्कूल, अभिभावक और समाज मिलकर बच्चों के लिए एक सकारात्मक माहौल बनाएंगे।

अभिभावकों की भूमिका भी इस बदलाव में महत्वपूर्ण है। उन्हें अपने बच्चों को सही मार्ग पर चलने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए और उनकी पढ़ाई को समझदारी से देखना चाहिए।

पढ़ाई के नए तरीकों ने बच्चों को ज्यादा व्यावहारिक और रुचिकर बनाने की कोशिश हो रही है, लेकिन यह बदलाव सफल होगा जब स्कूल, अभिभावक और समाज मिलकर बच्चों के लिए एक सकारात्मक माहौल बनाएंगे।

इस पूरे पॉडकास्ट को आप शनिवार रात 8 बजे अमर उजाला के सभी सोशल मीडिया हैंडल्स पर सुन सकते हैं।
 
बच्चों की पढ़ाई में बदलाव लाने की बात हो रही है, लेकिन मुझे लगता है कि हमें अपने बच्चों को रुटिन और पूर्णत्व का एहसास दिलाने की ज़रूरत है। उनकी पढ़ाई में व्यावहारिकता और रुचि लाना अच्छा है, लेकिन अगर हम उनको समझदारी से समझने लगें, तो यह बदलाव सफल होगा। अभिभावकों की भूमिका बिल्कुल महत्वपूर्ण है, उन्हें अपने बच्चों को सही मार्ग पर चलने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए और उनकी पढ़ाई को समझदारी से देखना चाहिए। 🤝
 
अगर हम आज के बच्चों को देखते हैं तो उन्हें समझने, सोचने और सवाल पूछने की आजादी भी देनी चाहिए 🤔। उनकी पढ़ाई में रटाकर लीडर बनाना जरूरी नहीं है, बल्कि उन्हें एक स्वस्थ और संतुलित व्यक्ति बनने का रास्ता दिखाना भी महत्वपूर्ण है।

पढ़ाने के नए तरीकों ने बच्चों पर बड़ा असर पड़ रहा है, लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि शिक्षा का मकसद केवल ज्ञान प्रदान करना ही नहीं, बल्कि उन्हें अच्छे निर्णय लेने और स्वयं को समझने की शक्ति देना भी है।

अभिभावकों की भूमिका इस बदलाव में बहुत महत्वपूर्ण है, वे अपने बच्चों को सही मार्ग पर चलने के लिए प्रोत्साहित करने चाहिए और उनकी पढ़ाई को समझदारी से देखना चाहिए।

स्कूल, अभिभावक और समाज मिलकर एक सकारात्मक माहौल बनाने से ही यह बदलाव सफल होगा।
 
🤔 अगर हम आज के बच्चों को देखते हैं, तो यह एक ऐसा बच्चा नहीं है जिसकी पढ़ाई में रटाकर लीडर बनाना ही सबसे जरूरी बात है। उसे समझने, सोचने और सवाल पूछने की आजादी भी देनी चाहिए।

मेरी बात यह नहीं है कि बच्चों को पढ़ाई में रटाकर लीडर बनाना आसान न हो, लेकिन शिक्षा का मकसद केवल ज्ञान प्रदान करना ही नहीं, बल्कि एक स्वस्थ और संतुलित व्यक्ति बनने का मार्गदर्शन करना भी है।

अब जब पढ़ाई के नए तरीकों को लेकर बात हो रही है, तो मुझे लगता है कि यह बदलाव सफल होगा जब स्कूल, अभिभावक और समाज मिलकर बच्चों के लिए एक सकारात्मक माहौल बनाएंगे।

अभिभावकों की भूमिका भी इस बदलाव में बहुत महत्वपूर्ण है। उन्हें अपने बच्चों को सही मार्ग पर चलने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए और उनकी पढ़ाई को समझदारी से देखना चाहिए।

मुझे लगता है कि अगर हम सब मिलकर मिलकर बच्चों के लिए सकारात्मक माहौल बनाएंगे, तो शायद वे ज्यादा व्यावहारिक और रुचिकर बनेंगे। लेकिन यही बात है, हमें अपने संस्कृति को बनाए रखने की भी जरूरत है।
 
अगर हम बच्चों को देखें, तो उन्हें न केवल पढ़ाई में अच्छा बनाना चाहिए, बल्कि समझने, सोचने और सवाल पूछने की आजादी भी देनी चाहिए 🤔। पढ़ाने के नए तरीकों ने बच्चों पर बड़ा असर पड़ रहा है, लेकिन शिक्षा का मकसद केवल ज्ञान प्रदान करना नहीं, बल्कि एक स्वस्थ और संतुलित व्यक्ति बनने का मार्गदर्शन करना भी है।

अगर हम सचमुच बच्चों को समझना चाहते हैं, तो उनकी रुचियों, जरूरतों और समस्याओं को पहचानना होगा। उनके साथ खेलना, उन्हें सही मार्ग पर चलने के लिए प्रोत्साहित करना और उन्हें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करना होगा।

अगर हम स्कूल, अभिभावक और समाज मिलकर काम करें, तो पढ़ाई के नए तरीकों को सफल बनाने में मदद मिलेगी। हमें बच्चों के लिए एक सकारात्मक माहौल बनाने की जरूरत है, जहां वे स्वतंत्र रूप से सीख सकते हैं और अपने सपनों को पूरा कर सकते हैं।
 
बच्चों की पढ़ाई में जो बदलाव आ रहा है, वह तो अच्छा है लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि शिक्षा का ही एक और महत्वपूर्ण पहलू होता है... उसके दोस्त, परिवार और समाज के साथ जुड़ना। अगर बच्चों को समझदारी से पढ़ाया जाए तो वे न केवल अच्छे ग्रेड मिलें, बल्कि एक स्वस्थ और संतुलित व्यक्ति भी बनेंगे।
 
बच्चों को पढ़ाई में रटाकर लीडर बनाना तो फेल है 🤦‍♂️, वो भी समझने, सोचने और सवाल पूछने की आजादी देनी चाहिए। पढ़ाई का मकसद ज्ञान देने के अलावा एक स्वस्थ और संतुलित व्यक्ति बनने का भी है। नए तरीकों ने बच्चों पर बिग असर पड़ रहा है, लेकिन यह बदलाव सफल होगा जब स्कूल, अभिभावक और समाज मिलकर एक सकारात्मक माहौल बनाएंगे। अभिभावकों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है, उन्हें अपने बच्चों को सही दिशा में चलने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
 
बच्चों की पढ़ाई में कुछ बदलाव आया है, और यह अच्छा है 🤔। लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि शिक्षा का मकसद केवल ज्ञान प्रदान करना ही नहीं, बल्कि एक स्वस्थ और संतुलित व्यक्ति बनने का मार्गदर्शन करना भी है।

अगर हम आज के बच्चों को देखते हैं, तो यह एक ऐसा बच्चा नहीं है जिसकी पढ़ाई में रटाकर लीडर बनाना ही सबसे जरूरी बात है। उसे समझने, सोचने और सवाल पूछने की आजादी भी देनी चाहिए।

मुझे लगता है कि अभिभावकों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है, उन्हें अपने बच्चों को सही मार्ग पर चलने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए और उनकी पढ़ाई को समझदारी से देखना चाहिए।

और अगर हम स्कूल, अभिभावक और समाज मिलकर बच्चों के लिए एक सकारात्मक माहौल बनाने का प्रयास करते हैं, तो यह बदलाव सफल होगा 🙏
 
बेटी, आज के बच्चों को पढ़ाई करने का तरीका बदलना ही नहीं है, बल्कि हमें उन्हें जीवन के अन्य पहलुओं को भी समझाना चाहिए। पढ़ाई का मकसद न केवल ज्ञान देना, बल्कि एक स्वस्थ और संतुलित व्यक्ति बनने का रास्ता भी तय करना। 👍

आज के बच्चों को समझने, सोचने और सवाल पूछने की आजादत देनी चाहिए। उन्हें जीवन की सच्चाई के बारे में बताना चाहिए, न कि केवल पढ़ाई ही करना। 📚

पढ़ाई के नए तरीकों में अच्छा बदलाव आया है, लेकिन अभिभावकों और समाज की भूमिका भी बहुत महत्वपूर्ण है। उन्हें अपने बच्चों को सही मार्ग पर चलने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। 🙏

अगर हम सब मिलकर काम करते हैं, तो शायद यह बदलाव सफल होगा। स्कूल, अभिभावक और समाज एक साथ मिलकर बच्चों के लिए एक सकारात्मक माहौल बनाएंगे। 🤝

इस बात पर फिकर नहीं करना चाहिए कि पढ़ाई कैसे हो रही है, बल्कि यह कि हम अपने बच्चों को जीवन के अन्य पहलुओं को भी समझा रहे हैं। 🌈
 
बच्चों को सही दिशा में आगे बढ़ने के लिए, हमें उन्हें खुलकर बोलने और सवाल पूछने की आजादत देनी चाहिए। 🤔 अगर विद्यालयों में बच्चों को अपने शिक्षकों से बात करने का मौका मिले, तो ये निश्चित रूप से उनकी समझ और सोच को बढ़ावा देगा।

इसके अलावा, हमें अपने सामाजिक माहौल में भी बदलाव लाने की जरूरत है। अगर हम अपने परिवार, स्कूल और समाज में एक सकारात्मक माहौल बनाएं, तो यह निश्चित रूप से बच्चों के लिए फायदेमंद होगा।

अगर हम अपने बच्चों को सही दिशा में आगे बढ़ने के लिए मिलकर काम करें, तो उनके भविष्य बहुत प्रभावशाली हो सकता है।
 
बच्चों को पढ़ाई में ज्यादा ध्यान नहीं देना चाहिए, समझने, सोचने और सवाल पूछने की आजादी भी जरूरी है। यही तरीके से वे बेहतर नेता बनेंगे। पढ़ाई के नए तरीकों को लेकर तो बहुत ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है, लेकिन बच्चों को वास्तविकता भी मिल रही है। अगर स्कूल, अभिभावक और समाज एक साथ मिलकर सकारात्मक माहौल बनाएं तो यह बदलाव सफल होगा।
 
बेटा, ये सच है कि आज के बच्चों को पढ़ाई और ज्ञान से ज्यादा समझने, सोचते रहने और सवाल पूछने की आजादी मिलनी चाहिए। तो क्या हमारे शिक्षा प्रणाली में बड़े बदलाव आ रहे हैं तो फिर भी सबसे जरूरी बात यह है कि बच्चों को एक स्वस्थ और संतुलित व्यक्ति बनने के लिए मार्गदर्शन करना ही नहीं सिर्फ ज्ञान प्रदान करना है।

मुझे लगता है कि नई शिक्षा प्रणाली में बच्चों को व्यावहारिक और रुचिकर बनाने की कोशिश अच्छी है, लेकिन अगर हम स्कूल, अभिभावक और समाज मिलकर एक सकारात्मक माहौल बनाएंगे तो फिर यह बदलाव सफल होगा।
 
अगर हम आज के बच्चों को देखते हैं, तो वे बहुत ज्यादा टाइप कर रहे हैं और अपने शिक्षकों से सवाल पूछने नहीं मिल रहे हैं। यह जरूरी है कि उन्हें समझने, सोचने और सवाल पूछने की आजादी देनी चाहिए। 🤔

अब तक के तरीकों से बच्चों को व्यावहारिक बनाने की कोशिश करना अच्छा है, लेकिन हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि शिक्षा का मकसद केवल ज्ञान प्रदान करना ही नहीं, बल्कि एक स्वस्थ और संतुलित व्यक्ति बनने का मार्गदर्शन करना भी है। 📚

अगर हम इस बदलाव में सफल होना चाहते हैं, तो हमें स्कूल, अभिभावक और समाज को एक साथ मिलकर बच्चों के लिए सकारात्मक माहौल बनाने की जरूरत है। पूरे परिवार की भूमिका यहीं है - जहां पर वे अपने बच्चों को सही मार्ग पर चलने के लिए प्रोत्साहित करें और उनकी पढ़ाई को समझदारी से देखें। 👨👩
 
😊 यह सच है कि आज के बच्चों को न तो ज्यादा ध्यान देने की जरूरत और न ही कम। उन्हें पढ़ाई में रटाकर लीडर बनने की जरूरत नहीं, बल्कि समझने, सोचने और सवाल पूछने की आजादी भी देनी चाहिए। 🤔

अगर हम अपने बच्चों को व्यावहारिक और रुचिकर बनाना चाहते हैं तो उन्हें अपने रुचियों को पहचानने और उन पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है। लेकिन यह बदलाव सफल होगा जब हम उनके लिए एक सकारात्मक माहौल बनाएंगे। 🌈

अभिभावकों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है, उन्हें अपने बच्चों को सही मार्ग पर चलने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए और उनकी पढ़ाई को समझदारी से देखना चाहिए। 🤝
 
मुझे लगता है कि पढ़ाई के नए तरीकों में व्यावहारिकता और रुचिक्रता बढ़ने की बात करना थोड़ा अधिक। अगर हम ऐसा करते हैं तो यह बच्चों को सिर्फ एक अच्छा नौकरी करने वाला बनाने के लिए ही तैयार कर रहे हैं, नहीं?

क्या हमें अपने बच्चों को जीवन में सफल बनने के लिए पूरी तरह से पढ़ाई पर भरोसा करना चाहिए। इससे उन्हें जीवन के अन्य पहलुओं, जैसे रिश्ते, खेल और खेलों में भाग लेने का मौका नहीं मिलेगा।

और अभिभावकों की भूमिका को देखते हुए, मुझे लगता है कि वे अपने बच्चों को ज्यादा ही समझदारी से पढ़ाई करने के लिए मजबूर कर रहे हैं। इससे उन्हें खुद अपने विचारों और राय को व्यक्त करने का मौका नहीं मिलेगा।

इसलिए, मुझे लगता है कि पढ़ाई के नए तरीकों की बात करते समय हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि शिक्षा का मकसद बस ज्ञान प्रदान करना नहीं है, बल्कि एक स्वस्थ और संतुलित व्यक्ति बनने के लिए भी है। 😐
 
बच्चों को पढ़ाई और व्यावहारिकता दोनों का संतुलन बनाने के लिए हमें एक साथ मिलकर काम करना होगा। #पढ़ाईकेनएतरीके #व्यावहारिकतादोनों #बच्चोंकेआत्मविकास
 
बच्चों को पढ़ाई के नए तरीकों से ज्यादा समझने, सोचने और सवाल पूछने की आजादी देनी चाहिए। अभिभावकों की भूमिका भी महत्वपूर्ण है, उन्हें अपने बच्चों को सही मार्ग पर चलने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए और उनकी पढ़ाई को समझदारी से देखना चाहिए।

मैंने हाल ही में अपने बेटे की पढ़ाई के नए तरीकों पर चर्चा की, तो मुझे लगता है कि यह बदलाव सफल होगा जब स्कूल, अभिभावक और समाज मिलकर बच्चों के लिए एक सकारात्मक माहौल बनाएंगे।

मेरी राय में, पढ़ाई के नए तरीकों को लेकर विशेषज्ञों ने बताया है कि बच्चों को व्यावहारिक और रुचिकर बनाने की कोशिश हो रही है, लेकिन यह बदलाव सफल होगा जब स्कूल, अभिभावक और समाज मिलकर बच्चों के लिए एक सकारात्मक माहौल बनाएंगे।

शायद अगर हम सभी मिलकर बच्चों के लिए एक सकारात्मक माहौल बनाएं, तो यह बदलाव सफल होगा। 🤔
 
बिल्कुल सही तो यही जरूरी बात है बच्चों को पढ़ाई करने के अलावा भी समझने, सोचने और सवाल पूछने की आजादी देनी चाहिए। अभिभावकों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है, वे अपने बच्चों को सही मार्ग पर चलने के लिए प्रोत्साहित करें और उनकी पढ़ाई को समझदारी से देखें। शिक्षा का मकसद केवल ज्ञान प्रदान करना नहीं, बल्कि एक स्वस्थ और संतुलित व्यक्ति बनने का मार्गदर्शन करना भी है। 🤓💡
 
अगर मैं ये पढ़ूँ तो लगता है कि अभी हम सब अच्छी तरह से नहीं समझते कि शिक्षा क्या है। ना तो स्कूल से आ रही शिक्षा, ना तो घर पर, ना तो दोस्तों और परिवार में। इसका मतलब यह है कि बच्चों को पढ़ने-लिखने के अलावा कुछ भी नहीं सिखाया जा रहा। व्यावहारिक और रुचिकर बनाने की बात तो देखो, अगर बच्चों को रोजमर्रा की समस्याओं से संबंधित सबक मिलें, तो शायद अच्छा होता, लेकिन निकलता है कि हर चीज़ में कुछ नया और मजेदार बनाने की कोशिश।
 
Back
Top