ब्लैकबोर्ड-पत्नी को लोग कोठेवाली समझते हैं: जीबी रोड का पता देख बच्चों को एडमिशन नहीं मिलता; दोस्त कहते हैं चलो तुम्हारे घर मौज करते हैं

देश में सेक्स वर्क अवैध नहीं है, लेकिन अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियम, 1956 (ITPA) के तहत कई संबंधित गतिविधियां, जैसे कि सार्वजनिक स्थानों पर यौन-याचना, दलाली, वेश्यालय चलाना और नाबालिगों का यौन शोषण, दंडनीय अपराध हैं।
 
मुझे लगता है कि हमें अपने समाज में ऐसी स्थितियों को कम करने पर ध्यान देना चाहिए जो नाबालिगों के साथ यौन शोषण को बढ़ावा देती हैं। मैंने बार-बार सोचा है कि अगर हम अपने बच्चों को अच्छा शिक्षित करें और उन्हें रोजगार के बेहतर विकल्प प्रदान करें, तो ऐसी स्थितियों का निपटारा आसान हो जाएगा। लेकिन फिर भी हमारे समाज में इतने बड़े सामाजिक और आर्थिक बदलाव होने पर समय लगेगा।
 
मुझे लगता है कि हमें इस बारे में सोचना चाहिए कि यौन-याचना पर स्थिति तो बदल गई है, लेकिन नैतिकता और सम्मान की बात की जाए तो बहुत कुछ पुराना है। यह देखकर दर्द होता है कि अभ भी खूब लड़कियां, वेश्यालयों में डाली जा रही हैं और नाबालिगों से जुड़ी, उनके साथ यौन संबंध बनाने पर मुकदमा चलाया जाता है। यह बहुत ही अनैतिक और बुरा है…
 
अगर हम इस स्किम में खुद भी पड़ गए हैं तो फिर यह समझना आसान नहीं है कि दूसरे लोगों को ऐसा क्यों करना चाहिए। यह बात सच है कि सेक्स वर्क अवैध नहीं है, लेकिन जैसे ही हम उस क्षेत्र में हाथ डालें, तो यह समझना मुश्किल होता है कि इसके पीछे क्या कारण हैं।

मेरी बात यह है कि देश में लेकिन सोशल मीडिया पर अलग दुनिया है। ये सोचा जा रहा है कि सेक्स वर्क को एक व्यवसाय के रूप में स्वीकार किया जाए, तो फिर इसकी नियमन कैसे होगी, यह सोचने पर समय नहीं लगता।
 
वाह! यह तो बहुत बड़ी बात है कि सरकार ने सेक्स वर्क पर नियंत्रण करने की कोशिश की है। मैं तो ऐसा कह सकता हूँ कि इसने हमें स्वच्छता और सुरक्षा का माहौल बनाने में मदद कर दी है। लेकिन, कुछ लोगों की बात करनी चाहिए कि यह रेगुलेशन कितनी मुश्किल से निपट रहा है और क्या इससे वास्तव में बदलाव आएगा या नहीं। मैं तो इस पर एक प्लेटफॉर्म बनाने का विचार कर रहा था जहाँ लोग अपनी गripes बाहर कर सकें और सरकार से बात करने के लिए मजबूर कर सकें।
 
यह तो बहुत बड़ी बात है! मुझे लगता है कि हमें सेक्स वर्क के मुद्दे पर चिंतित होना चाहिए। लेकिन यह जानना जरूरी है कि सेक्स वर्क अवैध नहीं है, तो इसका मतलब यह भी निकलتا है कि सरकार द्वारा उठाए गए कदमों में कमी आ रही है।

निवारण अधिनियम, 1956 (ITPA) के तहत कई संबंधित गतिविधियां प्रतिबंधित हैं, जैसे कि यौन-याचना सार्वजनिक स्थानों पर, दलाली, वेश्यालय चलाना, और नाबालिगों का यौन शोषण। लेकिन मुझे लगता है कि इन गतिविधियों को रोकने के लिए हमें अभी भी अधिक कदम उठाने होंगे।

अगर हम सेक्स वर्क को पूरी तरह से अवैध बनाने की बात कर रहे हैं, तो इससे महिलाओं और लड़कियों के लिए और भी बड़ी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। मुझे लगता है कि हमें इस मुद्दे पर अधिक संवाद करना चाहिए, और सरकार से बेहतर नीतियों की मांग करनी चाहिए।
 
मुझे लगता है कि यह राज्य हमारी महिलाओं की सुरक्षा और स्वास्थ्य को खतरे में डालता है। जब तक हम नाबालिगों की खेलती-खेलती बहस न करें, तो यौन शोषण को माफ करना सिर्फ इतना ही आसान नहीं है जितना लगता है।

और जब बोले जाएं कि 'काम' करना 'वेश्यावृत्ति' है, तो यह हमारे देश की सच्चाई को छुपा रहा है। यहां पर हमें पता चलना चाहिए कि यह कौन सा व्यवसाय है और उसमें कितने लोग लगे हुए हैं। और अगर नाबालिगों के साथ ऐसी गतिविधियाँ जारी हैं तो इसमें कैसा अंतर है?
 
मैं तो यही सोचता हूँ कि सरकार के पास ऐसी बहुत सारी चीजें होनी चाहिए जिससे हमारे देश में लोगों की जिंदगी बेहतर हो। अब यह ITPA, 1956, तो हाँ-मँ-हाँ एक अच्छा बदलाव है इसमें सार्वजनिक स्थानों पर यौन-याचना और दलाली जैसे कामों पर रोक लग गई है। लेकिन हमें यह तो समझना चाहिए कि इनमें से बहुत से लोग खुद को फंसा दिया है, वे इतने गरीब और अकेले हैं कि वे किसी भी काम से नहीं निकल सकते।
 
यह तो बहुत ही जरूरी बात है कि हमें अपने समाज में ऐसी गतिविधियों को रोकने के लिए एकजुट होना चाहिए। सेक्स वर्क की समस्या एक वास्तविक मुद्दा है, लेकिन इसके साथ जुड़े अनैतिक व्यापार को भी बाधित करना जरूरी है।

सार्वजनिक स्थानों पर यौन-याचना और दलाली जैसी गतिविधियां न केवल अनैतिक हैं, बल्कि ये हमारे समाज को भी खतरे में डालती हैं। नाबालिगों का यौन शोषण सबसे बड़ा अपराध है और इसके लिए कड़ी सजा चाहिए।

लेकिन, यह एक बात है कि हम इस समस्या का समाधान कैसे करेंगे। पुलिस और न्यायपालिका को भी अपनी जिम्मेदारियों को समझना चाहिए और कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।
 
मुझे यह बात तो बहुत अजीब लगती है कि हमारे देश में सेक्स वर्क एक से अधिक रूपों में आता है। एक तरफ जहां लोग अपने पैसे कमाने के लिए निजी संवाद करते हैं और ऐसा करने के लिए तैयार रहते हैं, दूसरी तरफ हमारे कानूनों में बुराई को निंदनीय मानने की जघन्य कमजोरी।

लेकिन अगर हम ITPA के तहत चल रही गतिविधियों पर ध्यान दें, तो यह तो एक अलग मुद्दा है। सार्वजनिक स्थानों पर यौन-याचना, दलाली, वेश्यालय चलाना और नाबालिगों का यौन शोषण, यह सब कुछ जरूरी नहीं है कि हमें बाहर फेंकने की ज़रूरत है। लेकिन अगर ऐसा करने से बचाव हो सकता है, तो मुझे लगता है कि हमें इस पर ध्यान देने की जरूरत है।

मेरा विचार है कि हमें एक समाधान खोजने की जरूरत है जिसमें लोगों को अपने पैसे कमाने की स्वतंत्रता मिले, लेकिन इस तरह की गतिविधियों को निंदनीय बनाया जाए।
 
मुझे लगता है की सरकार ने अच्छा काम किया है लेकिन अभी भी बहुत से लोग इस बात पर चुपचाप हो रहे हैं कि हमारे देश में ऐसे कई अपराध जारी है। यौन शोषण और दलाली वाली गतिविधियों को रोकना बहुत जरूरी है और सरकार ने ITPA के तहत बहुत सारे अपराधों के लिए कानून बनाए हुए हैं। लेकिन अभी भी यह देखा जाता है कि कई जगहों पर यौन-याचना और वेश्यालय चलाना आम बात हो गई है।

मुझे लगता है की हमें अपने समाज में बदलाव लाने की जरूरत है, हमें नाबालिगों और महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। सरकार को भी ऐसी गतिविधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए ताकि लोगों में जागरूकता बढ़े और उन्हें अपने हक की जानकारी दी।
 
मैं समझता हूँ कि यह एक जटिल मुद्दा है... लेकिन हमें यह भी सोचते हुए, देश की ऐतिहासिक और वर्तमान परिस्थितियों को ध्यान में रखना चाहिए कि कैसे यौन-याचना जैसी गतिविधियां अक्सर गरीब और कमजोर समूहों को प्रभावित करती हैं... इसके लिए सख्त कानूनों की जरूरत नहीं है, बल्कि हमें ये समझना चाहिए कि अनैतिक व्यापार के नाम पर जो शोषण होता है वह पूरी तरह से अवैध है।
 
Back
Top