बिहार में वोट कटवा बनकर उभरे PK, ओवैसी-मायावती ने MGB को कितनी सीटों पर पहुंचाया नुकसान?

बिहार में चल रहे विधानसभा चुनाव के नतीजों ने दिल्ली से पटना तक राजनीतिक जगत में खुशियां भर दीं हैं. इस बार जनता ने अपने अधिकारों को निर्वाचित दलों से नहीं, बल्कि विपक्षी दलों से लिया है.

प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी, ओवैसी की AIMIM, और मायावती की बसपा ने विपक्षी गठबंधन को नुकसान पहुंचाने की रणनीति अपनाई. लेकिन अंत में एनडीए के हाथ 202 सीटें जुट आईं जबकि महागठबंधन के पास केवल 35 सीटें थीं.

जनसुराज ने इस चुनाव में बहुत ही दिलचस्प रणनीतिको अपनाई. पार्टी ने वोट कटवा पार्टी के रूप में खेला। पार्टी ने सबसे पहले 238 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जहां जनसुराज एक जगह दूसरे नंबर की पार्टी बन रही। इससे पता चलता है कि प्रशांत किशोर की राजनीतिक रणनीतिको में लगातार सुधार होता जा रहा है. 129 सीटों पर जनसुराज तीसरे नंबर की पार्टी बनी, 73 सीटों पर चौथे स्थान पर, 24 सीटों पर पांचवें, और 12 सीटों पर छठे, सातवें और आठवें स्थान पर रहा।

इन सभी जगहों पर जनसुराज ने अपना वोट शेयर जीत के अंतर से अधिक रखा, लेकिन वहां एनडीए और महागठबंधन ने अच्छी प्रदर्शन किया. ये कई बार देखा गया है कि जब कोई दल अच्छा प्रदर्शन करता है, तो उसके खिलाफ विपक्षी दल अपनी-अपनी सीटों पर वोट कटवा बनाते हैं और उन्हें नुकसान पहुंचाते हैं।

बसपा की ओर से मायावती ने इस चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया. बसपा ने 181 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन उसे केवल एक जगह पर वोट शेयर मिला, वहीं दूसरी जगह पार्टी दूसरे नंबर रही। इस चुनाव में हमने देखा है कि बसपा और AIMIM ने 90% सीटों पर एनडीए को नुकसान पहुंचाया है.
 
अरे, यह तो बहुत ही रोचक है कि जनता ने विपक्षी दलों से अपने अधिकारों को लिया है. इससे पता चलता है कि लोगों को लगता है कि निर्वाचित दल से अपने अधिकारों तक पहुंचना आसान नहीं है.

जनसुराज पार्टी ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है, विशेष रूप से उन्होंने वोट कटवा पार्टी के रूप में खेला. लेकिन यह भी देखें कि क्या एनडीए और महागठबंधन ने उनकी रणनीतिको का जवाब दिया है.

मायावती जी के अच्छे प्रदर्शन से तो सब मिलकर खुश हैं, लेकिन हमें यह भी समझना चाहिए कि बसपा और AIMIM ने 90% सीटों पर एनडीए को नुकसान पहुंचाया है. इससे हमें यह सोचने का मौका मिलता है कि विपक्षी दलों को भी अपनी-अपनी रणनीतिको में बदलाव लेना चाहिए.
 
क्या यह तो बहुत ही रोचक है देखा जा रहा है कि जनसुराज पार्टी के बाद विपक्षी दलों ने अपनी सीटें कटवाई हैं. लेकिन अभी तक देखा नहीं गया है कि यह कैसे संभव हुआ. 🤔

मुझे लगता है कि यह चुनाव में बहुत ही रणनीतिक सोच की जरूरत थी. अगर विपक्षी दलों ने अपनी सीटें कटवाई हैं तो फिर भी उन्हें कोई प्रभाव नहीं पड़ा. एनडीए का अच्छा प्रदर्शन हुआ है, लेकिन मुझे लगता है कि इसे भी कुछ रणनीतिक सोच की जरूरत थी. 🤓
 
मुझे यह राजनीतिक गेम बहुत रोचक लगा 😊🤔। प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी ने विपक्षी दलों से लड़ाई में अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन अंत में एनडीए के हाथ 202 सीटें जुट आईं। यह तो बहुत बड़ी बात है! 🤯

जनसुराज ने वोट कटवा पार्टी के रूप में खेला, और यह दिखाया कि उनकी राजनीतिक रणनीति में लगातार सुधार होता जा रहा है। लेकिन एनडीए और महागठबंधन ने भी अच्छा प्रदर्शन किया। 🙌

बसपा और AIMIM ने विपक्षी दलों से बहुत सीटें जीती हैं, और यह दिखाता है कि वे भी अपनी-अपनी राजनीतिक रणनीतियों को अच्छा बनाने में सक्षम हैं। 😊

लेकिन सबसे जरूरी बात यह है कि जनता ने अपने अधिकारों को निर्वाचित दलों से नहीं, बल्कि विपक्षी दलों से लिया है। यह एक बहुत बड़ा मौका है! 🙏
 
क्या तुम्हारा दिमाग भी ऐसा ही है? जनसुराज पार्टी कितनी मुश्किल स्थिति में कैसे आ गई और फिर इतनी अच्छी रणनीति से 202 सीटें जुटाई? यह तो बहुत ही दिलचस्प है. मेरा मतलब यह है कि प्रशांत किशोर की राजनीतिक रणनीति में लगातार सुधार होता जा रहा है. और बसपा के लिए मायावती का इस चुनाव में अच्छा प्रदर्शन, यह तो बहुत ही अच्छी बात है. लेकिन एनडीए के नेताओं पर लगता है कि वे क्या कर रहे थे? 🤔
 
बिहार के विधानसभा चुनाव में जो देखने को मिला, वाह 🤩! जनसुराज पार्टी और AIMIM ने बहुत ही रणनीतिक से काम किया है, जिससे उन्हें कई जगहों पर विपक्षी दलों को धमकाया गया। बसपा और AIMIM की रणनीति में बहुत ही बदलाव आया है और वहीं एनडीए ने अच्छा प्रदर्शन किया है। यह दिखाता है कि राजनीति में हर साल थोड़ा-थोड़ा बदलाव आ रहा है, जिससे हमें नई रणनीतिको अपनानी पड़ती हैं। 🤔
 
ਅਰੇ ਵੀ ਚੁਣਾਉਂ ਤਾਂ ਕੱਟੜ ਸੀ, ਪਰ ਫਿਰ ਖੁਸ਼ੀ ਹੈ. ਲੋਕ ਆਪਣਾ ਦਮ ਡੋਲ ਗਏ ਹਨ. ਜਿੱਥੇ ਬਸपਾ ਅਤੇ AIMIM ਨੇ 90% ਸੀਟਾਂ 'ਤੇ ਐਨ ਡੀ ਏ ਕੋਲ ਵੱਡੀ ਪੱਖਾਂ ਦੇ ਰਹੇ, ਉੱਥੇ ਜਿੰਸ ਪਾਰਟੀ ਨੇ ਕਈ ਬੇਘਰਲੀਆਂ ਗੱਲਾਂ ਕੀਤੀਆਂ, ਅਜੋਕੇ ਵਿਪਲ ਨਹੀਂ.
 
ਪਰेशांत ਕਿਸ਼ੋਰ ਦੀਆਂ ਰाजनीतिक ਨਾਲਿਆਂ ਮੈਨੂੰ ਖ਼ੁਸ਼ੀਆਂ ਨਹੀਂ ਕਰ ਰਹੀਆਂ। ਉਸ ਦੀਆਂ ਪार्टी कੀ ਅੱਗੇ ਤੋਂ ਮੈਂ ਵੀ ਥਾਂ ਬਣਾਵਣ ਲਈ ਕੁੱਝ ਸੋਚਿਆ ਹੈ।
 
बिहार के विधानसभा चुनाव के परिणाम बहुत ही रोचक हैं 🤔, प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी ने विपक्षी दलों से लेकर अपने खिलाफ भी अच्छा प्रदर्शन किया है। यह दिखाता है कि उनकी राजनीतिक रणनीतियों में लगातार सुधार हो रहा है, और वह विपक्षी दलों को परेशान कर सकते हैं। लेकिन फिर भी, एनडीए ने 202 सीटें जुटाई हैं, यह बहुत ही अच्छा प्रदर्शन है 🙌। बसपा और AIMIM ने भी विपक्षी दलों को नुकसान पहुंचाया है, लेकिन अंत में एनडीए के हाथ सीटें जुटाईं।

जनसुराज पार्टी ने वोट कटवा पार्टी के रूप में खेला, और उनकी रणनीतियों में लगातार सुधार हो रहा है। यह देखकर अच्छा लगता है कि जनता अपने अधिकारों को निर्वाचित दलों से लेकर विपक्षी दलों से भी ले रही है, और उनकी आवाज़ भी सुनने को मिल रही है।
 
अरे, यह तो बहुत ही रोचक है कि प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी ने इतना अच्छा प्रदर्शन किया है. लेकिन मुझे लगता है कि इस चुनाव में जो विपक्षी गठबंधन बनाया गया था, वह थोड़ा अस्थिर था. एनडीए और महागठबंधन दोनों ने अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन फिर भी जनसुराज पार्टी ने बहुत ही सावधानी से खेला।

मैं तो सोचता हूं कि आगे बढ़ने के लिए उन्हें अपनी-अपनी रणनीतियों में थोड़ा बदलाव लेना चाहिए. बसपा और AIMIM ने 90% सीटों पर एनडीए को नुकसान पहुंचाया है, यह तो बहुत ही प्रभावशाली रहा.
 
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे बहुत ही रोमांचक हैं 🤩, प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी ने विपक्षी दलों से लड़ाई ली और फिर भी एनडीए को 202 सीटें मिलीं 😲, यह तो बहुत ही अच्छा प्रदर्शन है! मैंने देखा है कि जनसुराज ने वोट कटवा पार्टी के रूप में खेला, और यह उनकी राजनीतिक रणनीति में लगातार सुधार दिखाता है 🔄। बसपा की ओर से मायावती ने भी अच्छा प्रदर्शन किया, और AIMIM को भी अपनी जगह पर वोट शेयर मिला 😊, यह चुनाव हमें बहुत ही रोमांचक दिखाता है!
 
नतीजे अच्छे नहीं लगे, लेकिन जनता की बात समझ गई. प्रशांत किशोर की रणनीति देखकर मुस्कराहट आ गई, वोट कटवा पार्टी खेलने में कामयाब रहा। लेकिन एनडीए और महागठबंधन को भी अच्छा प्रदर्शन करना चाहिए। मायावती की बसपा ने भी अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन एक जगह पर वोट शेयर मिलना ज्यादा नहीं था।

https://www.jansat.com/news/2023/02/bihar-assembla-chunav-natijiye-nukshan-ka-hal.html

क्या आपको लगता है कि जनता ने अपने अधिकारों को साकार किया?
 
मुझे लगा की बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में सबसे आश्चर्यकारी बात यह है कि जनता ने अपने अधिकारों को निर्वाचित दलों से नहीं, बल्कि विपक्षी दलों से लिया है. यह एक बड़ा सबक है और हमें सोचने पर मजबूर करता है की क्या हम अपने देश में बदलाव की जरूरत है. 🤔
 
बिहार के यह चुनाव में जनता ने अपनी बात कही है। लोगों को लगता है कि विपक्षी दल में कोई बड़ा नेता नहीं है, इसलिए वोट कटवा पार्टियां और छोटे-छोटे दल अपना फायदा उठाने के लिए चुनाव लड़ रहे थे. लेकिन जनसुराज और बसपा की रणनीति में एक बड़ा बदलाव हुआ है... 🔄

जनसुराज ने वोट कटवा पार्टी बनाकर अपने विपक्षी दोस्तों से मतभेद बनाए रखने की रणनीति अपनाई. और यह रणनीति में बहुत सारा सफर हुआ है। लेकिन फिर भी ये सवाल उठता है कि क्या वोट कटवा पार्टियां आगे भी इस तरह चलकर जनता को अपने पक्ष में खींच सकेंगी? 🤔
 
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