बाहर न जाए बिहारी: हर पार्टी का वादा- हम रोकेंगे पलायन, हम देंगे रोजगार

बिहार में पलायन रोकने का वादा, सबको सरकारी नौकरी का गणित समझाने की कोशिश। महागठबंधन ने अपने नए घोषणापत्र में हर परिवार को एक सरकारी नौकरी का वादा किया है। लेकिन क्या यह वादा सच्चा है? क्या इस बार पलायन रोकने का सोचा जाएगा।

विधायक अनिल पासवान की बात में एक खामियाँ है, 'प्रशिक्षण तो होते हैं, पर नौकरी कहां है? और एक परिवार को नौकरी का गणित भी समझ नहीं आता।' यही समस्या पलायन रोकने की कोशिश करते समय सामने आ रही है। क्योंकि लोगों को लगता है कि सरकार द्वारा दी गई नौकरियां केवल एक तपशिल है, जिससे उनकी जीवनशैली में कोई बदलाव नहीं आता।

वहीं, विधायक राकेश यादव की बात से यह दिखाई देता है कि कुछ बदलने की कोशिश की गई है। उन्होंने कहा, 'तेजस्वी ने जो 20 महीने में वादा किया, वो कुछ हद तक निभाया है, इसलिए इस बार उम्मीद है।' यह एक अच्छी खबर हो सकती है कि कुछ बदलने की कोशिश की जा रही है।

लेकिन, जनसुराज पार्टी के युवा कनक मुखर्जी ने बिहार को 'बाहर नहीं जाने' वाला कहा। उन्होंने बताया, 'बिहार अब बाहर नहीं जाएगा।’ — यह बात इस बार लोगों के दिल में उतर रही है, शायद कुछ बदले।
 
मुझे लगता है कि अगर हम सब अपनी-अपनी नौकरियों में सकारात्मक बदलाव करें, तो बिहार में पलायन रोकने का सोचा जा सकता है। लेकिन, अगर सरकार द्वारा दी गई नौकरियां केवल एक तपशिल है, तो यह वादा सच्चा नहीं हो सकता। हमें अपने-अपने क्षेत्रों में नए सिरे से शुरुआत करनी चाहिए, और सरकार को भी हमारी जरूरतों को समझने की कोशिश करनी चाहिए।
 
मुझे ये सब बातें विश्वास नहीं हैं 🤔। सरकार ने एक बार फिर से पलायन रोकने का वादा किया, लेकिन मुझे लगता है कि यह बार भी कुछ अलग होगा। जैसे हमें डिजिटल भारत अभियान ने दिखाया था कि कैसे एक स्मार्टफोन से किसी को भी जोड़कर सेवाएं प्रदान की जा सकती हैं, तो अब सरकार को भी ऐसा ही करने की जरूरत है। लेकिन मुझे लगता है कि शायद इस बार वे फिर से स्टील थेटी पर भरोसा करेंगे। 📱

लेकिन एक चीज़ तो मैं निश्चित हूँ, जैसे हमारे देश में टाटा स्टील की तरह हमारे युवाओं को भी अपनी जरूरतों के अनुसार समर्थन करने वाली कंपनियाँ बनानी चाहिए। ताकि वे अपने परिवारों की आर्थिक समस्याओं का समाधान कर सकें। और सरकार को भी उनकी मदद करने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए। 💼

आगरे ने डिजिटल दुनिया से जुड़ने की शुरुआत की है, अब बिहार भी ऐसे ही कदम उठाना चाहिए। 🌟
 
अरे, सबको सरकारी नौकरी का गणित सोचने से पहले विकास और रोजगार के विकल्पों पर विचार करना चाहिए। एक तपशिल नौकरी से जीवन में बदलाव नहीं होगा, लेकिन छात्रावस्था योजनाएं, आर्थिक सहायताएं, और रोजगार के अवसरों को विस्तारित करना चाहिए।
 
मुझे लगता है कि पलायन रोकने का वादा करना आसान है, लेकिन नौकरी देना और लोगों को खुश रखना मुश्किल है। हमें सोचते समय में होना चाहिए कि नौकरियां कौन से व्यक्ति को देगी, और क्या वे वास्तव में बदलाव लाने में सक्षम हैं?

मुझे लगता है कि सरकार को अपनी योजनाओं पर ध्यान देना चाहिए, न कि बस वादा करना। हमें सोचते समय में होना चाहिए कि लोगों की जरूरतें क्या हैं, और हम उन्हें कैसे पूरा कर सकते हैं।

बिहार में पलायन रोकने की कोशिश करना एक अच्छा विचार है, लेकिन यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि नौकरियां वास्तव में दी जाएं और लोगों को खुश रखा जाए। 🤔
 
अरे, यह तो बहुत ही मुश्किल स्थिति है! सरकार ने पलायन रोकने का वादा किया है, लेकिन क्या वास्तव में यह वादा सच्चा है? मुझे लगता है कि यह एक बहुत बड़ा सवाल है। और ये सबसे बड़ी समस्या है कि लोगों को लगता है कि सरकार द्वारा दी गई नौकरियां तो बस तपशिल है, जिससे उनकी जीवनशैली में कोई बदलाव नहीं आता। 🤔
 
नीति से परe मा पलायन करने का सोच लेटा, तो ये काम आसान ना? 🤔 पलायन रोकने का वादा तो एक दिशा है, लेकिन नौकरी का गणित सबको समझाना भी मुश्किल है।
 
🤔 अगर सरकार हमेशा एक नौकरी का वादा करे तो लोगों को लगता है कि यह सिर्फ एक तपशिल है और उनकी जीवनशैली में कोई बदलाव नहीं आता। 🌿

मेरे अनुसार, पलायन रोकने के लिए हमें अपने घरों में खुशहाल और स्वस्थ रहने का तरीका ढूंढना होगा। जैसे कि हर दिन एक घंटा ध्यान करें, नियमित व्यायाम करें, स्वस्थ भोजन करें। 🥗

और अगर सरकार हमें नौकरी का वादा कर रही है तो वह तो अच्छा है, लेकिन अगर हम अपने जीवन में बदलाव लाने के तरीकों को खोजेंगे और अपने घरों में खुशहाल रहने का तरीका ढूंढेंगे तो पलायन रोकने की बात जरूर सच होगी। 🏠

आजकल लोग अधिक चिंतित हैं और हमें यह पता लगाने की जरूरत है कि हम अपने जीवन में खुशहाल और स्वस्थ रहने के तरीकों को कैसे ढूंढ सकते हैं। 🤝
 
अरे, ये तो बहुत आसान है सरकार नौकरियां देने का खेल। पलायन रोकने का वादा करने से पहले यह सोचो कि लोगों की जिंदगी में क्या बदलाव आ सकता है। एक परिवार को नौकरी का गणित समझाना तो आसान है, लेकिन पलायन रोकने के लिए यह बात सुनिश्चित करना मुश्किल है कि ये नौकरियां वास्तव में उनकी जिंदगी में बदलाव लाएंगी।
 
मुझे ये बात अच्छी लगती है कि महागठबंधन ने हर परिवार को सरकारी नौकरी का वादा किया है। लेकिन, जैसे तेजस्वी ने 20 महीने में वादा किया, अब भी देखिए कि वे वादा सच में क्यों निभाएंगे।

और यह बात तो बहुत साफ है कि लोग बिहार में रहते रहना चाहते हैं और सरकार द्वारा दी गई नौकरियां एक तपशिल है। हमें नहीं कहना चाहिए कि कुछ बदलने की कोशिश की जा रही है या नहीं, बल्कि हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सरकार द्वारा दी गई नौकरियां वास्तव में लोगों की जीवनशैली में बदलाव लाएं।

लेकिन, एक बात तो जरूर है कि हमें यह उम्मीद नहीं करनी चाहिए कि सबके पलायन रोक दिए जा सकते हैं। लोगों की पसंद और आवश्यकताओं को समझना भी बहुत मुश्किल है।
 
मुझे लगता है कि सरकार द्वारा पलायन रोकने के वादे सुनने के बाद, हर परिवार को एक नौकरी का गणित समझाना थोड़ा आसान नहीं होगा। लेकिन फिर भी, यह अच्छा है कि महागठबंधन ने अपने नए घोषणापत्र में इस वादा किया है।

मुझे लगता है कि हमें सोचने की जरूरत है कि क्या सरकार द्वारा दी गई नौकरियों में वास्तविक बदलाव आ सकता है। ये एक अच्छा सवाल है, और इसका जवाब ही यह है कि हमें सोचने की जरूरत है कि क्या नौकरियों के साथ-साथ आर्थिक सहायता भी दी जाएगी।
 
मैं सोचता हूँ कि सरकार ने अच्छी बात कही है लेकिन वादा बहुत बड़ा है अगर वह पूरा नहीं होगा। पुलिस और सरकार को एक साथ मिलकर जरूरतमंद लोगों की मदद करनी चाहिए ताकि वे अपने घरों पर रह सकें। हमें उम्मीद रखनी चाहिए कि सब कुछ ठीक होने लगेगा लेकिन किसी भी तरह से हमें अपने भविष्य को बनाने की जरूरत है।
 
पलायन रोकने का वादा तो ठीक है , पर सरकार के पास इतने नौकरियां नहीं हैं जैसे सोचा गया है ... 🤔 वहीं तेजस्वी से 20 महीने में नौकरी देने का वादा कितना सच्चा होगा ? परिवारों को नौकरी का गणित समझाना तो मुश्किल है , लेकिन सरकार को एक और सोच लेनी चाहिए ... 🤷‍♂️
 
ये तो पलायन रोकने का वादा ही है... जो भी सरकार देती है उसे लोगों की उम्मीदें होती हैं ... लेकिन जैसे ही यह देखा जाता है कि नौकरियां मिलना आसान नहीं है, तो लोगों को लगता है... हम बाहर भी चले जाएंगे। 🤔

बिल्कुल सही कहा गया है कि प्रशिक्षण देने से पर्याप्त नहीं होता ... लोगों को अपने परिवार को रोजगार का मौका देने की जरूरत है। तेजस्वी ने वादा किया था, अब देखेंगे कि क्या वो वादा सच्चा है या नहीं। 🤞
 
मुझे लगता है कि सरकार का यह वादा सच्चा हो सकता है, लेकिन लोगों को समझाने की जरूरत है कि सरकारी नौकरी में क्या और कितना सुरक्षित है। जैसे कि हमारे स्कूल में भी जब कोई नई पढ़ाई शुरू होती है, तो हमें समझाने की जरूरत है कि नई पढ़ाई में क्या और कितना अच्छा है। और अगर वादा सच्चा है तो लोगों को जिन परिवारों में नौकरी नहीं है, उन्हें भी सरकारी नौकरी देने की जरूरत है।

मुझे लगता है कि युवाओं को सरकारी नौकरी से पहले समझाने की जरूरत है कि वह क्या कर सकते हैं और कितनी अच्छी नौकरी मिलेगी। जैसे हमारे स्कूल में जब कोई नए परीक्षा शुरू होते हैं, तो हमें समझाने की जरूरत है कि वह क्या कर सकते हैं और कितनी अच्छी छाता बन सकते हैं।
 
मुझे लगता है कि ये वादा कितना आसान है? सबको सरकारी नौकरी मिलने का धुन लग गई है, लेकिन क्या यह सच्चाई से जुड़ा हुआ है? मेरे दोस्तों के पास भी ऐसी समस्या है कि जब वे आवेदन करते हैं तो सरकारी नौकरियां नहीं मिलतीं।

लेकिन फिर भी, जनसुराज पार्टी के युवा कनक मुखर्जी की बात अच्छी लगती है। अगर हमारे राज्य में कुछ बदलने की कोशिश की जाएगी तो मुझे उम्मीद है कि लोग अपने घरों में रहने लगेंगे।
 
मुझे लगता है कि सरकार द्वारा पलायन रोकने का वादा करना आसान नहीं है। सबको सरकारी नौकरी का गणित समझाना मुश्किल है, खासकर जब लोगों को लगता है कि नौकरियां तो एक तपशिल ही हैं। लेकिन, महागठबंधन के नए घोषणापत्र में हर परिवार को सरकारी नौकरी का वादा करना एक अच्छी बात है, लेकिन यह देखना महत्वपूर्ण है कि क्या वास्तव में इसे पूरा किया जाएगा।

मुझे लगता है कि सरकार को अपनी योजनाओं को स्पष्ट रूप से समझाने और लोगों की उम्मीदों को पूरा करने की कोशिश करनी चाहिए। यह एक अच्छी बात है कि विधायक राकेश यादव ने कहा कि तेजस्वी ने जो 20 महीने में वादा किया, वह कुछ हद तक निभाया है, इसलिए इस बार उम्मीद है। लेकिन, जनसुराज पार्टी के युवा कनक मुखर्जी ने कहा है कि बिहार अब बाहर नहीं जाएगा, यह एक अच्छी खबर हो सकती है कि कुछ बदलने की कोशिश की जा रही है।
 
मुझे लगा कि महागठबंधन का नया घोषणापत्र वाकई अच्छा सोचा गया है। तेजस्वी से 20 महीने में वादा करने से पहले उन्होंने जरूरी परीक्षण और प्रशिक्षण दिखाया। लेकिन फिर भी, कुछ बदलने की कोशिश करना अच्छा है। मुझे लगता है कि जनसुराज पार्टी का युवा कनक मुखर्जी ने बिहार को 'बाहर नहीं जाने' वाला कहकर सच्चाई दिखाई है। यही समस्या है कि लोगों को लगता है कि सरकार द्वारा दी गई नौकरियां केवल एक तपशिल है, लेकिन अगर वास्तविक परिवर्तन आ जाए, तो फिर से पलायन रोकने की बात संभव हो सकती है।
 
पलायन रोकने का वादा तो है हमेशा से और हमेशा से ठीक हुआ नहीं है। पहले यह कहते थे कि सरकारी नौकरियां होंगी, फिर बिना मेहनत नौकरी मिलने की बातें करते थे। तो क्या इस बार सच में परिवर्तन होगा? 🤔

मेरा मना है कि सरकारी नौकरियां देना सिर्फ एक राजनीतिक वादा है। लोगों को लगता है कि ये नौकरियां तो हमेशा मौजूद रहेंगी, बस हमारी उम्र बढ़ जाएगी। लेकिन सच्चाई यह है कि इन नौकरियों का माहौल और वेतन खराब है।
 
😊 बहुत अच्छा तो है कि महागठबंधन ने सबको सरकारी नौकरी का वादा किया है 🤔 लेकिन यह वास्तव में संभव है? जैसे दूसरे बार जब तेजस्वी ने 20 महीने में नौकरी का वादा किया था, तो उसके बाद भी लोगों ने नहीं चले गए 🚫 क्या यह बार में भी ऐसा ही होगा?

मुझे लगता है कि सरकार को नौकरी देने के बजाय, लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान करने पर ध्यान देना चाहिए 📈 जैसे व्यवसायों और उद्यमियों को सहयोग और समर्थन देना।

बिहार में पलायन रोकने का सोचा जा रहा है, लेकिन यह सिर्फ तकत्काल समाधान नहीं है, बल्कि एक दीर्घकालिक योजना की जरूरत है 🕰️ अगर हम चाहेंगे तो बिहार को 'बाहर नहीं जाने' वाला बनाएं, तो हमें अपने राज्य में अच्छी नौकरियां और अवसर प्रदान करने के लिए काम करना होगा।
 
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