Bihar Election 2025: पिछले तीन चुनाव में किसे मिला दरभंगा प्रमंडल का साथ? जानें इस बार की चर्चित सीटों को भी

दरभंगा प्रमंडल में जितनी भी सीटें चर्चा में हैं, वह सभी इस बात का प्रमाण हैं कि ये सीटें बहुत महत्वपूर्ण हैं। यहाँ पर हम देख सकते हैं कि चुनाव में दरभंगा प्रमंडल को कई विकल्प मिल रहे हैं।

अलीनगर, फुलपरास, सरायरंजन, झंझारपुर जैसी सीटें इस प्रमंडल में चर्चा में हैं। इनमें से अलीनगर सबसे चर्चित सीट है, जहां लोक गायिका मैथिली ठाकुर भाजपा की प्रत्याशी हैं। राजद ने यहां से विनोद मिश्रा को टिकट दिया है। जनसुराज ने बिप्लव कुमार चौधरी को इस सीट पर उतारा है।

सरायरंजन पर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और मौजूदा मंत्री विजय चौधरी को भाजपा ने टिकट दिया है। जदयू के विजय कुमार चौधरी इस सीट पर लगातार तीन बार जीतते आ रहे हैं। इससे पहले कोई उम्मीदवार इस सीट पर लगातार तीन बार नहीं जीत पाया था। वह नीतीश कैबिनेट में कई विभागों के मंत्री भी रह चुके हैं।

झंझारपुर ने 1972 में बिहार को सीएम दिया था, जब जगन्नाथ मिश्र इस सीट से जीत कर बिहार के मुख्यमंत्री बने। इसके बाद उनके बेटे नीतीश मिश्र ने इस सीट की कमान संभाली। भाजपा ने उन्हें फिर से टिकट दिया है। नीतीश कैबिनेट में उन्होंने गन्ना से लेकर पर्यटन जैसे कई मंत्रालयों को संभाला।

गौड़ा बौराम सीट इसलिए चर्चा में है क्योंकि महागठबंधन में राजद और वाआईपी के साथ होने बावजूद दोनों आमने-सामने हैं। भाजपा ने सुजीत कुमार सिंह, वाआईपी ने संतोष सहनी और राजद ने अफजल अली को मैदान में उतारा है।

महेश्वर हजारी की वजह से कल्याणपुर एक हॉट सीट है। जदयू के टिकट पर लड़ रहे महेश्वर हजारी समस्तीपुर से सांसद भी रह चुके हैं। भाकपा (माले) ने रंजीत राम को मैदान में उतारा है।

जाले में शहरी विकास एवं आवास विभाग के मंत्री जीवेश कुमार मिश्रा की वजह से यह सीट चर्चा में है। उन्हें एक बार फिर भाजपा ने अपना प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस ने ऋषि मिश्रा को मैदान में उतारा है।

इन सभी सीटों पर लड़ने वाले उम्मीदवार इस बात का प्रमाण हैं कि चुनाव में हर कोई अपनी राजनीतिक और आर्थिक शक्तियों का उपयोग कर रहा है।
 
अगर हम तो देखें तो ये सीटें ज्यादा चर्चा में हैं। यहाँ पर सभी पार्टियां अपने-अपने उम्मीदवारों के साथ लड़ रही हैं, लेकिन फिर भी कोई नहीं समझ सकता कि इनमें से कौन सी सीट सबसे महत्वपूर्ण होगी। मुझे लगता है कि अगर हम सब अपनी राजनीतिक और आर्थिक शक्तियों का उपयोग करें, तो शायद हम सभी जीत सकते हैं! 🤔
 
दरभंगा प्रमंडल में चुनाव चर्चा में है तो फिर भी मुझे लगता है कि यहाँ पर सीटों की जीत-हार देखने को मिलेगी। अलीनगर, सरायरंजन और झंझारपुर जैसी सीटें बहुत महत्वपूर्ण हैं। मैथिली ठाकुर भाजपा की प्रत्याशी हैं तो वह अपनी गायिका शक्ति से चुनाव लड़ रही हैं।

सिर्फ इतना नहीं है, झंझारपुर ने 1972 में बिहार को सीएम दिया था, जब जगन्नाथ मिश्र इस सीट से जीत कर बिहार के मुख्यमंत्री बने। इसके बाद उनके बेटे नीतीश मिश्र ने इस सीट की कमान संभाली। अब भाजपा उन्हें फिर से टिकट दिया है।

मुझे लगता है कि चुनाव में हर कोई अपनी राजनीतिक और आर्थिक शक्तियों का उपयोग कर रहा है। लेकिन यह तो देखने को मिलेगा।
 
दरभंगा प्रमंडल में सीटों पर चर्चा होने का यह मतलब है कि ये सीटें बहुत महत्वपूर्ण हैं। यहाँ पर हम देख सकते हैं कि चुनाव में दरभंगा प्रमंडल को कई विकल्प मिल रहे हैं, जैसे अलीनगर, फुलपरास, सरायरंजन और झंझारपुर। इनमें से अलीनगर सबसे चर्चित सीट है, जहां लोक गायिका मैथिली ठाकुर भाजपा की प्रत्याशी हैं। 🌟

सरायरंजन पर विजय चौधरी को भाजपा ने टिकट दिया है, और इससे पहले कोई उम्मीदवार इस सीट पर लगातार तीन बार नहीं जीत पाया था। यह एक बहुत बड़ा प्रमाण है कि भाजपा की रणनीति अच्छी तरह से काम कर रही है। 🔄

इसके अलावा, गौड़ा बौराम और कल्याणपुर जैसी सीटें भी चर्चा में हैं। महेश्वर हजारी की वजह से कल्याणपुर एक हॉट सीट है, और जदयू के टिकट पर लड़ रहे महेश्वर हजारी समस्तीपुर से सांसद भी रह चुके हैं। 🎉

इन सभी सीटों पर लड़ने वाले उम्मीदवार इस बात का प्रमाण हैं कि चुनाव में हर कोई अपनी राजनीतिक और आर्थिक शक्तियों का उपयोग कर रहा है। यह एक बहुत बड़ा दृश्य है, जिसमें सभी राजनीतिक दल अपने विकल्पों को दिखा रहे हैं। 📊
 
सदन में इन सभी सीटों पर लड़ने वाले उम्मीदवार को मिलकर देखना दिल को खुश करेगा। यह साबित होता है कि चुनाव में हर कोई अपनी पूरी ताकत लेकर आ रहा है। 🤩 #चुनाव2025 #दरभंगाप्रमंडल #सीटोंकी चर्चा
 
सीटें तो हैं, लेकिन वोट तो फिर भी जीतने का संदेश देते हैं 🙄. क्या यही सब चुनाव का मकसद है? या कुछ और? किसी ने कहा कि ये सीटें चुनाव का माध्यम हैं, लेकिन क्या वास्तव में कोई बदलाव आ रहा है? या बस एक नई झगड़ी तैयार हो रही है? 🤔
 
मुझे लगता है कि यह चुनाव बहुत ही रोमांचक होने वाला है, खासकर दरभंगा प्रमंडल में जो सभी सीटें चर्चा में हैं। अलीनगर सीट पर लोक गायिका मैथिली ठाकुर भाजपा की प्रत्याशी हैं और राजद ने विनोद मिश्रा को टिकट दिया है, जबकि जनसुराज ने बिप्लव कुमार चौधरी को इस सीट पर उतारा है। और सिर्फ सरायरंजन सीट पर विजय चौधरी भाजपा की प्रत्याशी हैं जिन्होंने यहीं से लगातार तीन बार जीतते आ रहे हैं।

मुझे लगता है कि इन सभी सीटों पर लड़ने वाले उम्मीदवार अपनी राजनीतिक और आर्थिक शक्तियों का उपयोग कर रहे हैं और यह चुनाव बहुत ही ज्यादा दिलचस्प होने वाला है। और सबसे अच्छी बात यह है कि हमें अपना मतपत्र डालने का मौका मिलेगा और अपने पसंदीदा उम्मीदवार को चुनने का मौका मिलेगा। 😊🗳️
 
देखो यह तो दिल्ली से लेकर दरभंगा तक सभी सीटें बहुत महत्वपूर्ण हैं। मैंने पढ़ा है कि अलीनगर सीट पर लोक गायिका मैथिली ठाकुर भाजपा की प्रत्याशी है, लेकिन राजद ने विनोद मिश्रा को टिकट दिया है। और सरायरंजन पर विजय चौधरी को भाजपा ने टिकट दिया है। यह तो बहुत अच्छा है कि ज्यादातर उम्मीदवार अपने स्थानीय हिस्से से ही लड़ रहे हैं।

मुझे लगता है कि चुनाव में हर कोई अपनी राजनीतिक और आर्थिक शक्तियों का उपयोग कर रहा है। लेकिन हमें यह भी याद रखना होगा कि चुनाव में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण बात वह है कि हमारे वोट पर किसने निर्णय लिया और कौन सा उम्मीदवार हमारी उम्मीदों को पूरा करता है।
 
दरभंगा प्रमंडल में जो सीटें चर्चा में हैं, वह सभी महत्वपूर्ण हैं। अलीनगर, फुलपरास, सरायरंजन, झंझारपुर जैसी सीटें पर लड़ने वाले उम्मीदवार अपनी राजनीतिक और आर्थिक शक्तियों का उपयोग कर रहे हैं। यह दिखाता है कि चुनाव में हर कोई अपने हितों को बढ़ाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है।

महेश्वर हजारी की वजह से कल्याणपुर एक हॉट सीट है, यहाँ पर भाकपा (माले) ने रंजीत राम को मैदान में उतारा है और जदयू ने महेश्वर हजारी को टिकट दिया है।

झंझारपुर ने 1972 में बिहार को सीएम दिया था, जब जगन्नाथ मिश्र इस सीट से जीत कर बिहार के मुख्यमंत्री बने। इसके बाद उनके बेटे नीतीश मिश्र ने इस सीट की कमान संभाली। भाजपा ने उन्हें फिर से टिकट दिया है।

मुझे लगता है कि यह सीटें चुनाव की जंग में बहुत महत्वपूर्ण होंगी, जहां हर उम्मीदवार अपने हितों को बढ़ाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है।
 
लोगों को ये सोचकर निराश होना चाहिए कि चुनाव में कितनी भी ज्यादा टिप्पणी नहीं हो रही। तो सबकुछ सही और निष्पक्ष है? 🤔 किसी भी व्यक्तिगत पसंद के बारे में लोगों को अपने मतदान का अधिकार देना चाहिए, लेकिन यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि मतदाता जानकारीपूर्ण निर्णय लें।
 
मेरा ये सोचना है कि अलीनगर सीट पर मैथिली ठाकुर को टिकट देने से पहले भाजपा ने बहुत सावधानी बरती होगी। अगर उन्होंने नहीं किया, तो क्या उनके पास यह शक्ति थी? और राजद ने विनोद मिश्रा को टिकट देने से पहले भी बहुत सोच-विचार किया होगा। ये दोनों सीटें बहुत महत्वपूर्ण हैं, और चुनाव में जीतने के लिए हर कोई अपने पैसे और शक्ति का उपयोग कर रहा है। 🤑
 
बिहार का यह चुनाव तो फिर से मनमोहक हो गया है 🤩। जितनी भी सीटें चर्चा में हैं, वो सब दरभंगा प्रमंडल की महत्वपूर्णता का प्रमाण हैं। यहाँ पर हम देख सकते हैं कि चुनाव में दरभंगा प्रमंडल को कई विकल्प मिल रहे हैं।

मैथिली ठाकुर जैसी लोक गायिकाओं से भरपूर अलीनगर सीट तो बहुत रोमांचक है। और झंझारपुर जैसी सीटें जहाँ प्रसिद्ध नेताओं का नाम जुड़ा हुआ है, वहाँ पर चुनाव में क्यों न हुए विकल्प ही नहीं? 🤔

लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि चुनाव में हर कोई अपनी राजनीतिक और आर्थिक शक्तियों का उपयोग कर रहा है। यह तो एक अच्छी बात है, लेकिन हमें यह भी ध्यान रखना होगा कि चुनाव में जो उम्मीदवार लड़ रहे हैं उन्हें अपने निर्णयों से देश की एकता और शांति का विचार करना चाहिए। 💭

कुल मिलाकर, यह चुनाव तो बहुत रोमांचक होगा, लेकिन हमें अपने निर्णयों से देश की एकता और शांति का विचार करना चाहिए। 🙏
 
मुझे लगता है कि दरभंगा प्रमंडल की सीटें बहुत ही जटिल हैं। 🤔

अलीनगर, सरायरंजन, झंझारपुर और गौड़ा बौराम जैसी सीटें सभी महत्वपूर्ण हैं, लेकिन एक दूसरे के प्रति बहुत भिड़antino हैं। 💥

मुझे लगता है कि चुनाव में हर उम्मीदवार अपनी राजनीतिक और आर्थिक शक्तियों का उपयोग कर रहा है, जो कि एक अच्छी बात है। लेकिन यह भी सच है कि इस प्रक्रिया से बहुत से छोटे व्यक्ति खो सकते हैं। 🤷‍♂️

मुझे लगता है कि सबसे ज्यादा ध्यान इन सभी सीटों पर देना चाहिए, ताकि हमें यह समझने में मदद मिल सके कि हर किसी ने अपनी राजनीतिक और आर्थिक शक्तियों का उपयोग कैसे कर रहा है। 📊
 
चुनाव में इतनी भावना और उत्साह दिखाई दे रहा है तो फिर ये सीटें वास्तव में बहुत महत्वपूर्ण नहीं हैं? लोग इतने उत्साहित हैं कि वे अपने राजनीतिक दलों की प्रत्याशियों को समर्थन दे रहे हैं, लेकिन क्या यह सीटें वास्तव में उनकी जीवनशैली और विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं या नहीं? मुझे लगता है कि चुनाव में जीतने के लिए जो सिर्फ राजनीतिक शक्तियों का उपयोग करते हैं, उन्हें अपनी विचारधारा और नीतियों पर चर्चा करने की जरूरत नहीं है।
 
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