दरभंगा प्रमंडल में जितनी भी सीटें चर्चा में हैं, वह सभी इस बात का प्रमाण हैं कि ये सीटें बहुत महत्वपूर्ण हैं। यहाँ पर हम देख सकते हैं कि चुनाव में दरभंगा प्रमंडल को कई विकल्प मिल रहे हैं।
अलीनगर, फुलपरास, सरायरंजन, झंझारपुर जैसी सीटें इस प्रमंडल में चर्चा में हैं। इनमें से अलीनगर सबसे चर्चित सीट है, जहां लोक गायिका मैथिली ठाकुर भाजपा की प्रत्याशी हैं। राजद ने यहां से विनोद मिश्रा को टिकट दिया है। जनसुराज ने बिप्लव कुमार चौधरी को इस सीट पर उतारा है।
सरायरंजन पर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और मौजूदा मंत्री विजय चौधरी को भाजपा ने टिकट दिया है। जदयू के विजय कुमार चौधरी इस सीट पर लगातार तीन बार जीतते आ रहे हैं। इससे पहले कोई उम्मीदवार इस सीट पर लगातार तीन बार नहीं जीत पाया था। वह नीतीश कैबिनेट में कई विभागों के मंत्री भी रह चुके हैं।
झंझारपुर ने 1972 में बिहार को सीएम दिया था, जब जगन्नाथ मिश्र इस सीट से जीत कर बिहार के मुख्यमंत्री बने। इसके बाद उनके बेटे नीतीश मिश्र ने इस सीट की कमान संभाली। भाजपा ने उन्हें फिर से टिकट दिया है। नीतीश कैबिनेट में उन्होंने गन्ना से लेकर पर्यटन जैसे कई मंत्रालयों को संभाला।
गौड़ा बौराम सीट इसलिए चर्चा में है क्योंकि महागठबंधन में राजद और वाआईपी के साथ होने बावजूद दोनों आमने-सामने हैं। भाजपा ने सुजीत कुमार सिंह, वाआईपी ने संतोष सहनी और राजद ने अफजल अली को मैदान में उतारा है।
महेश्वर हजारी की वजह से कल्याणपुर एक हॉट सीट है। जदयू के टिकट पर लड़ रहे महेश्वर हजारी समस्तीपुर से सांसद भी रह चुके हैं। भाकपा (माले) ने रंजीत राम को मैदान में उतारा है।
जाले में शहरी विकास एवं आवास विभाग के मंत्री जीवेश कुमार मिश्रा की वजह से यह सीट चर्चा में है। उन्हें एक बार फिर भाजपा ने अपना प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस ने ऋषि मिश्रा को मैदान में उतारा है।
इन सभी सीटों पर लड़ने वाले उम्मीदवार इस बात का प्रमाण हैं कि चुनाव में हर कोई अपनी राजनीतिक और आर्थिक शक्तियों का उपयोग कर रहा है।
अलीनगर, फुलपरास, सरायरंजन, झंझारपुर जैसी सीटें इस प्रमंडल में चर्चा में हैं। इनमें से अलीनगर सबसे चर्चित सीट है, जहां लोक गायिका मैथिली ठाकुर भाजपा की प्रत्याशी हैं। राजद ने यहां से विनोद मिश्रा को टिकट दिया है। जनसुराज ने बिप्लव कुमार चौधरी को इस सीट पर उतारा है।
सरायरंजन पर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और मौजूदा मंत्री विजय चौधरी को भाजपा ने टिकट दिया है। जदयू के विजय कुमार चौधरी इस सीट पर लगातार तीन बार जीतते आ रहे हैं। इससे पहले कोई उम्मीदवार इस सीट पर लगातार तीन बार नहीं जीत पाया था। वह नीतीश कैबिनेट में कई विभागों के मंत्री भी रह चुके हैं।
झंझारपुर ने 1972 में बिहार को सीएम दिया था, जब जगन्नाथ मिश्र इस सीट से जीत कर बिहार के मुख्यमंत्री बने। इसके बाद उनके बेटे नीतीश मिश्र ने इस सीट की कमान संभाली। भाजपा ने उन्हें फिर से टिकट दिया है। नीतीश कैबिनेट में उन्होंने गन्ना से लेकर पर्यटन जैसे कई मंत्रालयों को संभाला।
गौड़ा बौराम सीट इसलिए चर्चा में है क्योंकि महागठबंधन में राजद और वाआईपी के साथ होने बावजूद दोनों आमने-सामने हैं। भाजपा ने सुजीत कुमार सिंह, वाआईपी ने संतोष सहनी और राजद ने अफजल अली को मैदान में उतारा है।
महेश्वर हजारी की वजह से कल्याणपुर एक हॉट सीट है। जदयू के टिकट पर लड़ रहे महेश्वर हजारी समस्तीपुर से सांसद भी रह चुके हैं। भाकपा (माले) ने रंजीत राम को मैदान में उतारा है।
जाले में शहरी विकास एवं आवास विभाग के मंत्री जीवेश कुमार मिश्रा की वजह से यह सीट चर्चा में है। उन्हें एक बार फिर भाजपा ने अपना प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस ने ऋषि मिश्रा को मैदान में उतारा है।
इन सभी सीटों पर लड़ने वाले उम्मीदवार इस बात का प्रमाण हैं कि चुनाव में हर कोई अपनी राजनीतिक और आर्थिक शक्तियों का उपयोग कर रहा है।