Bihar Election Result 2025: बिहार के टॉप सबसे अमीर कैंडिडेट जीते या हारे, जानिए रिजल्ट

बिहार के 243 विधानसभा सीटों पर चुनाव में गिनती शुरू हुई, लेकिन उम्मीदवारों के जीतने-हारने की बात तो फिर भी होती रही। बिहार में आर्थिक स्थिति को लेकर अक्सर चर्चा होती रहती है, और इस बार एडीआर रिपोर्ट ने यह बताया कि करोड़ों का मुद्दा इस चुनाव में भी बढ़ गया है।

चुनाव मैदान में उतरे लगभग आधे उम्मीदवार करोड़पति हैं, और इस बात का अंदाजा एडीआर रिपोर्ट से मिलता है, जिसमें 2,600 उम्मीदवारों की संपत्ति का विश्लेषण किया गया है। इसमें 42 प्रतिशत करोड़पति हैं, जो पिछले चुनाव में 33 प्रतिशत था। यह तेजी से बढ़त है और नेताओं की संपत्ति में इजाफा होता जा रहा है।

बिहार के सबसे अमीर उम्मीदवारों की सूची इस प्रकार है:

गुरुआ से राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (RLJP) के नीतीश कुमार नंबर 8 पर रहे, उनकी कुल संपत्ति 250 करोड़ से ज्यादा है। तीसरे नंबर पर मुंगेर से बीजेपी के उम्मीदवार कुमार प्रणय हैं, जिन्हें चुनाव में जीत मिली। उनकी कुल संपत्ति 170 करोड़ से ज्यादा है।

चौथे नंबर पर महाराजगंज से स्वतंत्र उम्मीदवार राज किशोर गुप्ता हैं, जिन्हें मात्र 2902 वोट मिले। उनकी कुल संपत्ति 137 करोड़ से ज्यादा है। पांचवें नंबर पर मोकामा से जदयू के उम्मीदवार अनंत कुमार सिंह हैं, जिन्हें चुनाव में जीत मिली। उनकी कुल संपत्ति 100 करोड़ से ज्यादा है।

इसके अलावा, छठे, सातवें, आठवें, नौवें और दसवें नंबर पर क्रमशः डॉ. कुमार पुष्पंजय, अरुण कुमार, संदीप कुमार सिंह, मनोरमा देवी और दीपक यादव हैं, जो सभी करोड़पति हैं।
 
अरे भाई, यह तो देखकर चौंकाना है कि बिहार में इतने करोड़ों का मुद्दा तो चुनावों में तेजी से बढ़ रहा है। मुझे लगता है कि यह एक बड़ा मुद्दा है, लेकिन मैं नहीं जानता कि क्या हमारे पास ऐसे उम्मीदवार हैं जो करोड़ों के बावजूद भी जनता की समस्याओं को हल करने की कोशिश करें। 🤔

मेरे दोस्त ने मुझसे कहा है कि अगर हमारे नेता सच्चे हैं तो उन्हें अपनी संपत्ति और धन से जनता की समस्याओं को हल करने की जरूरत है। लेकिन मुझे लगता है कि यह एक आसान बात नहीं है, और हमें इन चुनावों में सोच-समझकर वोट देना होगा। 🤝
 
यह तो साफ है कि बिहार में राजनीति और आर्थिक स्थिति के बीच बहुत गहरा संबंध है। लेकिन क्या यह सच मानकर चुनाव में जीतने-हारने की बात तो फिर भी होती रहेगी? 🤔

मुझे लगता है कि यह एक अच्छा मौका है कि हम आर्थिक स्थिति के बारे में वास्तविकता पर ध्यान दें। क्योंकि जब हम अपनी आर्थिक स्थिति को ठीक करते हैं तो हमारे देश को भी ठीक होता है। 💪

और यह तो एक अच्छी बात है कि कई उम्मीदवार जिन्हें जीत मिली, उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम अपनी आर्थिक स्थिति को ठीक नहीं कर सकते। 🙏

हमें अपने देश को एक बेहतर बनाने के लिए एक साथ मिलकर काम करना चाहिए। और इसका सबसे अच्छा तरीका यह है कि हम अपनी आर्थिक स्थिति को ठीक करते हुए अपने देश को भी ठीक करें। 🌟
 
🤔 भाइयों को, चुनाव में करोड़ों का मुद्दा तो फिर भी बढ़ गया है, लेकिन क्या हमें इसके बारे में सोचने की जरूरत नहीं है? यह तो दिखाता है कि नेताओं को अपने वोटों के बदले में धन कैसे आकर्षित करने की चाल चलनी पड़ती है। 🤑

क्या हमें अपने नेताओं की संपत्ति पर इतनी जोर देने की जरूरत नहीं? क्या इससे वो सच्चे नेता बन पाएंगे या न? 🤷‍♂️

और भाइयों को, यह सवाल तो उठाने लायक है - हमारे नेताओं को अपने वोटों के बदले में धन कैसे देना चाहिए? शुद्ध पैसे से या धमकी और मनिपुलेशन से? 💸

मेरी राय तो यह है - हमें अपने नेताओं की ईमानदारी पर भरोसा करना चाहिए, न कि उनकी संपत्ति पर। 🙏
 
नंबर 1 पर खड़े उम्मीदवार के बजाय नंबर 8 पर खड़े उम्मीदवार की चाहे वैसी भी बात हो, तो उसकी संपत्ति दूसरों से बहुत आगे है। क्या यह सचमुच लोकतंत्र है?
 
मेरे फोन में 5000 रुपये बचाने की कहानी सुनकर मुझे बहुत प्यार होता है ... लेकिन अब तो बिहार में उम्मीदवारों की करोड़ों की संपत्ति सुनकर मेरे मन में एक सवाल उठता है... अगर हमारा देश इतना गरीब है, तो फिर इतने बड़े नेता और करोड़पति कैसे बन सकते हैं? 🤔👀

मुझे लगता है कि चुनाव में जीतने के लिए पैसे बहुत जरूरी हैं, लेकिन यह इतना महत्वपूर्ण नहीं हो सकता कि हम अपने देश के भविष्य पर ध्यान न दें। मैं चाहता हूँ कि हमारे नेताओं को अपने वोटों का सेवन करने की जगह पैसे का उपयोग करके जीतने का रास्ता चुने ... लेकिन लगता है कि यह बात आसान नहीं है। 😔

मेरी बेगumni बहन ने मुझसे कहा था कि अगर मैं भी करोड़पति बन जाऊँ तो अच्छी तरह से चुनाव लड़ सकता हूँ... लेकिन मैं कहता हूँ, यह एक दुर्भाग्यपूर्ण बात है ... हमें अपने वोटों का सेवन करने की जगह पैसे का उपयोग करके जीतने का रास्ता चुनना चाहिए। 💸
 
अरे भाई, यह तो बस बढ़िया बात है कि बहुत से लोग अपनी मेहनत से अच्छे परिणाम पाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन लगता है कि करोड़ों का मुद्दा फिर भी हमारे राजनीतिक व्यवस्था में बड़ी समस्या बना हुआ है। कुछ चीजों में सुधार करने की जरूरत है, तो न केवल उम्मीदवारों की, बल्कि हमारे देश के लिए।
 
बिहार में चुनावों में करोड़ों का यह चर्चा करना मुझे थोड़ा असहज लग रहा है 🤔। जब तक हमारी अर्थव्यवस्था और सामाजिक मुद्दों पर ध्यान नहीं देते हैं तो यह सब फटाफट हो जाएगा। कुछ लोग कहते हैं कि धन की इस बढ़ती वरीयता से हमारे नेताओं को अपने विचारों और राजनीतिक एजेंडे पर ध्यान देने का समय नहीं मिलता है 🤷‍♂️
 
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