छठ पूजा 2025 में सूर्यास्त पर अर्घ्य का समय शाम 05 बजकर 40 मिनट तक है। इस मुहूर्त में संध्या अर्घ्य का मुहूर्त है और व्रती निर्जला व्रत रखते हुए सूर्यदेव को जल चढ़ाया जाता है।
छठ पूजा का पर्व भगवान सूर्य देव और छठी मईया को समर्पित होता है। यह त्योहार चार दिनों का होता है और इसके तीसरे दिन मुख्य रूप से निर्जला व्रत रखते हुए अस्त होते सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता है। इस अवसर पर विधि-विधान से पूजा कर छठी मईया की कथा का पाठ करना शुभ माना जाता है।
छठ पूजा मुख्य रूप से महिलाएं अपनी संतान और परिवार की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए करती हैं। छठ पूजा चार दिनों तक चलता है जिसमें तीसरे दिन का खास महत्व होता है। इस दिन को संध्या अर्घ्य के नाम से जाना जाता है।
छठ पूजा की पूजन सामग्रियों में कपड़े, नए व्रत, सूप, सूर्यदेव को अर्घ्य देने वाले बर्तन, प्रसाद रखने के लिए डावरी, फल और बांस की टोकरी, गिलास, नारियल और अन्य आवश्यक चीजें शामिल होती हैं।
इस अवसर पर व्रती निर्जला व्रत रखते हुए सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता है और छठी मईया की पूजा और आरती करके आभार व्यक्त किया जाता है। इस दिन महिलाएं अपनी संतान और परिवार की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए छठ पूजा करती हैं।
छठ पूजा का पर्व भगवान सूर्य देव और छठी मईया को समर्पित होता है। यह त्योहार चार दिनों का होता है और इसके तीसरे दिन मुख्य रूप से निर्जला व्रत रखते हुए अस्त होते सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता है। इस अवसर पर विधि-विधान से पूजा कर छठी मईया की कथा का पाठ करना शुभ माना जाता है।
छठ पूजा मुख्य रूप से महिलाएं अपनी संतान और परिवार की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए करती हैं। छठ पूजा चार दिनों तक चलता है जिसमें तीसरे दिन का खास महत्व होता है। इस दिन को संध्या अर्घ्य के नाम से जाना जाता है।
छठ पूजा की पूजन सामग्रियों में कपड़े, नए व्रत, सूप, सूर्यदेव को अर्घ्य देने वाले बर्तन, प्रसाद रखने के लिए डावरी, फल और बांस की टोकरी, गिलास, नारियल और अन्य आवश्यक चीजें शामिल होती हैं।
इस अवसर पर व्रती निर्जला व्रत रखते हुए सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता है और छठी मईया की पूजा और आरती करके आभार व्यक्त किया जाता है। इस दिन महिलाएं अपनी संतान और परिवार की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए छठ पूजा करती हैं।