दैनिक भास्कर का खास छठ गीत रिलीज: दिन-रात खटी-खटी पैसा कमाइला, सब कमाई करजा में जाय; हे छठी मइया बिहारे में दे दीं रोजगार - Bihar News

छठ के पहले दिन, घरों में एक अलग माहौल है। यहाँ, छोटी सी मां ठेकुआ अपने घर का काम बनाकर खुश रहती है, जिससे वह अपने परिवार को रोजगार मिलता है। हर घर में घी की खुशबू होती है और दीदी दऊरा सजकर स्वादिष्ट व्यंजन तैयार करती हैं।

बिहार के लोगों ने अपने घरों को सजाकर छठ की शुरुआत की है, और यहाँ गीत गूंज रहे हैं। मां बार-बार फोन करती हैं और पूछती हैं, "क्या तुम्हें खुशियाँ हुई?" परिवारों में एक-एक करके छठ की शुभकामनाएं दी जा रही हैं।

इस छठ के पहले दिन, लोग अपने घरों से बाहर निकलकर गीत गाते हुए और पूजा-पाठ करते हैं। बाजार में भी घूमते हुए लोग अपने साथ गाने-बजाने वाली टोकरियाँ लेकर आते हैं।

छठ का पहला दिन है, और घरों में एक अलग माहौल है। यहाँ, लोग अपने परिवार को खुश रखने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं।
 
ਬਹੁਤ ਸਾਰੀਆਂ ਗੱਲਾਂ ਕਹੋ ਅਤੇ ਨਾ ਕਹੋ, ਫਿਰ ਵੀ ਪਰਿਵਾਰ ਦੇ ਘਰ ਜਾਣ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਮੈਨੂੰ ਕੁਝ ਖ਼ਾਲੀ-ਸਿਆਹ ਰੱਖਦਾ ਹੈ। ਛੁਟੀ ਦੇ ਦਿਨ, ਜੋ ਸਭ ਕੁਝ ਗਰਮਾਈ ਅਤੇ ਸੁਹਣੇ ਵਾਪਰ ਸਕਦਾ ਹੈ।
 
बस छठ की तैयारी में इतना हुआ है! मुझे लगता है कि यह त्योहार बहुत ही सुंदर है। घरों में सजावट, खाना, पूजा-पाठ... सबकुछ ऐसा ही खुशियों का संदेश देता है। और सबसे अच्छा बात यह है कि सभी परिवार अपने दिलचस्प व्यंजन बनाकर रोटी-रुलाई कर रहे हैं! 🍰👨‍🍳 मुझे लगता है कि छठ के दिनों में हमारी संस्कृति और परंपराएं बहुत ही खूबसूरती से उभरने वाली हैं।
 
छठ की शुरुआत जैसे त्योहारों का असर दिखाई दे रहा है .. घरों में एक अलग माहौल हो गया है, और सभी परिवार भाईचारे में खुश रहते हैं 🎉। लेकिन सोचो, क्या यह त्योहार हमारे समाज के लिए कुछ नया लेकर आया है? या यह फिर से एक पुरानी परंपरा जो हमारे समाज में स्थायी रहती है?
 
मुझे लगता है कि छठ की शुरुआत अच्छी तरह से आयी है, और लोगों ने अपने घरों को सजकर खुशियाँ मनाई हैं। यह त्योहार हमें एक-दूसरे के प्रति जोड़ता है और परिवार के बंधन को मजबूत बनाता है। मुझे लगता है कि बिहार के लोग अपनी परंपराओं और संस्कृति को बहुत प्यार से जानते हैं और इस त्योहार को मनाने का शानदार तरीके से चुनाव किया है। 🎉
 
छठ के पहले दिन तो बहुत ज्यादा मोहभंग होता है 😊। घरों में घी की खुशबू और स्वादिष्ट व्यंजन तैयार होने से हमेशा लोगों को खुशियाँ होती हैं। बिहार के लोग अपने घरों को सजाकर छठ की शुरुआत करते हैं और परिवारों में एक-एक करके शुभकामनाएं देते हैं।

मुझे लगता है कि छठ का पहला दिन तो बच्चों के लिए बहुत मजेदार होता है। वे अपने घरों से बाहर निकलकर गीत गाते हुए और पूजा-पाठ करते हैं। यह अच्छी मेहनत करने की शिक्षा देता है और उनके लिए एक अलग माहौल बनाता है।

लेकिन तो घरों से बाहर निकलकर गीत गाते समय बच्चों को सावधानी रखनी चाहिए। ज्यादा सुरक्षित ज़ोन का ध्यान रखना चाहिए।
 
दूसरे दिन भी इस तरह ही होगा, बिल्कुल ऐसा ही होना चाहिए। छठ के दौरान मैंने देखा है कि लोग अपने परिवार को खुश रखने के लिए बहुत से प्रयास करते हैं, जैसे घरों में सजावट करना, विशेष व्यंजन बनाना, और सामूहिक गीत-गाने। यह तो सचमुच एक खूबसूरत दृश्य है, जो हमें खुशी का एहसास देता है। लेकिन फिर भी, मुझे लगता है कि कुछ लोगों ने छठ की शुभकामनाओं पर ध्यान नहीं दिया है, और इसके पीछे कोई विशेष कारण नहीं है।
 
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