Delhi: प्रदूषण के विरोध में इंडिया गेट पर लगे मारे गए नक्सली हिड़मा के नारे, कई प्रदर्शनकारी हिरासत में

दिल्ली में इंडिया गेट पर एक विरोध-प्रदर्शन हुआ, जहां पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हल्की-फुल्की झड़प हुई। यह घटना वहां तेजी से बढ़ती वायु गुणवत्ता के मुद्दे पर आयोजित की गई थी।

विरोध-प्रदर्शनकारियों ने नक्सली कमांडर 'हिडमा अमर रहे' के नाम लिखकर अपनी सुरक्षा चिन्ह लगाए। विरोधकारी अपने पोस्टर और तख्तियां लेकर आये थे।

यहां पर इंडिया गेट पर प्रदर्शन हुआ, जहां पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हल्की-फुल्की झड़प हुई। विरोधकारियों ने पुलिस टीम पर हमला किया, जिससे तीन से चार पुलिसकर्मी घायल हो गए और उन्हें आरएमएल अस्पताल में भर्ती कराया गया।

पुलिस अधिकारी ने बताया कि इंडिया गेट पर 4:30 बजे कुछ प्रदर्शनकारियों ने जमा हुए थे, जहां वे वायु गुणवत्ता में लगातार हो रही गिरावट को लेकर विरोध कर रहे थे।

विरोध करने वाले नक्सली हिडमा के पक्ष में नारेबाजी करते समय, पुलिस ने उन्हें वहां से हटाने का निर्देश दिया, लेकिन उन्होंने पुलिस के निर्देश का पालन नहीं किया।

इस बाद विरोधकारी और पुलिस टीम के बीच हल्की-फुल्की झड़प हो गई, जिसमें तीन से चार पुलिसकर्मी घायल हो गए। उन्हें अस्पताल में इलाज चल रहा है।

इस घटना के बाद, इंडिया गेट पर अतिरिक्त सुरक्षा तैनात की गई है और लोगों से अपील की जा रही है कि वे अपनी शिकायत शांतिपूर्ण तरीके से रखें।
 
अरे, ये घटना बहुत ही गंभीर थी, लेकिन देखा गया कि पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हल्की-फुल्की झड़प हुई, तो इसका सीधा क्या मतलब है? ये घटनाएं हमेशा हमें सोचने पर मजबूर करती हैं कि कैसे हम अपनी शिकायतें और राय व्यक्त करने के लिए सुरक्षित तरीके से काम कर सकते हैं।
 
यह तो बहुत बड़ा दुर्भाग्य है कि इंडिया गेट पर ऐसी घटनाएं घटती रहती हैं। मुझे लगता है कि प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच समझौता करने की जरूरत है।

मैं समझता हूं कि वायु गुणवत्ता का मुद्दा बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन इसके लिए भी शांतिपूर्ण तरीकों को अपनाना ज़रूरी है। नक्सली कमांडर के नाम लिखना और पुलिस पर हमला करना सही तरीके से नहीं है।

आज के समय में भी हमें एक दूसरे को समझने और संवाद करने की जरूरत है, न कि लड़ने की। हमें एक साथ मिलकर समाधान ढूँढना चाहिए।
 
अरे, यह दिल्ली में निकलने वाली हर पल बढ़िया हो गई है। विरोध-प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर हमला किया, तीन-चार पुलिसकर्मी घायल हुए, और अब इंडिया गेट पर अतिरिक्त सुरक्षा तैनात की गई है। ये सब वायु गुणवत्ता के मुद्दे पर आयोजित की गई थी, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने नक्सली कमांडर 'हिडमा अमर रहे' का नाम लिखकर अपनी सुरक्षा चिन्ह लगाए। 🤦‍♂️ मुझे लगता है कि यह सब एक बड़ा फेल हो सकता है।
 
मुझे लगता है कि युवाओं को पता नहीं होता है कि लोगों को कैसे शांतिपूर्ण तरीके से अपनी समस्याएं व्यक्त करनी चाहिए। मैंने देखा है कि पुलिस को बहुत परेशान किया जाता है, और उनके लिए भी कुछ किया जा सकता था। ये नक्सली कमांडर की तस्वीर लेकर आ रहे हैं तो बस क्यों? पहले तो सिर्फ अपनी समस्याएं बताएं और फिर काम करें, नहीं तो शांति से बात करना ही नहीं चाहिए।
 
बस इंडिया गेट पर विरोध हो गया, तो चल दें यहां पर पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच क्या हुआ, मुझे थोड़ा असहज लगा। नक्सली कमांडर 'हिडमा अमर रहे' के नाम लिखकर विरोध-प्रदर्शनकारियों ने अपनी सुरक्षा चिन्ह लगाया, यह अच्छा नहीं लगता।

मुझे यकीन है कि तेजी से बढ़ती वायु गुणवत्ता एक बड़ा मुद्दा है, लेकिन पुलिस टीम और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प क्यों हुई? क्या यह एक अच्छा तरीका था कि प्रदर्शनकारी अपनी समस्याओं को बताएं?

अब इंडिया गेट पर अतिरिक्त सुरक्षा तैनात है, और लोगों से अपील की जा रही है कि वे अपनी शिकायत शांतिपूर्ण तरीके से रखें। मुझे लगता है कि हमें सभी एक-दूसरे को समझने की कोशिश करनी चाहिए और शांतिपूर्ण तरीके से समस्याओं का समाधान निकालना चाहिए। 🤝
 
🤔 यह घटना बहुत चिंताजनक है, मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि क्यों लोग वायु गुणवत्ता पर इतने जोर दे रहे हैं। हमें अपने देश को साफ रखने और अपनी हवा को शुद्ध रखने के लिए कुछ भी नहीं करना चाहिए। मैं समझता हूं कि वायु गुणवत्ता एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, लेकिन इसके लिए हमें और सोच-विचार करें।

मैं यह पूछना चाहता हूं कि क्या सरकार ने इस मुद्दे पर कोई योजना बनाई है जिससे हम अपनी हवा को शुद्ध रख सकें? क्या हमें किसी भी सामूहिक विरोध की आवश्यकता नहीं है, इसके बजाय हमें अपने सवाल उठाने और सरकार से बात करने का तरीका ढूंढना चाहिए।
 
🔥 दिल्ली में इंडिया गेट पर तेजी से बढ़ती वायु गुणवत्ता के मुद्दे पर आयोजित हुए विरोध-प्रदर्शन में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हल्की-फुल्की झड़प हुई।

मुझे लगता है कि ये घटना तो बहुत भयानक है। तीन से चार पुलिसकर्मी घायल हुए, यह तो दिल को टूटने का कारण बन गया। मैं समझता हूं कि वायु गुणवत्ता का मुद्दा बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन इसके लिए पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झगड़ा करना सही नहीं था।

मैं सोचता हूं कि अगर विरोध-प्रदर्शनकारी अपनी शिकायतें पुलिस अधिकारियों के सामने रख देते तो यह सब ऐसा न होता। लेकिन अब इंडिया गेट पर अतिरिक्त सुरक्षा तैनात है, और लोगों से अपील की जा रही है कि वे अपनी शिकायत शांतिपूर्ण तरीके से रखें।

मुझे लगता है कि हमें अपने देश में शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करने की जरूरत है। अगर हम पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झगड़े कर सकते तो इसका कोई फायदा नहीं होगा। हमें अपने देश को सुधारने के लिए शांतिपूर्ण तरीके से लड़ना चाहिए। 🙏
 
भाई, यह तो बहुत ही अजीब बात है। वायु गुणवत्ता में गिरावट को लेकर प्रदर्शन हुआ, लेकिन नक्सली हिडमा अमर रहे के नाम से नकसीदार चिन्ह लगाना तो एकदम भ्रष्टाचार की बात है। और फिर वह लोग वायु गुणवत्ता में गिरावट के प्रदर्शन को लेकर थे, नहीं तो ऐसा सवाल होता, क्यों हिडमा अमर रहे का नाम लगाया गया? और पुलिस को वहां से हटाने के लिए कहा, पर उन्हें पता नहीं चला कि उनकी जान खतरे में है? तो यहाँ पर हमारी पुलिस फेल हो गई, ना?
 
नहीं समझ पाया, दिल्ली में इंडिया गेट पर झड़प तो बढ़िया नहीं। नाक से हवा निकलने का मतलब क्या है? वायु गुणवत्ता बुरी होने का नाम नहीं लेना चाहिए, बस थोड़ी सावधानी बरतनी चाहिए। पुलिस तो भी और प्रदर्शनकारियों तो भी ध्यान में रहना चाहिए।
 
बिल्कुल भी ऐसा नहीं होना चाहिए, तो प्रदर्शनकारियों को पुलिस के निर्देश का पालन करना चाहिए। पहले वायु गुणवत्ता के मुद्दे पर बात करना चाहिए, फिर सुरक्षा की बात करें। पुलिस भी ऐसा ही करनी चाहिए, उन्हें प्रदर्शनकारियों को समझना चाहिए। यह तो एक अच्छा मौका था, लेकिन हल्की-फुल्की झड़प हुई तो सब कुछ खराब हो गया।

अब इंडिया गेट पर अतिरिक्त सुरक्षा है, जो अच्छी बात है। लोगों से अपील करना भी जरूरी है कि वे अपनी शिकायत शांतिपूर्ण तरीके से रखें। और प्रदर्शनकारियों को भी सोच-समझकर आगे बढ़ना चाहिए, न कि अनहोनी में ही।
 
यह तो बहुत भयानक! पुलिसकर्मियों की यह दुर्घटना मुझे बहुत दुखी कर रही है 🤕 प्रदर्शनकारियों ने इतनी क्रूरता से हमला किया, जबकि वे वायु गुणवत्ता के बारे में चिंतित थे। यह तो कानून का उल्लंघन है, हमें शांतिपूर्ण तरीके से अपनी समस्याओं को समझाएं, नहीं तो ऐसा ही दुर्घटनाएं होने लगेंगी। पुलिस टीम को भी उनकी बात माननी चाहिए और प्रदर्शनकारियों को समझाना चाहिए कि उनकी समस्याओं को सुनना पड़ेगा।
 
नहीं तो यह दिल्ली में इंडिया गेट पर जारी रहेगी ये प्रदर्शन। पुलिस और लोगों के बीच तो यह हल्की-फुल्की झड़प हो गई, अब तो वहां से खाली पड़ा है सभी तख्तियां। क्या थोड़े विचलित होकर से पोस्टर फेंक देना जरूरी है?
 
मैं समझ नहीं पाया, यह वायु गुणवत्ता की बात तो सब जानते हैं, लेकिन इंडिया गेट पर नक्सली के नाम लिखकर अपनी सुरक्षा चिन्ह लगाने का क्या मतलब है? और पुलिस टीम पर हमला करने से कौन फ़ायदा हुआ? यह सब मुझे समझ नहीं आ रहा है 🤔
 
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