Exclusive: शाहीन के पिता बोले- बेटी ऐसी हरकत नहीं कर सकती, फरीदाबाद आतंकी मॉड्यूल से है कनेक्शन

दिल्ली में हुए आतंकी हमले के सिर्फ दिन पूरे नहीं हुए, जांच अभी भी जारी है और फरीदाबाद आतंकी मॉड्यूल का नाम लिया जा रहा है। इस तार पर गिरफ्तार डॉ. शाहीन शाहिद के घर पहुंची एनआईए, एटीएस, जम्मू-कश्मीर पुलिस की टीम। डॉ. शाहीन के पिता शाहिद अंसारी ने कहा, मेरे तीन बच्चे हैं, बड़ा बेटा शोएब मेरे साथ रहता है, दूसरी शाहीन है जिसका जिक्र आप कर रहे हैं। मुझे यकीन नहीं है कि शाहीन ऐसी हरकतें कर सकती थी।

डॉ. शाहीन का परिवार लखनऊ के डालीगंज में रहता था। पिता ने बताया, शाहीन तीन भाई-बहन है, सबसे बड़ा बेटा शोएब यहीं पिता के साथ रहता है और दूसरी शाहीन थी, जिसकी कल गिरफ्तारी हुई। शाहीन ने इलाहाबाद से मेडिकल कॉलेज की पढ़ाई की थी।

डॉ. शाहीन कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में प्रवक्ता पद पर काम कर रही थीं। लोक सेवा आयोग से उसका चयन हुआ था। उसका अचानक नौकरी छोड़ने का मामला भी चर्चा में है।
 
बता रहा उस आतंकी हमले की, दिल्ली में जो हुआ, तो अभी भी सुनिश्चित नहीं है कि शाहीन शाहिद वास्तव में आतंकवादी थी। यह तो सबकुछ बहुत जल्दी कहाँ से निकला? पुलिस अभी भी जांच कर रही है। और वह दूसरी शाहीन, हमें क्या बताती थी? कोई जवाब नहीं मिला। यह जोड़ी कितनी गहराई में उलझ गई है?
 
ये तो दिल्ली में क्या घटिया हुआ? 🤦‍♂️ आतंकी हमले के बाद डॉ. शाहीन शहीद जैसे लोग गिरफ्तार होना ये नहीं सोचा था। परिवार को पता लगाने में इतनी देर क्यों? शायद वह तो अच्छाई से गलती कर गई होगी, अब यह सब कौन साबित करेगा? 🤔
 
बोलो बोले, यह तो बहुत दुखद है 🤕 डॉ. शाहीन के परिवार के साथ ये सब घटता हुआ, मुझे लगता है कि हमें अपनी सुरक्षा और देशभर की सुरक्षा को लेकर चिंतित रहना चाहिए। यह तो आतंकवादी गतिविधियों से जुड़े लोगों को रोकने की मुहिम है, हमें अपने समाज में दुश्मन की पहचान करने की चेष्टा करनी चाहिए।
 
बचपन की यादें आती हैं जब हमारे देश में आतंकवाद जैसी बातें सुनने को नहीं मिलती थी। आज ऐसा लग रहा है कि हम फिर से उसी पल में फंस गए हैं। यह दिल्ली में हुआ आतंकी हमला, वह तो सबके दिलों में एकजुट कर देगा। लेकिन इसके बाद जांच चल रही है और अब फरीदाबाद का नाम लिया जा रहा है। यह अच्छा है कि पुलिस सुरक्षा के साथ ज्यादा देखभाल कर रही है।

मैं सोचता हूँ कि डॉ. शाहीन का परिवार कैसा होगा, उनके बच्चों को कैसा लगेगा कि उसकी बहन गिरफ्तार हुई है। मेरे चाचा के बेटे भी जेल गए थे, वे तो अब 60 साल पुराने हैं। मैं उन्हें याद करता हूँ, वह भी खुश नहीं थे।

लेकिन आजकल यह तो और भी जटिल है। डॉ. शाहीन का परिवार लखनऊ में रहता था, उसके पिता ने बताया कि वह तीन बच्चे हैं। एक बेटा शोएब, दूसरी शाहीन जिसकी कल गिरफ्तारी हुई। यह अच्छा है कि उनके परिवार को सहारा मिल रहा है।
 
😊 यह तो बहुत ही दुखद मामला है, डॉ. शाहीन के घर जाने से लोगों की कई सवाल उठने लगे हैं 🤔। क्या सचमुच वह आतंकवादी गतिविधियों में शामिल थी? और उसके परिवार को तो पता भी नहीं था? 😱 यह बहुत ही अजीब लग रहा है। और सबसे ज्यादा चिंताजनक बात यह है कि हमें उम्मीद नहीं होनी चाहिए कि पुलिस ने अभी तक सब कुछ साबित कर दिया हो 🙅‍♂️
 
वाह, यह तो बहुत बड़ी बात है! आतंकी हमले के बाद जो जांच चल रही है, वह जरूर साफ कर देगी कि इस हमले ने हमारे भारतीयों को कैसा प्रभावित किया। लेकिन ये तो डॉ. शाहीन के घर पहुंचने का मतलब है कि उन्हें जरूर कुछ नहीं था, ना? और उनके परिवार की बात सुनने से लगता है कि वे सचमुच दुखी हैं, खासकर जब यह जिक्र उनकी बड़ी बहन शाहीन के नाम से होता है, जो अभी भी गिरफ्तारी के बाद मुश्किलों का सामना कर रही होगी। लेकिन कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में प्रवक्ता पद पर काम करने की बात सुनने से लगता है कि डॉ. शाहीन को कुछ बड़ी चीजों को समझने का अवसर था, लेकिन अब तो यह सवाल है कि उन्हें नौकरी छोड़ने का क्यों मौका दिया गया। 🤔
 
🤔 ये तो आतंकी हमले की गड़बड़ी की नई खुशी 🙄, न्यूनतम जांच और भी ज्यादा सुराग ढूंढने की गुलामी में डाल दिया गया। और अब फरीदाबाद आतंकी मॉड्यूल का नाम लाया गया, तो फिर शाहीन को इतना बड़ा सहयोगी कहकर पेश किया जाए। किस चीज़ में इतना बड़ा स्टेजिंग होता है? और डॉ. शाहीन के परिवार को क्या कर सकते थे? 🤷‍♂️
 
यह तो बहुत दुखद, जिन्हें प्रेम और करुणा से समझने की जरूरत है 🤗। डॉ. शाहीन के घर पहुंचने वाले पुलिसवालों ने उसके परिवार को दर्द दिलाने की जरूरत नहीं थी, लेकिन अगर जांच में उनकी गैरकानूनी गतिविधियों का पता चल गया, तो जरूरी है उन्हें सजा मिले। लेकिन एक बार फिर, हमें पुलिस और सरकार के दृष्टिकोण से निर्णय लेने की जरूरत नहीं थी, हमें उनकी इंसानियत पर ध्यान देना चाहिए।
 
आपको पता है कि शाहीन शाहिद का परिवार तो बहुत प्रतिभाशाली लोगों से जुड़ा हुआ है, लेकिन जब बात आती है उनकी बेटी की गिरफ्तारी की, तो मुझे लगता है कि सरकार ने जल्दी से अपने फैसले से बचने की कोशिश कर रही है। जैसे आज तक यह बताने की कोशिश नहीं कर पाया है कि वह बिल्कुल भी आतंकवादी गतिविधियों में शामिल थी, लेकिन इतना स्पष्ट तो कह देना चाहिए।
 
🤔 यह तो बहुत दुखद बात है... डॉ. शाहीन के घर पर भी एनआईए, एटीएस जैसे लोग पहुंच गए? यह तो उनके पैरों तले जमीन हो गई। मुझे लगता है कि जांच की जितनी जल्दी उतनी सावधानी होनी चाहिए... नौकरी छोड़ने का मामला भी है, तो यह तो कोई छोटा सा मामला नहीं है।
 
मैंने देखा है यह घटना, शहीदों के लिए बधाई हो 🙏। मुझे लगता है कि जांच में सच्चाई निकलेगी, जिस पर्सन ने ऐसी हरकतें क्या थीं? उनके पास खुद को गुम कर देने का बहुत मौका तो नहीं मिला? यह देखकर मुझे लगता है कि अगर हम सब सही स्थान पर खड़े हों तो इस तरह की घटनाओं को रोका जा सकता था। नौकरी छोड़ने का क्यों ऐसी हरकतें? याद आया यही घटना नहीं तो लोग कैसे समझ सकते हैं?
 
🤔 यह तो बहुत बड़ा सवाल है कि क्या वास्तव में डॉ. शाहीन ऐसे हरकतें कर सकती थी। मुझे लगता है कि उसके परिवार की बात सुनने से पहले हम जांच को पूरा करने दें। अगर वह एक आतंकवादी नहीं तो फिर क्या उसने ऐसी हरकतें कीं। 🕵️‍♀️
 
आज़ादी की लड़ाई में हमेशा अपनी स्वतंत्रता को नहीं भूलना चाहिए 🗣️
हमारे देश में जो जासूसी और जांच की जा रही है, उसके पीछे खुद को समझना भी जरूरी है
कानपुर के डॉ. शाहीन शाहिद की गिरफ्तारी के बाद उनके परिवार की दुखद स्थिति सुनकर मुझे बहुत उदासी महसूस हुई
 
यार, यह तो बहुत ही दिलचस्प बात है... ज्यादातर लोग सिर्फ आतंकवादियों पर ध्यान देते हैं, लेकिन ये बात भी नहीं कही जा रही कि जासूसी में गलती हो सकती है। एनआईए, एटीएस, जम्मू-कश्मीर पुलिस की टीम यह तो एक बड़ा विवाद फैला रहे हैं, लेकिन दिल्ली में आतंकी हमले से पहले क्या गलत हुआ था, इसके बारे में नहीं बाती जा रही। और शाहीन शाहिद के घर पर भी यह तो एक बड़ा विवाद है, लेकिन पुलिस की इस तरह की हरकत से लोगों की निराशा बढ़ गई है।
 
आपको पता है कि डॉ. शाहीन को आतंकवादी गिरोह से जोड़ा जा रहा है, लेकिन तो उसके परिवार के सदस्यों ने भी इस बात पर सवाल उठाए हैं कि अगर वह आतंकवादी थीं, तो फिर शायद वह अपनी बहन को गिरफ्तार नहीं कर पाएगी। लेकिन, तो मेरा सवाल यह है कि डॉ. शाहीन के परिवार के सदस्यों से उनके परिवारिक जीवन और उनकी शैक्षिक यात्रा के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल रही है। तो कैसे हम इस नाम के रिश्तेदारों को आतंकवादी गिरोह से जोड़ने देंगे?

और, तो मुझे पूछना है कि डॉ. शाहीन के परिवार के सदस्यों ने कहा कि उनकी बेटी शाहीन एक अच्छी लड़की थी, तो तो हमें यह जानकारी चाहिए कि वह इतनी अच्छी लड़की कैसे आतंकवादी गिरोह से जुड़ गई। लेकिन, तो यहाँ कोई जवाब नहीं है। तो मुझे लगता है कि हमें और अधिक जानकारी चाहिए।
 
तो दिल्ली में आतंकी हमले की बात कर रहे हैं? मुझे लगता है कि हमें ज्यादा ध्यान इस पर ना देना चाहिए। जांच अभी भी जारी है, तो फिर कुछ साबित नहीं हुआ है। डॉ. शाहीन शाहिद के घर जाने की बात, यह तो मेरे लिए कोई नया समाचार नहीं। हमें ज्यादा ध्यान इस पर न देना चाहिए।

कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में, डॉ. शाहीन शाहिद प्रवक्ता थीं, तो फिर यह तो अचानक नौकरी छोड़ने का मामला है। लोक सेवा आयोग से चयन हुआ था, तो क्या इससे जुड़ी कुछ बातें हैं?

मुझे लगता है कि हमें इन समाचारों पर ध्यान देना चाहिए, लेकिन कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए। जांच को समय मिले, फिर ही हम बोलेंगे।
 
तो वाह, आतंकवादी हमले की जांच अभी भी जारी है और यह देखकर दर्द होता है कि डॉ. शाहीन शाहिद के परिवार को इतनी परेशानी मिल रही है। उनके पिता ने भी कहा है कि वह सोचते हैं कि अपनी बेटी ऐसी हरकतें कर सकती थी नहीं। लेकिन यह तो कहना मुश्किल है कि क्या वास्तव में उनकी बेटी ऐसी कुछ करने की कोशिश करती थी।

मुझे लगता है कि जांच के दौरान कुछ महत्वपूर्ण बातें सामने आ सकती हैं और फिर हमें पता चलेगा कि डॉ. शाहीन शाहिद कैसे संबंधित थीं। लेकिन इस मामले में तो एक चीज़ जरूर है - जांच अभी भी जारी है, इसलिए इसके बारे में ध्यान रखना जरूरी है।
 
आतंकी हमलों के बारे में तो हमेशा ऐसी बातें सुनते रहते हैं 🤕, लेकिन जब वास्तविकता आ जाती है तो सब कुछ और गहरा होता है। यह डॉ. शाहीन की कहानी एक ऐसी परिस्थिति का प्रतीक है जहां हमें सोचने की जरूरत है कि आतंकवाद क्यों बनता है, क्यों फैलता है, और हम इसका सामना कैसे कर सकते हैं। मेरे अनुसार, हमें आतंकवाद के खिलाफ लड़ने के लिए अपने समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने की जरूरत है।
 
मुझे यह तो बहुत दिलाशनाक है... डॉ. शाहीन के परिवार के जीवन में इतनी गहराई होनी चाहिए, क्योंकि वो एक मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई कर रही थी, लेकिन अब वो आतंकवादी समूह का हिस्सा कहलाने की बात सुननी पesisar ho gayi... मुझे लगता है कि उसके परिवार को यह सब समझने में समय लगेगा, लेकिन मैं तो ऐसा नहीं सोचता कि वो कैसे जुड़ गई।
 
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