भारत में जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड्स में लंबित मामलों की दर बढ़ रही है। आईंडिया जस्टिस रिपोर्ट के अनुसार, 31 अक्तूबर, 2023 तक इन 362 बोर्ड्स में से आधे से अधिक मामले लंबित थे। औसतन हर बोर्ड पर 154 मामलों की बैकलॉग है।
इन बोर्ड्स में से 30% में लीगल सर्विस क्लिनिक नहीं हैं। इसका मतलब है कि इन जगहों पर बच्चों को उचित न्याय और सहायता प्रदान करने के लिए पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि देश के 14 राज्यों में चाइल्ड केयर इंस्टीट्यूशन (सीसीआई) की निगरानी कम हो रही है, और इन राज्यों में लड़कियों के लिए सुरक्षित जगहों की कमी है।
आईंडिया जस्टिस रिपोर्ट ने यह भी खुलासा किया है कि किशोर न्याय के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कोई डाटा प्रणाली नहीं है। इससे न्यायिक प्रक्रिया में बाधाएं उत्पन्न हो रही हैं। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि देश में 10 साल पहले ही जुवेनाइल जस्टिस एक्ट लागू कर दिया गया था, लेकिन अभी भी कई जगहों पर बच्चों को उचित न्याय और सहायता प्रदान करने के लिए पर्याप्त व्यवस्था नहीं है।
यह रिपोर्ट भारत में जुवेनाइल जस्टिस सिस्टम की कमियों को उजागर करती है और बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाने की आवश्यकता पर बल देती है।
इन बोर्ड्स में से 30% में लीगल सर्विस क्लिनिक नहीं हैं। इसका मतलब है कि इन जगहों पर बच्चों को उचित न्याय और सहायता प्रदान करने के लिए पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि देश के 14 राज्यों में चाइल्ड केयर इंस्टीट्यूशन (सीसीआई) की निगरानी कम हो रही है, और इन राज्यों में लड़कियों के लिए सुरक्षित जगहों की कमी है।
आईंडिया जस्टिस रिपोर्ट ने यह भी खुलासा किया है कि किशोर न्याय के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कोई डाटा प्रणाली नहीं है। इससे न्यायिक प्रक्रिया में बाधाएं उत्पन्न हो रही हैं। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि देश में 10 साल पहले ही जुवेनाइल जस्टिस एक्ट लागू कर दिया गया था, लेकिन अभी भी कई जगहों पर बच्चों को उचित न्याय और सहायता प्रदान करने के लिए पर्याप्त व्यवस्था नहीं है।
यह रिपोर्ट भारत में जुवेनाइल जस्टिस सिस्टम की कमियों को उजागर करती है और बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाने की आवश्यकता पर बल देती है।