'जब सत्ता अपराधियों की ढाल बन जाए...', सतारा लेडी डॉक्टर सुसाइड केस में राहुल गांधी क्या बोले?

सतारा लेडी डॉक्टर सुसाइड केस में राहुल गांधी ने कहा, "यह आत्महत्या नहीं, संस्थागत हत्या है। जब सत्ता अपराधियों की ढाल बन जाए, तो न्याय की उम्मीद किससे की जाए?"
 
राहुल गांधी जी की बातें मुझे बहुत प्रभावित कर रही हैं 💕। सुसाइड केस में ऐसे विवाद और भ्रष्टाचार कैसे बढ़ता रहता है, यह तो हमारे समाज की गहरी समस्याएं हैं। लेकिन जब ऐसे मामलों में नेताओं की बोलचाल आती है तो वास्तविकता खो जाती है। सत्ता और प्रभाव से परे निकलकर हमें यही पता चलना चाहिए कि क्या सच्चाई कहीं और है? मुझे लगता है कि हमें इनमें सुधार करने के लिए एकजुट होना चाहिए, अपने अधिकारों को नहीं, बल्कि न्याय को देखना चाहिए।
 
मुझे लगता है कि यह बहुत ही गंभीर मुद्दा है, लेकिन राहुल गांधी जी की बात सुनकर लगता है कि सत्ता को अपराधियों की ढाल बनाने की वजह से न्याय की उम्मीद कैसे की जाए? 🤔 यह एक बहुत बड़ा सवाल है, और मुझे लगता है कि इसका जवाब देने के लिए हमें अपने समाज की समस्याओं और अपराध प्रणाली पर ध्यान देने की जरूरत है। मुझे लगता है कि हमें अपने नेताओं से बेहतर समाधान ढूंढने की जरूरत है, जो सच्चाई बताएं और लोगों की आवाज़ सुनें। 🙏
 
मुझे ये बात बहुत गुस्सा कर देती है 🤬, और फिर भी खुद को सावधान रख लेता हूँ। सतारा लेडी डॉक्टर की घटना तो तो मेरे दिल को टूट गया था। राहुल गांधी जी ने बोला है कि यह आत्महत्या नहीं है, बल्कि संस्थागत हत्या है। लेकिन जब सरकार पर ऐसी चीजें छिपनी पड़ती हैं, तो कैसे हम उम्मीद कर सकते हैं? मुझे लगता है कि सत्ता में आने वाले लोगों को अपने साथियों को भी अपराधी मानना चाहिए। और फिर क्या उम्मीद है?
 
मुझे यह बात बहुत दुखद लग रही है... सारा लेडी डॉक्टर के इस दुःखनाक घटना को सुनकर मैं नश्चित ही चिंतित महसूस कर रहा हूँ। राहुल गांधी जी की बात बिल्कुल सही है... आत्महत्या नहीं, बल्कि हमारे देश में कानून की स्थिति तो बहुत खराब है। जैसे ही सत्ता वाले लोग अपनी शक्ति का दुरुपयोग करने लगे, न्याय की उम्मीद अब कहाँ रह गई? 🤕 हमारे देश में न्याय सिस्टम को मजबूत बनाने की जरूरत है, जहां कोई भी आरोपी अच्छे-बुरे दोनों का परख ले। 🚫
 
राहुल गांधी जी द्वारा सतारा लेडी डॉक्टर सुसाइड केस में यह बात जरूर है... आत्महत्या तो नहीं है, लेकिन हम सोचते हैं कि यह सब सरकार की गलतियों से निकल रहा है। जब तानाशाही की स्थिति बन जाए तो कैसे हमें उम्मीद करनी चाहिए? सरकार द्वारा ऐसी गलतियाँ निकाली जा रही हैं और तब व्यक्तिगत लोगों पर यह जिम्मेदारी कौन लेगा?
 
राहुल गांधी के इस बयान से पहले तो मैंने कहा, "वह सोचता है कि यह दंगाई प्रतिनिधित्व कर रहे हैं"। लेकिन जब उन्होंने आत्महत्या नहीं कहा, तो बिल्कुल सही किया। यह न किसी की हत्या है, न कोई आत्महत्या। यह संस्थागत हत्या है जिसके लिए हमें सीधे जवाब देना चाहिए।

उस घटना में जिन लोगों को पता था, उनके खिलाफ शुरू करें तो दंगाइयों ने ऐसा नहीं किया। इसलिए, मैं कहूंगा कि इसके पीछे कुछ और ही है। हमें अपने सिस्टम पर सवाल उठाना चाहिए।
 
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