दिल्ली के लालकिले पर हुए कार ब्लास्ट मामले में सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या यह एक फिदायीन (आत्मघाती) हमला था। शुरुआती जांच में दिल्ली पुलिस ने इसे एक आतंकवादी हमले की आशंका को मजबूत करने के लिए पुलवामा कनेक्शन मिला था, लेकिन CCTV फुटेज से यह पता चलता है कि कार में तीन लोग बैठकर जाते दिखे, जिससे इस थ्योरी को कमजोर हो गया है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'आमतौर पर फिदायीन हमलों में एक या दो हमलावर होते हैं, तीन नहीं। अगर कार में तीन लोग थे, तो सभी के आत्मघाती हमलवार होने की संभावना बहुत कम है।' यह सवाल अब दिल्ली पुलिस और जांच एजेंसियों के बीच एक विवादास्पद मुद्दा बन गया है।
क्या यह धमाका गलती से हुआ या फिदायीन हमला था, यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है। जांच एजेंसियों ने बताया है कि कार सवार किससे संपर्क में थे और क्या वे असली प्लान से अनजान थे। फॉरेंसिक सबूत और मोबाइल नेटवर्क से मिले डंप डेटा की मदद से जांच एजेंसियों ने यह पता लगाने की कोशिश की है कि कार सवार लालकिले को कैसे चुनने की योजना बनाई थी।
रेड फोर्ट के पास धमाके संजोग या साजिश का संदेह बढ़ गया है, जिससे यह शक है कि लोकेशन जानबूझकर चुनी गई हो सकती है। लेकिन अभी तक कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिल पाया है। यह धमाका अब एक बड़ी पहेली बन गया है, जिसका उत्तर दिल्ली पुलिस और जांच एजेंसियों के बीच होगा।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'आमतौर पर फिदायीन हमलों में एक या दो हमलावर होते हैं, तीन नहीं। अगर कार में तीन लोग थे, तो सभी के आत्मघाती हमलवार होने की संभावना बहुत कम है।' यह सवाल अब दिल्ली पुलिस और जांच एजेंसियों के बीच एक विवादास्पद मुद्दा बन गया है।
क्या यह धमाका गलती से हुआ या फिदायीन हमला था, यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है। जांच एजेंसियों ने बताया है कि कार सवार किससे संपर्क में थे और क्या वे असली प्लान से अनजान थे। फॉरेंसिक सबूत और मोबाइल नेटवर्क से मिले डंप डेटा की मदद से जांच एजेंसियों ने यह पता लगाने की कोशिश की है कि कार सवार लालकिले को कैसे चुनने की योजना बनाई थी।
रेड फोर्ट के पास धमाके संजोग या साजिश का संदेह बढ़ गया है, जिससे यह शक है कि लोकेशन जानबूझकर चुनी गई हो सकती है। लेकिन अभी तक कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिल पाया है। यह धमाका अब एक बड़ी पहेली बन गया है, जिसका उत्तर दिल्ली पुलिस और जांच एजेंसियों के बीच होगा।