LIC Row: पूर्व एलआईसी अध्यक्ष ने खारिज किया वाशिंगटन पोस्ट का दावा, कहा-सरकार निवेश के फैसले पर दखल नहीं देती

वाशिंगटन पोस्ट ने एलआईसी से 3.9 अरब डॉलर में अदाणी समूह के स्वामित्व वाली कंपनियों में निवेश करने का आरोप लगाया है। लेकिन एलआईसी के पूर्व चेयरमैन सिद्धार्थ मोहंती ने इस रिपोर्ट को गलत बताया है और कहा है कि सरकार एलआईसी के निवेश निर्णयों में कोई भूमिका नहीं लेती।

एलआईसी ने आरोपों को झूठा और निराधार बताया है। उन्होंने कहा है कि वित्तीय सेवा विभाग या किसी अन्य निकाय की ऐसे निर्णयों में कोई भूमिका नहीं होती।

वाशिंगटन पोस्ट ने दावा किया था कि बीमा कंपनी के निवेश निर्णय बाहरी कारकों से प्रभावित होते हैं। लेकिन एलआईसी ने कहा है कि उनके निवेश निर्णय में कोई भी बाहरी दबाव नहीं आया।

एलआईसी ने रिपोर्टिंग को धूमिल करने के लिए किया था, जिसमें कहा गया है कि सरकार एलआईसी के निवेश निर्णयों में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हस्तक्षेप नहीं करती।
 
मैंने देखा था यह सब, लेकिन मुझे लगता है कि एलआईसी हमेशा ऐसा ही कह देगा। वे तो सरकार के नियंत्रण से बाहर होने का दावा करते हैं, लेकिन क्या वास्तविकता उनके पास है? मुझे लगता है कि उन्हें अपने निवेश निर्णयों पर जिम्मेदारी लेनी चाहिए, लेकिन फिर भी मैं समझ नहीं पाया कि वाशिंगटन पोस्ट के दावों को सच्चाई से मिलेगा।
 
लोगो वाशिंगटन पोस्ट को फ़ुर्सत देना चाहिए, लेकिन आरोप लगाने से पहले सबकुछ ध्यान से पढ़ना चाहिए। एलआईसी ने यह बात कही है और सरकार ने भी कही है कि वो इन निवेशों में आफ़मारती नहीं हैं। लेकिन फिर वाशिंगटन पोस्ट ने यह दावा किया है कि सरकार एलआईसी के निवेश निर्णयों में आफ़मारती है। तो यह देखने के लिए ही मैं इन दोनों की रिपोर्ट्स पढ़ने जा रहा हूँ। 🤔💡
 
मैंने पढ़ा है यह बात, लेकिन लगता है सरकार को बहुत बड़ा भाईचारा हो गया है। एलआईसी ने कहा है कि वित्तीय सेवा विभाग या किसी अन्य निकाय की ऐसे निर्णयों में कोई भूमिका नहीं होती, लेकिन यह तो बहुत अजीब लग रहा है।
 
नम से, मैं तो समझता हूँ कि क्या हुआ. यह रिपोर्ट सच्ची क्या है? मेरी बात यह है कि एलआईसी ने अपने निवेश निर्णयों पर सच्चाई बताई है। लेकिन मुझे लगता है कि वाशिंगटन पोस्ट ने थोड़ी भ्रामक रिपोर्ट बनाई है। हमें यह जानने की जरूरत नहीं है कि सरकार ने एलआईसी को कहां बुलावा दिया, लेकिन फिर भी उनके निवेश निर्णयों पर प्रभाव पड़ सकता है। मैं समझता हूँ कि यह रिपोर्ट धूमिल करने के लिए बनाई गई है, लेकिन हमें सच्चाई बतानी चाहिए। 😐
 
मैंने पढ़ा यह खेद जो वाशिंगटन पोस्ट ने एलआईसी पर लगाया है, लेकिन मुझे लगता है कि आरोप बहुत ही गंभीर हैं...
क्या ऐसा सच है कि सरकार हमेशा से रही है? और एलआईसी को पूरी तरह से निष्क्रिय क्यों कह दिया गया? मुझे लगता है कि यह रिपोर्ट पढ़ने के बाद बहुत से लोगों को यह सवाल आया होगा।
मैंने एलआईसी से कभी नहीं बाता है, लेकिन मुझे लगता है कि वे जैसे हमारे देश की बड़ी और महत्वपूर्ण कंपनियों में से एक हैं।
 
अरे, यह तो बहुत दुखद है... एलआईसी पर वाशिंगटन पोस्ट के आरोप का मतलब है कि सरकार में और भी लोगों के बीच घोटाले हो रहे हैं। यानी, जब तक हम अपने देश में चोरी होती है, तब तक विदेश में चोरी नहीं होती। यह तो बहुत पागल है...
 
मेरा विचार है कि ये सब तो एक बड़ा चोरी है 🤑। एलआईसी के निवेश निर्णयों में सरकार की भूमिका को पूरी तरह से नकारना और कहना कि वे अपने निवेश के बारे में ज्यादा नहीं जानते तो बहुत अजीब लग रहा है।

मुझे लगता है कि सरकार को एलआईसी से कोई भी पैसा नहीं मिला होगा। लेकिन एलआईसी के पूर्व चेयरमैन सिद्धार्थ मोहंती जी ने सच्चाई बताई है, यानी सरकार को एलआईसी के निवेश निर्णयों में कोई भूमिका नहीं होती।

लेकिन यह तो बहुत अजीब है कि वाशिंगटन पोस्ट ने इतने बड़े आरोप लगाए हैं। क्या वे जानते हैं कि एलआईसी के निवेश निर्णयों में कितनी भारी दबाव आता है?

मुझे लगता है कि यह रिपोर्ट तो एक बड़ा हिस्सेदारी है।
 
यह तो बहुत बड़ा मुद्दा है, लेकिन लगता है कि एलआईसी ने अपने दावे में वास्तविकता को पकड़ लिया है। सरकार और वित्तीय सेवा विभाग को ऐसे निर्णयों में कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए। यह तो केवल एलआईसी के प्रबंधन की जिम्मेदारी है, उनके द्वारा लिया गया निवेश निर्णय। और अगर वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट में कुछ सच्चाई है तो भी यह एलआईसी के द्वारा अपने संगठन को बचाने की कोशिश करने की तरह लगता है। लेकिन फिर भी, एलआईसी के पूर्व चेयरमैन की बात में सच्चाई होने की संभावना अधिक है, तो दूसरों पर इस मामले में विश्वास करना आसान नहीं है। 🤔
 
ਇਹ ਰिपोर्ट बिल्कुल भ्रामक है! 👎 ਆम तौर पर एलआईसी कੇ नਿਵੇਸ਼ ਨਿਰਣਯਾਂ 'ਚ ਕੋਈ ਹਥਿਆਓਲਤ ਨਹੀਂ ਦਿੱਸਦੀ, ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਰਿਪੋਰਟ 'ਚ ਦਾਅਵਾ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ। ਇਸ ਬਾਰੇ ਕੌਣ ਜਾਣਦਾ ਹੈ ਕਿ ਫੌਜ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ 'ਚ ਆਏ ਸਿਆਸੀ ਪ੍ਰਭਾਵ?
 
🌟 तो यह सच है की एलआईसी ने अपने निवेश निर्णय में सरकार को फंसाया है। लेकिन फिर भी मुझे लगता है कि हमें जानने की जरूरत नहीं की सरकार ने क्या कहा। क्योंकि एलआईसी की यह बात भी सच हो सकती है, कि वे अपने निवेश निर्णय में स्वतंत्र रहें। लेकिन फिर भी, हमें यह नहीं चुनना चाहिए की हम सरकार के दखल की राशि लेते जा रहे हैं। 🙏
 
मैंने देखा है कि वाशिंगटन पोस्ट जैसे अखबार हमेशा सरकार और बड़े ऑर्गेनाइजेशन्स को धोखा देते हैं। एलआईसी ने सच्चाई बताई है, लेकिन मुझे लगता है कि कुछ लोग सरकार से तालमेल नहीं रखते। मैंने 90 के दशक में एलआईसी की विविधीकरण योजना पर बात की थी, और फिर उसे सफल बनाया गया था। लेकिन अब यह सब बदल गया है, हर चीज़ पुरानी हो गई है।
 
मुझे यह लग रहा है कि वाशिंगटन पोस्ट ने एलआईसी के खिलाफ बहुत तेजी से हमला किया है। लेकिन मैं सोचता हूँ कि उनके आरोपों को देखने से पहले हमें पता करना चाहिए कि वाशिंगटन पोस्ट ने यह रिपोर्ट कहाँ से आयी और उन्होंने एलआईसी के खिलाफ इतनी तेजी से हमला क्यों किया। मुझे लगता है कि सरकार को ये आरोपों पर जवाब देने का समय आ गया है, लेकिन मैं सोचता हूँ कि हमें एलआईसी के खिलाफ बहुत जल्दी हमला करने की जरूरत नहीं है।
 
क्या बिल्कुल! यह वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट बहुत अच्छी लग रही है और मैंने इस पर एक्सप्लेन करने का फैसला किया। एलआईसी ने सरकार से हमेशा दूर रहने का आश्वासन दिया था, लेकिन लगता है कि वे अब अपने पैसों को बचाने के लिए सिर्फ-तौर पर सुरक्षित जगह ढूंढ रहे हैं। और यह सच है कि एलआईसी के निवेश निर्णय में बाहरी दबाव आ सकता है, हमें नहीं पता कि वाशिंगटन पोस्ट क्या जानता है। लेकिन मुझे लगता है कि सरकार से एलआईसी दूर रहने की जरूरत नहीं थी, खासकर जब उनके पैसों को बचाने के लिए निवेश करना शुरू हुआ।
 
अरे यह लापरवाही तो दिल को ठीक नहीं करेगी। एलआईसी ने अपने निवेश निर्णयों में सरकार का कोई भी हाथ नहीं दिखाया, लेकिन वाशिंगटन पोस्ट जैसी पत्रिका तो हमेशा ऐसा ही दिखाती रहती है। government ko nahi isse koi damage ho raha hai?
 
मेरे दोस्त, यह तो बहुत बड़ा मामला है! क्या एलआईसी को पता है कि वाशिंगटन पोस्ट ने उनकी गले लगाई है? लेकिन मुझे लगता है कि वास्तविकता तो और भी जटिल है। हमें नहीं समझना चाहिए कि सरकार कितनी शक्तिशाली है, लेकिन क्या हम उन्हें नियंत्रित नहीं कर सकते? मुझे लगता है कि एलआईसी ने सही से कहा है, लेकिन फिर भी यह सवाल उठता है कि क्या वास्तव में सरकार पीछे छूट गई है? 🤔📈
 
अरे, यह तो बहुत बड़ी चाल है! वाशिंगटन पोस्ट ने एलआईसी पर इतनी बड़ी बातें की दी, लेकिन अब एलआईसी ने कह दिया कि ये सब झूठा है 🙄। लेकिन मुझे लगता है कि सरकार और एलआईसी को अपने निवेश निर्णयों पर बात करने से पहले एक-दूसरे की ट्रैक रिकॉर्ड देखनी चाहिए। अगर सच्चाई निकले, तो यह बहुत ही बड़ी खेद होगा 🤦‍♂️
 
अरे, यह तो बहुत बड़ी बात है! लेकिन लगता है कि एलआईसी ने सच्चाई कह दी है। सरकार वाकई एलआईसी पर इतना दबाव डाल नहीं सकती। और वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट तो क्या किसान की बेटी को खिलौना है? ऐसे लोगों ने भी कभी नहीं सोचा कि सरकार को हमेशा इतनी मुश्किल में रखना चाहिए।
 
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