मिठाइयों पर लगाने वाले वर्क का पीछे क्या रहस्य है? यह जानने की जरूरत है कि सोने-चांदी की चमक मात्र सजावट नहीं है, बल्कि इसका सदियों पुराना इतिहास भी है।
आयुर्वेद और औषधीय महत्व
प्राचीन आयुर्वेद में सोने और चांदी को शक्तिशाली उपचार गुणों वाले माने जाते थे। चांदी रोगाणुरोधी गुणों के लिए पहचानी जाती है और शरीर को ठंडक पहुंचाने के साथ-साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करती है। मिठाइयों पर लगाने से यह जीवाणुओं के विकास को रोक कर उन्हें सुरक्षित रखने में भी मदद करती है। इसी के साथ सोना जीवन शक्ति और दीर्घायु का प्रतीक माना जाता है, शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है और साथ ही ताकत को भी बढ़ता है।
मुगलों से जुड़ा इतिहास
ऐसा कहा जाता है कि मिठाइयों पर सोने और चांदी का वर्क लगाने की परंपरा सबसे पहले मुगल काल में शुरू हुई थी। अपने भव्य स्वाद के लिए प्रसिद्ध मुगल बादशाह अपनी समृद्धि और भव्यता का प्रदर्शन करने के लिए शाही भोजन को सोने और चांदी से मढ़े बर्तनों से सजाते थे।
धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
भारत में वर्क सिर्फ सजावटी नहीं है, बल्कि यह पवित्रता, समृद्धि और शुभता का प्रतीक है। हर त्योहार पर चांदी से मढ़ी मिठाइयां अक्सर प्रसाद के रूप में चढ़ाई जाती हैं। जैन धर्म में भी चांदी के वर्क का इस्तेमाल मंदिर की मूर्तियों और पवित्र वस्तुओं को सजाने के लिए किया जाता है।
वर्क बनाने की कला
वर्क बनाना एक जटिल प्रक्रिया थी। चर्मपत्र की परतों के बीच छोटे धातु के टुकड़े को रखकर उन्हें तब तक पीटा जाता था जब तक वह सोने या चांदी की पतली चादरों के रूप में नहीं बन जाती थी। यह प्रक्रिया तब तक चलती थी जब तक वे लगभग पारदर्शी ना हो जाएं। इसके बाद एक नाजुक और खाने योग्य चादर बनती थी जिसे भोजन के ऊपर सजाया जाता था।
आयुर्वेद और औषधीय महत्व
प्राचीन आयुर्वेद में सोने और चांदी को शक्तिशाली उपचार गुणों वाले माने जाते थे। चांदी रोगाणुरोधी गुणों के लिए पहचानी जाती है और शरीर को ठंडक पहुंचाने के साथ-साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करती है। मिठाइयों पर लगाने से यह जीवाणुओं के विकास को रोक कर उन्हें सुरक्षित रखने में भी मदद करती है। इसी के साथ सोना जीवन शक्ति और दीर्घायु का प्रतीक माना जाता है, शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है और साथ ही ताकत को भी बढ़ता है।
मुगलों से जुड़ा इतिहास
ऐसा कहा जाता है कि मिठाइयों पर सोने और चांदी का वर्क लगाने की परंपरा सबसे पहले मुगल काल में शुरू हुई थी। अपने भव्य स्वाद के लिए प्रसिद्ध मुगल बादशाह अपनी समृद्धि और भव्यता का प्रदर्शन करने के लिए शाही भोजन को सोने और चांदी से मढ़े बर्तनों से सजाते थे।
धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
भारत में वर्क सिर्फ सजावटी नहीं है, बल्कि यह पवित्रता, समृद्धि और शुभता का प्रतीक है। हर त्योहार पर चांदी से मढ़ी मिठाइयां अक्सर प्रसाद के रूप में चढ़ाई जाती हैं। जैन धर्म में भी चांदी के वर्क का इस्तेमाल मंदिर की मूर्तियों और पवित्र वस्तुओं को सजाने के लिए किया जाता है।
वर्क बनाने की कला
वर्क बनाना एक जटिल प्रक्रिया थी। चर्मपत्र की परतों के बीच छोटे धातु के टुकड़े को रखकर उन्हें तब तक पीटा जाता था जब तक वह सोने या चांदी की पतली चादरों के रूप में नहीं बन जाती थी। यह प्रक्रिया तब तक चलती थी जब तक वे लगभग पारदर्शी ना हो जाएं। इसके बाद एक नाजुक और खाने योग्य चादर बनती थी जिसे भोजन के ऊपर सजाया जाता था।