'मैं उम्मीद करता हूं कि ऑपरेशन सिंदूर...', नौगाम ब्लास्ट- आतंकी मॉड्यूल के भंडाफोड़ पर फारूक अब

फारूक अब्दुल्ला ने एक ही दिन में दो विवादित बयान दिए हैं, जिनके बारे में कई सवाल उठते हैं। पहला, उन्होंने व्हाइट टेरर मॉड्यूल में पकड़े गए आतंकवादियों को लेकर कहा, जिसमें उनका कहना था कि जिम्मेदार लोगों से पूछना चाहिए कि इन डॉक्टरों ने यह रास्ता अपनाने क्यों? क्या कारण था?

अब्दुल्ला ने कहा, 'जो समझते हैं विस्फोटकों में बात करें, उन्हें पहले से ही बात करनी चाहिए थी। हमने इसका इलाज नहीं किया।' यह बयान ऑपरेशन सिंदूर के संदर्भ में दिया गया है, जहां उन्होंने कहा है कि जांच में पता चलेगा कि आखिर डॉक्टर ने यह रास्ता अपनाया था।

इसके अलावा, अब्दुल्ला ने श्रीनगर स्टेशन के स्टोर रूम में हुए विस्फोट पर भी चिंता जताई। उन्होंने उन अधिकारियों की आलोचना की, जिन्होंने इन विस्फोटक सामान का गलत प्रबंधन किया था। इस हादसे में 9 लोग मारे गए थे, और अब्दुल्ला ने कहा, 'यह हमारी गलती थी।'

अब्दुल्ला ने दिल्ली ब्लास्ट की घटना पर भी संबंध जोड़ा। उन्होंने कहा है कि कश्मीर के लोगों पर उंगली उठाई जा रही है, और वह दिन कब आएगा जब वे यह स्वीकार करेंगे कि वे भारतीय हैं और इसके लिए जिम्मेदार नहीं?
 
अरे, ये फारूक अब्दुल्ला को लगने वाली बहुत बड़ी समस्या है। पहले उन्होंने आतंकवादियों को लेकर बयान दिया, जहां उन्होंने डॉक्टरों को जिम्मेदार ठहराया। लेकिन फिर उनका यह बयान ऑपरेशन सिंदूर से संबंधित था, जिसमें उन्होंने कहा कि विस्फोटकों में बात करने वाली लोग पहले से ही बात करनी चाहिए थी। यह बहुत अजीब लगता है। और फिर उन्होंने श्रीनगर स्टेशन के स्टोर रूम में हुए विस्फोट पर भी चिंता जताई, जहां उन्होंने उन अधिकारियों की आलोचना की, जिन्होंने इन विस्फोटक सामान का गलत प्रबंधन किया था। यह एक बहुत बड़ी समस्या है, और हमें इसके बारे में बहुत सोचते रहना चाहिए। **😬**
 
भाइयों/बहनों 🤝, फारूक अब्दुल्ला के बयान देखने के बाद मुझे लगता है कि उन्हें अपनी भावनाओं पर सोचना चाहिए। ऑपरेशन सिंदूर के बाद उनके बयान से लोगों को बहुत निराशा महसूस हुई। अगर उन्होंने विस्फोटकों में बात करनी थी, तो पहले से ही ऐसा कहना चाहिए था। यही हमारी सरकार भी जानती है, लेकिन अब्दुल्ला का बयान और भी गंभीर है।

इसके अलावा, श्रीनगर स्टेशन के विस्फोट पर उनकी आलोचना करना सही नहीं था। अगर उन अधिकारियों ने गलत प्रबंधन किया है, तो उन्हें जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए, लेकिन आलोचना करने से हमें कुछ नहीं मिलता।

अब्दुल्ला के दिल्ली ब्लास्ट के बयान से मुझे लगता है कि उन्हें अपने शब्दों पर विचार करना चाहिए। कश्मीर के लोगों पर उंगली उठाना सही नहीं है। हमें उनकी जिन्दगी और स्वीकृति का सम्मान करना चाहिए, न कि उन्हें भारतीय नहीं कहना।
 
मुझे लगता है कि फारूक अब्दुल्ला को अपने बयान देने से पहले थोड़ा समय लेना चाहिए। वह कह रहे हैं कि जिम्मेदार लोगों से पूछना चाहिए, लेकिन क्या उन्हें नहीं पता कि यह सवाल पहले से ही मिल जाएगा। इसके अलावा, उनका बयान ऑपरेशन सिंदूर की घटना पर था, लेकिन उन्होंने वास्तविकता को बदल दिया है।

मुझे लगता है कि श्रीनगर स्टेशन के विस्फोट के बारे में उनकी आलोचना सही है, लेकिन यह भी सवाल उठता है कि क्या उन्होंने इस पर अच्छे से जांच पूरी की थी। और दिल्ली ब्लास्ट की घटना पर जुड़ना उनके बयान को और भी जटिल बनाता है।
 
अरे, ये अब्दुल्ला फारूक बहुत बड़ी बातें कर रहे हैं। पहले तो उन्होंने आतंकवादियों को डॉक्टरों से पूछने की बात कही, लेकिन मैं तो सोचता हूँ कि अगर वे इतने समझदार होते, तो फिर वे सिर्फ बात करने निकल जाएंगे। लेकिन नहीं, ये देख रहे हैं कि उनकी बातें हाई प्रोफाइल हैं, और हम सब उनकी बातों पर गले लगने लगते हैं।

अब, ऑपरेशन सिंदूर की बात करें, तो मुझे लगता है कि यह बहुत बड़ी जानकारी है। लेकिन फारूक अब्दुल्ला ने इतनी जानकारी देने से पहले, उन्हें थोड़ा विचलित होने दें, ताकि हम उनकी बातों पर ध्यान से सोचने का मौका मिले।
 
अब्दुल्ला जी के बयान पर मेरा मन मोहित हो गया है 🤔। एक तरफ़ उन्होंने आतंकवादियों के बारे में कुछ कहने की कोशिश की, लेकिन दूसरी तरफ़ उन्होंने कश्मीर के लोगों पर कहा, 'यह हमारी गलती थी।' 🤷‍♂️ यह तो एक दिलचस्प बिंदु है।

अब जब मैं इस बात पर विचार करता हूँ कि क्या हमें आतंकवादियों के साथ सहानुभूति रखनी चाहिए या नहीं, तो मुझे लगता है कि यह एक जटिल मुद्दा है। 🤯 लेकिन जब आपातकालीन परिस्थितियों में ऐसा कहने की कोशिश करते हैं तो यह अच्छा नहीं लगता।

मेरा विचार है कि हमें आतंकवाद से निपटने के लिए एक मजबूत रणनीति बनानी चाहिए। 📈 इससे हमें आतंकवादियों को अपने संदेश को फैलाने से रोकने में मदद मिलेगी।
 
यह तो बहुत बड़ा सवाल है कि फारूक अब्दुल्ला क्यों ऐसी बातें कहते हैं। पहले उन्होंने आतंकवादियों को लेकर कहा, 'जिम्मेदार लोगों से पूछना चाहिए'। लेकिन क्या यह सही सवाल है? क्या हम दोनों पक्षों को समझने के लिए बोल रहे हैं या फिर कुछ और? 🤔

और फिर उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर की जांच में कहा, 'जो समझते हैं विस्फोटकों में बात करें, उन्हें पहले से ही बात करनी चाहिए थी।' लेकिन यह तो कितना सच्चा कह सकते हैं? हमारे पास इतने ज्ञानी और अनुभवी लोग हैं, लेकिन फिर भी ऐसी घटनाएं होती रहती हैं। 🙄

मुझे लगता है कि हमें अपने अधिकारियों पर चर्चा करनी चाहिए, न कि विस्फोटक सामान को जिम्मेदार ठहराना। और कश्मीर के लोगों पर उंगली उठाने से क्या फायदा है? 🤷‍♂️
 
फारूक अब्दुल्ला के बयान से तो लगता है कि उनकी पकड़ में खुद को बहुत कमजोर होना पड़ा है। पहले, उन्होंने आतंकवादियों को लेकर बयान दिया जिसमें पूछने की बात कहीं नहीं थी। और फिर ऑपरेशन सिंदूर के बारे में कहा। अब यह सवाल उठता है कि अगर उन्हें पता था कि डॉक्टरों ने इतना रास्ता अपनाया, तो फिर वह ऐसी चीजें नहीं कहते।

और श्रीनगर स्टेशन पर हुए विस्फोट के बारे में, अब्दुल्ला ने उनकी आलोचना की लेकिन यह भी सवाल उठता है कि अगर उन्होंने इतना रास्ता अपनाया, तो फिर ऐसा करने से पहले वाकिफ थे?

और दिल्ली ब्लास्ट की घटना पर, अब्दुल्ला ने कहा कि कश्मीर के लोगों पर उंगली उठाई जा रही है। लेकिन यह भी सवाल उठता है कि अगर वे खुद इतने मजबूत होते, तो फिर ऐसा बयान नहीं करते।

मुझे लगता है कि अब्दुल्ला के बयान से हमें कुछ सबक मिलने चाहिए।
 
आबादी को निशाना बनाया गया है और फिर तो दावा होता है कि आतंकवादियों ने जिम्मेदारी स्वीकार कर ली। दो-तीन साल पहले भी ऐसे बयान डॉक्टर विपिन कumar ने दिए थे, और देखा गया था। अब फारूक अब्दुल्ला तो कह रहे हैं कि जिम्मेदार लोगों से पूछना चाहिए? परंतू यह नहीं पता चलेगा कि उन्हें विशेष रूप से क्यों मानकर काम करना है? 🤔

ऑपरेशन सिंदूर की जांच में देखने को मिलेगा कि आखिर डॉक्टर ने अपने आप को कहीं गलत पहुंचाया था। और श्रीनगर स्टेशन के विस्फोट पर अब्दुल्ला की आलोचना करनी चाहिए? यह तो उसकी खुद की दोषभर्ती है। 🚫

अब्दुल्ला ने कहा है कि कश्मीर के लोग भारतीय हैं और इसके लिए जिम्मेदार नहीं? लेकिन देखकर यह अच्छा लगता है कि वो भी अपने ही बेटों को आतंकवादी बताकर खुद को बदनाम कर रहे हैं। 😒
 
दुःखद बातें होने लगी हैं, फारूक अब्दुल्ला से दो बयान निकले हैं। पहले, उन्होंने आतंकवादियों को लेकर कहा है कि जिम्मेदार लोगों से पूछना चाहिए। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वे अपनी गलती में शामिल नहीं थे।

और फिर, ऑपरेशन सिंदूर के बाद उन्होंने कहा है कि जो समझते हैं विस्फोटकों में बात करें, उन्हें पहले से ही बात करनी चाहिए थी। यह बयान बहुत दुखद है, और इसका मतलब यह है कि हमारी पुलिस की तैयारी नहीं हुई।

और सबसे ज्यादा, श्रीनगर स्टेशन में विस्फोट पर उन्होंने कहा है कि यह हमारी गलती थी। लेकिन फिर भी, उन्होंने सरकार को आरोप लगाया है कि वे कश्मीर के लोगों के साथ गलत व्यवहार कर रहे हैं। यह बहुत दुखद बात है, और मुझे लगता है कि हमें अपनी गड़भड़ापन पर विचार करना चाहिए।

😔💔
 
बहुत सोचा जाए, फारूक अब्दुल्ला के बयानों पर. पहले, जब उन्होंने कहा, 'जो समझते हैं विस्फोटकों में बात करें, उन्हें पहले से ही बात करनी चाहिए थी। हमने इसका इलाज नहीं किया।' तो यह बहुत ही गंभीर बयान है। यह एक तरह से आतंकवादियों के दिमाग को समझने की कोशिश करता है, लेकिन लगता है कि वे हालात को बेहतर समझ नहीं पाए।

और फिर, जब उन्होंने श्रीनगर स्टेशन के स्टोर रूम में हुए विस्फोट पर बोला, तो यह एक बहुत बड़ी चिंता की बात है। उनकी आलोचना अधिकारियों की कुछ तुरंत करनी चाहिए, क्योंकि उन्होंने विस्फोटक सामान का गलत प्रबंधन किया, जिससे 9 लोगों की जान गई।

लेकिन सबसे बुरी बात यह है कि अब्दुल्ला ने दिल्ली ब्लास्ट की घटना पर भी संबंध जोड़ा। जब उन्होंने कहा, 'कश्मीर के लोगों पर उंगली उठाई जा रही है, और वह दिन कब आएगा जब वे यह स्वीकार करेंगे कि वे भारतीय हैं और इसके लिए जिम्मेदार नहीं?' तो यह एक बहुत बड़ा मुद्दा है। क्या कश्मीर के लोगों को अपनी पहचान स्वीकार करने के लिए मजबूर किया जाना चाहिए?
 
फारूक अब्दुल्ला को यह बयान सुनकर मुझे थोड़ा आश्चर्य हुआ। पहले तो मुझे लगा कि वे अपनी स्थिति को समझ रहे हैं, लेकिन फिर दूसरा बयान आया और अब मुझे कुछ सवाल हैं। क्या वास्तव में उन्होंने कहा है कि जिम्मेदार लोगों से पूछना चाहिए कि उन डॉक्टरों ने यह रास्ता अपनाने क्यों? और क्या उनकी बात से हम समझेंगे कि विस्फोटकों में बात करने वाले लोगों को पहले से ही बात करनी चाहिए थी?

और यह बयान ऑपरेशन सिंदूर के संदर्भ में दिया गया है, जहां उन्होंने कहा है कि जांच में पता चलेगा कि आखिर डॉक्टर ने यह रास्ता अपनाया था। लेकिन मुझे लगता है कि इस पर विस्तार से चर्चा करनी चाहिए, ताकि हम समझ सकें कि यह कहां जा रहा है।

फिर श्रीनगर स्टेशन के स्टोर रूम में हुए विस्फोट पर भी उनकी बात समझने में मुश्किल हो रही है। उन्होंने उन अधिकारियों की आलोचना की, जिन्होंने इन विस्फोटक सामान का गलत प्रबंधन किया था। लेकिन यह सवाल उठता है कि क्या हम उनकी आलोचना से समस्या हल कर सकते हैं? और क्या हमें उम्मीद करनी चाहिए कि वे इस तरह की घटनाओं में भाग लेने वाले लोगों को रोक सकेंगे।
 
मुझे लगता है कि फारूक अब्दुल्ला की बोलियों पर बहुत से सवाल उठते हैं। उन्होंने व्हाइट टेरर मॉड्यूल में पकड़े गए आतंकवादियों को लेकर कहा, जिसमें उनका कहना था कि जिम्मेदार लोगों से पूछना चाहिए कि इन डॉक्टरों ने यह रास्ता अपनाने क्यों? लेकिन उन्होंने कहा है कि जो समझते हैं विस्फोटकों में बात करें, उन्हें पहले से ही बात करनी चाहिए थी। यह बयान ऑपरेशन सिंदूर के संदर्भ में दिया गया है, जहां उन्होंने कहा है कि जांच में पता चलेगा कि आखिर डॉक्टर ने यह रास्ता अपनाया था। 🤔

मुझे लगता है कि फारूक अब्दुल्ला की आलोचना करने से पहले हमें उस पर सवाल उठाने चाहिए। उन्होंने कहा है कि जांच में पता चलेगा कि आखिर डॉक्टर ने यह रास्ता अपनाया था, लेकिन अगर हमें पहले से ही बात करनी चाहिए थी, तो फारूक अब्दुल्ला क्यों नहीं कह रहे थे? 🤷‍♂️

मुझे लगता है कि श्रीनगर स्टेशन के स्टोर रूम में हुए विस्फोट पर भी बहुत ज्यादा चिंता जताई गई है। फारूक अब्दुल्ला ने उन अधिकारियों की आलोचना की, जिन्होंने इन विस्फोटक सामान का गलत प्रबंधन किया था। लेकिन मुझे लगता है कि अगर हमें पहले से ही बात करनी चाहिए थी, तो फारूक अब्दुल्ला क्यों नहीं कह रहे थे? 🤔

कश्मीर के लोगों पर उंगली उठाई जा रही है, और वह दिन कब आएगा जब वे यह स्वीकार करेंगे कि वे भारतीय हैं और इसके लिए जिम्मेदार नहीं? मुझे लगता है कि हमें इस पर अधिक चर्चा करनी चाहिए। 🤝
 
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