मुंबई में बंधक कांड ने पूरे महाराष्ट्र को हिला दिया, जब एक ठेकेदार ने 17 बच्चों और दो वयस्कों को बंधक बनाकर उन्हें स्टूडियो में ले गया। फिर पुलिस ने घंटों की कोशिश के बाद सभी को सुरक्षित छुड़ा लिया लेकिन रोहित आर्य, जो इस घटना में शामिल था, को गोली लगने और अस्पताल में मरने के बाद ही पुलिस ने अपने बच्चों को छुड़ाया।
पूरे मामले को संबंधित होने वाले सवाल इस प्रकार हैं- यह घटना सरकार की गैरजिम्मेदारियों का परिणाम है। राज्य सरकार ने ठेकेदारों के बिलों को देने में भी देरी की, जिससे आर्थिक संकट से ग्रस्त लोग अपनी जान गवाएं।
इस घटना ने पूरे महाराष्ट्र को हिला दिया। ठेकेदार ने ऑडिशन के बहाने बच्चों को बुलाया, फिर उन्हें स्टूडियो में बंधक बनाकर रखा, जिससे उसकी गिरफ्तारी की पूरी कोशिश की गई लेकिन आखिर तय हुआ उसे शांति करने का तरीका ढूंढना पड़ा।
इस घटना पर विपक्ष नेताओं ने सरकार से कई सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि अगर आज कोई मासूम बच्चा मर जाता, तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेता? शिक्षा मंत्री, राज्य सरकार या महायुति सरकार?
पूरे मामले को देखते हुए विपक्ष नेताओं ने कहा है कि यह घटना सरकार की नैतिक और प्रशासनिक नाकामी का एक साफ़ नतीजा है।
इस घटना ने दिखाया है कि कानून व्यवस्था चरमरा चुकी है। इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए मुख्यमंत्री, जो गृह विभाग भी संभाल रहे हैं, उन्हें तत्काल इस्तीफा देना चाहिए।
पूरे मामले पर चर्चा करते समय, एमएनएस नेता बाला नंदगांवकर ने कहा है कि अगर आरोपी ने पुलिस पर गोली चलाई होती, तो पुलिस एनकाउंटर करेगी। इसकी जांच भी हो जाएगी।
इस मामले से यह सवाल उठता है कि क्या सरकार की गैरजिम्मेदारियों ने इस तरह की घटनाओं को बढ़ावा देने का मौका मिला।
अंत में, पुलिस ने बहादुरी और त्वरित कार्रवाई करते हुए सभी 19 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला।
पूरे मामले को संबंधित होने वाले सवाल इस प्रकार हैं- यह घटना सरकार की गैरजिम्मेदारियों का परिणाम है। राज्य सरकार ने ठेकेदारों के बिलों को देने में भी देरी की, जिससे आर्थिक संकट से ग्रस्त लोग अपनी जान गवाएं।
इस घटना ने पूरे महाराष्ट्र को हिला दिया। ठेकेदार ने ऑडिशन के बहाने बच्चों को बुलाया, फिर उन्हें स्टूडियो में बंधक बनाकर रखा, जिससे उसकी गिरफ्तारी की पूरी कोशिश की गई लेकिन आखिर तय हुआ उसे शांति करने का तरीका ढूंढना पड़ा।
इस घटना पर विपक्ष नेताओं ने सरकार से कई सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि अगर आज कोई मासूम बच्चा मर जाता, तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेता? शिक्षा मंत्री, राज्य सरकार या महायुति सरकार?
पूरे मामले को देखते हुए विपक्ष नेताओं ने कहा है कि यह घटना सरकार की नैतिक और प्रशासनिक नाकामी का एक साफ़ नतीजा है।
इस घटना ने दिखाया है कि कानून व्यवस्था चरमरा चुकी है। इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए मुख्यमंत्री, जो गृह विभाग भी संभाल रहे हैं, उन्हें तत्काल इस्तीफा देना चाहिए।
पूरे मामले पर चर्चा करते समय, एमएनएस नेता बाला नंदगांवकर ने कहा है कि अगर आरोपी ने पुलिस पर गोली चलाई होती, तो पुलिस एनकाउंटर करेगी। इसकी जांच भी हो जाएगी।
इस मामले से यह सवाल उठता है कि क्या सरकार की गैरजिम्मेदारियों ने इस तरह की घटनाओं को बढ़ावा देने का मौका मिला।
अंत में, पुलिस ने बहादुरी और त्वरित कार्रवाई करते हुए सभी 19 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला।