'NDA में दल पांचों पांडव की तरह साथ, वहां गठबंधन के अंदर ही लड़ाई', रैली में बोले अमित शाह

बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों से जुड़े घंटे-घंटे चर्चाओं के बीच, अमित शाह ने अपनी रैली संबोधन को पूरा करने से पहले ही कह दिया है कि यह चुनाव मात्र एक व्यक्ति की जीत-हार नहीं बल्कि बिहार के भविष्य को तय करने का चुनाव है। उनके इन बयानों से राजनीतिक लोगों ने सोशल मीडिया पर चर्चा शुरू कर दी है।

शाह जी ने कहा है कि बिहार का भविष्य तय करने वाला चुनाव 'सुशासन बनाम जंगलराज' का चुनाव है, जिसमें लोगों को यह तय करना होगा कि बिहार किसके हाथ में रहेगा। वहीं, राजनीतिक दलों में खाली पलटवार शुरू हो गए हैं और दूसरी ओर विपक्षी दलों ने एक-दूसरे पर आरोप लगाना जारी रखा है।

अमित शाह ने कहा है कि पीएम नरेंद्र मोदी ने मिथिला के सम्मान के लिए बहुत सारे काम किए हैं, भाजपा सरकार ने मैथिली भाषा को 8वीं अनुसूची में डाला, मैथिली भाषा में संविधान का अनुवाद कराया और मधुबनी पेंटिंग को जीआई टैग दिया। इसके अलावा, शाश्वत मिथिला महोत्सव गुजरात में शुरू किया।

कांग्रेस नेताओं पर अमित शाह ने घुसपैठियों की चर्चा करते हुए कहा, 'राहुल गांधी बिहार आए थे, उन्होंने एक यात्रा निकाली थी, जो घुसपैठिया बचाव यात्रा थी।' लोगों से सवाल करते हुए, उन्होंने कहा, 'आप लोग ही बताइए कि क्या बिहार की मतदाता सूची में घुसपैठिए होने चाहिए?'
 
मैं देख रहा हूँ कि लोग चुनावों में जो बोलते हैं उनका मतलब समझना भी मुश्किल है 🤔। अमित शाह जी ने कहा है कि यह चुनाव मात्र व्यक्ति की जीत-हार नहीं बल्कि बिहार के भविष्य को तय करने का है, लेकिन मुझे लगता है कि अगर हम सच्चाई को समझें तो इसका मतलब यह होगा कि चुनाव में स्थानीय विकास और सुशासन पर ध्यान देना ज़रूरी है।
 
अरे, यह तो बहुत ही रोचक है... मैंने हाल ही में अपनी भाभी ने फोटो खींची थी, वह तो बिल्कुल कुछ भारतीय विकास परिसर में गयी थी, वहाँ के स्ट्रीट फूड का मजा लिया था, और तो तो यहाँ के पनीर कुर्मा का खाना बिल्कुल अलग है, जैसे कि हमारे गांव में।
 
मेरी राय में, यह चुनाव बिहार के भविष्य को तय करने का ही, लेकिन सोच-समझकर मतदान करना भी होगा। अमित शाह जी ने अपने बयान से सही कहा है कि यह चुनाव 'सुशासन बनाम जंगलराज' का है, लेकिन इसे लेकर बहुत खाली पलटवार चल रहा है। मुझे लगता है कि विपक्षी दलों ने अपने आरोप लगाने से बीजेपी को फायदा नहीं होगा, बल्कि उन्हें अपने दम पर चुनाव लड़ना चाहिए। पीएम नरेंद्र मोदी जी ने कुछ अच्छे काम भी किए हैं, लेकिन यह तय करना होगा कि कौन से काम सच्चे हैं और कौन से धोखाधड़ी से।
 
अरे दोस्त, भले ही राजनीतिक लोगों ने Amrit Shah ke baad Shayad thode aaraam kar rhe hain, lekin unke baat ka khayal karein. Unhone sach mein bahut se mahatvapoorn cheezein kiye hain, jaise ki Mithila ke samman ko badhawa dene wale naye prayaas. Aur Phir bhi Rahul Gandhi ji, unki yatra ko ghuss-poothiya bachav yatra mana karte hain? 🤔 Isliye humein baat karna chahiye ki sabko ek-dusre ke baare mein thoda mithaas karna chahiye, aur kisi bhi cheez par khabar dekar sabko ek-sath manana chahiye.
 
चुनाव का यह तय हुआ तो हमें पहले से ही भविष्य को देखने लग जाएं. 🤔
मैंने एक छोटी सी रेखा बनाई है:

बिहार का भविष्य -
चुनाव ->
मात्र व्यक्ति की जीत-हार
या ->
बिहार का भविष्य तय करने का चुनाव

अरे दोस्त, इससे पता चलता है कि हमें अपने भविष्य को तय करने के लिए एक साथ मिलकर काम करना होगा। 🙏
मैंने इसे यह तरह बनाया है:
```
+-----------+
| विचार |
+-----------+
|
|
v
बिहार का भविष्य -> तय करने की शक्ति हमारी है
```
दोस्त, आइए इस शक्ति को अपनी ओर खींचें! 💪
 
चुनाव है तो हमें अपने भविष्य के बारे में सोचना चाहिए। पूरा बिहार एक ही रास्ते पर नहीं जाना चाहिए 🚶‍♂️, हमें यह तय करना होगा कि हमारा भविष्य कैसा होना चाहिए। अमित शाह जी ने बहुत सही बात कही है, 'सुशासन बनाम जंगलराज' में से हमें एक विकल्प चुनना होगा। 🤔 पूरे देश को देखकर यह सोचा जा सकता है कि क्या अन्य राज्यों ने भी ऐसा ही किया है?
 
आज भी तो याद आया जब 2014 के विधानसभा चुनावों में बिहार में हमने देखा था कि कैसे राजनीतिक दल अपने मुंह में पानी भरते हैं और लोगों को मतदान करने के लिए मजबूर करते हैं। अब जब अमित शाह जी ने बिहार के भविष्य को तय करने वाला चुनाव कहा है, तो मुझे लगता है कि इस बार देखेंगे कि कौन सा दल अपने राजनीतिक प्रभाव को बढ़ाने की कोशिश करता है। लेकिन, अगर यह सच मान लीजिए कि चुनाव मात्र एक व्यक्ति की जीत-हार नहीं बल्कि, बिहार के भविष्य को तय करने का चुनाव है, तो हमें उम्मीद है कि लोगों ने अपनी आवाज उठाने के लिए सोच-समझकर मतदान करेंगे। :(

सोशल मीडिया पर चर्चाओं के दौरान एक बात तय हुई है कि हमें अपनी राजनीतिक दलों को फिर से पहचानने और उनकी पार्टी की योजनाओं को समझने की जरूरत है।
 
चुनाव का तो पूरा विवाद, लेकिन फिर भी जीत-हार से बचने के लिए अपने रैली के बाद एक दिन पहले ही बयान देना तो शायद थोड़ा जल्दी है 🕰️। अगर मुझे लगता है तो भविष्य तय करने वाला चुनाव सिर्फ इतना नहीं है, लेकिन यह अच्छा है कि नेताओं ने अपने बयानों से कुछ संदेश दिया है। पीएम मोदी के बारे में बोलते समय, शाह जी को लगता है कि उन्होंने मिथिला के लिए बहुत कुछ किया है, और यह अच्छा है कि भाजपा ने मैथिली भाषा को अनुसूची में रखा है। लेकिन राजनीतिक दलों के बीच खाली पलटवार करना और विपक्षी दलों द्वारा आरोप लगाना तो बहुत ही निराशाजनक है 🤦‍♂️
 
ये तो आमचे भाजपा नेता अमित शाह बहुत प्रयास कर रहे हैं लेकिन ये बात सुनकर लगता है कि वे अपने दमनकारी राज में फंस गए हैं। 😒 बिहार के भविष्य को तय करने का चुनाव हमारा नहीं बनेगा जब ऐसे नेता आगे बढ़ रहे हों जो हमारी संविधान और समाज को नुकसान पहुंचाएंगे। मुझे लगता है कि विपक्षी दलों को एक दूसरे पर आरोप लगाना बेहतर होगा नहीं तो राजनीतिक पार्टियां अपने विचारों और योजनाओं को स्पष्ट करेंगी। 🤔
 
अरे ये तो बहुत ही दिलचस्प है कि अमित शाह जी ने कुछ ऐसा कह दिया है जिस पर लोगों की राय अलग-अलग है। मैं तो सोचता हूँ कि यह चुनाव बिहार के भविष्य को तय करने वाला है, लेकिन मुझे लगता है कि हमें अपनी राजनीतिक दलों को एक-दूसरे की तुलना में आगे न देखना चाहिए। अमित शाह जी ने कहा है कि पीएम मोदी ने मिथिला के सम्मान के लिए बहुत सारे काम किए हैं, लेकिन मुझे लगता है कि हमें अपने राज्य को देखने वाले नेताओं को फokus करना चाहिए। और अमित शाह जी के दावों पर लोगों की राय अलग-अलग है, कुछ लोग मानते हैं कि पीएम मोदी ने अच्छे काम किए हैं, जबकि अन्य लोग कहते हैं कि उन्हें और भी बेहतर करना चाहिए।
 
मुझे लगता है 🤔 कि अमित शाह जी ने सही कहा, चुनाव तो ही हमारा भविष्य तय करने वाला होता है। लेकिन मैं सोचता हूँ कि हमें अपने देश की समस्याओं पर जोर देना चाहिए, न कि किसी भी पार्टी या नेता पर। मैथिली भाषा को 8वीं अनुसूची में डालना बहुत अच्छा काम है, लेकिन हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी मतदाताओं के पास समान अधिकार हों। और राहुल गांधी जी को भी उनके विचारों पर ध्यान देना चाहिए, न कि उन्हें घुसपैठिया बताने से। मुझे लगता है कि हमें अपने देश के लिए एक साथ लड़ना चाहिए, न कि एक-दूसरे पर आरोप लगाना।
 
मुझे लगता है कि अमित शाह जी का बयान बहुत दिलचस्प है, लेकिन मैं नहीं समझ पाऊं कि उन्होंने कहाँ गलत किया 🤔। मेरी खामी क्या है? 😅

मैंने हमेशा सोचा था कि चुनाव में मतदाता सूची में कौन है, वह जरूरी है लेकिन मुझे लगता है कि यह दूसरी जगह कहीं विवाद आ गया। 🤷‍♀️

मैंने सोचा कि शायद अमित शाह जी ने गलत बयान दिया है, लेकिन फिर भी मैं नहीं समझ पाऊं। 😂

क्या बिहार की मतदाता सूची में घुसपैठिए होने चाहिए? 🤔 यह तो बहुत बड़ा सवाल है और मुझे लगता है कि इसका जवाब देना भी थोड़ा मुश्किल है। 😅

मुझे लगता है कि अमित शाह जी का बयान जरूर ध्यान आकर्षित कर रहा है, लेकिन फिर भी मैं नहीं समझ पाऊं। 🤷‍♀️
 
मैं तो सोचता हूँ कि क्या यह सच में एक व्यक्ति की जीत-हार नहीं बल्कि बिहार के भविष्य को तय करने का चुनाव है? यह तो बहुत ही रोचक है... लेकिन, मैं तो सोचता हूँ कि यह चुनाव में किसी भी तरह से एक व्यक्ति की विशेषताओं पर ध्यान देने की जरूरत नहीं है, बल्कि बिहार के लोगों की जिंदगी और उनके भविष्य को तय करने का चुनाव है... 🤔

और, मैं तो सोचता हूँ कि पीएम नरेंद्र मोदी ने वास्तव में बहुत कुछ किया है, लेकिन, बिहार की जिंदगी और उसके भविष्य को तय करने का चुनाव हमेशा ही एक राजनीतिक दल से दूसरे राजनीतिक दल तक की तरह ही चलेगा, यह तो जरूरी नहीं... 🤷‍♂️
 
बिहार का भविष्य तय करने वाला चुनाव वास्तव में बहुत ही महत्वपूर्ण है ... शायद लोगों को यह तय करना है कि हम अपने राज्य को सुशासन या जंगलराज में ले जाना चाहते हैं ....

मुझे लगता है कि पीएम नरेंद्र मोदी ने बहुत सारे अच्छे काम किए हैं, लेकिन यह भी सच है कि हर किसी को अपने राज्य का भविष्य तय करने में योगदान देना चाहिए ....

कांग्रेस नेताओं पर अमित शाह जी ने घुसपैठियों की चर्चा करते हुए कहा, यह थोड़ा अजीब लगता है ... क्या हमारी मतदाता सूची में घुसपैठिए होने चाहिए? यह सवाल लोगों को जरूर सोचने पर मजबूर करेगा ....

किसी भी तरह से बिहार का भविष्य तय करने वाला चुनाव हमें एक नए युग में ले जाने का अवसर है ...
 
आज भी अमित शाह जी के बयान तो बढ़ते रहेंगे, लेकिन वास्तविकता यह है कि उन्होंने मिथिला के साथ बातचीत करने के प्रयास भी नहीं किए, बस अपने समर्थकों को खुश रखने का प्रयास कर रहें हैं। और तो और, बिहार का भविष्य तय करने वाला चुनाव में भी कुछ स्पष्ट रूप दिखाई नहीं दे रहा है, यह जंग बाजी बंद नहीं किया गया।
 
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