‘पैंट में कंटीला पौधा डाला, क्लास में अलग बैठाया’…दलित छात्र पर जातिगत प्रताड़ना के आरोपों में टीचर गिरफ्तार

दिल्ली के एक स्कूल में पढ़ने वाले दलित छात्र को पैंट में कंटीला पौधा डालने, क्लास में अलग बैठाने, और खाना खिलाने में भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है। इस मामले में स्कूल की शिक्षिका दिव्यांग प्रियंका सिंह पर जातिगत प्रताड़ना के आरोप लगाए गए हैं।

सिंह ने बताया, मुख्य अध्यापक देवेंद्र ने इस मामले को दबाने की कोशिश की थी। उन्होंने कथित तौर पर छात्र और उनके परिवार से 10,500 रुपये समझौता करने की धमकी दी और उन्हें अपना मुंह बंद रखने को कहा। इसके अलावा, पंचायत प्रधान रोशन लाल ने भी उन्हें धमकाया था। उन्होंने कथित तौर पर सिंह से कहा, जीना तो यहीं है, इतना मत उछलो।

सिंह ने आगे बताया, वह अपने मामले को सोशल मीडिया पर लाने की कोशिश नहीं कर रहे थे। उनके अनुसार, प्रधान ने उन्हें यह भी कहा था कि अगर वे इस मामले को सोशल मीडिया पर साझा करते हैं, तो वह उनकी जान लूंगी।
 
क्या यह देखकर चिड़चिड़ा होना चाहिए? किसानों के खिलाफ भेदभाव का सच इस मामले में पूरा सामने आया। कैसे तो छात्र को पैंट में कंटीला पौधा डालने, क्लास में अलग बैठाने, और खाना खिलाने में भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन इतना सिर्फ नहीं बल्कि 10,500 रुपये तक समझौता करने की धमकी देना और अपने विरोध को दबाने की कोशिश करना भी पूरा भेदभाव है।
 
क्या हुआ दिल्ली, स्कूलों में इतना भेदभाव कैसे फैलता रहता है? पैंट में एक छोटा सा पौधा डालने से यह इतनी बड़ी बात बन जाती है? और 10,500 रुपये की धमकी? तो क्यों नहीं बताया, शिक्षिका ने तो सही कर दिया। इसके लिए माफी चाहता हूँ, लेकिन स्कूल में ऐसा कैसे चल पाता है? और सरकार कहां थी, सबकुछ तो बिल्कुल सही जानती होगी।
 
अरे, ये बहुत दुखद मामला है 🤕। दलित छात्र को इतना भेदभाव क्यों किया जा रहा है? स्कूल में अलग बैठाने और खाना खिलाने में भी ऐसा क्यों कर रहे? यह तो बहुत ही गंभीर मुद्दा है और हमें इसके पीछे कारण को समझने की जरूरत है। शिक्षिका दिव्यांग प्रियंका सिंह ने इतनी बार्जकीय धमकी लेने की तो यह कैसे कर रहे थे? 🙅‍♂️ और पंचायत प्रधान रोशन लाल की भी यही जिम्मेदारी है? हमें इस मामले में न्याय दिलाने के लिए कोई भी आरोप को ध्यान में रखकर आगे बढ़ना चाहिए।
 
यह बहुत दुखद है कि इतनी सारी कुछ की बात हो रही है। स्कूल में किसी भी तरह का मनोवांछित प्रताड़ना न करे। ऐसे मामलों की जांच करनी चाहिए और कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।
 
मुझे यह बात बहुत दुखद लगती है कि एक छात्र को अपने अधिकारों और सम्मान का उल्लंघन करने के बाद भी स्कूल में शिक्षिका पर आरोप लगाए जा रहे हैं। यह तो स्पष्ट नहीं है कि शिक्षिका दिव्यांग प्रियंका सिंह ने अपने अधिकारों का उल्लंघन किया था, या फिर वह भेदभाव का शिकार हुईं। यह मामला स्कूल और प्रशासन पर सवाल उठाता है कि वे अपने छात्रों की सुरक्षा और सम्मान कैसे सुनिश्चित कर सकते हैं।

मुझे लगता है कि इस मामले में न्यायिक प्रणाली को तेजी से आगे बढ़ाने की जरूरत है। हमें यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि शिक्षिकाओं और अन्य कर्मचारियों को भी अपने अधिकारों का प्रयोग करने की स्वतंत्रता मिले।
 
अरे, यह तो बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण बात है। शिक्षिकाओं और अध्यापकों की भूमिका तो बच्चों की भविष्यवाणियां करने में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण मानी जाती है, लेकिन यह सुनकर लगता है कि इनसे इतना भेदभाव किया जा रहा है। कुछ लोग अपने पैसे के लिए दूसरों पर भेदभाव कर सकते हैं और उनके भविष्य को बर्बाद कर सकते हैं।
 
मुझे बहुत दुःख हुआ यह पता चला... पैंट में कंटीला पौधा डालने का मतलब तो कोई भी छात्र को निशाना बनाया जा सकता है... और खाना खिलाने में भेदभाव का मतलब तो यह है कि कुछ लोगों को सिर्फ धूम्रपान करने दिया जाएगा... और अलग बैठाने से कोई भी छात्र को भेदभाव का सामना कर रहा है...

मैं सोचता हूँ मेरे बचपन का, हमारे गाँव में एक छात्र था, उसका पिता दाल-चना बनाने वाला था, और वह छात्र ही खिलौनों को बेचकर अपने परिवार को जीवन जीने लगा... वह भी ऐसी स्थिति में नहीं आया था। यह तो बहुत दुखद है...
 
🚨इस तरह के मामलों का सामना करने से पहले, हमें अपने समाज में यह समझना चाहिए कि डर और भेदभाव कैसे निकलते हैं। दिव्यांग प्रियंका सिंह जी को इस तरह की धमकी को सामने लाने की ताकत और बुद्धिमत्ता मुझे बहुत प्रभावित कर रही है। 🙌

अगर हम अपने समाज में इतना बदलाव लाना चाहते हैं तो हमें पहले से ही इस तरह के मामलों का मुद्दा उठाने के लिए तैयार रहना चाहिए। स्कूलों और प्राथमिक विद्यालयों में भी यही समस्याएं हैं। अगर हम अपने बच्चों को रोजगार और जीवन में आगे बढ़ने की अनुमति नहीं देते तो फिर हम उन्हें कैसे सफल बना सकते हैं? 🤔

हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि शिक्षिकाओं और कर्मचारियों को भी ऐसे मामलों में नहीं डरना चाहिए। हमें एक समाज बनाने की जरूरत है जहां हर व्यक्ति को सम्मानित माना जाए, चाहे वह किसी भी पृष्ठभूमि से हो। 💪
 
अरे दोस्त, यह तो बहुत गंभीर मामला है। क्या ऐसा ही होता रहता है? एक छात्र को क्लास में अलग बैठने और खाने में भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है, तो फिर क्या होता? और सबसे बड़ी चीज, शिक्षिका की जान पर खतरा लगाता है। यह तो बहुत ही अमानवीय और अनचाही बात है। हमें ऐसे मामलों के बारे में जागरूक रहना चाहिए और उन्हें रोकने के लिए काम करना चाहिए। 🙏💪
 
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