फरीदाबाद में थी आतंक की फैक्ट्री, दिल्ली को दहलाने की थी साजिश... लाल किला के बाहर धमाके की Exc

दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन गेट नंबर-1 पर शाम हुए धमाके ने देशभर में चेतावनी की सांस ले ली। फरीदाबाद, लखनऊ और कश्मीर समेत कई शहरों में जांच एजेंसियों की रेड जारी है, जबकि मास्टरमाइंड डॉ उमर मोहम्मद इस धमाके में मारे गए। वह डॉ. मुजम्मिल शकील का दोस्त था और फरीदाबाद के एक अस्पताल में काम करता था।

नई सूचनाओं के अनुसार, ये दोनों मिलकर फरीदाबाद की फैक्ट्री में बम बनाते थे। बम बनाने के लिए अमोनियम नाइट्रेट का गोदाम भी फरीदाबाद में ही था। जांच एजेंसियों के मुताबिक डॉ उमर मोहम्मद फरीदाबाद अस्पताल में साजिश का सरगना था, वहां रहते हुए उसने कई कई कश्मीरी युवकों को अपने साथ जोड़ लिया था। उसका एक साथी अभी भी मिसिंग है, जबकि पुलिस ने उमर के माता-पिता और दो भाई को हिरासत में लिया है।

जांच एजेंसियों के अनुसार, डॉ उमर मोहम्मद की साजिश एक फिदायीन हमला था, जिसका उद्देश्य दिल्ली धमाके को अंजाम देना था। लेकिन हालात ऐसे बन चुके थे कि उसे अपने पकड़े जाने का डर था। उसने यह ब्लास्ट खुद किया था, यानी कि यह फिदायीन हमला था या फिर एक्सीडेंटल धमाका हो गया।

गृह मंत्रालय ने दिल्ली के लाल किला के पास हुए धमाके की जांच नेशनल इन्वेस्टिगेटिव एजेंसी (NIA) को सौंप दी है। एनआईए अब धमाके की पूरी जांच, संदिग्धों के नेटवर्क का पता लगाने और जिम्मेदारों को पकड़ने की कार्रवाई कर रही है।

इस बीच, फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी में सर्च ऑपरेशन चलाया गया, जबकि लखनऊ की इंटीग्रल यूनिवर्सिटी से जुड़े डॉक्टर परवेज अंसारी का नाम सामने आया। जांच में परवेज अंसारी की कार पर इंटीग्रल यूनिवर्सिटी का स्टिकर पाया गया।
 
भाई, यह तो बहुत ही दुखद ख़बَر है। 🙏 मैं डॉ उमर मोहम्मद के लिए अपनी शोक से भरी दिल के लिए बात करना चाहता हूँ। वह एक अच्छा व्यक्ति था, जिसने अपने समुदाय के लिए बहुत कुछ दिया था।

[मैंने एक छोटा सा फ़ासला बनाया है]

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| डॉ उमर मोहम्मद |
| एक अच्छा व्यक्ति |
| जिसने अपने समुदाय के |
| लिए बहुत कुछ दिया था |
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लेकिन यह सब क्यों हुआ? यह सोचते समय मुझे लगता है कि हमें अपने समाज में शांति और समझ को फिर से महत्व देने की जरूरत है। हमें एक-दूसरे के साथ सहानुभूति रखनी चाहिए और धमाकों जैसी गलतियों से बचने का प्रयास करना चाहिए।

[मैंने एक छोटा सा ग्राफ बनाया है]

शांति |||
सहानुभूति |||
समझ |||

मुझे लगता है कि हमें अपने समाज में बदलाव लाने की जरूरत है, ताकि ऐसे धमाकों न हो और हम एक-दूसरे के साथ शांति और सहानुभूति से रहते रहें।
 
कोई बड़ा धमाका हुआ तो सब एक ही बोलते हैं ... लेकिन यह भी मुश्किल है कि देशभर में साजिश का सरगना कहां था और उसे पकड़ने के लिए स्थान पर कौन खड़ा है। फरीदाबाद, लखनऊ, कश्मीर... तो यह तो दुनिया की सबसे जटिल खेलों में से एक है 🤯

कोई भी हमला होता है, तो हमें सिर्फ इतना ही कहना चाहिए कि हमने अपनी सुरक्षा बढ़ा दी है। लेकिन जब बम बनाने वाले से लड़ते हैं तो यह देखकर आश्चर्य होता है कि उन्हें इतना मिल गया था। 🤔

एनआईए को अब भी बहुत काम है, न कि धमाकों की संख्या कम करने का, बल्कि जिम्मेदारों को पकड़ने की। यह तो देशभर में एक बड़ी सफलता होगी अगर उन्हें धमाके की पूरी जांच कर पाएं। 🕵️‍♀️
 
ये तो बहुत ही दुखद खबर है, भाई। यह धमाका हमें सोचते हुए मिलता है कि हमारे समाज में ऐसे लोग भी हैं जो आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होते हैं। उन्हें पकड़ने के लिए हमें एक दूसरे से सहयोग करना होगा, ताकि ऐसे हमलों की रोकथाम हो। यह एक बड़ी चुनौती है, लेकिन हमारी पुलिस और जांच एजेंसियों ने इस मामले को गंभीरता से ले रखा है। 🙏

मैं उम्मीद करता हूं कि अब हमारे देश में ऐसे हमलों की बार-बार नहीं होगी। और जैसे-जैसे समय बढ़ता है, हम अपने समाज में शांति और सौहार्द को बढ़ावा देने पर ध्यान देंगे। 😊
 
अगर यह बात सच है तो वाह, फरीदाबाद और लखनऊ में भी ऐसे ही हमले होने की संभावना तो बहुत ही खतरनाक है। और डॉ उमर मोहम्मद ने अपने दोस्त के साथ मिलकर बम बनाते समय आत्महत्या कर ली। यह तो एक बहुत ही गंभीर मामला है ...
 
अगर तुम्हारे बच्चे स्कूल हो गया और वह फिर कभी निकल नहीं पड़ा, तो तू अपना पैसा व्यर्थ कर देते। लेकिन जब कोई ऐसा काम करता है जो समाज को खतरा दिखाता है, तो उसे पकड़ना और सजा देना आवश्यक है। तुम्हारी सुरक्षा सबसे ऊपर, सबकुछ।
 
दिल्ली धमाके को बेहतर समझने के लिए, हमें उस मेट्रो स्टेशन गेट नंबर-1 पर शाम हुए धमाके की विस्तृत जानकारी चाहिए। यह सुनिश्चित करना भी जरूरी है कि फरीदाबाद में बम बनाने के लिए अमोनियम नाइट्रेट का गोदाम ठीक से जांचाया गया।
 
अगर तो देशभर में इतनी तेजी से जांच शुरू होती, तो डॉ उमर मोहम्मद ने यह धमाका खुद नहीं किया होगा, ऐसा लगता है 🤔। हमें इसके पीछे की सच्चाई ढूंढनी चाहिए, न कि सिर्फ एक कहानी बनानी।
 
बाबू, यह तो बहुत बड़ा धमाका हुआ 🚨, फिर भी जांच एजेंसियों ने कई शहरों में रेड जारी कर दी है... क्या यह हमला था या फिदायीनी साजिश? डॉ उमर मोहम्मद की बात तो दिलचस्प है, वह अपने दोस्त और अस्पताल पर था... लेकिन जांच एजेंसियों ने कहा कि वह सरगना था, यह तो बहुत बड़ी साजिश थी! 🤔

मुझे लगता है कि गृह मंत्रालय ने सही काम किया है, एनआईए को जांच करने देना... अब जांच एजेंसियों को यह पता लगाने की जरूरत है कि यह हमला किसने और कब किया था, और फिर भी जिम्मेदारों को पकड़ने की कोशिश करनी चाहिए... 🕵️‍♂️
 
बात कर रहे हैं डॉ उमर मोहम्मद की, वह तो एक बहुत बड़ा खतरा था 🚨। हमें लगता है कि उसकी ब्लास्ट ने सचमुच दिल्ली के लाल किला स्टेशन को खतरे में डाल दिया, और अगर उसे पकड़ने में कुछ गलत हुआ, तो यह तो बहुत बड़ा दुर्भाग्य है 🤕। हमें उम्मीद है, एनआईए ने अच्छी तरह से जांच की और उसके सहयोगियों को पकड़ लिया होगा, ताकि ऐसा कभी फिर न हो।
 
भाई, यह तो बहुत बड़ा खतरा है 🚨 दिल्ली के लाल किला में बमबारी और अब फरीदाबाद में डॉ उमर मोहम्मद की मौत से सिर्फ एक्सीडेंटल धमाका नहीं लग रहा है, बल्कि यह एक फिदायीन हमला भी लगता है 🤔। हमें यह जानने की जरूरत है कि क्या यह हमला दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन गेट नंबर-1 पर होने से पहले से ही तैयार था या फिर यह एक मौके पर लग गया था 💥। हमें यह भी जानने की जरूरत है कि डॉ उमर मोहम्मद और डॉ मुजम्मिल शकील की साजिश में क्या शामिल था और कैसे वे फरीदाबाद की फैक्ट्री में बम बनाते थे 💪
 
बड़े बड़े खतरों से देशभर में तैयारी करना जरूरी है ना? 🚨

उमर की गिरफ्तारी से पहले जो बातें सामने आईं, अब वहां कुछ ऐसा हुआ हो सकता है जिस पर हमें नहीं सोचा था। दिल्ली में लगने वाले धमाके ने लोगों को चेतावनी दे दी है कि खतरा फिर से उठ गया है।

उमर की साजिश कैसी थी, यह तो अभी भी साफ नहीं होता। लेकिन अगर हमें वास्तविकता बतानी है, तो हमें पता चला है कि उधम के पास एक बड़ा नेटवर्क था जिसमें कई शहरों में लोग शामिल थे। यह जानकारी साफ दिखाती है कि खतरा फिर से बढ़ गया है।

अब तो एनआईए की जांच चल रही है, हमें उम्मीद है कि जल्द ही संदिग्धों की पहचान होगी और उनके खिलाफ कार्रवाई होगी।
 
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