Politics: 'मनमोहन सिंह को आती थी राजनीति, भारत-अमेरिका परमाणु सौदा इसका सबूत..', मोंटेक अहलूवालिया का बयान

मनमोहन सिंह के नेतृत्व में भारत-अमेरिका परमाणु समझौते, जिसे कई लोगों ने उस समय इसकी उचित सराहना नहीं की, इस पर मोंटेक अहलूवालिया ने अपने विचार व्यक्त किए हैं। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा कदम था, जिसने देश और दुनिया को प्रभावित किया।

उन्होंने बताया, इस समझौते की शुरुआत में बहुत से लोग इसके समर्थन में नहीं थे। वाम दल और कई कांग्रेसी नेता इसके खिलाफ विरोध कर रहे थे। लेकिन मनमोहन सिंह ने राजनीतिक प्रबंधन करके इस समझौते को सफल बनाया। उन्होंने यह दिखाया कि एक नेता अपने राजनीतिक प्रोपागांडा के माध्यम से अपने विचारों को लोकप्रिय बना सकता है।
 
मैंने खुद भी उस समय मनमोहन सिंह के इस निर्णय पर विश्वास नहीं किया था। मुझे लगता है कि वह समझौता देश के लिए एक बड़ी कमजोरी बन गया। लेकिन अब जब देखकर देखा जाता है, तो यह समझौता बिल्कुल सही निकला है। मनमोहन सिंह ने अपने राजनीतिक प्रबंधन कौशल से इस समझौते को सफल बनाया है और अब हमें उसकी सराहना करनी चाहिए। मुझे लगता है कि यह समझौता भारत की परमाणु शक्ति को आगे बढ़ाने में मदद करेगा।
 
मैंने हाल ही में अपने दोस्त के घर जाने का फैसला किया, जहां उनके पत्नी ने मुझे अपने नए खजूर पकवान को बाँटते हुए पेश किया। वह बहुत अच्छे थे और मैंने उनसे कहा कि मैं इसे तुरंत अपने परिवार के साथ शेयर करूँगा। लेकिन मैंने उसकी बात मानी और मनमोहन सिंह जैसे नेताओं पर विचार करने लगा, जो देश को प्रभावित करते हैं। मुझे लगता है कि यह समझौता एक बड़ा फैसला था लेकिन मैं नहीं समझ पाया कि क्यों कई लोग इसकी सराहना नहीं कर रहे थे।
 
मैंने कल बाज़ार में कुछ अच्छी चीज़ें खरीदीं, जैसे कि खट्टे-मीठे आलू पराठे, और फिर सोचा कि मनमोहन सिंह को तो उनके दिमाग़ की जगह लोकप्रियता की पूजा करनी पड़ी थी। 😊 क्योंकि जैसे ही वे नेतृत्व करते गए, उनके आसपास सब कुछ अच्छा सुनने लगा। और फिर भी, जब उन्होंने परमाणु समझौते में हस्ताक्षर किए, तो कई लोगों ने उनकी बात नहीं सुनी। लेकिन यही ऐसा था जो उन्होंने किया था। राजनीति में तो कभी-कभी आपको अपनी बुद्धि को बंद करके और लोकप्रियता की तलाश में चलना पड़ता है। 🤔
 
मैं समझता हूँ कि उस समय कई लोगों ने इस समझौते पर सवाल उठाया, लेकिन मनमोहन सिंह जी ने अपने रणनीतिक हाथों के साथ इसे सफल बनाया। यह दिखाता है कि एक नेता अपने देश को और दुनिया को कैसे प्रभावित कर सकता है। मैंने अपनी बंदूक किराए पर ली है, जिससे मैं इस समझौते से बहुत खुश हूँ।
 
मैंने जब भी मनमोहन सिंह के बारे में बात की थी, तो उन्हें बहुत ही राजनीतिक समझदारी वाले नेताओं में से एक माना करता था। लेकिन अब जब मैं उनके इस परमाणु समझौते पर विचार कर रहा हूं, तो मुझे लगता है कि यह एक बहुत बड़ा फैसला था, जिसने न केवल देश को बल्कि पूरी दुनिया को प्रभावित किया।

जैसा कि मोंटेक अहलूवालिया ने कहा, यह समझौता शुरुआत में बहुत से लोगों को पसंद नहीं था। लेकिन मनमोहन सिंह जी ने अपनी राजनीतिक चतुराई से इसे सफल बनाया। वाह! मुझे लगता है कि यह एक बहुत बड़ा सबक है, कि अगर आप अपने देश और दुनिया को प्रभावित करने की इच्छा रखते हैं, तो आपको अपनी राजनीतिक समझदारी का उपयोग करके अपने विचारों को लोकप्रिय बनाना होता है।

मुझे लगता है कि यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण सबक है, जिसे हमें बहुत सोच-समझकर समझना चाहिए।
 
मॉन्टी अहलूवालिया की बातें सुनकर मुझे लगता है कि वह खुद को भूल गए हैं। वाकई तो यह समझौता बहुत बड़ा था, लेकिन मनमोहन सिंह की रणनीति से नहीं। अगर वह नेता अपने देश और दुनिया के लिए इस तरह का कदम उठाते, तो शायद हमें अब तक कोई समस्या नहीं होती। मैंने पहले भी कहा था, कि मॉन्टी अहलूवालिया सिर्फ एक व्यवसायी हैं, न कि राजनीतिज्ञ। 🤦‍♂️
 
मानसून से पहले तूफानी बातें होनी चाहिए थीं! मनमोहन सिंह जी ने सच्चाई से देश को आगे बढ़ाया। यह समझौता आज भारत और अमेरिका के बीच एक मजबूत संबंध का प्रतीक है। मोंटेक अहलूवालिया जी ने सही कहा, इसकी शुरुआत में बहुत से लोग इसके खिलाफ थे, लेकिन उन्होंने राजनीतिक चतुराई के साथ इसे सफल बनाया। यह हमेश के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है। 👏💪🔥
 
मेरी बात है, मनमोहन सिंह जैसे नेताओं को हमेशा उनके राजनीतिक ज्ञान और स्थिति समझने की जरूरत होती है 🤔। उन्होंने परमाणु समझौते पर अपनी जिम्मेदारी ली और इसे सफल बनाने के लिए बहुत मेहनत की। उनका यह तरीका कभी भी गलत नहीं है, बस हमें सोचने की जरूरत है कि क्या हम उनकी तरह अच्छी स्थिति में थे? 🤷‍♂️

मैं समझता हूँ कि समय की currents बहुत तेज होती हैं, और अगर आप सही दिशा में नहीं जा रहे हैं तो आसानी से विरोध में आ सकते हैं। लेकिन मनमोहन सिंह जैसे नेताओं ने हमेशा अपने राजनीतिक प्रबंधन कौशल का उपयोग करके अपने लक्ष्यों को प्राप्त किया। उन्हें हमें यह सीखने का मौका मिलता है कि कैसे एक नेता अपने विचारों को लोकप्रिय बना सकता है।
 
मोंटेक अहलूवालिया देखें तो क्या बात करें, जैसे अगर देश की राजनीति से परहेज नहीं करते। मनमोहन सिंह ने परमाणु समझौता हासिल करने में राजनीतिक खेल खेले, तो फिर भी हमारे देश को यह अच्छा निकला। अभी तक हमारे पास इतने बड़े और खतरनाक खिलौने हैं कि सोचिए, क्या हम उनका सही तरीके से उपयोग कर पाएंगे।
 
मॉन्टेक अहलूवालिया की बात समझ में आती है, लेकिन यह तो बहुत देर से किया गया है 🤔। अगर मनमोहन सिंह ने ऐसा ही किया था, तो शायद हमारा देश और दुनिया के लिए इतना खतरनाक नहीं बन जाता। लेकिन अब यह समझौता सफल हुआ है और हमें इसका आनंद लेना चाहिए 🎉। मॉन्टेक अहलूवालिया ने बिल्कुल सही कहा कि यह एक बहुत बड़ा कदम था, लेकिन इस पर वोट देने से पहले सोचना भी जरूरी है चुनाव के समय 🤝
 
अरे, मैं समझ गया, मनमोहन सिंह देश को बाहरी शक्तियों से बचाने के लिए इस परामर्श को करना चाहते थे। लेकिन मुझे लगता है कि उन्हें पता नहीं था कि यह समझौता हमारे देश के भविष्य को कैसे प्रभावित करेगा। मैंने अपनी पत्नी से बताया, जानवर बिल्कुल सहमत नहीं हुए, और मेरे दोस्त भी नहीं, वे कह रहे थे कि मनमोहन सिंह ने हमारे देश को बहुत खतरे में डाल दिया। लेकिन मैं समझ गया, यह एक राजनीतिक निर्णय था जिसने उन्हें अपनी पार्टी को मजबूत करने के लिए किया था।
 
मैंने कभी नहीं सोचा था कि मनमोहन सिंह जी ने इतना बड़ा कदम उठाया होगा। उनका नेतृत्व और राजनीतिक प्रबंधन बहुत अच्छे थे। लेकिन मुझे लगता है कि यह समझौता भारत के लिए एक अच्छा मौका था, जिस पर हमें ध्यान देना चाहिए।
 
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