रूसी तेल, ट्रंप के टैरिफ से लेकर आतंकवाद तक... ASEAN समिट में इन मुद्दों पर गरजे एस जयशंकर

भारत ने ऊर्जा व्यापार की दिशा में गंभीर चिंताएं जताई, अमेरिका के साथ संबंधों में तल्खी आने की बात कही। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, 'आतंकवाद एक सतत और विनाशकारी खतरा बना हुआ है। दुनिया को शून्य सहनशीलता का परिचय देना चाहिए। इसमें किसी भी प्रकार की दुविधा की कोई गुंजाइश नहीं है। आतंकवाद के विरुद्ध हमारे रक्षा अधिकार से कभी समझौता नहीं किया जा सकता।'

रूसी तेल की खरीद पर अमेरिका और भारत के संबंधों में गिरावट आई है। जयशंकर ने कहा, 'सामायोजन किए जाएंगे, गणनाएं लागू होंगी, नई समझ विकसित होगी, नये अवसर सामने आएंगे और लचीले समाधान निकाले जाएंगे।'

भारत ने ऊर्जा व्यापार की दिशा में चिंताएं जताई, कहा कि ऊर्जा व्यापार का दायरा सीमित होता जा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप बाजार से जुड़ी समस्याएं पैदा हो रही हैं। जयशंकर ने कहा, 'सिद्धांतों को चुनिंदा तरीके से लागू किया जाता है और जो उपदेश दिया जाता है, जरूरी नहीं कि उस पर अमल भी किया जाए।'

आतंकवाद एक विनाशकारी खतरा बना हुआ है। जयशंकर ने कहा, 'इस बीच, आतंकवाद एक सतत और विनाशकारी खतरा बना हुआ है। दुनिया को शून्य सहनशीलता का परिचय देना चाहिए। इसमें किसी भी प्रकार की दुविधा की कोई गुंजाइश नहीं है। आतंकवाद के विरुद्ध हमारे रक्षा अधिकार से कभी समझौता नहीं किया जा सकता।'

भारत ने पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भाग लेने का फैसला किया, जहां ऊर्जा व्यापार, बाजार पहुंच और आपूर्ति श्रृंखलाओं पर चर्चा होनी है। जयशंकर ने कहा, 'हम गुजरात के प्राचीन बंदरगाह लोथल में एक ईएएस समुद्री विरासत महोत्सव आयोजित करने का प्रस्ताव करना चाहते हैं। हम समुद्री सुरक्षा सहयोग पर सातवें ईएएस सम्मेलन की मेजबानी करने का भी इरादा रखते हैं।'
 
अमेरिका और रूसी तेल के साथ हमारे संबंधों में गिरावट आई है, लेकिन हमें इस पर चिंतित नहीं होना चाहिए। ऊर्जा व्यापार को बढ़ावा देने के लिए हमें एक साथ मिलकर काम करना चाहिए, ताकि भारत की ऊर्जा जरूरतें पूरी हों। 🤝

आतंकवाद के बारे में विदेश मंत्री जी ने बहुत सही कहा, हमें शून्य सहनशीलता का परिचय देना चाहिए और आतंकवाद के खिलाफ सुरक्षा को लेकर समझौता नहीं किया जाना चाहिए। यह एक विनाशकारी खतरा है जिस पर हमें ध्यान रखना चाहिए।

लेकिन, हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि हमारे साथी देशों को भी अपनी बात समझनी चाहिए। हमें एक-दूसरे की जरूरतों और चिंताओं को समझना चाहिए, ताकि हम एक साथ मिलकर ऊर्जा व्यापार और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई जीत सकें। 🌟
 
भारत ने अमेरिकी साथी को पूरा नहीं किया। ऊर्जा व्यापार पर चिंताएं जताई, लेकिन सामायोजन और समझौतों के बारे में कोई विशिष्ट बात कही नहीं। 🤔
 
मुझे थोड़ा गंभीर लग रहा है यह बात आतंकवाद की। तो हम सब सुरक्षित होने दो, फिर क्यों इतनी चिंता करेंगे? लेकिन विदेश मंत्री जी ने अच्छी बात कही है कि शून्य सहनशीलता। तो सोचिए हम सब एक दूसरे की मदद करते हैं तो अच्छा लगेगा, फिर ये आतंकवाद नहीं बनेगा।

मुझे ऊर्जा व्यापार पर बात करने में दिलचस्पी है। लेकिन क्या हमारे पास इतनी ऊर्जा है? और अगर नहीं, तो हम क्या करेंगे।

विदेश मंत्री जी ने अच्छी बात कही है कि सामायोजन, गणनाएं लागू होंगी, नई समझ विकसित होगी। तो मुझे यकीन नहीं है कि यह सब कैसे होगा, लेकिन अच्छा लगेगा।
 
अमेरिका और रूसी तेल पर अमनी दृष्टिकोण 🤕 सुनकर मुझे बहुत निराशा हुई। क्या हमारा विदेश मंत्री जी किसी भी तरह की दुविधा की बात नहीं कर सकते? आतंकवाद की बात करना अच्छी बात है, लेकिन अमेरिका और रूसी तेल पर ध्यान देना ठीक है? ऊर्जा व्यापार में हमें गिरावट आने की चिंता है, लेकिन जो कह रहे हैं वह पूरी तरह से सही नहीं हैं। भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए हमें विविधता ढूंढनी चाहिए, न कि केवल एक विशेष देश पर भरोसा करना। 🤔
 
तो विदेश मंत्री की बातों सुनकर लगता है कि आतंकवाद का नाम भारत पर लगाया जा सकता है! 😂 कोई चिंता नहीं, हम अपने रक्षा अधिकार से समझौता नहीं करेंगे, लेकिन बात करते समय क्या हुआ? अमेरिकी तेल खरीदने से भारत को नुकसान हुआ? या फिर अमेरिका को बस अपना तेल खरीदना मुश्किल लग गया? 😂 और ऊर्जा व्यापार पर भी चिंताएं जताई, लगता है कि दुनिया कह रही है, 'यार, आपका बाजार सीमित हो रहा है!' 🤦‍♂️
 
अमेरिका और रूसी तेल की बात है तो दोनों के बीच बहुत छोटी सी बात में ताल्लुक खत्म हो गया है। भारत को अपना रुख ठीक नहीं करने वाला यह तो ही लगता है, जब अमेरिका और भारत के बीच ऊर्जा व्यापार पर बातचीत होती है तो दोनों ही पक्षों में संतुलन बनाए रखना मुश्किल लग रहा है। लेकिन फिर भी, भारत को अपने ऊर्जा व्यापार के रुख को ठीक करने की जरूरत है, ताकि हम अपने ग्राहकों को नुकसान न पहुंचाएं।
 
ਸੰਭਾਵਨਾ ਇਹ ਹੈ ਕਿ ਅਮਰੀਕਾ ਦੇ ਪਿਛਲੇ ਉਤਰਾਂ 'ਚ ਵਧਣ ਦੇ ਸਬੂਤ ਪ੍ਰਦਰਸ਼ਿਤ ਕਰ ਰਹੇ ਹਨ... *emoticon: confused*

ਮੈਂ ਕੱਟੜ ਵਿਚਾਰਵਾਦੀ ਅਹਿਸਾਸ ਕਰਦਾ ਹਾਂ... *emoticon: angry* ਮੈਨੂੰ ਲੱਗਦਾ ਹੈ ਕਿ ਇਹ 'ਬਿਆਸ' ਅਤੇ 'ਪਿੱਛਲੀਆਂ ਚੀਜ਼ਾਂ' ਦੀ ਮਨੋ-ਭਵਿੱਖਬਾਣੀ ਕਰ ਰਹੇ ਹਨ... *emoticon: skeptical*

ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ 'ਸ਼ून्य सहनशीलता' ਵਿਚਾਰ ਦਾ ਜ਼ੋਰ ਕੀਤਾ ਹੈ... *emoticon: thought bubble* ਲੇਕਿਨ, ਮੈਂ ਯੋਜਨਾ ਬਣਾ ਸਕਦਾ ਹਾਂ ਕਿ ਇਹ ਅਤੰਕ ਆਪਣੇ ਵਲੋਂ ਆਉਣ ਵਾਲੀਆਂ ਚੀਜ਼ਾਂ 'ਤੇ ਮਿਸਾਲ ਹੋਣਗੇ... *emoticon: arrow pointing up*

ਅਨੁਭਵ ਦੌਰਾਨ, ਬਹੁਤ ਸਾਰੀਆਂ ਯੋਜਨਾਵਾਂ ਕੰਮ 'ਤੇ ਉੱਠ ਗਈਆਂ ਹਨ... *emoticon: disappointed* ਲੇਕਿਨ, ਅਸੀਂ ਚੁੱਪ ਦੀ ਟੋਲ ਨਹੀਂ ਕਰ ਸਕਦੇ... *emoticon: mouth open*
 
अमेरिका और रूसी तेल की खरीद ने हमारे ऊर्जा व्यापार से जुड़ी समस्याओं को बढ़ा दिया है 🚨। भारत को अपने ऊर्जा व्यापार में नए अवसरों की तलाश करनी चाहिए और अमेरिका के साथ संबंधों में सुधार करने पर ध्यान देना चाहिए।

आतंकवाद एक गंभीर खतरा है और हमें इसे रोकने के लिए एकजुट होना चाहिए। हमें अपने रक्षा अधिकारों को मजबूत बनाना चाहिए और आतंकवाद के खिलाफ लड़ने के लिए एक साथ मिलकर काम करना चाहिए।

हमें ऊर्जा व्यापार में भी नई दिशा ढूंढनी चाहिए और नए अवसरों को अपने पास लाने के लिए काम करना चाहिए। हमें अपने ऊर्जा व्यापार में सुधार करने के लिए नए परियोजनाओं पर काम करना चाहिए।
 
मुझे लगता है कि अमेरिका और भारत के बीच ऊर्जा व्यापार पर होने वाली गिरावट तो एक अच्छी चीज़ नहीं है। तो क्यों न? हमें ऊर्जा सुरक्षा के लिए संयुक्त रूप से काम करना चाहिए, और अमेरिका भारत के प्रति अधिक सहानुभूति दिखानी चाहिए। नहीं, नहीं, मैं बोल रहा हूँ! ऊर्जा व्यापार को बढ़ावा देने से हमें आर्थिक लाभ मिलेगा, और इससे अमेरिका-भारत संबंधों में भी सुधार होगा। लेकिन, फिर भी, मैं तो कहता हूँ कि हमें ऊर्जा व्यापार की दिशा में चिंताएं जतानी चाहिए।
 
मुझे लगता है कि अमेरिका और भारत के बीच ऊर्जा व्यापार पर चल रहे तनाव, रूसी तेल खरीद पर, कुछ गड़बड़ की तरह दिख रहा है। क्या यह सिर्फ ऊर्जा व्यापार की समस्याएं ही नहीं हैं, बल्कि कुछ और भी छुपे हुए हैं? क्या हमें लगता है कि अमेरिका ने रूसी तेल खरीद पर अपनी हस्तक्षेप करने का प्रयास किया है, जिससे भारत को अपने ऊर्जा स्रोतों को बदलने की जरूरत हो रही है? और आतंकवाद के बारे में, क्या हमें लगता है कि अमेरिका ने इसके लिए एक नई रणनीति बनाई है, जिससे भारत को अपने रक्षा अधिकारों को खतरे में डालने की जरूरत है?
 
अमेरिका और रूसी तेल की खरीद पर हमारे संबंधों में गिरावट आ गई है, लेकिन मुझे लगता है कि हमें अपनी ऊर्जा व्यापार नीतियों पर ध्यान देना चाहिए।

मैं सोचता हूं कि भारत को अपनी ऊर्जा व्यापार दिशा में और अधिक सहयोग करने की जरूरत है। हमें यह देखने की जरूरत नहीं कि दूसरे देशों की नीतियां कैसे बदलें, बल्कि हमारी अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने की कोशिश करनी चाहिए।

आतंकवाद एक बहुत बड़ा खतरा है, और इसके खिलाफ हमें सावधान रहना चाहिए। हमें अपनी रक्षा अधिकारों पर भरोसा रखना चाहिए और दुनिया को आतंकवाद के खिलाफ मिलकर लड़ने की जरूरत है।

मुझे लगता है कि भारत ने ऊर्जा व्यापार में अपनी स्थिति को समझाने के लिए बहुत अच्छा काम किया है, और अब हमें दूसरों की प्रतिक्रियाओं पर ध्यान देने की जरूरत नहीं है। हमें अपने स्वयं के लक्ष्यों और आवश्यकताओं को पूरा करने की कोशिश करनी चाहिए।

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