RSS में शामिल हो सकते है मुसलमान! जानें मोहन भागवत ने क्या कहा

आरएसएस में शामिल होने की अनुमति क्या है? भागवत ने बताया, 'केवल हिंदुओं को'

आरएसएस के संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि आरएसएस में केवल हिंदूों को शामिल होने की अनुमति है। इसके अलावा, उन्होंने बताया कि संघ में किसी मुसलमान या ईसाई को भी अनुमति नहीं है।

भागवत ने कहा, 'हमारी संस्था में केवल हिंदुओं को शामिल होने की अनुमति है।' उन्होंने यह भी बताया कि संघ में किसी ब्राह्मण या अन्य जातियों को भी अनुमति नहीं है।

इस प्रश्न पर निवेदन करते हुए, एक पत्रकार ने कहा, 'क्या मुसलमानों को भी आरएसएस को शामिल होने की अनुमति है? इस पर संघ प्रमुख ने बताया कि ऐसा नहीं है।'
 
🤔 राष्ट्रवादी आंदोलन का यह हिस्सा कुछ लोगों को विवादित लग रहा है, लेकिन मेरे लिए यह एक अलग बात है... आरएसएस की स्थापना और गतिविधियों पर नज़र रखने के दौरान, मैंने महसूस किया है कि कई लोगों को लगता है कि यह हिंदू समुदाय की पहचान को मजबूत करने के लिए एक उपकरण है। लेकिन क्या यह सही तरीके से काम कर रहा है? मुझे लगता है कि इस पर विचार करने की जरूरत है, खासकर जब हम दूसरे धर्मों और जातियों के लोगों को इसमें शामिल होने की अनुमति नहीं देते हैं।
 
😂🤣 यह तो बहुत मजेदार है! आरएसएस में केवल हिंदुओं को शामिल होने की अनुमति है, यह बात तो पुरानी ही जा रही है... 🙄 क्योंकि अगर मुसलमान या ईसाई जैसे दूसरे धर्म के लोग आरएसएस में शामिल होते हैं तो वे बिना खतना (😂) नहीं कर सकते।

मोहन भागवत जी से पूछिए, अगर आपके परिवार में एक मुसलमान या ईसाई है और वह आरएसएस में शामिल होता है, तो आप उसे खतना नहीं कर सकते। इसके अलावा, ब्राह्मण भी आरएसएस में शामिल नहीं हो सकते, न ही अन्य जातियां... 🙃 यह तो बहुत मजेदार है!

कोई पत्रकार पूछ लो, अगर आरएसएस का नेतृत्व एक मुसलमान या ईसाई करता, तो भी ऐसा नहीं होगा। वैसे भी, मोहन भागवत जी से यह प्रश्न पूछने के लिए तो बहुत दिन बीत गए हैं। 😂
 
अरे, यह तो बहुत दूर निकल गया की क्या मुसलमान आरएसएस में शामिल हो सकते हैं या नहीं। लेकिन, मुझे लगता है की इसके पीछे एक चीज हो सकती है। जैसे की आरएसएस की मुख्यत्व हिंदू समाज की सुरक्षा और पोषण करना है, तो फिर क्यों किसी अन्य धर्म के लोगों को शामिल नहीं किया जाता।

लेकिन, अगर हम इसे एक दूसरे की दृष्टि से देखें तो यह अच्छा हो सकता है। क्या हमारे समाज में इतनी भ्रष्टाचार और राजनीतिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित होने की जरूरत नहीं? क्या हम इसे एक दूसरे की मदद से हल न कर सकते हैं?

मुझे लगता है की हमें अपने समाज में एक साथ आने और एक दूसरे की समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है। तो फिर, आरएसएस में केवल हिंदुओं को शामिल होने की अनुमति है या नहीं, यह जरूरी नहीं है।
 
यार तुमने सुना है री? आरएसएस में केवल हिंदू भाग लेने की अनुमति है, यह तो बिल्कुल मजाक है! क्या मुसलमानों और ईसाइयों को भी शामिल होने की अनुमति नहीं है? लगता है कि भारत में फिर से राज कौन बनेगा? 🤣🙃

तो आरएसएस में केवल ब्राह्मण भी शामिल नहीं हो सकते, यह तो और मजाक है! क्या उन्होंने देखा है कि देश में सबकुछ हिंदू, बस इतना तो साफ है... लेकिन आरएसएस में कौन भी शामिल नहीं हो सकता, यह तो बहुत मजेदार लगता है! 🤪
 
आरएसएस में तो केवल अपने स्वयं के लोगों को ही शामिल करना चाहिए, यह तो साफ़ है 🤔। लेकिन जानकर मुश्किल हुआ कि किसी दूसरे धर्म के लोग भी इसमें शामिल नहीं हो सकते। ऐसा क्यों? जीवन में हर किसी का अपना अधिकार होता है, इसलिए आरएसएस में सभी को स्वागत करना चाहिए।
 
आरएसएस कितनी शक्तिशाली है 🤯, लेकिन इसकी यह भी मायने रखती है कि देश के हर नागरिक को समान अवसर मिलें। मेरी राय में आरएसएस को हमारे संविधान के अनुसार चलना चाहिए, तो किसी भी धर्म या जाति के व्यक्ति इसका हिस्सा बन सकते हैं।
 
आरएसएस का यह दावा तो बहुत ही रोचक है 🤔, लेकिन मेरा कहना है कि यह भी एक तरह से धोखा है। कहो कि आरएसएस में केवल हिंदुओं को शामिल होने की अनुमति है, तो इसका मतलब यह है कि हर किसी को जैसे-जैसे ख्वाब देखने आते हैं वह भी आरएसएस में शामिल होने की अनुमति नहीं है। लेकिन, अगर हमारे देश में सामाजिक समानता का बात करना चाहते हैं, तो यह बहुत ही गलत है। हमें लगता है कि सभी नागरिकों को आरएसएस या किसी भी अन्य संगठन में शामिल होने की स्वतंत्रता होनी चाहिए। लेकिन, दुर्भाग्य से, यह वास्तविकता नहीं है।
 
आरएसएस जैसी संगठनों को उनके निश्चित रूप से भ्रष्टाचार और दमनकारी नीतियों से मुक्त करना चाहिए। उन्हें अपने अंदर की विविधता और जटिलताओं को समझना चाहिए।
 
क्या सच्चाई तो यही है? आरएसएस में केवल अपने ही जाति के लोगों को शामिल होने की अनुमति है? मैं सोचता हूँ, जब तक हमारी देशभर में पृथ्वी पर एकजुटता और एकता नहीं है, तब तक ऐसी भेदभावपूर्ण नीतियाँ बनाए रख सकते हैं। लेकिन क्या यह सही तरीका है? मैंने हमेशा कहा हूँ, आरएसएस को विश्वास और समर्थन देने से पहले उसके पीछे की सच्चाई जानने की जरूरत है।
 
बस यह तो बहुत अच्छा है कि आरएसएस में केवल हिंदुओं को शामिल होने की अनुमति है। लेकिन, मुझे लगता है कि ऐसा कहना थोड़ा सीमित है। हमारे देश बहुत विविधता का देश है, और हर किसी को समान अवसर मिलना चाहिए।
 
😒👀 मुसलमानों को भी आरएसएस में जाने की क्या जरूरत? 🤔♂️ हमारे देश में साथ-साथ रहने की जिंदगी होनी चाहिए। 😊👫

[Image: A meme of a Hindu and Muslim friends laughing together, with the caption "साथ-मिलकर खेलें" ]
 
नहीं, यह ठीक नहीं है... आरएसएस में सभी धर्मों और जातियों को शामिल होने की अनुमति देना चाहिए, न तो हिंदुओं की, न ही किसी अन्य धर्म या जाति की! यह सिर्फ एक समाज में विभाजन पैदा करेगा। और भागवत जी की बातें सुनकर लगता है कि उन्होंने अपने संगठन को इस तरह से बनाने का फैसला किया है ताकि वह अपने राजनीतिक उद्देश्यों को पूरा कर सके। लेकिन इससे देश की एकता पर हानि होगी। 🙅‍♂️
 
आरएसएस में केवल हिंदुओं को ही शामिल होने की अनुमति है, यह बात मुझे खेद है 🤔। लेकिन यह प्रश्न उठाना जरूरी है कि आरएसएस एक सांप्रदायिक संगठन है या नहीं? इसका उद्देश्य सभी धर्मों और समुदायों को एक साथ लाने का नहीं है, बल्कि केवल हिंदू समुदाय के लिए ही है। मुझे लगता है कि यह संगठन हमारे देश की विविधता और बहुसांस्कृतिकता को कमजोर कर रहा है।
 
आरएसएस में किसी और का मौका नहीं, यार! 🤦‍♂️ भागवत जी ने यह तो बिल्कुल स्पष्ट कर दिया है... हमारे देश में इतने मौके नहीं बचते, लेकिन फिर भी कुछ लोग इस तरह की गलतफहमी में पड़ जाते हैं! 🙄 आरएसएस में शामिल होने का मतलब यह भी है कि आप अपने विचारों और धर्म को सबके सामने रख सकते हैं, लेकिन याद रखना महत्वपूर्ण है कि हमारा देश बहुत ही विविधता का घर है, इसलिए हमें इसे सभी धर्मों और समुदायों के प्रति सम्मान के साथ देखना चाहिए! 🙏
 
🤔 बhai toh ये तो बहुत बड़ा मुद्दा है! आरएसएस में केवल हिंदुओं को शामिल होने की अनुमति होने से पहले क्यों नहीं कहा गया था? मुझे लगता है कि यह एक बहुत बड़ा भेदभाव है, लेकिन मैं आरएसएस का बिल्कुल भी विरोध नहीं करता। 🙏

मोहन साहब की बात सुनकर मुझे लगता है कि वे अपने संगठन को बहुत ज्यादा महत्व देते हैं और इसके लिए किसी भी कीमत पर यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि आरएसएस एक शुद्ध हिंदू संगठन बने रहे। 🙌

लेकिन मुझे लगता है कि यह एक बहुत बड़ा मुद्दा है और इसके बारे में विभिन्न विचारों को भी सुनना चाहिए। क्या हमें आरएसएस के साथ मिलकर नहीं चलना चाहिए? 🤝
 
आरएसएस में कौन जुड़ सकता है, यह सवाल हमें बहुत दिनों से आकर्षित कर रहा है 🤔। मेरी राय में, आरएसएस एक सामाजिक संगठन है, लेकिन इसके साथ-साथ यह एक राजनीतिक भी हो गया है। अगर ऐसा है, तो क्या हिंदुओं के अलावा किसी अन्य धर्म के लोग भी इसमें शामिल होने की अनुमति नहीं है? यह सवाल मेरे मन पर घिरा हुआ है।
 
आरएसएस में शामिल होने की अनुमति तो सब जानते हैं कि इसके लिए तो आपको हिंदू होना चाहिए, अगर आप मुस्लिम या ईसाई हो तो आप आरएसएस में शामिक नहीं हो सकते। यह सिर्फ एक जातीय और धार्मिक राजनीति है जिससे किसी भी तरह का लोग समाज में अलग दिखना चाहिए।
 
अरे, यह तो बहुत बुरी बात है 🤕, आरएसएस में केवल हिंदुओं को शामिल होने की अनुमति? यह न केवल भेदभावपूर्ण है, बल्कि सामाजिक रूप से विभाजनकारी भी। क्या हमारे देश में यहां तक कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में भी किसी को भाई-बहन के रूप में स्वागत नहीं किया जा सकता? 🤔

ज़रूरी, हमारे देश की विविधता और समृद्धि को क्या बढ़ावा देने का यह तरीका है? आरएसएस का मकसद सभी भारतीयों को एक साथ लाना नहीं है, बल्कि केवल अपने विशेष समूह को आगे बढ़ाना है। 🌟
 
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