बिहार के मधुबनी के गांव रांटी की रहने वाली दुलारी देवी, जिसे पद्मश्री सम्मान मिला है, ने बताया कि उन्हें पति से दोहराई जाती थी। उनके पति बहुत गुस्सैल स्वभाव के थे। वे मुझ पर बहुत चिल्लाते थे, लेकिन सास और ससुराल की तरफ से भी उन्हें तolerेट करना पड़ता। जब वह नौ महीने की थीं, उनकी एक जहरीली दवा लेने लगीं। दुलारी कहती हैं कि उस समय उन्होंने सोचा कि यह सब सहन नहीं कर सकती। इसलिए, पति को परमेश्वर मानकर बात करने लगे।
दुलारी जैसी कई महिलाओं ने जीवन में बहुत दुख भोगे, लेकिन उन्होंने अपने रिश्तों से उबरने का फैसला किया। उनकी कहानी पेंटिंग बनाते हुए शुरू हुई। उनके गांव में एक मधुबनी पेंटिंग विद्यालय चल रहा था, और वह वहीं गए। वहां, उनके दादा भी काम करते थे।
पहली बार, दुलारी ने अपनी कहानी बनाते हुए मना कर दिया। लेकिन उसे समझाया गया और उन्हें पेंटिंग करने का मौका मिला। उनके साथ 16 साल तक काम किया।
दुलारी कहती हैं कि एक बार, वे चेन्नई गए और अपने जीवन की कहानी पेंट करती। इस पेंटिंग किताब पर रॉयल्टी मिलती रही। इसका सीधा फायदा यह था कि उन्हें अपने गांव लौटने का विकल्प भी था।
दुलारी कहती हैं कि जीवन में खाली जगह होती है, और रंग भरने के साथ ही, उनकी कहानी पूरी हो गई। उन्होंने अपनी कहानी पेंटिंग बना कर, भारतीय कला को आगे बढ़ाया।
दुलारी जैसी कई महिलाओं ने जीवन में बहुत दुख भोगे, लेकिन उन्होंने अपने रिश्तों से उबरने का फैसला किया। उनकी कहानी पेंटिंग बनाते हुए शुरू हुई। उनके गांव में एक मधुबनी पेंटिंग विद्यालय चल रहा था, और वह वहीं गए। वहां, उनके दादा भी काम करते थे।
पहली बार, दुलारी ने अपनी कहानी बनाते हुए मना कर दिया। लेकिन उसे समझाया गया और उन्हें पेंटिंग करने का मौका मिला। उनके साथ 16 साल तक काम किया।
दुलारी कहती हैं कि एक बार, वे चेन्नई गए और अपने जीवन की कहानी पेंट करती। इस पेंटिंग किताब पर रॉयल्टी मिलती रही। इसका सीधा फायदा यह था कि उन्हें अपने गांव लौटने का विकल्प भी था।
दुलारी कहती हैं कि जीवन में खाली जगह होती है, और रंग भरने के साथ ही, उनकी कहानी पूरी हो गई। उन्होंने अपनी कहानी पेंटिंग बना कर, भारतीय कला को आगे बढ़ाया।