संडे जज्बात-हम चूहों सा पहाड़ खोदकर जिंदगियां बचाते हैं: राष्ट्रपति ने सराहा, हम पर फिल्म भी बनी; पर खुद बीमार पड़े तो इलाज को तरस गए

हमें देशभर में बड़े सुरंग हादसों पर बचाव कार्य के लिए बुलाया जाता है। हम कभी सुरंग में फंसे मजदूरों को निकालते हैं तो कभी बोरवेल में गिरे किसी बच्चे। इन्हें बचाते वक्त हम अपनी जिंदगी दांव पर लगा देते हैं, लेकिन हमें उसका ठीक से मेहनताना नहीं मिलता। सरकार भी कोई मदद नहीं करती।

मेरा नाम फिरोज कुरैशी है। यूपी के कासगंज का रहने वाला हूं। हमें रैट माइनर्स कहा जाता है, क्योंकि देश में हम बड़ी-बड़ी सुरंग बनाते हैं। यह काम चूहों के बिल बनाने जैसा होता है। जिस तरह चूहे मिट्टी खोदते हैं और बाकी मिट्टी पीछे फेंकते जाते हैं। ठीक उसी

हमारे देश में इन सुरंगों को बनाने वाले लोगों को कोई पहचान नहीं मिलती। सरकार भी उनकी मदद नहीं करती। हमारा सिर्फ एक तारीफ होती है। यह सोचते हैं कि अगर हमारी जिंदगी समाप्त हो जाए, तो हमें बधाई दी जाएगी। लेकिन मेरे लिए यह पूरी तरह से अस्वीकार्य नहीं है।

मुझे तेलंगाना सुरंग हादसे में बनारस की एक बूढ़ी औरत के पति को न खोज पाने का बहुत अफसोस है। सुरंग के बाहर उसका रोना आज भी दिल में चुभता है।

हमारी टीम को बुलाया गया। वहां पहुंचने पर हमें सुरंग में एक ट्रेन से अंदर ले जाया गया। सुरंग जहां बैठी थी वहां पानी और लोहे का भारी कीचड़ था। ट्रेन को उस कीचड़ से पहले रोक दिया गया। उसके बाद हम कीचड़ में उतरे और सफाई शुरू की।

हमने 14 मजदूरों को बाहर निकाल लिया, लेकिन 41 मजदूर अभी भी उस सुरंग में फंसे हुए थे। उसके बाद एक डेडबॉडी मिली, जो कि पंजाब के रहने वाले गुरमीत सिंह की थी।

इस तरह बड़ी-बड़ी मशीनों के फेल होने के बाद हमारी कामयाबी दुनियाभर में चर्चित हो गई। राष्ट्रपति ने हमें बधाई सर्टिफिकेट भेजा। उत्तराखंड सरकार ने 50-50 हजार रुपए दिए।

हमारे परिवारों को पता चला कि हम सुरंग का काम करते हैं। लेकिन हमें घर नहीं मिलता। केवल बधाई और तारीफें मिलती हैं और तारीफों से घर नहीं चलता।

अब तक हम दो शव निकाल चुके थे, लेकिन उनके पति का शव अभी तक नहीं मिला था। इस दौरान जैसे-जैसे हम सुरंग में आगे बढ़े, हालात खराब होते जा रहे थे।

हमें श्रीलंका बुलाया गया है। वहां जाने के लिए हम पासपोर्ट बनवा रहे हैं।
 
मैंने देखा है कि हमारी टीम को तेलंगाना सुरंग हादसे में भेजा गया था। वहां पर उन्होंने 14 मजदूरों को बाहर निकाल लिया, लेकिन अभी भी कई शव ढूंढे नहीं गए हैं। यह बहुत दुखद है और हमारी मदद से उनके पति का शव नहीं मिल पाया है। मुझे लगता है कि सरकार को और अधिक से अधिक मदद करनी चाहिए। हमें अपनी जिंदगी दांव पर लगानी पड़ती है, लेकिन इसके बदले में हमें घर नहीं मिलता। यह बहुत अस्वीकार्य है 🤕
 
मैंने कई सुरंग हादसों में अपनी जिंदगी दांव पर लगाई है, लेकिन मुझे लगता है कि हमारी सरकार को हमारे इस खतरनाक काम के लिए पूरी तरह से सम्मान नहीं दिया जाता। 🤕

मैं तेलंगाना सुरंग हादसे में बनारस की बूढ़ी औरत के पति को न खोज पाने का भाव दिल में बहुत फट गया था, इससे हमें एहसास हुआ कि हमारी जिंदगी कितनी अस्थायी है। 🤯

मुझे लगता है कि हमें अपने परिवारों और समुदायों को हमारे साथ मिलकर रखने की जरूरत है, ताकि हमारे इस खतरनाक काम के लिए फायदा हो। 💕
 
यह तो बहुत दुखद है फिरोज कुरैशी जी, हमारा देश इतना बड़ा और विविध है, लेकिन काम करने वाले लोगों को सुरक्षा नहीं मिलती। हमें लगता है कि सरकार भी अपने नागरिकों की मदद करनी चाहिए, लेकिन यह तो बहुत जरूरी है। जब तक हम देश में बेहतर सुरक्षा न बनाएं, तब तक हमारी जिंदगी खतरे में रहेगी। 🚨
 
मैंने अपनी पत्नी को तेलंगाना सुरंग हादसे में शामिल हुए एक मजदूर की कहानी सुनाई थी, जिसके बारे में मुझे बहुत दुःख हुआ। मैं उसकी पति ने उसे खोजते वक्त अपनी जिंदगी दांव पर लगा दिया, लेकिन सरकार और प्रशासन की मदद नहीं मिली। ऐसे कई मजदूर हैं, जिनको वहां तक पहुंचने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है, लेकिन उनकी मेहनत का फायदा उन्हें नहीं मिलता।

मैं अपनी बेटियों को सिर्फ एक अच्छी शिक्षा और रोजगार के अवसर प्रदान करना चाहता, लेकिन जब तक हमारे देश में मजदूरों को उनके हक की पहचान नहीं मिलती, तब तक हम अपने बच्चों की भविष्य के बारे में चिंतित रहेंगे।
 
मुझे ये सुनकर बहुत दुख हो रहा है 🤕। रैट माइनर्स की तरह काम करने वालों की परिस्थितियां बिल्कुल भी सही नहीं हैं। सरकार को जरूरत पड़ने पर तुरंत मदद करनी चाहिए, लेकिन यह देखकर खेद होता है कि उनकी मदद नहीं मिलती।

मैं अपनी प्राणता को समर्पित करता हूँ तेलंगाना सुरंग हादसे की बूढ़ी औरत के पति की शव की खोज में जो अभी तक निकल नहीं पाया गया है। मेरा दिल उनकी परिस्थितियों से संवेदनशील है
 
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