स्कूल भर्ती घोटाला मामला: बंगाल के पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी तीन साल बाद जमानत पर रिहा, ED ने किया था गिरफ्तार

स्कूल भर्ती घोटाले के मामले में बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी को जमानत पर रिहा किया गया, जिन्हें 23 जुलाई, 2022 को गिरफ्तार किया था। उन्होंने तीन साल बाद इस मामले में जमानत मिली।

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने भी कई मामलों में पार्थ चटर्जी को गिरफ्तार किया था, जो राज्य में एसएससी की 2016 की भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताओं से जुड़े हुए हैं। ये मामले कक्षा 9-10, 11-12 के शिक्षकों और ग्रुप सी और डी के गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्तियों से जुड़े हैं।

सोमवार को एक विशेष सीबीआई अदालत में गवाहों की गवाही पूरी होने के बाद पार्थ चटर्जी की रिहाई हुई। अदालत ने जमानत याचिका स्वीकार कर फैसला अलीपुर कोर्ट को भेजा, जिसके बाद प्रेसिडेंसी जेल प्रशासन को रिहाई आदेश जारी किया गया।

पार्थ चटर्जी को पहले ईडी के मामलों में जमानत मिल चुकी थी। सुप्रीम कोर्ट ने 18 अगस्त को आदेश दिया था कि ग्रुप सी भर्ती मामले में गवाहों की गवाही पूरी होने के बाद उन्हें जमानत दी जा सकती है।
 
स्कूल भर्ती घोटाले का यह मामला बहुत बड़ा हुआ था, लेकिन अंत में न्याय हुआ। आज भी सारे मामलों को सुलझाने के प्रयास जारी हैं ताकि ऐसे घोटाले कभी फिर नहीं होंगे।
 
पार्थ चटर्जी को तीन साल बाद जमानत मिलने से कुछ ऐसा नहीं हुआ, जैसे वह खुद ही गिरफ्तार नहीं थे। क्या यह सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त था कि उनके पास इस बात पर पकड़ नहीं है? 🤔
 
अरे भाई, ये मामला बहुत ही रोचक है 🤔। मुझे लगता है कि यह मामला अभी भी सुलझने की जरूरत है, और हमें पता चलने देना चाहिए कि पार्थ चटर्जी ने सच्चाई बताने की कोशिश की है या नहीं। यह तो सरकार की तरफ से बहुत ही अच्छी गवाही देने की प्रक्रिया चल रही थी, लेकिन लगता है कि अभी भी बहुत कुछ साफ नहीं हुआ है। मुझे लगता है कि हमें इन सभी मामलों को ध्यान से देखना चाहिए और यह पता लगाना चाहिए कि कौन-कौन से व्यक्ति सच्चाई बताने की कोशिश कर रहे हैं और कौन-कौन से लोग छल देने की कोशिश कर रहे हैं।
 
मैंने बंगाल के इस मामले को बहुत पढ़ा है 🤔, यह तो स्पष्ट है कि कुछ लोग इतने राजनीतिक मैदान पर बने रहने के लिए हमेशा किसी बड़े मेले में शामिल होते हैं। पार्थ चटर्जी जैसे लोगों को लगता है कि वे कहीं गिरने से पहले अपना ख्याल रख सकते हैं 🙃। लेकिन फिर भी ऐसे मामले तो हमेशा आते रहते हैं जिससे सरकार और प्रशासन को चुनौती देना पड़ता है। मुझे लगता है कि इस तरह से चलने वाली बातें हमेशा नहीं चल सकती, हमें अपने समाज को भी एक अच्छे दिशा में ले जाना होगा।
 
पार्थ चटर्जी को रिहा करने से पहले मैंने बहुत सोचा था कि अदालत कैसे ऐसा निर्णय लेगी। तो अब जब उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया है, तो मुझे लगता है कि यह एक बड़ा सवाल उठता है। क्या यह मामला पूरी तरह से समाप्त हुआ है? मेरे अनुसार, यह जरूरी नहीं कि उनकी रिहाई से सब ठीक हो जाएगा। तीन साल बाद जमानत मिलने पर भी बहुत सवाल उठते हैं। क्या उन्हें जमानत देने का निर्णय सच्चाई के खिलाफ था? और क्या अदालत का यह फैसला वास्तव में न्याय को बढ़ावा देता है या बस एक राजनीतिक आड़ है? 🤔
 
ਸ्कूलों ਮें ਬੜੇ ਹੋਏ ਘोटालੇ ਤੋਂ ਪਛਤਾਵਾ ਕਰਨ ਲਈ ਇਉਂ ਆਖਦੇ ਹਾਂ, "ਜਿੱਥੇ ਮੌਜੂਦਗੀ ਸੁੱਧੀ ਹੈ ਵੱਡਾ ਕੰਮ ਭੀ ਸੁੱਧਾ ਹੈ।"
 
मैंने देखा है कि कैसे लोग अपने आप से भी कुर्सी पर बैठते हैं... 🤦‍♂️ पार्थ चटर्जी को तीन साल बाद जमानत मिली है, यह तो एक बड़ा सवाल है कि उन्हें इतना समय देने में कहाँसे खराबियां हुईं? और फिर भी, उनके कई मामलों में अभी भी गिरफ्तारी जानकारी है। यह कैसे हो सकता है? 😒
 
मैंने भी ऐसा ही देखा है जो बंगाल के युवाओं को बहुत परेशान कर रहा है, लेकिन यह तो एक नेता की गलती से नहीं होता, लोगों की गलतियां से और अधिक परेशानी होती है।
 
मैंने पहले सुना था कि जमानत की व्यवस्था कैसे मिलती है तो यह तो बड़ा मजाक है! पार्थ चटर्जी को बस 3 साल बाद जमानत मिल गई, जबकि अन्य लोगों को यह निकलता है कि उनके दिल्ली या मुंबई में कई साल पहले मामले शुरू कर दिए गए थे। कोई तय नहीं करता है कि बड़े पुरजोर आरोपियों को पहले से ही जमानत मिलनी चाहिए या ना। फिर भी, उनकी रिहाई की बात सुनकर मुझे यही लगता है - जब तक हमारे समाज में ज्यादा बदलाव नहीं आया, तुम्हें कभी नहीं रोका जा सकता।
 
मुझे यह तो अजीब लग रहा है कि 3 साल बाद भी कोई मामला नहीं चल पाया। अगर सच्चाई कहें तो क्यों यह इतनी देर लेता है? और कैसे कोई व्यक्ति इतने अधिकारियों को धमकाकर जमानत मिल जाती है? 🤔

मुझे लगता है कि हमें अपने शिक्षा प्रणाली को अच्छी तरह से समझने की जरूरत है, और यह भी कि हमारे देश में न्याय कितनी आसानी से मिल सकता है। लेकिन जब तक हम सच्चाई की तलाश में नहीं जाते, तब तक ये घोटाले लगातार चलते रहेंगे। 🚨

और यह तो बहुत बुरा है कि पार्थ चटर्जी को पहले ईडी के मामलों में जमानत मिल चुकी थी, और अब भी उनकी जमानत स्वीकार की गई। क्या हमारे देश में न्याय कुछ नहीं है? 🤷‍♂️
 
सारा घोटाला तो तो फिर भी है... सीबीआई अदालत में गवाहों की गवाही पूरी होने के बाद पार्थ चटर्जी की रिहाई हुई, लेकिन यह तो कुछ नहीं करेगा... जमानत पर रिहा करने से मतलब यह नहीं है कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया। यह तो बस एक पल की मुश्किल से निकलने की बात है। और तीन साल बाद जमानत मिलना... यह तो किसानों के लिए क्या उदाहरण होगा?
 
नरेन्द्र, तुम्हारा इस मामले में बहुत निराशा होगी। लेकिन हमेशा याद रखो कि ज्यादातर मामलों में सच्चाई सामने आती है, और अब भी साक्ष्यों की गवाही पूरी होने के बाद पार्थ चटर्जी को जमानत दिलाई गई। लेकिन ये एक अच्छा सबक भी है - हमेशा सच्चाई की खोज में आगे बढ़ो।
 
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