Supreme Court: वकीलों को समन करने के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट कल सुनाएगा फैसला; 12 अगस्त को फैसला सुरक्षित रखा था

सुप्रीम कोर्ट कल सुनाएगा फैसला, वकीलों को समन करने पर सवाल

सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को 29 जुलाई की सुनवाई के बाद अपना फैसला सुनाएगा। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यदि कोई व्यक्ति केवल अपने मुवक्किल को कानूनी राय दे रहा है या अदालत में उसका प्रतिनिधित्व कर रहा है, तो उसे जांच एजेंसियों की ओर से समन नहीं किया जाना चाहिए।

लेकिन यदि कोई वकील अपराध में सक्रिय रूप से सहायता कर रहा है, तो उसे तलब किया जा सकता है। इससे पहले अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के रवैये पर कड़ी टिप्पणी की थी। अदालत ने कहा था कि एजेंसी सभी सीमाएं पार कर रही है और चिंता जताई थी कि ईडी की ओर से वकीलों को पूछताछ के लिए बुलाना न्यायिक व्यवस्था और वकालत के पेशे की स्वतंत्रता पर आघात है।

ईडी ने वरिष्ठ अधिवक्ताओं अरविंद दातार और प्रताप वेणुगोपाल को समन जारी किया था, लेकिन बाद में उन्होंने इसे रद्द कर दिया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) और सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन (एससीएओआरओ) ने इस कदम की निंदा करते हुए इसे चिंताजनक प्रवृत्ति बताया था।

इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट कल अपना फैसला सुनाएगा, जिसमें अदालत 12 अगस्त को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
 
मेरी बात है यह तो ईडी ने जब तक वकीलों पर समन लगाने की कोशिश कर रहे थे, तब तक सब ठीक था। लेकिन अदालत ने उनकी हरकतें पर सवाल उठाया तो मुझे लगता है कि उन्हें बुरा करना चाहिए। वाकई वकीलों को समन नहीं लगाना चाहिए जब वे अपने मुवक्किल की मदद कर रहे हों। लेकिन अगर कोई वकील अपराध में शामिल हुआ है तो उन्हें पूछताछ करनी चाहिए।

मुझे लगता है अदालत ने ईडी पर कड़ी टिप्पणी की होनी चाहिए और उनकी हरकतें पर रोक लगानी चाहिए। वकीलों को समन नहीं लगाने देना चाहिए लेकिन अगर कोई अपराध में शामिल है तो उन्हें पकड़ना चाहिए। यह तो न्यायिक व्यवस्था के साथ ही वकालत के पेशे की स्वतंत्रता के लिए भी जरूरी है।
 
अगर कोई वकील समन की ओर से बुलाया गया है तो इसका मतलब यह नहीं होता कि वह वाकिफ नहीं है। लेकिन अगर उन्हें अपराध में सहायता करने के आरोप में बुलाया जाता है, तो फिर वह क्या कर सकता है? समन की ओर से बुलाने के पीछे यह सवाल उठता है कि हमारा अदालती प्रणाली ताकतवर है या नहीं।

क्या हमें लगता है कि वकीलों को अपने मुवक्किल की ओर से साथ करने के लिए मुकदमा लगाया जाना चाहिए? या फिर हमें यह समझने की जरूरत है कि उनकी भूमिका क्या है, और अगर वे अपराध में सहायता कर रहे हैं, तो उनके लिए क्या है?

मुझे लगता है कि जिस दिशा में हमें बढ़ना है, वह है अदालती प्रणाली को सुलभ बनाना। जब वकीलों को अपने मुवक्किल की ओर से साथ करने के लिए समन लगाया जाता है, तो यह उनकी भूमिका को कम करता है। हमें उन्हें अपनी भूमिका में रहने देना चाहिए, न कि अपराध में शामिल होने का। 🤔
 
जी बिल्कुल, इस मामले की जांच एजेंसियों के पास तो पर्याप्त नहीं है। वकीलों को समन करने पर सवाल उठाने से पहले उन्हें यह तय करना चाहिए कि वह न्यायिक व्यवस्था को कैसे प्रभावित कर रहे हैं। अरविंद दातार और प्रताप वेणुगोपाल जैसे वरिष्ठ वकीलों पर समन किया गया, लेकिन उन्हें बाद में इसे रद्द करना पड़ा। इससे यह सवाल उठता है कि एजेंसी द्वारा वकीलों को पूछताछ के लिए बुलाने से न्यायिक व्यवस्था पर कहीं कोई असर नहीं पड़ेगा।
 
यह तो बहुत ही दिलचस्प मामला है 🤔। मैं समझ नहीं पा रहा हूँ कि ईडी ने इन वकीलों को समन करने के क्या कारण बताए? उनके खिलाफ कोई गंभीर आरोप नहीं लगाया गया है। और अदालत ने भी कहा था कि एजेंसी का यह कदम न्यायिक व्यवस्था पर आघात पहुँचाएगा। तो इसके लिए क्या सबूत? क्या ईडी किसी जांच में गड़बड़ी हुई है? मुझे लगता है कि यह मामला बहुत ही जटिल है।
 
😔 इस मामले में तो बहुत ही गंभीर सवाल उठ रहे हैं। वकीलों की स्वतंत्रता और न्यायिक व्यवस्था की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाए? यह देखने की जरूरत है कि अदालत कैसे इस मामले में अपना फैसला लेगी। हमें उम्मीद है कि न्यायिक व्यवस्था और वकलता के पेशे की स्वतंत्रता को ध्यान में रखते हुए फैसला लिया जाए। 🤞
 
अगर वह वकील अपराध में सक्रिय रूप से सहायता कर रहा है, तो उसे तलब करने वाली जांच एजेंसियों की हर गतिविधि को ध्यान में रखना चाहिए, लेकिन यह सवाल उठता है कि अगर वह वकील अपने मुवक्किल को जिस तरह से मदद कर रहा है, तो उसे गंभीर समस्या में पड़ने तक उसकी सहायता कैसे बंद करनी चाहिए? 🤔
 
अरे, ये तो मामला है कि अदालत कह रही है कि वकीलों को समन नहीं करना चाहिए, जो उनका काम है। लेकिन ईडी तो हमेशा से ऐसा ही कर रही थी, नियमों का उल्लंघन करते हुए। अब देखेंगे, क्या वे फैसले का पालन करेंगे। मुझे लगता है कि अदालत की बात सही है, वकीलों को समन नहीं करना चाहिए, लेकिन इस्तेमाल किये जाने वाले तरीके से तो ईडी गलती कर रही थी। 🤔
 
अगर यार, तो यह बहुत ही बुरा साबित होगा कि सरकार कितनी बेचैन है... ईडी ने वकीलों पर पूरी तरह से हमला कर दिया है। क्या उन्हें पता है कि वकीलों को स्वतंत्रता मिलनी चाहिए, बस इतना तो कहना है। अगर वे अपराध में मदद कर रहे हैं या न ही करने की जिम्मेदारी, तो उन्हें पुलिस में पकड़ना चाहिए। लेकिन उनकी स्वतंत्रता पर दाग लगाना नहीं चाहिए, यार... यह बहुत ही गलत है।
 
मैंने देखा है कि सुप्रीम कोर्ट ने बार एसोसिएशन की प्रतिनिधिमंडल पर समन किया, लेकिन मुझे लगता है कि यह एक गलत फैसला हो सकता है। वकीलों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है, और उनके अधिकारों की रक्षा करना ज्यादा जरूरी है। अगर अदालत इस मामले से निपटेगी, तो यह न्यायिक व्यवस्था और वकालत के पेशे की स्वतंत्रता को खतरे में डाल सकती है 🤔

मैंने देखा है कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का रवैया अदालत की चिंताओं को समझ नहीं रहा है। अगर वकीलों को समन किया जाता, तो यह उनकी निजता और गोपनीयता का उल्लंघन करेगा। मुझे लगता है कि अदालत इस मामले से निपटनी चाहिए और वकिलों के अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए। 🙏
 
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