'... तो रद्द कर देंगे SIR एक्सरसाइज', वोटर लिस्ट रिवीजन पर सवाल उठाने वालों से बोला SC

चुनाव आयोग के द्वारा चलाए जा रही मतदाता सूची के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (एसआईआर) पर सवाल उठाने वालों से बोलते हुए, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची ने कहा, "हमें यह समझने की जरूरत है कि एसआईआर को लेकर इतने आशंकित क्यों हैं. क्या आपको लगता है कि यह प्रक्रिया तेजी से चल रही है? हमें अपने नोटिस पर जवाब मांगना है, जिससे हमें पता चलता है कि एसआईआर को लेकर क्या विचार हैं."

कपिल सिब्बल ने बात करते हुए कहा, "यह प्रक्रिया बहुत जल्दबाजी में चल रही है, जबकि पहले मतदाता सूची को रिवाइज करने में तीन साल का समय लगता था. ऐसा पहली बार है कि इतनी जल्दी यह प्रक्रिया हो रही है. हमें यह समझने की जरूरत है कि चुनाव आयोग कह रहा है कि एक महीने में प्रक्रिया हो जाएगी. लाखों लोग वोटर लिस्ट से हटा दिए जाएंगे."

कोर्ट ने जवाब मांगते हुए कहा, "आपने अपना काउंटर दाखिल कर दिया है. हम नोटिस जारी कर रहे हैं. अगर हम संतुष्ट होते हैं, तो प्रक्रिया को रद्द कर देंगे. हम सभी रिट याटिकाओं पर नोटिस जारी कर रहे हैं."
 
मुझे लगता है कि चुनाव आयोग ने यह प्रक्रिया तेज करने का फैसला इसलिए किया हो सकता है, क्योंकि उनका उद्देश्य कुछ समय पहले से ही मतदाता सूची में बदलाव लाना है... 🤔

लेकिन, अगर हम सच्चाई बोलते हैं तो यह प्रक्रिया बहुत जल्दबाजी में चल रही है और इससे कुछ गलत होने का खतरा है। क्या चुनाव आयोग सोच रहे हैं कि लाखों लोग वोटर लिस्ट से हटाए जाएंगे? यह तो बहुत बड़ा मुद्दा है... 😟

मुझे लगता है कि हमें अपनी बात कहनी चाहिए और सरकार को समझाना चाहिए कि यह प्रक्रिया सही से नहीं चल रही है। इससे लोगों को नुकसान हो सकता है... 😔
 
मुझे लगता है कि चुनाव आयोग को मतदाता सूची में बदलाव करने की प्रक्रिया तेजी से चल रही है, लेकिन क्या यह सही था? पहले तीन साल में मतदाता सूची में बदलाव होता था, तो अब एक महीने में तो यह और जल्दबाजी में नहीं होगा। क्या हमें विश्वास करना चाहिए कि चुनाव आयोग सच्चाई बताएगा? और अगर हम वोटर लिस्ट से हटाने जा रहे हैं, तो हमें अपना मतपत्र भी बदलना पड़ेगा, जैसे मायांपुरी घाटी में बेहद भीड़।
 
😅 यह मतदाता सूची में बदलाव की बात तो सब जानते हैं, लेकिन कि इतनी जल्दबाजी से नहीं होना चाहिए. तीन साल पहले भी इसमें बदलाव होता है, लेकिन यह तेजी से करने से सब कुछ और जटिल हो गया है। 😬 मुझे लगता है कि चुनाव आयोग ने अपनी प्रक्रिया बदल दी, लेकिन इसके पीछे क्या विचार हैं? 👀
 
🤔 मुझे लगता है कि एसआईआर को लेकर इतने आशंकित तो सही, लेकिन अगर वो प्रक्रिया तेजी से चल रही है तो नहीं… यह तो बहुत जल्दबाजी में हो सकती है, फिर भी लाखों लोग वोटर लिस्ट से हटा दिए जाएंगे… क्या चुनाव आयोग तय करेगा कि उन्हें वोट डालने का मौका मिलेगा या नहीं? 🤷‍♂️
 
बस यह तो समझने में आसान नहीं है कि चुनाव आयोग ऐसा क्यों कर रहा है. पहले मतदाता सूची में त्रुटियाँ लेकर भी कुछ समय लग जाता है, फिर इतनी जल्दबाजी में सब कुछ चलने देने देने से नहीं? यह तो केवल एक साल में सब कुछ बदलने की बात नहीं है बल्कि लाखों लोगों का नाम हटाने की बात है. इससे क्या फायदा है?
 
🤔 यही सच्चाई है, चुनाव आयोग की एसआईआर की बात में लोग बहुत आश्कित हो गए हैं. तीन साल पहले मतदाता सूची रिवीज करने में इतना समय लगता था, जबकि अब एक महीने में यह प्रक्रिया तेजी से चल रही है. क्या चुनाव आयोग से जवाब नहीं मिल रहा है? 🤷‍♂️ यह नोटिस आ गई, लेकिन देखो मतदाता सूची पर इतने बदलाव कैसे आएंगे. इसका फायदा कौन करेगा? 🤑 पार्टियों को चुनाव में जीतने का मौका मिलेगा या लोगों को अपने मतदान अधिकार की समझ में आ सकेगी. 👀
 
भाइयों/बहनों, मतदाता सूची में बदलाव की बात सुनकर मुझे थोड़ा अजीब लगा। तीन साल पहले भी ऐसा नहीं था, लेकिन अब यह तेजी से चल रही है। मुझे लगता है कि चुनाव आयोग ने बहुत जल्दबाजी में काम करने का फैसला किया है, और इससे लाखों लोगों को मतदाता सूची से हटाने का डर है।
 
ਆज ਚुनाव आयोग द्वारा चलाए जा रहੀ मतदाता सूचੀ ਕੰडੇਸ਼ਨ ਪ੍ਰਣਾਲੀ (एसआईआर) 'ਤੇ ਜਿੱਥੇ ਬੜੀ ਗਰਮਗਿਆਨ ਹੋ ਰਹੀ ਹੈ, ਤੇ ਕਾਨੂੰਨ ਦੁਆਰਾ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਕਾਰਜਯੋਗਤਾ ਲਈ ਸੀਨੀਅਰ ਜਸਟਿਸ, ਜਸਟਿਸ ਸੂਰਯਕਾਂਤ ਅਤੇ ਜਸਟਿਸ ਜੋਈਮਲਿਆ ਬਾਗਚੀ ਨੇ ਵਧੀਆ ਦੱਖਣਾਂ ਕੀਤੀਆਂ ।

ਉਹ ਆਪਣੀ ਸੀਨੀਅਰਿਟੀ ਬਾਰੇ ਵੀ ਦੱਸ ਰਹੇ ਹਨ, ਜਿਸ ਲਈ ਉਹ ਆਪਣੇ 'ਕੰਧ' ਤੋਂ ਬਾਹਰ ਨਿਖੇਪ ਕਰ ਰਹੇ ਹਨ।

ਵੱਡੀ ਗ਼ਲਤੀ ਦੀ ਚੋਟ ਤੁਰ ਰਹੀ ਹੈ।
 
मुझे लगता है कि चुनाव आयोग को बिल्कुल फिर से मतदाता सूची बनाने में लंबे समय लगना चाहिए. तीन साल पहले ऐसा करने में इतना समय लग गया, तो फिर तेजी से एक महीने में पूरा काम कैसे कर सकते हैं? 🤔

मुझे लगता है कि स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (एसआईआर) पर सवाल उठाने वालों को अपनी चिंताओं को समझाएं, ताकि उन्हें पता चले कि मतदाता सूची बनाने में क्या गलत हुआ. अगर कुछ सही नहीं था, तो उसे ठीक करना जरूरी है। 🤷‍♀️

जस्टिस जॉयमाल्या बागची जी ने बहुत ही सावधानी से कहा है कि हमें एसआईआर पर सवाल उठाने वालों को समझने की जरूरत है। मुझे लगता है कि चुनाव आयोग को अपने नोटिस पर जवाब देना जरूरी है, ताकि हमें पता चले कि एसआईआर को लेकर क्या विचार हैं। 💡
 
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