थरूर बोले- आतंकवाद 1989-90 में कश्मीर से शुरू हुआ: अब दिल्ली-मुंबई तक फैल गया; फारूक ने कहा था- हर कश्मीरी पर उंगली उठाई जा रही

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने बताया है कि आतंकवाद 1989-90 में कश्मीर से शुरू हुआ था, लेकिन धीरे-धीरे इसकी राहें दिल्ली, मुंबई और अन्य जगहों तक फैल गई हैं।

इस बीच, कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा है कि आतंकवाद पर सख्ती जरूरी है, लेकिन देश के विकास के बड़े लक्ष्यों को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने बताया है कि हर आतंकी घटना में दो चीजें बेहद अहम होती हैं - यह पता लगाना कि वारदात किसने और क्यों की और ऐसे हमलों को दोबारा होने से रोकने के उपाय।

उन्होंने जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला के बयान पर आया यह बयान दिया है। फारूक अब्दुल्ला ने कहा था कि हर कश्मीरी पर उंगली उठाई जा रही है, और वो दिन कब आएगा जब वे मानेंगे कि हम हिंदुस्तानी हैं। उन्होंने बताया है कि जो लोग इस विस्फोटक को बेहतर समझते हैं, उन्हें हैंडल करना चाहिए था।

आखिरकार, नौगाम पुलिस स्टेशन में धमाके की घटना पर फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि यह हमारी गलती है, जो लोग इस विस्फोटक को बेहतर समझते हैं, उन्हें हैंडल करना चाहिए था। वहां घरों को कितना नुकसान हुआ।
 
अरे, ये देश तो ऐसा ही चल रहा है, लेकिन क्या हम अपने बच्चों को समझने में सक्षम नहीं हैं? आतंकवाद 1989-90 से शुरू हुआ, तो फिर इतने सालों बाद भी इसका समाधान नहीं मिल पाया है। यह जानकर दुःख होता है कि जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा है कि हमारी गलती है, और उन्हें इस विस्फोटक को समझना चाहिए था। लेकिन ये सवाल उठता है कि क्या हम अपने देश की स्थिति को समझ सकते हैं? शशि थरूर ने कहा है कि आतंकवाद पर सख्ती जरूरी है, लेकिन देश के विकास के बड़े लक्ष्यों को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। मुझे लगता है कि हमें अपने बच्चों को समझने की कोशिश करनी चाहिए, और उन्हें देश की सच्चाई बतानी चाहिए। तो फिर आतंकवाद से छुटकारा पाने की रास्ता कहाँ है? 🤔
 
अगर आतंकवाद सिर्फ कश्मीर में शुरू नहीं हुआ, तो यह देश के हर corner पर फैल गया, तो हमें सोच कर कह सकते हैं कि हमारी सरकार और पुलिस बहुत अच्छी तरह से आतंकवाद का खिलाफ लड़ाई चला रही है। लेकिन अगर आतंकवाद वास्तव में शुरू हुआ था, तो हमें अपनी गलतियों को स्वीकार करना चाहिए और उनसे सबक लेना चाहिए।

लेकिन सवाल यह है कि हम देश के विकास के बड़े लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं या नहीं? क्या हमारी सरकार और पुलिस आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में बहुत तेजी से आगे बढ़ रही है या नहीं।

मुझे लगता है कि हमें अपने देश की समस्याओं को हल करने के लिए एक-दूसरे की बात सुनना चाहिए और सोचकर रखना चाहिए कि हमारा यह देश वास्तव में कैसा है और हमें अपने देश को कैसे बचाना है।
 
आज फिर से यही सवाल उठ रहा है - कश्मीर में आतंकवाद का वास्तविक मूल क्या है? मेरा ख्याल है कि आतंकवाद को देखने की तरह ही इसे समझने की भी जरूरत है। हमारे पूर्व कश्मीर के मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि आतंकवाद 1989-90 में शुरू हुआ था, लेकिन यहां तक कि उनके बयान में भी एक विकृत दृष्टिकोण है। मेरा मानना है कि हमें आतंकवाद के पीछे के मूल कारणों को समझने की जरूरत है, न कि सिर्फ इसकी घटनाओं पर ध्यान केंद्रित करना।

मुझे लगता है कि शशि थरूर की बात सही है, हमें आतंकवाद पर सख्ती बरतनी चाहिए, लेकिन साथ ही हमें इसे देश के विकास के लक्ष्यों से भी जोड़ना चाहिए। हमें पता लगाने की जरूरत है कि आतंकवाद किसने और क्यों हुआ, और फिर उसे रोकने के लिए कदम उठाएं।

🤔
 
मुझे लगता है कि आतंकवाद की समस्या बहुत जटिल है और इसका समाधान नहीं मिल सकता अगर हम सिर्फ एक तरफ झुक कर दें... 🤔

जैसे ही शशि थरूर ने कहा है, हर आतंकी घटना में यह पता लगाना कि वारदात किसने और क्यों की बहुत अहम है... लेकिन फिर भी, हमें इस पर ध्यान देना चाहिए कि आतंकवाद को रोकने के लिए हमें इसके मूल कारण को समझना चाहिए...

फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि हर कश्मीरी पर उंगली उठाई जा रही है, और यह सच है... लेकिन मुझे लगता है कि हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हम अपने देश के सभी नागरिकों के साथ सम्मान और सौहार्द के साथ व्यवहार करें, न कि उनकी जाति या धार्मिक विशेषताओं को ध्यान में रखकर... 🙏

आतंकवाद को रोकने के लिए हमें एक-दूसरे के साथ सहयोग करना चाहिए और इसके बारे में चर्चा करनी चाहिए... अगर हम ऐसा नहीं करते, तो आतंकवाद जैसी समस्याएं कभी नहीं समेती, बस बढ़ती रहेंगी। 😕
 
मुझे लगता है कि आतंकवाद की समस्या बहुत जटिल है, और इसका समाधान नहीं मिल सकता अगर हम इसकी जड़ों पर ध्यान नहीं देते। फारूक अब्दुल्ला के बयान से यह महसूस करने को मिल रहा है कि आतंकवादी गतिविधियों के पीछे कुछ वास्तविक मुद्दे हैं जिनका समाधान नहीं मिल सकता। हमें यह समझने की जरूरत है कि आतंकवाद न केवल एक हिंसक समस्या है, बल्कि इसके पीछे सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक कारण भी हो सकते हैं।
 
मेरे दिल में एक सवाल उठ रहा है - क्या फारूक अब्दुल्ला से नहीं कहा जाता कि आतंकवाद की वजह से भारत में इतनी भारी तबाही हो रही है, लेकिन वह दोषियों को हाथ से संभालने में अक्षम हैं? 😕 मुझे लगता है कि उनकी बात ही सही नहीं है, आतंकवाद को सिर्फ एक राजनीतिक समस्या के रूप में देखा जा सकता है, लेकिन उसके पीछे कोई तटस्थ वास्तविकता भी है। क्या हमें यह नहीं सोचा चुके हैं कि आतंकवाद को सिर्फ हाथ से नहीं, बल्कि इसके सार को समझने और उसके मूल कारणों पर ध्यान देने की जरूरत है? 🤔
 
मुझे लगता है कि आतंकवाद जैसी समस्या को सिर्फ़ हाथों में लेना और हल करने की कल्पना करना आसान नहीं है। हमें यह समझना चाहिए कि यह एक जटिल समस्या है, जिसमें कई कारक शामिल हैं 🤔

आजकल देखा गया है कि जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि आतंकवाद 1989-90 में शुरू हुआ था, लेकिन धीरे-धीरे इसकी राहें दिल्ली, मुंबई और अन्य जगहों तक फैल गई हैं। यह जानना जरूरी है कि हमारी सुरक्षा प्रणाली भी इस समस्या को समझने में सक्षम नहीं हुई है।

आखिरकार, हमें एकजुट होकर आतंकवाद के खिलाफ लड़ना होगा, और इसके लिए हमें सुरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने की जरूरत है 🚨

तो यहां एक छोटी सी डायराम मैं बनाई है।
 
मुझे लगता है कि आतंकवाद एक बहुत बड़ा मुद्दा है, जो हमारी देश की सुरक्षा और शांति पर बहुत बड़ा प्रभाव डालता है। लेकिन मैं सोचता हूँ कि हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि आतंकवाद एक ऐसा निशाना है, जिसे हमारी देश की समृद्धि और विकास पर हमला कर रहा है। इसलिए, मुझे लगता है कि हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हम अपने विकास के लक्ष्यों को पूरा करते समय आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लिए भी एकजुट हो। 🤔

कश्मीर की स्थिति बहुत जटिल है, और यह एक ऐसा मुद्दा है जिस पर हमें बहुत सोच-समझकर निर्णय लेने चाहिए। मुझे लगता है कि हमें आतंकवाद के पीछे की कारणताओं को समझना चाहिए, और फिर उसके बारे में एक समाधान खोजने की कोशिश करनी चाहिए। 🌊
 
मुझे लगता है कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियाँ शुरू होने का दिन कभी नहीं आएगा, यह तो सोच लीजिए, आतंकवाद जैसी समस्या हमारे देश के हर हिस्से में फैल गई है, पूरा देश इसके प्रति निरोध में है।
 
Back
Top