अमेरिका में भारतीय छात्रों की संख्या में गिरावट एक चेतावनी है कि दुनिया की शिक्षा अर्थव्यवस्था अपने पुराने भरोसे को खो रही है। वीजा प्रक्रिया की जटिलताएं, सख्त सुरक्षा जांच और एच-1बी वर्क परमिट की अनिश्चितता ने भारतीय परिवारों को गहरी चिंता में डाल दिया है। इसने अमेरिकी विश्वविद्यालयों की आर्थिक नींव तक पहुंच दी।
भारतीय छात्र अब बड़ी संख्या में अमेरिका से मुंह मोड़कर अन्य देशों की ओर बढ़ रहे हैं। कनाडा, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप का रुख कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह आकर्षण के बजाय सुरक्षा और स्थिरता की तलाश है। अन्य देश पढ़ाई के बाद काम और प्रोजेक्ट रिसर्च का स्पष्ट मार्ग देते हैं, जबकि अमेरिका इसे लेकर अनिश्चित बना हुआ है।
भारतीय परिवारों की मानसिकता में भारी बदलाव दिखाई दे रहा है। एक साल पहले तक 61% भारतीय छात्र अमेरिका को प्राथमिकता देते थे, जबकि अब ये आंकड़ा गिरकर 22% पर आ गया है। महंगी पढ़ाई, असुरक्षा, और भविष्य की अनिश्चितता ने परिवारों को कम जोखिम वाले विकल्पों की ओर धकेल दिया है।
यह गिरावट अमेरिकी शिक्षा व्यवस्था के लिए एक बड़ा झटका है। भारतीय छात्र हर साल अरबों डॉलर की फीस और शोध योगदान से अमेरिकी शिक्षा व्यवस्था को मजबूती देते रहे हैं। अगर अमेरिका ने वीजा और वर्क परमिट नियमों में सुधार नहीं किया तो दुनिया की प्रतिभा अमेरिका से हटकर दूसरे देशों की ओर स्थायी रूप से शिफ्ट हो सकती है।
भारतीय छात्र अब बड़ी संख्या में अमेरिका से मुंह मोड़कर अन्य देशों की ओर बढ़ रहे हैं। कनाडा, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप का रुख कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह आकर्षण के बजाय सुरक्षा और स्थिरता की तलाश है। अन्य देश पढ़ाई के बाद काम और प्रोजेक्ट रिसर्च का स्पष्ट मार्ग देते हैं, जबकि अमेरिका इसे लेकर अनिश्चित बना हुआ है।
भारतीय परिवारों की मानसिकता में भारी बदलाव दिखाई दे रहा है। एक साल पहले तक 61% भारतीय छात्र अमेरिका को प्राथमिकता देते थे, जबकि अब ये आंकड़ा गिरकर 22% पर आ गया है। महंगी पढ़ाई, असुरक्षा, और भविष्य की अनिश्चितता ने परिवारों को कम जोखिम वाले विकल्पों की ओर धकेल दिया है।
यह गिरावट अमेरिकी शिक्षा व्यवस्था के लिए एक बड़ा झटका है। भारतीय छात्र हर साल अरबों डॉलर की फीस और शोध योगदान से अमेरिकी शिक्षा व्यवस्था को मजबूती देते रहे हैं। अगर अमेरिका ने वीजा और वर्क परमिट नियमों में सुधार नहीं किया तो दुनिया की प्रतिभा अमेरिका से हटकर दूसरे देशों की ओर स्थायी रूप से शिफ्ट हो सकती है।