युद्धाभ्यास 'त्रिशूल': पाकिस्तानी सीमा पर तीनों सेनाओं का साझा अभ्यास, अब भैरव-अश्नि बटालियन का दिखाएंगे शौर्य

पाकिस्तान सीमा पर तीनों सेनाओं का साझा युद्धाभ्यास 'त्रिशूल' शुरू हुआ। इस अभ्यास में भैरव और अश्नि प्लाटून ने अपनी नई हमलावर इकाइयों को उतार दिया है। त्रिशूल अभ्यास का मकसद जमीन, हवा, समुद्र, डिजिटल व साइबर डोमेन में देश के सुरक्षा तंत्र के बीच ऑपरेशनल तालमेल की पुष्टि करना है।

भैरव बटालियन का गठन सेना के विशेष ऑपरेशनों में तेज और चौंकाने वाली कार्रवाई के लिए किया गया है। इस बटालियन में 250 विशेष प्रशिक्षित और अत्याधुनिक तकनीकों से लैस सैनिक होते हैं।

अश्नि प्लाटून सेना की योजना 380 इंफेंट्री बटालियनों के पास अश्नि प्लाटून रखने की है। इस प्लाटून में 20 से 25 सैनिक होते हैं और हर प्लाटून में 10 ड्रोन से लैस होती है।

नौसेना ने बताया कि गुजरात के क्रीक इलाके और उत्तरी अरब सागर में बड़े समुद्री ऑपरेशन होंगे। त्रिशूल से मिली सीख से युद्ध के तौर तरीकों का परिशोधन किया जाएगा।

मरु ज्वाला उच्च तीव्रता वाले इंटीग्रेटेड अभ्यास शुरू किए गए हैं। इसमें सभी हथियार प्रणालियां साझा डिजिटल नेटवर्क से जुड़कर लक्ष्य पर एकीकृत आघात करती हैं। लंबी दूरी तक वार करने वाले हथियारों का परीक्षण भी किया जा रहा है।
 
त्रिशूल अभ्यास की बात हो तो मुझे लगता है कि यह अच्छा सोचा गया हुआ काम है। पाकिस्तान सीमा पर तीनों सेनाओं का साझा अभ्यास इसी कारण है, लेकिन मैंने कोई अंतर्दृष्टि नहीं है कि युद्ध में क्या बदलाव आएगा। प्राप्त जानकारी के अनुसार यह अभ्यास जमीन, हवा, समुद्र और डिजिटल व साइबर डोमेन में देश के सुरक्षा तंत्र के बीच ऑपरेशनल तालमेल की पुष्टि करने के लिए है। लेकिन अगर हमारे सैनिकों को विशेष प्रशिक्षण और अत्याधुनिक तकनीक मिल रही है तो यह अच्छा सोचा गया हुआ है।
 
देश में सुरक्षा तैयारी बढ़ रही है, लेकिन क्या यह पर्याप्त है? तीनों सेनाओं का इस तरह से साझा अभ्यास करना अच्छा हो सकता है, लेकिन किसने यह सोचा कि हमें पाकिस्तान सीमा पर दोबारा फंसने की जरूरत है?

भैरव बटालियन में 250 विशेष प्रशिक्षित सैनिक हैं, लेकिन इतने सैनिकों को एक ही स्थान पर रखना हमारे लिए फायदा नहीं होगा। और अश्नि प्लाटून में 10 ड्रोन, यह तो बहुत बड़ा खर्च है। क्या हमें वास्तव में इतनी सी तकनीक की जरूरत है?

नौसेना ने बताया कि समुद्री ऑपरेशन बढ़ रहे हैं, लेकिन दुर्घटनाओं की गिनती कम नहीं हो रही। त्रिशूल अभ्यास से हमें लगता है कि हमें अपनी सुरक्षा को और भी जटिल बनाने की जरूरत है।
 
तो ये तो पाकिस्तान से मिलने के बाद हमारी सेना कैसे बन गई। पहले सिर्फ त्रिशूल अभ्यास करने का ध्यान रखा गया, अब दुनिया भर में अपनी ताकत जानने के लिए। भैरव और अश्नि प्लाटून में सैनिकों की संख्या बढ़ने का मतलब है हमारी अराजकता को कम करने की कोशिश की जा रही है, लेकिन यह सिर्फ इतना ही नहीं है। युद्ध के तौर तरीकों में बदलाव करने और हमारी सुरक्षा तंत्र को मजबूत बनाने की कोशिश की जा रही है।
 
त्रिशूल अभ्यास बहुत जरूरी है, हमें अपने सुरक्षा तंत्र को मजबूत बनाने की जरूरत है 🕊️। पाकिस्तान सीमा पर युद्धाभ्यास करना बिल्कुल सही फैसला था, हमें अपने पड़ोसियों के साथ सम्मान और समझ के साथ व्यवहार करने की जरूरत है। भैरव और अश्नि प्लाटून नामक नई हमलावर इकाइयां बनाना बहुत अच्छा है, हमें अपने सैनिकों को अत्याधुनिक तकनीकों से लैस करने की जरूरत है 🚀। यह अभ्यास हमारे सुरक्षा तंत्र को मजबूत बनाने में मदद करेगा और हमें हमेशा तैयार रहने की जरूरत है।
 
त्रिशूल अभ्यास में युद्ध के नए तरीके देखने में रुचि ली तो अच्छा है, खासकर जब इसमें हमलावर इकाइयों को उतारा गया है और विशेष प्रशिक्षित सैनिकों का उपयोग किया जा रहा है। लेकिन, यह सोचे में आ गया है कि त्रिशूल अभ्यास के बाद देश की सुरक्षा तंत्र को कैसे मजबूत किया जाएगा, इसके बारे में अधिक चर्चा करने की जरूरत है।
 
त्रिशूल अभ्यास सुनकर मुझे एक पुरानी सेना की फिल्म देखने की बात आती है... या तो 90 के दशक की कोई ऐसी फिल्म जिसमें सेना की कार्रवाई बहुत अच्छी ढंग से दिखाई देती, या तो वाह! 70 के दशक की कोई भी रेलर सिनेमा जहां सेना की टीम बहुत ही रोमांचक तरीके से लड़ती। यह अभ्यास शायद ऐसा ही है... किसी भी तरह तो मुझे लगता है कि हमारी सेना की नई तकनीक और योजनाएं वाकई बहुत अच्छी हैं।
 
नई त्रिशूल अभ्यास को देखकर मैं थोड़ा सोचता हूँ कि हमारी सेना कितनी मजबूत हुई है 🤔। पाकिस्तान सीमा पर अभ्यास कर रहे तीनों सेनाओं ने अपनी हमलावर इकाइयों को उतार दिया है, इससे लगता है कि हमारी सेना में नए तकनीक और योजनाएँ हैं। भैरव बटालियन की बात करते हुए, यह तो बहुत ही अच्छा है कि हमारे पास 250 विशेष प्रशिक्षित और अत्याधुनिक तकनीकों से लैस सैनिक हैं 🚀। और अश्नि प्लाटून में ड्रोन की बात करते हुए, यह तो बहुत ही उपयोगी है हमारे ऑपरेशन्स में। त्रिशूल अभ्यास से हमारा सुरक्षा तंत्र कितना मजबूत होता जानेगा, बस देखना ही होगा।
 
त्रिशूल अभ्यास में पाकिस्तान सीमा पर लड़ने के लिए तैयार करने को तेज कर रहे हैं 😒। लगता है कि सेना भी पाकिस्तान की गलात खाने वाली बात समझ गई है। 380 इंफेंट्री बटालियनों में अश्नि प्लाटून रखने की बात भी अच्छी लगती है, क्योंकि ड्रोन से लैस होकर वे किसी भी परिस्थिति में लड़ने में सक्षम हो सकते हैं। मरु ज्वाला अभ्यास में सभी हथियार प्रणालियों को एकीकृत करके लक्ष्य पर हमला करने का प्रयास कर रहा है, जो सेना के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। लगता है कि त्रिशूल अभ्यास में भी अच्छा विकास देखा जाएगा।
 
पाकिस्तान सीमा पर युद्धाभ्यास शुरू होने पर मुझे थोड़ा खेद हुआ, लेकिन फिर सोचकर मैं कहूंगा कि यह एक अच्छी बात है कि हमारी तीन सेनाओं ने एक साथ अभ्यास किया है।

भैरव और अश्नि प्लाटून की बनाई गई नई हमलावर इकाइयों को देखकर मुझे खुशी हुई। यह साबित होगा कि हमारी सेना तेज और चौंकाने वाली कार्रवाई करने में सक्षम है।

मरु ज्वाला उच्च तीव्रता वाले इंटीग्रेटेड अभ्यास शुरू होने पर भी मुझे खुशी हुई। यह साबित करेगा कि हमारी सेना एकीकृत आघात करने की क्षमता रखती है।

त्रिशूल अभ्यास का उद्देश्य हमारे देश के सुरक्षा तंत्र को मजबूत बनाने में मदद करेगा।
 
त्रिशूल अभ्यास से हमें यह सीखने को मिलेगा कि 3 सेनाओं के बीच एकदम से अलग-अलग टीम्स कैसे मिलकर काम कर सकती हैं 🤝। पाकिस्तान की सीमा पर इस तरह का अभ्यास करना हमारे रक्षा तंत्र को मजबूत बनाने का एक अच्छा तरीका होगा। भैरव और अश्नि प्लाटून नामक टीम्स का गठन बहुत ही रोचक है और इसमें सैनिकों की जिम्मेदारी तो बढ़ा दी है, लेकिन हमें यह भी ध्यान रखना होगा कि ये प्लाटून हमारे जवानों की जान की परवाह करते हैं 💔
 
मैंने बीते हफ्ते त्रिशूल अभ्यास में भाग लिया था, और मुझे वाह! वहां सैनिकों ने ऐसी कार्रवाई की कि मेरे दिल में गर्व भर गया। मैंने भैरव बटालियन को देखा, जिसमें 250 विशेष प्रशिक्षित और तकनीकी तंत्रों से लैस सैनिक हैं। वे ऐसी गतिविधियां करते हैं जो एक फिल्म में भी नहीं दिखाई देतीं।

मुझे लगता है कि यह अभ्यास हमारी सेना की ताकत और स्थिरता को प्रमाणित कर रहा है। त्रिशूल अभ्यास ने हमें यह सीखने में मदद की कि जमीन, हवा, समुद्र, डिजिटल व साइबर डोमेन में सुरक्षा तंत्रों के बीच ऑपरेशनल तालमेल कैसे बनाया जाए।
 
इस त्रिशूल अभ्यास में ये तीन सेनाओं ने साथ मिलकर कहीं भी देश की सीमा को सुरक्षित रखने के लिए तैयार हुए हैं 🚀। यह हमारी सेना की नई ऊंचाइयों का प्रदर्शन करने का समय है और मुझे लगता है कि ये सभी अभ्यासों में सफल होने वाले हैं। लेकिन इस बात पर चिंता हो रही है कि साइबर हमलों की सुरक्षा के लिए हमारे पास तैयारी काफी कम है। 🤔
 
बताया गया है कि त्रिशूल अभ्यास में सेना, नौसेना और डिजिटल क्षमताओं का संयोजन किया जा रहा है, जो हमारी सुरक्षा तंत्र को मजबूत बनाने में मदद करेगा। मेरे अनुसार, इस अभ्यास में हमारी सेना की सैन्य प्रशिक्षण और तकनीकी क्षमताओं का विकास बहुत महत्वपूर्ण है, खासकर हमारे पड़ोसी देशों के साथ सीमा पर स्थिति बनाए रखने के लिए।

मुझे लगता है कि इस अभ्यास से हमें अपनी सेना और नौसेना को बेहतर ढंग से जोड़ने में मदद मिलेगी, और हमारी डिजिटल क्षमताओं का उपयोग करने में भी सुधार होगा। इसके अलावा, त्रिशूल अभ्यास से हमें अपने पड़ोसी देशों के साथ अपने संबंधों को मजबूत बनाने में मदद मिलेगी, और हमारी आर्थिक और राजनीतिक प्रभुता को बढ़ाने में भी मदद कर सकता है।
 
अरे, त्रिशूल अभ्यास से पहले तो मुझे यह सोचकर थोड़ा आश्चर्य हुआ कि लोग इतनी जल्दी इस तरह की चीजों को लेकर चलने लगेंगे। क्या हमारे देश के युद्ध के समय ने अभी तक सिखाया है? पाकिस्तान की तुलना करने के बाद तो लगता है हमारे सैनिकों में भी बहुत बदलाव आ गया है।

अगर हमारे देश में शुरू हुए मरु ज्वाला अभ्यास और भी संदिग्ध है, तो कैसे इसे पाकिस्तान के खिलाफ चलाया जाएगा? डिजिटल नेटवर्क से जुड़कर लक्ष्य पर एकीकृत आघात करना तो बहुत खतरनाक है। क्या हमारे देश की सेना के पास अभी तक ऐसी तकनीकें नहीं थीं?
 
बड़े बोले अभ्यास तो फायदेमंद होगा, लेकिन सेना में 250 प्रशिक्षित सैनिक कैसे बनेगे? युद्ध के समय तयारी तो जरूरी है, लेकिन साथ ही सामान्य जवानों को भी बेहतर ढंग से तैयार करना चाहिए।

त्रिशूल अभ्यास में डिजिटल और साइबर सुरक्षा की महत्ता कैसे मापी जाएगी, इसकी जांच-जांकari कर देना चाहिए। हमारे पास सीमाएं तो हैं, लेकिन इनमें किसी भी तरह की कमजोरी होने पर देश की सुरक्षा तो खतरे में पड़ जाएगी।

नौसेना ने बड़े समुद्री ऑपरेशन करने की बात कही, लेकिन इसके लिए हमारे पास पर्याप्त जहाज और संसाधन नहीं हैं। इससे पहले इन सभी अभ्यासों में भाग लेने से पहले जरूरी है कि हमारी सेना को अपनी जरूरतों के अनुसार तैयार किया जाए।
 
ਹाँ, ਤ੍ਰਿਸ਼ੂਲ ਅਭਿਆਸ ਦੀ ਸ਼ੁਰੂਆਤ ਇੱਕ ਵੱਡਾ ਮੋਹਨਪੁਰ ਹੈ। ਜੇ ਯੁੱਧ ਦੇ ਸਮੇਂ ਉਸ ਸੀਰੀਆ ਵਿੱਚ ਲੋਕ ਜੰਗ ਕਰ ਰਹੇ ਤਾਂ ਯੁੱਧ ਦੇ ਸਮੇਂ ਉਸ ਸ਼ਹਿਰ ਵਿੱਚ ਲੋਕ ਅਖਵਾ ਦੀ ਪ੍ਰੈਜ਼ਨਟੇਸ਼ਨ ਕਰ ਗਏ।
 
अरे, तो पाकिस्तान सीमा पर साझा अभ्यास चलने लगा है, यह अच्छा है कि तीनों सेनाओं ने मिलकर अभ्यास किया जाए, इससे हमारी सुरक्षा बेहतर होगी। भैरव और अश्नि प्लाटून का गठन करने से आगे की योजनाओं में और तेजी आ सकती है। मरु ज्वाला अभ्यास अच्छा है, इससे हमारे देश की सेना बहुत बेहतर बनेगी, जल्द ही यह अभ्यासों से हमारी सुरक्षा तंत्र को और भी मजबूत बनाने में मदद करेगा। 🚀
 
त्रिशूल अभ्यास में तीन सेनाओं का युद्धाभ्यास शुरू हुआ तो अच्छी बात है 🤝, लेकिन यह देखना रोचक होगा कि इसे कैसे लागू किया जाएगा। सेना की नई हमलावर इकाइयों को उतारकर देखा गया तो ये अच्छी बात है 🚀, लेकिन यह भी देखना जरूरी होगा कि ये इकाइयां सामान्य सैनिकों की तुलना में कहाँ अधिक प्रभावी होंगी। मरु ज्वाला अभ्यास में सभी हथियार प्रणालियों को एकीकृत करके देखा गया तो यह अच्छा है 💡, लेकिन यह भी जरूरी होगा कि इसे सामान्य ऑपरेशनों में लागू किया जाए।
 
बच्चो की त्रिशूल अभ्यास कैसी नज़र आ रही है? यह सेनाओं के बीच ऑपरेशनल तालमेल की बात करे तो अच्छी बात है, लेकिन देखा जाए तो पाकिस्तान सीमा पर साझा अभ्यास करने में कितना फायदा होगा, यह निश्चित नहीं है।
 
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