संडे जज्बात-मैं मुर्दा बनकर अर्थी पर भीतर-ही-भीतर मुस्कुरा रहा था:लोग ‘राम नाम सत्य है’ बोले तो सोचा- सत्य तो मैं ही हूं, थोड़ी देर

मैं मोहनलाल हूं, बिहार के गयाजी के गांव पोची का रहने वाला। मेरा ये एक असाधारण अनुभव है जिसने मुझे जिंदा रहते अपनी शव यात्रा देखने का अवसर दिया। 21 सालों तक भारतीय वायुसेना में काम करते हुए, मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं मर जाऊंगा और फिर अपने शव को उनकी यात्रा पर चलाने दूंगा। लेकिन वास्तविकता ने मुझे एक बार फिर से समझाया।
 
बड़े बुरे समय हुए तो भी हम सबका मनोबल बना रहता है 🙏। मेरी चाची की पत्नी की मौति जिला अस्पताल में आ गई, फिर 5-6 दिनों तक हमारे गांव लेकर आईं और वहीं शव निकालने का काम किया। तो मुझे यकीन है भारतीय वायुसेना की इस सेवा से बहुत से लोगों का मनोबल बना रहेगा जिन्हें संघर्ष हुए।
 
मेरी भाभी ने मुझसे पूछा कि मैंने मोहनलाल जैसी दुनिया को तो कभी नहीं देखा होगा। लेकिन अगर सच्चाई तो यही है कि हमें और अपने परिवार के साथ खुशी से जीना चाहिए, न कि मृत्यु के बाद के अजीब अनुभवों पर ध्यान देना।
 
मेरी आँखें नीचे गिर गईं, मैंने कभी नहीं सोचा था कि शव यात्रा किसी को भी अपनी परवाह करती है, लेकिन यह सच है। हमारा एक वीर जवान, जो अपने देश के लिए खुद को बलिदान देने के लिए तैयार था, अब अपनी शव यात्रा में चलने के लिए मजबूर हुआ। यह दुर्भाग्य है, लेकिन हमें इसकी सीखने का मौका मिल रहा है। 🙏
 
जी मेरे दोस्त यह तो बिल्कुल ही अजीब है कि हमें अपने शव को जिंदा रहने के बाद उनकी यात्रा पर चलाने देने पड़ते हैं। मुझे लगता है कि ये एक अच्छा तरीका नहीं है, लेकिन फिर भी यह तो एक अनोखा अनुभव है। 🤔

मैं सोचता हूं कि शव व्यापार को लेकर हमें बहुत सारे सवाल पूछने चाहिए। क्या यही हमारा भविष्य है कि हम अपने शव को जिंदा रहने के बाद उनकी यात्रा पर चलाने देंगे? मुझे लगता है कि हमें इस पर और अधिक सोचने की जरूरत है।

आजकल यह विषय बहुत चर्चित हो रहा है, लेकिन मुझे लगता है कि हमें इसके पीछे के कारणों को समझने की जरूरत है। क्या यह तकनीकी समस्या से जुड़ी है? या फिर इसमें कुछ और हासिल होने वाला है? मुझे लगता है कि हमें इस पर और अधिक जानकारी इकट्ठा करनी चाहिए। 💡
 
मेरा मन है यह कह रहा है कि हमारा देश तो बहुत ही विकसित हो गया है। भारतीय वायुसेना जैसी बड़ी संस्थाओं में काम करते हुए भी लोग अपने परिवार के प्रति इतना निष्ठावान नहीं होते। मेरे दोस्त को भी तो उसकी शव यात्रा में जाने का मौका नहीं मिला होगा। यह हमारी सामाजिक न्याय और बीमारियों की व्यवस्था पर सवाल उठाता है। क्या हमारे देश में वो व्यक्ति भी ऐसा लाभ उठा सकते हैं जिसे उसकी सेवानिवृत्ति के बाद इतना समय मिलता है? ये एक बड़ा सवाल है और मुझे लगता है कि हमें इस पर ध्यान देने की जरूरत है।
 
मेरी तो यह खबर सुनकर बहुत खुश हुआ 😊, जिसमें भारतीय वायुसेना की शव यात्रा की जानकारी मिली। मैंने हमेशा कहा था कि बाबा रोहतासगिरी की शव यात्रा निकाल देनी चाहिए, और अब यह सुनकर मुझे खुशी हो रही है 🙌। वायुसेना की इस पहल की वजह से हमारे देश की सेवा करने वालों की भावनाएं और आदर्श पूरे देश में फैल सकते हैं। मैं बाबा रोहतासगिरी जी को बहुत सलाम करता हूं 🙏, उनकी इस पहल ने हमारे सैनिकों को एक नई ऊंचाई तक पहुंचाया है।
 
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