मैं मोहनलाल हूं, बिहार के गयाजी के गांव पोची का रहने वाला। मेरा ये एक असाधारण अनुभव है जिसने मुझे जिंदा रहते अपनी शव यात्रा देखने का अवसर दिया। 21 सालों तक भारतीय वायुसेना में काम करते हुए, मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं मर जाऊंगा और फिर अपने शव को उनकी यात्रा पर चलाने दूंगा। लेकिन वास्तविकता ने मुझे एक बार फिर से समझाया।