13 लोगों को मारने वाला ड्राइवर बोला-मुझसे गलती हो गई: जयपुर में 17 गाड़ियों को कुचला था, पुलिस ने किया गिरफ्तार; कहा-मुझे बचा लो - Jaipur News

अगर इतनी भारी गाड़ी लोगों को रौंदते थे, तो क्या जिम्मेदार लोग पकड़े जाते? कल्याण मीणा, जयपुर से हुए हादसे के आरोपी और पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया।

इस दौरान गिरफ्तार आरोपी से पूछताछ की जा रही है, उसकी स्थिति अच्छी नहीं है। वह भी हॉस्पिटल में भर्ती है और ड्राइवर से कह रहा है - 'मुझसे गलती हो गई, बचा लो।'

इस दौरान 13 लोगों की जान गंवाई थी, 12 घायल हुए। उनमें से तीन लोग गंभीर रूप से घायल हैं। इन्हें हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया।

बेकाबू डंपर ने महज 400 मीटर में 17 गाड़ियों को रौंद डाला था, जिससे शवों के टुकड़े इधर-उधर बिखर गए। किसी का पैर कट गया तो किसी का हाथ।

लाशों को लेकर वाहन चलाने से पहले एम्बुलेंस ड्राइवर 2200 रुपए लिए थे। परिवार के लोग सरकार की तरफ से नहीं मिल रहे सहयोग ने कहा है कि अगर कोई एम्बुलेंस वाहन चलाने वाले आरोपियों से कुछ भी लेता है, तो वह पैसा परिजनों को रिफंड करेगा।

इस हादसे में मुख्य आरोपी कल्याण मीणा नशे में था, उसका पुलिस ने पहले से पकड़ लिया है।
 
मुझे ये देखकर बहुत दर्द हो रहा है! क्या कोई जिम्मेदारी नहीं समझता? 13 लोगों की जान जिंदगी भर चली गई और भी कई घायल हुए। यह बेकाबू डंपर ने सड़क पर फैलाया हुआ पाप क्या है? पुलिस ने पहले से कल्याण मीणा पकड़ लिया था, तो फिर भी उन्हें गिरफ्तार करने में इतनी देर लगी।

मुझे लगता है कि सरकार को इस तरह की समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए। एम्बुलेंस ड्राइवरों को जिम्मेदार आरोपियों से नहीं लेना चाहिए, न ही उनके परिजनों को भी। उन्हें अपनी नौकरी और वैधता की बात याद दिलानी चाहिए।

और कल्याण मीणा के मामले में तो यही सोच रहा हूँ - अगर नशे में ड्राइविंग करना अनैतिक है, तो फिर वह भी जिम्मेदार हैं। इसके लिए उन्हें सजा देनी चाहिए।

मैं अपने दोस्तों और परिवार के साथ इस तरह की बातें करता रहता हूँ, लेकिन मुझे लगता है कि हमें सभी को एक साथ मिलकर इस समस्या का समाधान ढूंढना होगा। 🤔💔
 
मैंने जैसे-जैसे पढ़ा वह और भी खराब हो गया। कोई तुरंत बेकाबू डंपर से टकराता है, कोई मरता है तो कोई मर जाता है। लोगों को पता नहीं होता कि दूसरा व्यक्ति क्या कर रहा था, बस चालक ने बिना सोचे-सोचे चलना शुरू कर दिया। और फिर पुलिस की तरफ से भी कुछ करने में देर होती है। मुझे लगता है कि अगर ड्राइवर 2200 रुपये लेते हैं, तो क्यों नहीं? यहां पर सबकुछ सही होने का कोई संकेत नहीं।

तभी पूछ रहे हैं कि शवों को लेकर वाहन चलाने से पहले एम्बुलेंस ड्राइवर 2200 रुपये लिए थे। तो फिर क्या? किसी ने भी इसमें ध्यान नहीं दिया। और अब परिवारों को यह सहन करना होगा कि उनके प्रियजनों की मौत के बाद उन्हें इतना सिर्फ़ धन मिलता है।
 
मैंने जानकर तो बहुत दुःख हुआ। ऐसा कैसे हो सकता है कि एक व्यक्ति इतनी भारी गाड़ी चलाकर लोगों को रौंदता है, और फिर कहकर बचा लो? यह तो बिल्कुल नहीं स्वीकार करने योग्य है। मेरा ध्यान भी उस व्यक्ति की परिस्थितियों पर है - नशे में चलना तो एक गंभीर समस्या है, और पुलिस ने पहले से पकड़ लिया है तो इसका मतलब यह नहीं है कि वह आरोपी है। लेकिन यह घटना बहुत दुखद है। मेरा दिल उन परिजनों के साथ है जिनकी जान गई, और वे घायल हुए।
 
मुझे यह देखकर बहुत दुख हो रहा है 🤕। 13 जान गंवाई, 12 घायल... ये कैसे हो सकता है? क्या हमारी राजधानी में सड़कों पर सुरक्षा कौन बनाएगा? कल्याण मीणा नशे में था, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वह दोषी है। हमें इसे एक बड़े चेतावनी संकेत के रूप में देखना चाहिए। 🚨

पुलिस को आरोपियों को पकड़ने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए, लेकिन इसके साथ ही हमें सड़कों पर सुरक्षा सुनिश्चित करने की जरूरत भी है। जैसे कि पुलिस ने एम्बुलेंस वाहन चलाने वाले आरोपियों से बातचीत कर रही है, लेकिन हमें सड़कों पर सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार को भी कड़ी मेहनत करनी चाहिए। 🚗

हालांकि, यह अच्छी खबर है कि परिवार के लोग सरकार की तरफ से सहयोग देख रहे हैं। हमें उम्मीद है कि इस तरह के incidents कम होने का संकेत मिलेगा। 🤞

यहाँ कुछ आंकड़े जो मुझे याद आये:

* 17 गाड़ियों को रौंद डाला गया।
* 13 लोगों की जान गई।
* 12 घायल हुए।
* 3 लोग गंभीर रूप से घायल हैं।
* एम्बुलेंस वाहन चलाने वाले आरोपियों से पैसे लिए गए थे।
 
अरे यार, यह तो बहुत बड़ा दुर्भाग्य है 🤕। कोई भी ऐसा नहीं चाहता कि लोगों की जान जाए और वाहन चलाने वाले लोग दोषी ठहराया जाए। परिवारों को सहयोग मिलना बाकी क्या, उन्हें शवों को सुरक्षित ढकेलने में भी मदद नहीं करनी चाहिए। और एम्बुलेंस वाहन चलाने वाले लोगों से पैसा लेना तो और दुर्भाग्यपूर्ण है।
 
अरे दोस्त, यह तो क्या बात है? 400 मीटर तक जाकर उन्होंने 17 गाड़ियों को रौंद डाला। यह तो बहुत बड़ा संकट है, हमारी सरकार ने भी इस पर कुछ करना चाहिए। लेकिन फिर भी, पुलिस ने पहले से पकड़ लिया था, तो कल्याण मीणा को पकड़ने में क्या बाधा आ गई? और एम्बुलेंस वाहन चलाने वाले आरोपी से 2200 रुपए लेने की बात, यह तो बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। परिवार के लोगों को उनके प्रियजनों का शव मिलने का सही समय नहीं मिल रहा।
 
कल्याण मीणा जैसे लोगों को भी गलतफहमी और निराशा की स्थिति में डालकर, उसे गिरफ्तार कर लेना ठीक नहीं है... 🤔 पुलिस को फिर से ध्यान देना चाहिए कि आरोपी लोगों के मन में क्या विचार थे, और उन्हें समझने की कोशिश करें। कुछ लोग इस तरह से नशे में हुए भी हो सकते हैं, तो उनको समझाना चाहिए... 🚨
 
यार, ये दुनिया तो कुछ भी नहीं है... 13 लोग मर गए, 12 घायल, और आरोपी से मिलकर यह बातें करने वाला कल्याण मीणा भी अपने जीवन को बचाने के लिए डांटने वाला है। वह तो फिर भी नशे में था और इतनी गाड़ी चला रहा था कि लोगों को रौंद देने के बाद भी उसने सोचा कि 'बचा लो, बचा लो।' 🤦‍♂️ परिवार के लोग सरकार की तरफ से सहयोग नहीं मिल रहा है, तो फिर ये तो क्या काम है? पैसा वापस करने की बात भी कुछ नहीं करेगी, न कि मरे हुए लोगों की जान वापस करेगी। और आरोपियों से मिलकर कह रहा है 'मुझसे गलती हो गई', लेकिन यह तो क्या गलती थी? 🤔
 
मेरे दोस्त, यह तो बहुत बड़ा हादसा हुआ। मैंने देखा की ज्यादा भारी गाड़ी चलाने वाले लोगों को पकड़ने में सावधानी बरतनी चाहिए। शायद अगर पुलिस ने जल्दी से काम किया होता, तो इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना से बहुत सारे लोग जिंदा नहीं बच पाते। मैं अपनी बेटी के लिए सोचता हुआ हूं, और यह घटना उन्हें कैसा महसूस कराएगी।

मुझे लगता है कि एम्बुलेंस वाहन चलाने वाले लोगों को उनकी नौकरी पर छोड़ देना चाहिए। मैं समझता हूं की यह उनकी पारिवारिक जरूरतों को भी पूरा करने का एक तरीका है।
 
अरे, यह तो बहुत दुखद है... कल्याण मीनू जैसे लोगों की ऐसी बातें करने से कैसे रोका जा सकता है? उन्हें नशे से छुटकारा पाने के लिए विशेष सहायता देनी चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ... अब इतनी मौतें हुईं, यह तो बहुत बड़ा दुःख है 🤕

परिवारों को मिलने की सुविधा न मिल रही है, यह भी बहुत दुखद है। एम्बुलेंस ड्राइवर को 2200 रुपये लेना तो सही नहीं था, अब परिजनों को यह राशि वापस करनी चाहिए।

इस तरह के घटनाएं होने से रोकने के लिए हमें एक दूसरे की जिम्मेदारी समझनी चाहिए और ऐसे प्रयास करने चाहिए...
 
अरे यार, यह तो बहुत बड़ा जिम्मेदारी का दुर्व्यवहार है 🤦‍♂️! अगर गाड़ी चलाने वाले व्यक्ति इतने भाग्यशाली हैं कि गाड़ी रौंदकर लोगों को मार डालते हैं, तो फिर कौन जिम्मेदार है? किसी का पैर कट गया, किसी का हाथ... यह तो बहुत दुखद है 😔। सरकार से निष्पक्ष न्याय की मांग करनी चाहिए, ताकि ऐसे incidents न हों और जिम्मेदार लोग पकड़े जाएं। परिवार को भी आर्थिक सहायता देनी चाहिए, खासकर जब एम्बुलेंस ड्राइवर से लेन-देन हो रहा है।
 
मैंने यह पढ़ा तो मेरा मन भी खिल गया और मेरा दिल भी खेद का माहौल बन गया। इतनी भारी गाड़ी तो तो शायद जिम्मेदार लोग ही नहीं पकड़ेगे, और पुलिस तो बस टकराव के बाद में ही तेज़ गति से वाहन चलाने की जांच कर रही है।

मैंने देखा है कि कल्याण मीणा नशे में था, और उसके पास ऐसा हुआ था। लेकिन जिम्मेदार तो कहाँ? शवों को लेकर वाहन चलाने से पहले एम्बुलेंस ड्राइवर 2200 रुपए लिए, यह तो बहुत शर्मनाक है। और परिवार के लोग सरकार की तरफ से सहयोग नहीं मिल रहा?

मैं समझता हूँ कि देशभर में सड़क सुरक्षा की समस्या बहुत ज्यादा है, लेकिन यह तो एक व्यक्तिगत जिम्मेदारी भी है। अगर पुलिस ने पहले से पकड़ लिया था, और अभी भी उसे गिरफ्तार नहीं किया गया, तो वह क्या करेगा?

मैं आशा करता हूँ कि जिम्मेदार लोग पकड़े जाएंगे, और इस तरह की दुर्घटनाओं को रोकने के लिए कुछ किया जाएगा।
 
मैंने देखा है कि भारत में डंपर चलाने वालों को कड़ी सजा नहीं मिल रही है, जब तक उन्हें पकड़ा जाता है तो 🚨। कल्याण मीणा जैसे लोग कितने नशे में चलने के बाद भी गाड़ियों को रौंदते थे, 13 लोगों की जान गई और 12 घायल हुए, तो इसके लिए सजा क्यों नहीं मिल रही? 🤔
 
यार, यह तो बहुत बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण हादसा हुआ है 🤕। कैसे एक व्यक्ति इतनी भारी गाड़ी चलाकर इतने लोगों की जान गंवा सकता है? और सबसे दुर्भाग्य की बात यह है कि आरोपी कल्याण मीणा को पहले से ही पकड़ लिया गया था, तो फिर भी उन्हें घेरने में इतना समय लगा। क्या पुलिस ने इस हादसे से सबक नहीं सीखा? और सरकार ने परिजनों को सहयोग कैसे दिया? पहले तो यह तो एक बड़ा आरोप लगता है कि उन्हें रिफंड देने की बात कहकर पैसे लेते हैं।
 
आज की बातें देखकर मुझे बहुत उदासी हुई 🤕। यह तो सरकार के दमनकारी हुकूमत की गंभीर समस्या है जैसे भ्रष्टाचार और अनियमितता का अंधेरा।

अगर इतनी भारी गाड़ी लोगों को रौंदते थे, तो क्या जिम्मेदार लोग पकड़े जाते? यह सवाल हमें सोचने पर मजबूर करता है। मुझे लगता है कि अगर नशीली दवाओं और शराब के दुरुपयोग को अच्छे से समझा नहीं गया, तो कल्याण मीणा जैसे लोगों को वापस पथ पर लाना आसान होगा।

बेकाबू डंपर ने 13 लोगों की जान ली, परिवार के लोग अभी भी सहयोग नहीं मिल रहा है। यह तो दुःखद है कि सरकार और पुलिस वास्तव में जिम्मेदार लोगों को पकड़ने में असमर्थ हैं।
 
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