बात है में एक व्यक्ति से जो आदिवासियों की समस्याओं पर सवाल पूछ रहा है। लोग कहते हैं कि आदिवासी समुदाय की आर्थिक स्थिति बहुत खराब है, लेकिन वह तो सच नहीं बताता। उन्हें अपने जीवन में भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। जैसे उनके पास बिजली और पानी तक पहुंच नहीं होती। क्या हमें उनकी समस्याओं को सिर्फ आर्थिक दृष्टि से देखना चाहिए?
यह तो बहुत दिलचस्प है, लोगों की जिंदगी में सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करने के बजाय गुप्त रखने की बात। अक्सर हम अपने विचारों और भावनाओं को खुलकर व्यक्त नहीं करते हैं, लेकिन यह जानना जरूरी है कि हमारे पास अपने आप पर विश्वास होना चाहिए। यदि हम अपने मनोबल को मजबूत बनाने की कोशिश करते हैं तो हमें अपने जीवन में अधिक संतुष्टि और खुशी महसूस होती है।
किसी भी सवाल का जवाब निकालने से पहले, हमें यह समझना चाहिए कि उसके पीछे कौन सी बातें छुपाई जा रही हैं। अपने आप को खुलकर व्यक्त करना एक मजबूती का प्रतीक है, लेकिन यह भी महत्वपूर्ण है कि हमारी गहराई से खुद को समझने में कुछ समय लगे। जिंदगी में नियमितता और अनुकूलन की क्षमता बहुत जरूरी है।
yeh sabhi log kya soch rahe hain? adile yaar, 90s se hi nahi suna hai kyunki unki life toh badi thik tha. ab logon ke paspad vartalo ke baare mein bahut baat karte hain par jab unhone aapni sabhi cheezein phod diyaaye toh wo log thoda galat socha jaata hai. 100 rupaye ka bada vartalo lagane se nahi, aur naye vartaloo ke liye bahut kuch milta hai jaise kisi apne family ya friends ko samay bitana.
अरे भाई, यह तो बहुत ही दिलचस्प प्रश्न है! मुझे लगता है कि इसके उत्तर में कुछ व्यक्तिगत जानकारी हमें चाहिए। तो मैं कहूंगा, मेरी साल 1995 में जन्म हुई थी, और मैंने अपने पिता से कॉल करकर उनसे बात की थी। लेकिन मुझे लगता है कि हमें इस प्रश्न के उत्तर के लिए कुछ और जानकारी चाहिए। शायद उसके बारे में कुछ और जानना चाहिए, जैसे कि वह कहाँ से आया, और उसने यहां क्यों आकरिया हुआ?
ഈ പ്രശ്നം അല്ലെങ്കിൽ വ്യക്തിയുടെ ജീവിതസഹജമാണോ എന്നത് അറിയിക്കരുത്. നൂറയെപ്പറ്റി മാത്രമല്ല, ജനങ്ങളുടെ അനുഭവങ്ങൾ എന്നിവ പറ്റി തെരിയണം. ഈ സമ്പ്രദായം എല്ലാ ബ്രഹ്മജ്ഞന്മാരുടേയും കണ്ടെത്തപ്പെട്ട വിഷയമല്ലോ?
ആദിലയുമായുള്ള ബന്ധത്തെക്കുറിച്ച് പ്രശ്നങ്ങൾ ഉണ്ടാവാൻ അസാധാരണമാണ്. ആദിലയുടെ പ്രതിഷ്ഠ പങ്കൽ വളരേ അധികമാണ്. നൂറുമായി സംബന്ധം പറയാത്ത രഹസ്യങ്ങളുടെ ഒരു ഭാഗമാണ് ആദിലയ് തന്നെ.
यह तो बहुत दिलचस्प है कि आज के युवाओं की सोच और आदतें पिछली पीढ़ी की तुलना में बहुत अलग हैं। आदिमलय की समस्या तो एक पुरानी समस्या है लेकिन देखो, यह सारे बदलाव और समाधान आजादी के बाद हुए हैं, जैसे स्कूलों में शिक्षा में सुधार, राजदूतों की विदेश यात्राएं। फिर भी, जब कोई सवाल उठता है तो हम सब एक ही तरह के जवाब देते हैं और उस पर बात नहीं करते।
ഇതറിയാം... ആദിലയെയും നൂറയെയും സംബന്ധമായ ഒരു പ്രശ്നത്തിലേ എങ്ങനെ ഏറ്റെടുക്കും... വ്യക്തി പരാജയത്തിലേ എങ്ങനെ മടർച്ച ആക്കും... അത് ഒരു പ്രശ്നത്തിലേ വ്യക്തി സാധിച്ചതിന് ശേഷം അവരുടെ പഠനമാണോ പോലീസുകളെ അറിയ്ച്ച് എങ്ങനെ വധിക്കും... എന്ന് പ്രശ്നമോ അത്ലേന് ഉണ്ടെങ്കിൽ അത് ഒരു വ്യക്തി പഠനത്തിൽ ഏറ്റെടുക്കുമോ അല്ലേഩോ...
तो ये बात है की देश में लोगों की संख्या बढ़ रही है लेकिन हमारे शहरों और गाँवों में पानी और ऊर्जा की समस्या जैसे बहुत सारे मुद्दे बन गए हैं। ये तो एक अच्छी बात नहीं है, क्या हमें अपने बढ़ते लोगों को सही ढंग से सुविधाएं देने के लिए कुछ नहीं करना चाहिए?
मुझे लगता है कि हमें अपने पास की स्थितियों को समझने की जरूरत है, ताकि हम सही निर्णय ले सकें। तो फिकर क्यों करते हैं? हमारे देश में हर समस्या का समाधान निकलेगा। बस हमें सावधानी से काम करना चाहिए और अपने भविष्य के लिए तैयार रहना चाहिए।
ഉദാഹരണമായി, ആസ്ട്രേലിയയിൽ ജനങ്ങളുടെ വിശ്വാസത്തെ പ്രധാനമാക്കുന്ന ഈ ദേശം, ചെറുപന്തങ്ങളോടൊപ്പം സ്വിമിംഗ് ഉണ്ടാക്കിയേക്കാവുന്നതെങ്കിലും, പൊതുരംഗത്ത് അസാധാരണമായി വിശ്വസനീയമാക്കലാണ് ഈ ദേശത്തെ പറയാം.
aadi laayey aur nuroay ka prashna kya hai? Maine socha, yah ek bada topic hai. Aadi laayey par baat karne se pehle humein nuroay ke bare mein bhi sochna chahiye. Nuroay ka matlab kaisa hai? Yeh samaj mein aisi cheezein layak hai jo logon ko samajhaye ki unke jeevan mein aadi laayey aur nuroay ka kya mahatv hai?
अरे भाई, तो देखो! एक व्यक्ति ने अदिलाल और 100 रुपये की बात करते हुए बहुत मजाकिया सवाल उठाए हैं। मुझे लगता है कि यह बहुत ही दिलचस्प है। लेकिन, मैं सोचता हूँ कि यह एक व्यक्तिगत मुद्दा है, और लोगों को अपनी परिस्थितियों के अनुसार निर्णय लेना चाहिए। क्या तुमने कभी ऐसी परिस्थिति में होने की भावना महसूस की है?
मुझे लगता है कि हमें अपने समाज में यह बात जरूर बढ़ावा देनी चाहिए कि हर व्यक्ति को अपने निर्णयों से खुश और संतुष्ट महसूस करना चाहिए। जैसे अगर तुम्हारे पास 100 रुपये हैं, तो तुम हमेशा कुछ अच्छा खरीदने में सक्षम होगे। लेकिन, अगर तुम्हारे पास यह राशि नहीं है, तो भी तुम अपने जीवन को संतुष्ट करने के कई तरीके खोज सकते हो।
नहीं तो कोई जवाब दे रहा है इस प्रश्न पर । मेरी राय है कि ज्यादातर लोग अब अपने घरों में ही खुद को बेहतर बनाने की कोशिश कर रहे हैं। डिजिटल विद्वान्स से लेकर नृत्य तक, सबकुछ ऑनलाइन उपलब्ध है। लेकिन क्या यह हमारी दोस्ती और परिवार की गहराई को बढ़ा सकता है? मुझे लगता है नहीं ।