बिहार में मतदान की तैयारियां चल रही हैं, इसके बीच एक आश्चर्यकारी घटना घटी। 3 नवंबर को सुबह 10 बजे करनाल से एक ट्रेन रवाना हुई, जिसमें पानीपत होते हुए बरौनी पहुंची, उसमें 1,500 लोग सवार थे। इसी दिन सुबह 11 बजे फिर करनाल से एक और ट्रेन पटना होते हुए भागलपुर के लिए रवाना हुई, जिसमें बाकी 1,500 लोग सवार थे। दोपहर 3 बजे तीसरी ट्रेन दौड़ी, जो गुड़गांव से पटना होते हुए भागलपुर पहुंची। शाम 4 बजे चौथी ट्रेन रवाना हुई, जिसमें भी गुड़गांव से पटना होते हुए भागलपुर की यात्रा हुई। इन चारों ट्रेनों में लगभग 6,000 लोग सवार हुए।
बिहार में मतदान के दौरान ऐसी गतिविधियाँ लगातार हो रही हैं, जिनसे वोटरों का मनोबल खराब होता है। यह बात स्वाभिमानवादी नेताओं के लिए चिंताजनक है, खासकर जब राज्य में एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा करने वाले कई दल हों। पार्टियों के बीच मतदाताओं पर बहिष्कार की भरपूर घटनाएँ देखने को मिलती हैं। यह हमारे लोकतंत्र के लिए चिंताजनक है, खासकर जब राज्य में सामुदायिक भाईचारा कम होता है।
बिहार में मतदान के दौरान ऐसी गतिविधियाँ लगातार हो रही हैं, जिनसे वोटरों का मनोबल खराब होता है। यह बात स्वाभिमानवादी नेताओं के लिए चिंताजनक है, खासकर जब राज्य में एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा करने वाले कई दल हों। पार्टियों के बीच मतदाताओं पर बहिष्कार की भरपूर घटनाएँ देखने को मिलती हैं। यह हमारे लोकतंत्र के लिए चिंताजनक है, खासकर जब राज्य में सामुदायिक भाईचारा कम होता है।