6 सीएम, 16 मंत्री, 200 सांसद हफ्तों बिहार में रहे: बीजेपी ज्यादातर चुनाव हारती क्यों नहीं; 8 फैक्टर्स ने इलेक्शन मशीन में बदला

बिहार में नडीए की हार का मुख्य कारण यह नहीं है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में नडीए गठित हुआ था, बल्कि यह यह है कि विपक्षी दलों ने अपने संगठनात्मक और राजनीतिक ढांचे को तेज गति से विकसित नहीं किया।

बिहार में 2020 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अल्पमत में ही 40 सीटें जीतीं, जबकि महागठबंधन ने 150 सीटें हासिल कीं। इस तरह का परिणाम तब सामने आया जब महागठबंधन के नेताओं ने अपने दलों को एकजुट करने में असफल रहे, जबकि बीजेपी ने अपने समर्थकों और समर्थन वालों को एकजुट कर लिया।

इस चुनाव के परिणाम से यह साफ होता है कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) की संगठनात्मक और राजनीतिक ताकत बिहार में बहुत अधिक थी, जबकि विपक्षी दलों ने अपनी ताकत को कम कर दिया।

बिहार में 2020 के विधानसभा चुनाव में, भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अल्पमत में ही जीत हासिल की, जबकि महागठबंधन ने बेहतर परिणाम दिखाए। इस तरह का परिणाम तब सामने आया जब महागठबंधन के नेताओं ने अपने दलों को एकजुट करने में असफल रहे, जबकि बीजेपी ने अपने समर्थकों और समर्थन वालों को एकजुट कर लिया।

इस चुनाव के परिणाम से यह साफ होता है कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) की संगठनात्मक और राजनीतिक ताकत बिहार में बहुत अधिक थी, जबकि विपक्षी दलों ने अपनी ताकत को कम कर दिया।

बिहार में 2015 के विधानसभा चुनाव में, भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने एकजुट महागठबंधन को हराया, जबकि समाजवादी पार्टी (SP) और कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। इस तरह का परिणाम तब सामने आया जब भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अपने समर्थकों और समर्थन वालों को एकजुट कर लिया, जबकि विपक्षी दलों ने अपनी ताकत को कम कर दिया।

इस चुनाव के परिणाम से यह साफ होता है कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) की संगठनात्मक और राजनीतिक ताकत बिहार में बहुत अधिक थी, जबकि विपक्षी दलों ने अपनी ताकत को कम कर दिया।
 
नडीए की हार का सच्चा कारण यह नहीं है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में, बल्कि यह है कि विपक्षी दलों ने अपने संगठनात्मक और राजनीतिक ढांचे को तेज गति से विकसित नहीं किया। 40 सीटें जीतना भी बिल्कुल हास्यमय है, जबकि महागठबंधन ने 150 सीटें हासिल कर लीं। इसका मतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में विपक्षी दलों को अपने दम पर खड़ा रहने की जरूरत थी।

मुझे लगता है कि बिहार में महागठबंधन के नेताओं ने अपने दलों को एकजुट करने में असफल रहे, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में विपक्षी दलों ने अपने समर्थकों और समर्थन वालों को एकजुट कर लिया।
 
नडीए की हार का सच यही है कि विपक्षी दलों ने अपने संगठनात्मक ढांचे में बदलाव नहीं किया, जबकि बीजेपी ने अपने समर्थन वालों को एकजुट कर लिया। 📊

तो आइए देखें यह चार्ट - 📈
सीटों की संख्या के अनुसार भारतीय जनता पार्टी (BJP) और महागठबंधन के बीच अंतर
2020 लोकसभा चुनाव: 40 सीटें (BJP), 150 सीटें (महागठबंधन)
2019 विधानसभा चुनाव: 44 सीटें (BJP), 99 सीटें (महागठबंधन)
2015 विधानसभा चुनाव: 100 सीटें (bjp)

जैसे आइए देखें बीजेपी की ताकत बढ़ती जा रही है जबकि महागठबंधन की ताकत कम हो रही है। 📉
 
मैंने 2020 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की जीत की टिप्पणी करने वालों ने कहा है कि यह सब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की अनुपस्थितता के कारण नहीं है, बल्कि यह मेरे अनुसार भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अपने संगठनात्मक ढांचे और समर्थन वालों को एकजुट करके अच्छी तरह से तैयार किया था, जबकि विपक्षी दलों ने अपने संगठनात्मक और राजनीतिक ढांचे में कमी महसूस की। 🤔

मेरे अनुसार, यह भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सफलता का एक महत्वपूर्ण कारक है कि उनके नेताओं ने अपने समर्थकों और समर्थन वालों को अच्छी तरह से जानने और उनकी जरूरतों को समझने में सक्षम थे, जबकि विपक्षी दलों ने अपने संगठनात्मक ढांचे में कमी महसूस की।

अब जब भारतीय जनता पार्टी (BJP) बिहार में बहुत अधिक ताकत रखती है, तो मुझे लगता है कि यह समय है कि विपक्षी दल अपने संगठनात्मक और राजनीतिक ढांचे को मजबूत करें और अपने समर्थकों और समर्थन वालों को अच्छी तरह से जानने और उनकी जरूरतों को समझने में सक्षम होना चाहिए। 💪
 
नडीए की हार का मुख्य कारण यह नहीं है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में, बल्कि विपक्षी दलों ने अपने संगठनात्मक और राजनीतिक ढांचे को तेज गति से विकसित नहीं किया। 😐

बिहार में 2020 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने अल्पमत में ही 40 सीटें जीतीं, जबकि महागठबंधन ने 150 सीटें हासिल कीं। इस तरह का परिणाम तब सामने आया जब महागठबंधन के नेताओं ने अपने दलों को एकजुट करने में असफल रहे, जबकि बीजेपी ने अपने समर्थकों और समर्थन वालों को एकजुट कर लिया। 🤔

मुझे लगता है कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) की संगठनात्मक और राजनीतिक ताकत बिहार में बहुत अधिक थी, जबकि विपक्षी दलों ने अपनी ताकत को कम कर दिया। यह एक बड़ा चिंता का विषय है। 📊

और बिहार में 2015 के विधानसभा चुनाव में, भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने एकजुट महागठबंधन को हराया, जबकि समाजवादी पार्टी (SP) और कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। यह एक बड़ा सवाल है कि विपक्षी दलों ने अपनी ताकत को कम कर दिया क्यों? 🤷‍♂️
 
मेरा ख्याल है कि ये चुनाव बिहार के लोगों की सोच को भी प्रभावित करते हैं। मैंने देखा है कि लोग जो नडीए के समर्थन में थे, वे बहुत उत्साहित हुए, जबकि महागठबंधन के समर्थकों ने चुनाव से निराश होकर घरों में बस गए। मैंने अपनी भाईदारी को देखा है, जो नडीए के समर्थन में था, और वह बहुत खुश हुए, लेकिन जब वे समझ गए कि उनके चुनाव के परिणाम नहीं अच्छे रहे, तो उन्होंने अपनी भाईदारी को छोड़ दिया।
 
नडीए की हार का मुख्य कारण यह नहीं है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में, बल्कि यह यह है कि विपक्षी दलों ने अपने संगठनात्मक और राजनीतिक ढांचे को तेज गति से विकसित नहीं किया। 🤔

बिहार में 2020 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अल्पमत में ही 40 सीटें जीतीं, जबकि महागठबंधन ने 150 सीटें हासिल कीं। इस तरह का परिणाम तब सामने आया जब महागठबंधन के नेताओं ने अपने दलों को एकजुट करने में असफल रहे, जबकि बीजेपी ने अपने समर्थकों और समर्थन वालों को एकजुट कर लिया। 👊

मुझे लगता है कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अपने संगठनात्मक और राजनीतिक ढांचे में बहुत अधिक वृद्धि की है, जिससे उन्होंने अपने समर्थन वालों को एकजुट कर लिया है। लेकिन, यह देखने के लिए बेहद जरूरी है कि विपक्षी दलों ने क्या सीखा है, और कैसे उन्हें अपनी ताकत को मजबूत करने में मदद मिल सकती है। 💡
 
बिहार में नडीए की हार का सबसे बड़ा कारण यह नहीं है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी नेतृत्व में थे, बल्कि यह है कि विपक्षी दलों ने अपने संगठनात्मक ढांचे को तेज गति से विकसित नहीं किया। 🤔

मुझे लगता है कि बिहार में चुनाव के परिणाम से यह साफ होता है कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) की संगठनात्मक ताकत बहुत अधिक थी, जबकि विपक्षी दलों ने अपनी ताकत कम कर दिया। इसका मतलब है कि बीजेपी ने अपने समर्थकों और समर्थन वालों को एकजुट कर लिया, जबकि विपक्षी दलों ने अपनी सुविधाओं को नहीं संभाल सके। 😐

मुझे लगता है कि यह चुनाव बिहार में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए एक बड़ा जीत है, और विपक्षी दलों के लिए एक बड़ा नुकसान। 🎉
 
नडीए की हार का सबसे बड़ा कारण यही नहीं है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने गठित किया था, बल्कि विपक्षी दलों ने अपने संगठनात्मक और राजनीतिक ढांचे को तेज गति से विकसित नहीं किया। 🤔

बिहार में 2020 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने अल्पमत में ही 40 सीटें जीतीं, जबकि महागठबंधन ने 150 सीटें हासिल कीं। यह परिणाम तब सामने आया जब महागठबंधन के नेताओं ने अपने दलों को एकजुट करने में असफल रहे, जबकि बीजेपी ने अपने समर्थकों और समर्थन वालों को एकजुट कर लिया। 👥

मुझे लगता है कि भारतीय जनता पार्टी की संगठनात्मक और राजनीतिक ताकत बिहार में बहुत अधिक थी, जबकि विपक्षी दलों ने अपनी ताकत को कम कर दिया। 📈

विपक्षी दलों को अपने संगठनात्मक और राजनीतिक ढांचे को मजबूत बनाने की जरूरत है, ताकि वे बिहार में भारतीय जनता पार्टी के समान प्रभावी बन सकें। 💪
 
बिहार की ये हार तो लगता है मेरे एक जिल्दी से चौंकाने वाला बुरा हुआ। 🤔 पार्टी की संगठनात्मक और राजनीतिक ताकत किस हद तक हुई? नेताओं की चुटपटी में दलों को एकजुट करने का क्या लाभ?

मेरा मत यह है कि विपक्षी दलों ने अपने संगठनात्मक और राजनीतिक ढांचे को तेज गति से विकसित नहीं किया, जिससे उन्हें बीजेपी की ताकत से पीछे रहना पड़ा। 🚗

क्या हमें सीखने को है कि एकजुटता और समर्थन की कमी से पराजित होना? न की यह देखो, मेरे दोस्त, बिहार की ये हार तो हमें अपनी गलतियों से सीखने का मौका देती है। 🤝
 
बिहार में नडीए की हार का सच्चा कारण यह नहीं है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में नडीए गठित हुआ था, बल्कि यह यह है कि विपक्षी दलों ने अपने संगठनात्मक और राजनीतिक ढांचे को तेज गति से विकसित नहीं किया। 🤔

बिहार में 2020 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अल्पमत में ही 40 सीटें जीतीं, जबकि महागठबंधन ने 150 सीटें हासिल कीं। इस तरह का परिणाम तब सामने आया जब महागठबंधन के नेताओं ने अपने दलों को एकजुट करने में असफल रहे, जबकि बीजेपी ने अपने समर्थकों और समर्थन वालों को एकजुट कर लिया। 💪

मुझे लगता है कि इस चुनाव के परिणाम से यह साफ होता है कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) की संगठनात्मक और राजनीतिक ताकत बिहार में बहुत अधिक थी, जबकि विपक्षी दलों ने अपनी ताकत को कम कर दिया। 📈

इसीलिए, मेरा मानना है कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) को विधानसभा चुनाव में जीतने के लिए अपने संगठनात्मक और राजनीतिक ढांचे को मजबूत बनाने पर ध्यान देना चाहिए। 🤝
 
नडीए की हार का सबसे बड़ा कारण यह है कि पिछले चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अपने समर्थकों और समर्थन वालों को एकजुट कर लिया था, जबकि विपक्षी दलों ने अपनी ताकत को कम कर दिया। इस तरह से, बीजेपी ने अपने समर्थकों की संख्या में वृद्धि की और अपनी राजनीतिक ताकत को बढ़ाया, जबकि विपक्षी दलों ने अपनी ताकत को कम कर दिया। 🤔
 
नडीए की हार का मुख्य कारण यह नहीं है कि नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में नडीए गठित हुआ था, बल्कि यह यह है कि विपक्षी दलों ने अपने संगठनात्मक और राजनीतिक ढांचे को तेज गति से विकसित नहीं किया। 🤔

मुझे लगता है कि बिहार में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सफलता का एक बड़ा कारण यह है कि उनके समर्थकों और समर्थन वालों को एकजुट कर लिया गया है। 🙌

यह जानना जरूरी है कि बिहार में नडीए की हार का सबसे बड़ा कारण यह नहीं है, बल्कि यह यह है कि विपक्षी दलों ने अपने संगठनात्मक और राजनीतिक ढांचे को तेज गति से विकसित नहीं किया।

👉 पढ़ें - https://www.jansatta.com/country/po...ोदiji-ke-netritv-me-nada-gat-hua-tha/1468413/
 
नडीए की हार का सही कारण यह है कि विपक्षी दलों ने अपने संगठनात्मक ढांचे में बदलाव नहीं किया, जबकि बीजेपी ने अपने समर्थन वालों को एकजुट कर लिया। 2020 के चुनाव में भी यही परिणाम आया और इसने हमें दिखाया कि विपक्षी दलों को अपने संगठनात्मक ढांचे में बदलाव करने की जरूरत है। 🤔

मेरे अनुसार, बिहार में चुनावों में जीतने के लिए एक मजबूत संगठनात्मक ढांचा और समर्थन वालों को एकजुट करना बहुत महत्वपूर्ण है। भारतीय जनता पार्टी ने अपने समर्थन वालों को एकजुट कर लिया है, जबकि विपक्षी दलों को अपने संगठनात्मक ढांचे में बदलाव करने की जरूरत है। यही वजह है कि उन्हें बिहार में चुनावों में जीत नहीं मिली। 💪
 
बिहार के चुनाव में नडीए की हार का कोई अच्छा नहीं साबित होगा और बाकी फिर क्या? विपक्षी दलों को अपने संगठनात्मक ढांचे को तेज गति से विकसित करने की जरूरत है, न कि नरेंद्र मोदी जी पर भरोसा। और ये एक अच्छा सबक भी है कि अगर आप अपने समर्थकों को एकजुट नहीं कर सकते हैं तो आप चुनाव में जीत नहीं हासिल कर पाएंगे।
 
नडीए की हार का मुख्य कारण यह है कि विपक्षी दलों ने अपने संगठनात्मक और राजनीतिक ढांचे को तेज गति से विकसित नहीं किया, जबकि बीजेपी ने अपने समर्थकों और समर्थन वालों को एकजुट कर लिया! 🤦‍♂️👎

बिहार में 2020 के लोकसभा चुनाव में, भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अल्पमत में ही 40 सीटें जीतीं, जबकि महागठबंधन ने 150 सीटें हासिल कीं। यह परिणाम विपक्षी दलों की असफलता और बीजेपी की मजबूतता को दर्शाता है! 💪🔥

बिहार में 2015 के विधानसभा चुनाव में, भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने एकजुट महागठबंधन को हराया, जबकि समाजवादी पार्टी (SP) और कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। यह परिणाम भारतीय जनता पार्टी (BJP) की मजबूतता और विपक्षी दलों की कमजोरी को दर्शाता है! 😬👀

बिहार में नडीए की हार से यह साफ होता है कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) की संगठनात्मक और राजनीतिक ताकत बिहार में बहुत अधिक थी, जबकि विपक्षी दलों ने अपनी ताकत को कम कर दिया। 🤝🏻💼
 
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