मेरी बात है कि ग्रोथ के ये परामीटर्स तो बस फेल हो गए हैं
। हमारी पृथ्वी पर इतनी बड़ी आबादी है, लेकिन संसाधनों से वंचित है! यह तो बहुत बड़ा मुद्दा है। और अफ्रीका को भी हमें अपने पारंपरिक जीवनशैली को बनाए रखने के लिए बहुत शुभकामनाएं हैं
। इंटग्रल ह्यूमनिज्म का सिद्धांत तो बस सच है - मानव, समाज और प्रकृति एक दूसरे को मिलाकर तो फिर भी कुछ अच्छा हो सकता है। हमें अपने ज्ञान को साझा करने का समय आ गया है, जैसे कि ट्रेडिशनल नॉलेज रिपोजिटरी। भारत का इस प्रस्ताव तो बहुत ही विचारशील है
।