मुझे ये कविता बहुत पसंद नहीं है, यह ज्यादा भावुक लग रहा है। अज्ञेय जी ने अपनी कविता में अपनी बेवकूफी और असहायपन को दर्शाने की कोशिश की है, लेकिन मुझे लगता है कि यह ज्यादा व्यक्तिगत लगता है।
आजकल हमारी दुनिया में बहुत सारे बंधन हैं, जो हमारी जिंदगी को प्रभावित करते हैं। लेकिन इन बंधनों को तोड़ने के बजाय, हमें उन्हें मजबूत बनाने की जरूरत है।