जी बिल्कुल अरे यार, यह सब कुछ तो बहुत ही अजीब है कि पंजीयन और राजस्व विभाग ने सही कार्रवाई की। मैंने हाल ही में भी सुना था कि 300 करोड़ रुपये का लेन-देन कैसे हो सकता है, जिस पर एक स्टांप शुल्क इतनी मोटी कितना चारा लगा गया। और फिर यह सब क्यों? तो कोई बतायेगा? यार, बस इस बात पर जोर देना है कि ऐसे मामले जैसे कि ये हमारे देश की नाक लगने वाली चीजें हैं। लेकिन फिर भी मैं समझ नहीं पाया, तो क्या खैर, बस यह सुनकर मुझे थोड़ा दुख हुआ।